भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

Press Note of Left Parties of UP


 

किसानों की अमूल्य शहादत को क्रांतिकारी नमन पेश करेंगे वामदल

 

20 दिसंबर को गाँव गाँव शहादत दिवस मनाने के एआईकेएससीसी के आह्वान का किया समर्थन

 

लखनऊ- 18 दिसंबर 2020, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने देश और दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का नेत्रत्व कर रही सर्वोच्च कमांड एआईकेएससीसी द्वारा 20 दिसंबर को देश भर में शहीद दिवस आयोजित करने की अपील को समर्थन प्रदान किया है। वामदलों ने अपनी समस्त कतारों से अनुरोध किया है कि वे किसानहित, जनहित एवं देशहित में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले किसानों की शहादत को गाँव- गाँव पुरजोर नमन करें।

ज्ञातव्य हो कि भीषण शीतलहरी में दिल्ली में संकल्पबध्द डेरा जमाये बैठे लाखों किसानों में से अब तक 38 किसान शहीद हो चुके हैं। बावजूद इसके निष्ठुर, धूर्त और षडयंत्रकारी सरकार किसानों की मांगों पर संजीदगी से विचार करने के बजाय उसमें फूट डालने, किसानों को लांच्छित करने और उनके आंदोलन का जबरिया जिम्मा विपक्षी दलों पर डालने की साज़िशों में जुटी है। वह अपने देश के किसानों से शत्रु देश के नागरिकों जैसा वर्ताव कर रही है।

कभी उन्हें खालिस्तानी, नक्सलवादी और देशद्रोही बताया जाता है तो अब यूपी के मुख्यमंत्री ने इसे मंदिर निर्माण के खिलाफ ताकतों द्वारा समर्थित आंदोलन बता कर सांप्रदायिक कार्ड खेलने की कुचेष्टा की है। आंदोलन के पहले ही दिन से भाजपा, संघ परिवार और उसका गोबवेल्सी प्रचारतंत्र आंदोलन में जातीय, धार्मिक और क्षेत्रीय तत्व ढूँढने की असफल कोशिश में लगा है।

किसान आंदोलन को कुचलने के लिए वाचिक एवं भौतिक हिंसा का सहारा लेने वाला सत्तापक्ष अहिंसक और गांधीवादी तरीकों से किए जा रहे आंदोलन को हिंसक साबित करके उसे जबरिया समाप्त कराने के षडयंत्र रच रहा है। जबकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने आंदोलन को वैध, संविधान सम्मत और तर्कसम्मत करार दिया है।

अंबानी अदानी जैसे कार्पोरेट्स को लाभ पहुंचाने और किसानों को कंगाल बनाने की गरज से बनाये गये तीनों काले क़ानूनों को रद्द कराने और विद्युत बिल 2020 को रद्द करने की मांगों को लेकर चल रहे इस आंदोलन के प्रति भाजपा और संघ परिवार का रवैया बेहद आपत्तिजनक है। वे क़ानूनों को जायज ठहराने को स्वयं तो 7,0000 रैलियाँ कर रहे हैं और किसानों और उनके समर्थन में विपक्ष की संवैधानिक कार्यवाहियों को बाधित कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में किसानों का चीनी मिलों पर भारी धन बकाया पड़ा है। कर्ज में डूबे किसानों का सरकारी तंत्र उत्पीड़न कर रहा है और वे आत्महत्याएं कर रहे हैं। कल ही हाथरस जनपद में कर्ज में डूबे एक किसान ने उत्पीड़न से आजिज़ आकर आत्महत्या कर ली। उनकी धान आदि फसलों की कीमत समर्थन मूल्य से आधी मिल पारही है। आवारा पशुओं से किसान की फसलें तवाह हो रही हैं। उन्हें सम्मान निधि की राशि मिल नहीं पा रही। महंगे डीजल, खाद, क्रषी उपकरणों और कीटनाशकों ने लागतमूल्य बढ़ा दिया है। किसानों पर आश्रित खेत मजदूर और उन दोनों की युवा सन्तानें बेरोजगारी का दंश झेल रही हैं। और यूपी सरकार जबरिया उनकी आवाज दबा रही है। किसानों को आंदोलन करने पर गिरफ्तार किया जा रहा है, धमकाया जा रहा है और उन्हें दिल्ली कूच से रोका जा रहा है।

वामदलों के नेताओं- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के संयोजक अभिनव कुशवाहा ने कहा कि वामदल शुरू से ही किसानों के हर जायज संघर्ष में उनके कंधे से कंधा मिला कर चलते रहे हैं और 20 दिसंबर के उनके आह्वान का पुरजोर समर्थन करेंगे।

 

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 14 दिसंबर 2020

सफल रहीं आज की किसान कार्यवाहियाँ

 

अहिंसक आंदोलन के खिलाफ हिंसा पर उतारू है उत्तर प्रदेश सरकार

 

भाकपा ने सभी आंदोलनकारियों को सफल और शांतिपूर्ण कार्यवाहियों के लिये बधाई दी

 

सरकारी दमन की निंदा की, गिरफ्तार साथियों की तत्काल रिहाई की मांग की

लखनऊ- 14 दिसंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने तमाम दमन और सरकारी आतंक के बीच तीन काले क़ानूनों और विद्युत बिल 2020 वापसी के लिये किसानों और विपक्ष द्वारा की गयी व्यापक कार्यवाही के लिये उत्तर प्रदेश और देश के किसानों का क्रांतिकारी अभिनंदन किया है। भाकपा ने वामपंथी दलों सहित तमाम विपक्षी दलों को भी किसानों के समर्थन में व्यापक रूप से सड़कों पर उतरने के लिये बधाई दी है।

एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि आज के आंदोलन को कुचलने के लिये सरकार ने बेहद दमनकारी रवैया अपनाया हुआ था। रात से ही भाकपा, किसान सभा, नौजवान सभा, स्टूडेंट्स फेडरेशन एवं अन्य वामपंथी दलों/ संगठनों  के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया था।

कई को हाउज़ अरेस्ट कर लिया गया, अनेकों को उस समय हिरासत में ले लिया गया जब वे आंदोलन में भाग लेने को गंतव्य की ओर जा रहे थे तो अन्य कई को प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार कर लिया। हिरासत में न इन्हें खाना- पीना दिया गया न ही ठंड से बचाने के इंतजामात किए गये। योगी सरकार आंदोलन के प्रति भयावह क्रूरता पर उतर आयी है। भाकपा इस दमनचक्र की निंदा करती है और सभी गिरफ्तार लोगों की तत्काल रिहाई की मांग करती है।

भाकपा ने सवाल उठाये हैं कि जब आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है और लोकतान्त्रिक मर्यादाओं के भीतर हो रहा है तो भाजपा सरकार उसे क्यों कुचलने पर आमादा है? क्यों किसानों वामदलों को दमन का निशाना बनाया जा रहा है? क्या अहिंसक आंदोलन पर ये हिंसा नहीं है? क्या यह हक की लड़ाई के खिलाफ यूध्द नहीं है? क्या यह आलोकतांत्रिक और अन्यायपरक नहीं है? क्या सबसे बड़ी अदालत को इस अन्याय का नोटिस नहीं लेना चाहिए?

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा , उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

Left came on roads in UP

 

किसानों के भारतबंद के समर्थन में उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों की अभूतपूर्व कार्यवाहियाँ

 

रास्ते जाम किए, पुतले जलाये, प्रदर्शनों से रहीं सड़कें लाल

गिरफ्तार नेताओं और कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग उठाई

वाम नेताओं ने सभी आंदोलनकारियों को लाल सलाम पेश किया

 

लखनऊ- 8 दिसंबर 2020, योगी सरकार के भारी आतंक और दमन के बावजूद किसानों के भारत बंद के समर्थन में उत्तर प्रदेश में वामपंथी दलों एवं जनसंगठनों ने अभूतपूर्व एकजुटता का इजहार किया। यद्यपि गत रात से ही अनेक जिलों में वामपंथी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ताबड़तोड़ गिरफ्तारियाँ शुरू कर दी थीं, फिर भी वामपंथी दलों ने हर जिले में संयुक्त रूप से अनेक जुझारू कार्यवाहियों को अंजाम दिया।

प्रदेश में हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने रास्ते जाम किये, मोदी, योगी और कार्पोरेट्स के पुतले जलाये, जुलूस निकाले, धरने दिये और किसानों नौजवानों की मांगों से संबंधित ज्ञापन दिये। इन कार्यवाहियों में चारों वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी, भाकपा, माले- लिबरेशन एवं फारबर्ड ब्लाक तो थे ही, संबंधित किसान सभाएं, ट्रेड यूनियनें, नौजवान और छात्र फेडरेशनें, महिला संगठन, इप्टा जलेस जसम आदि सान्स्क्रतिक संगठन, खेत मजदूर यूनियनें आदि भी सड़कों पर उतरे।

ट्रांसपोर्टर्स, अधिवक्ता, बिजली कर्मी आशा, आंगनबाड़ी, आदि भी कार्यवाहियों में शामिल हुये। मंडियाँ और अनेक जगह बाजार भी बन्द रहे। आज समूचा उत्तर प्रदेश लाल नजर आ रहा था। कई विपक्षी दलों के नेता/ कार्यकर्ताओं ने भी सड़कों पर उतर कर किसानों के प्रति समर्थन का इजहार किया। वामपंथी दलों ने किसानों के समर्थन में उतरने वाले सभी को क्रांतिकारी अभिनंदन पेश किया है। संघर्षों में उपजी वाम एकता और जनवादी एकता को आगे भी बनाये रखने पर ज़ोर दिया।

वामदलों ने कहाकि यह किसानों का भारत बन्द था, व्यापारियों का नहीं। बाजार बन्द होने न होने से इसका मूल्यांकन नहीं किया जाना चाहिए। खुदरा व्यापार में कार्पोरेट्स के आधिपत्य के विरोध में यदि व्यापारी भी विरोध में शामिल रहते तो उचित ही रहता। जो बन्द से अनभिज्ञ रहे वह उनकी बड़ी चूक है।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा माले सचिव का॰ सुधाकर यादव एवं फारबर्ड ब्लाक के संयोजक अभिनव कुशवाहा ने सभी आंदोलनकारियों की बिना शर्त तत्काल रिहाई की मांग की है।

जारी द्वारा-

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश    

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शनिवार, 5 दिसंबर 2020

उत्तर प्रदेश- किसान संगठनों के 8 दिसंबर के भारत बंद को उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने समर्थन प्रदान किया

लखनऊ- 5 दिसंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी      (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, माले- लिबरेशन एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक की उत्तर प्रदेश राज्य इकाइयों ने किसान संगठनों के 8 सितंबर के भारत बन्द को समर्थन दिया है।

यहां जारी एक संयुक्त बयान में वामपंथी दलों ने कहा है कि वे नये क्रषी क़ानूनों के विरूध्द देश भर के किसान संगठनों द्वारा चलाये जा रहे व्यापक एवं जुझारू आंदोलन के प्रति पूर्ण एकजुटता व्यक्त करते हैं और उनके द्वारा 8 दिसंबर को भारत बन्द कराने के आह्वान का समर्थन करते हैं।

वामपंथी दलों ने भारत की खेती को बचाने और देश की खाद्य सुरक्षा के लिए किए जा रहे अन्नदाताओं के संघर्ष के विरूध्द भाजपा/ आरएसएस द्वारा चलाये जा रहे झूठे और घ्रणित प्रचार अभियान की कड़े से कड़े शब्दों में निन्दा की।

वामपंथी दल तीनों नये क्रषी क़ानूनों और विद्युत संशोधन बिल 2020 को समाप्त करने की किसानों मांगों का शुरू से ही समर्थन कर रहे हैं और उनके सहयोगी संगठन इसके लिए निरंतर आवाज उठा रहे हैं। वामपंथी दल अन्य राजनैतिक दलों और शक्तियों से अपील करते हैं कि वे किसानों की मांगों के समर्थन में आगे आयें।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा, माले लिबरेशन के राज्य सचिव का॰ सुधाकर यादवएवं फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाहा ने अपनी जिला इकाइयों से अनुरोध किया कि वे संयुक्त रूप से भारत बन्द के समर्थन में हर संभव प्रयास करें। अन्य लोकतान्त्रिक दलों, संगठनों और शक्तियों को भी साथ में लायें।

जारी द्वारा

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

Youth and students in support of farmers in UP


आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में उत्तर प्रदेश के छात्र- नौजवान सड़कों पर

AISF एवं AIYF के कार्यकर्ताओं ने जिलों में किये धरने, प्रदर्शन और पुतले दहन

लखनऊ- 4 दिसंबर 2020, आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन ( AISF ) एवं अखिल भारतीय नौजवान सभा ( AIYF ) की उत्तर प्रदेश राज्य इकाइयों के आह्वान पर आज दिल्ली और देश भर में संघर्षरत/ आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में सैकड़ों की संख्या में छात्रों और नौजवानों ने आज  सड़कों पर उतर कर किसानों के साथ एकजुटता का इजहार किया तथा किसानों, छात्रों और नौजवानों की ज्वलंत मांगों को स्थानीय प्रशासन के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति तक पहुंचाया।

एआईएसएफ़ एवं एआईवाईएफ़ के जाबांज कार्यकर्ताओं ने आज समूचे उत्तर प्रदेश के जिला अथवा तहसील मुख्यालयों पर जुझारू तेवरों के साथ धरने दिये, प्रदर्शन किये एवं कई जगह मगरूर, हठी, किसान, मजदूर, छात्र- नौजवान विरोधी और अंबानी अदानी जैसे कार्पोरेटों की दलाल सरकार के पुतले भी फूंके।

ज्ञापनों के माध्यम से छात्र नौजवानों ने मांग की कि किसान विरोधी तीनों कानून वापस लिए जायें और इसके लिये संसद का विशेष सत्र बुलाया जाये। उन्होने नूनतम समर्थन मूल्य दिलाने की गारंटी करने वाला कानून बनाने की मांग की। बिजली अधिनियम 2020 वापस लिया जाने और श्रम क़ानूनों में किये गए मजदूर विरोधी बदलावों को रद्दी की टोकरी में डालने की मांग पर बल दिया।

उन्होने मांग की कि गरीब विरोधी, जनविरोधी और धनवानपरस्त नई शिक्षा नीति 2020 तत्काल वापस ली जाये, भगतसिंह रोजगार गारंटी एक्ट बनाया जाये और सबको समान शिक्षा, रोजगार और मुफ्त स्वास्थ्य सेवायें  उपलब्ध करायी जायें।

अपने 5 सूत्रीय माँगपत्र में छात्र युवाओं ने आंदोलनकारी किसानों, मजदूरों, छात्रों एवं नौजवानों के ऊपर हो रहे अत्याचारों को तत्काल रोके जाने की मांग की। चेतावनी दी कि सरकार शीघ्र नहीं सुधरी तो छात्र- नौजवान और भी बड़ी कार्यवाहियों के लिये बाध्य होंगे।

एआईएसएफ़ एवं एआईवाईएफ़ के राज्य कार्यालयों को समाचार प्रेषित किये जाने तक कई दर्जन जनपदों से कार्यक्रमों के सफलतापूर्वक संपन्न होने की खबरें मिल चुकी हैं। उनमें से प्रमुख हैं- मथुरा, हाथरस, गाजियाबाद, शामली, बदायूं, बरेली, शाहजहाँपुर, कानपुर देहात, चित्रकूट, झांसी, ललितपुर, खागा ( फ़तेहपुर ), बाराबंकी, फैजाबाद- बीकापुर, मछलीशहर-जौनपुर, सुल्तानपुर, मऊ, बहराइच, कुशीनगर, निचलौल ( महाराजगंज ), प्रतापगढ़, गोंडा, बुलंदशहर, बांदा, मौदहा- हमीरपुर आदि।

AISF एवं AIYF के प्रांतीय पदाधिकारियों ने आज किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरने वाले छात्र- नौजवानों को क्रांतिकारी बधाई दी और अपेक्षा की कि वे अपनी जंगजू कार्यवाहियाँ लगातार जारी रखेंगे।


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बुधवार, 25 नवंबर 2020

CPI support Dr. Haripraksh Yadav for MLC from Lucknow- jhansi graduate constituency


भाकपा ने लखनऊ- झांसी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी हेतु डा॰ हरिप्रकाश यादव को समर्थन दिया

 

लखनऊ- 25 नवंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने इलाहाबाद- झांसी खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी ( MLC) पद के सुशिक्षित एवं संघर्षशील प्रत्याशी डा॰ हरिप्रकाश यादव को समर्थन प्रदान करने का निश्चय किया है। भाकपा ने अपनी प्रयागराज, कौशांबी, फ़तेहपुर, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, जालौन, झांसी और ललितपुर जनपद इकाइयों से अनुरोध किया है कि वे डा॰ हरिप्रकाश यादव को सक्रिय समर्थन प्रदान करें।

श्री यादव अटेवा के जुझारू सिपाही हैं और बेरोजगारों, पेंशनविहीनों और अन्य कमजोर तबकों की लड़ाई लड़ते रहे हैं। रोजगार और पेंशन समेत किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों, महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर वर्गों के लिये सतत संघर्ष करती रही है। संघर्ष के उद्देश्यों की समानता के आधार पर ही उन्हें समर्थन प्रदान किया गया है।

भाकपा लखनऊ स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से पहले ही पूर्व के जुझारू छात्र एवं मेहनतकशों के नेता श्री एजाज अहमद नक़वी को समर्थन प्रदान कर चुकी है।

भाकपा ने अन्य वामपंथी जनवादी शक्तियों से अपील की कि वे संघर्ष के मुद्दों की समानता के आधार पर भाकपा समर्थित उक्त प्रत्याशियों को समर्थन प्रदान करें।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 18 नवंबर 2020

UP Govt. must quit


 

बालिकाओं के साथ दरिंदगी और यौन अपराधों की बढ़ती वारदातों पर भाकपा ने गहरा क्षोभ और रोष जताया

 

जघन्य वारदातों की नैतिक ज़िम्मेदारी ले सरकार, नहीं तो गद्दी छोड़े: भाकपा

 

लखनऊ- 18 नवंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने उत्तर प्रदेश में अबोध बालिकाओं, महिलाओं के साथ दरिंदगी और उनकी जघन्य हत्याओं और बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं पर गहरा क्षोभ और रोष व्यक्त किया और इसके लिए राज्य सरकार की संगीन अपराधों के प्रति मुजरिमाना उपेक्षा को जिम्मेदार ठहराया है।

यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा कि योगीराज भोगीराज बन चुका है। एक के बाद एक हो रही वीभत्स वारदातों से दिल कांप उठता है। दीवाली की रात प्रदेश के मुख्यमंत्री अयोध्या में जब 6 लखिया दीपालिका मना रहे थे, जनपद- कानपुर महानगर के घाटमपुर में उसी रात एक 6 वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार के बाद हत्या, उसका दिल, किडनी खा जाने और आँखें फोड़ने की वारदात से पूरा प्रदेश हिल कर रह गया।

गत दिन जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बद्रीनाथ- केदारनाथ में घूम घूम कर पुण्य कमा रहे थे, बुलंदशहर जनपद में बलात्कार पीड़िता दलित किशोरी को पेट्रोल छिड़क कर जला दिया जिसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। चित्रकूट में एक JE वर्षों से बच्चों- बच्चियों के साथ दुष्कर्म कर वीडियो बना लाखों कमाता रहा और योगी सरकार अपने विभाजनकारी एजेंडे में मस्त रही। सच तो यह है कि गत साल में बच्चों के साथ यौन शोषण की वारदातों में 22 फीसदी की बदोत्तरी हुयी है। यह प्रदेश में हर माह घट रही ऐसी हजारों वारदातों के चंद उदाहरण हैं।

चोरी, छिनेती, लूट एवं हत्या आदि की वारदातों में भी भारी इजाफा हुआ है। दीवाली के दिनों में ही नकली शराब के सेवन, पटाखा गोदामों में लगी आग और धनाढ्यों द्वारा मनहूस तरीके से की गयी पटाखेबाजी के प्रदूषण से सैकड़ों की जानें चली गयीं और भाजपा और उसकी सरकार जश्न में डूबी रही। सहिष्णुता की स्वस्थ भारतीय संस्क्रति को जहर में बुझा कर संघ परिवार ने उसे हिन्दू संस्क्रति में बदल दिया है जो हमारे समाज और उसके ताने बाने को तहस नहस कर रहे हैं। ये सरकार लोगों को तिल तिल कर मरने को मजबूर कर रही है।

अफसोस तो इस बात का है कि अंधे युग की इन जघन्यतम वारदातों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेने के बजाय राज्य सरकार अपने कुशासन को जायज ठहरा रही है और अपने इस रावणराज को रामराज्य साबित करने की असफल कोशिश कर रही है।

भाकपा सरकार से मांग करती है कि या तो जनता द्वारा सौंपी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करो नहीं तो त्यागपत्र दो।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

 

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बुधवार, 11 नवंबर 2020

CPI on defeat of opposition in UP Assembly By poll

 

उत्तर प्रदेश विधान सभा उपचुनाव परिणामों पर भाकपा की प्रतिक्रिया-

 

जीत के लिये भाजपा नहीं प्रमुख विपक्षी दलों की अहममन्यता जिम्मेदार

 

लखनऊ- 11 नवंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने प्रदेश विधान सभा के चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया जताते हुये कहाकि यह भाजपा और उसकी नीतियों की जीत नहीं जैसा कि भाजपा दावा कर रही है।

सच तो यह है कि यह उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दलों की मगरूरियत, जनवादी ताकतों की उनके द्वारा की गयी उपेक्षा और अहंकारी नेताओं के आपसी टकराव की देन है। इससे प्रदेश की धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक ताकतों को तात्कालिक तौर पर धक्का लगा है और भाजपा को अनायास लाभ पहुंचा है।

भाकपा ने कहा कि भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों और क्रियाकलापों से लोग नाराज हैं। किसान विरोधी तीन अधिनियम, श्रम क़ानूनों में बदलाव, पलायन और बेरोजगारी, कानून व्यवस्था की दुर्दशा और महिलाओं और कमजोर तबकों के उत्पीड़न, राशन वितरण, मनरेगा और किसान सम्मान निधि के वितरण में धांधली, कोविड से निपटने में दोनों सरकारों की विफलता एवं लाकड़ाउन के पालन कराने के नाम पर हुयी ज़्यादतियों, शिक्षा नीति में बदलाव और कमजोर वर्गों को आनलाइन शिक्षा से वंचित रह जाना, महंगाई और भ्रष्टाचार, आतंकवाद रोकने में असफलता और सुरक्षा बलों की लगातार हो रही शहादतों, सीमाओं की रक्षा न कर पाना, संविधान और जनवादी अधिकारों पर हमले और राष्ट्रीय संपत्तियों की बिक्री तथा अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक गिरावट से लोग बेहद नाराज थे और भाजपा को सबक सिखा सकते थे।

परंतु अहममन्य और अकर्मण्य विपक्ष ने सभी लोकतान्त्रिक शक्तियों और भाजपा विरोधी मतों को एकजुट करने का कोई प्रयास नहीं किया। यहाँ तक कि लाकड़ाउन में भी जनता के सवालों पर सर्वाधिक मुखरित भाकपा, वामपंथ और अन्य लोकतान्त्रिक दलों से कोई संपर्क तक नहीं किया। फलतः इन दलों के हजारों कार्यकर्ता और समर्थक सरकार की कुनीतियों और जनविरोधी क्रत्यों को उजागर कर उसे शिकस्त देने की मुहिम का  हिस्सा नहीं बन सके।

इसलिये भाजपा की जीत के लिये भाजपा कम उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल अधिक जिम्मेदार हैं। वे अपनी इस ऐतिहासिक चूक से मुंह नहीं छिपा सकते। वे जनता और लोकतान्त्रिक शक्तियों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के दायित्व से मुकर नहीं सकते।

भाकपा ने कहा कि अभी भी समय है कि ये दल अपनी कार्यनीतियों का पुनरीक्षण कर भूल सुधार की दिशा में कदम उठायेँ।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

 

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सोमवार, 9 नवंबर 2020

विध्वंसक भाजपा सरकारों के पतन की शुरूआत कल से

 

माफियाओं द्वारा निर्मित भवनों को ध्वस्त करने के बजाये उनका जनहित में उपयोग किया जा सकता था

 

भाकपा ने कहा- एक विध्वंसक सरकार से जनहित की उम्मीद व्यर्थ

 

विध्वंसक ट्रंप के पतन की ही तरह भाजपा का हश्र सुनिश्चित है, कल बिहार विधान सभा के चुनाव परिणामों से हो जायेगा शुभारंभ : भाकपा

 

लखनऊ- 9 नवंबर 2020, अपराधी और माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर उनके द्वारा निर्मित भवनों और भव्य भवनों को ढहना योगी सरकार के मानसिक दिवालियापन और तुष्टीकरण के अलावा कुछ नहीं। एक विवेकहीन और जनता के हितों से कोसों दूर सरकार से इसके अलाबा कुछ उम्मीद भी नहीं की जा सकती।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा माफियाओं और उनके संबंधियों की इमारतों को ढहाने की कार्यवाही को बचकाना और वोट बैंक की राजनीति बताते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा कि इन भवनों को ढहाने के बजाये, सरकार द्वारा जब्त कर उनमें अस्पताल, स्कूल एवं कई जरूरी काम शुरू किए जा सकते थे। और कुछ नहीं तो कोविड हास्पिटल ही खोले जा सकते थे। क्या इन भवनों के भागों को उन गरीबों को आबंटित नहीं किया जा सकता था जो आज भी इस भयंकर रामराज्य में झौंपड़ियों में जीवन जी रहे हैं, भाकपा ने सवाल किया है? दयनीय स्थिति को प्राप्त कोविड अस्पतालों को इनमें शिफ्ट नहीं किया जा सकता था क्या?

एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि भाजपा/ संघ का इतिहास सदैव से विध्वंसात्मक रहा है सरजनात्मक नहीं। आज भी उसकी सरकारें किसी न किसी रूप में विध्वंस में लगी हैं। वे राष्ट्रीय संसाधनों को नष्ट कर रही हैं, भाईचारे को नष्ट कर रहीं हैं तथा व्यवस्था और संविधान को नष्ट कर रही हैं। इनका भी वही हश्र सुनिश्चित है जो अमेरिका में विध्वंसक ट्रंप का हुआ है। और इसकी शुरूआत कल बिहार विधान सभा के चुनाव परिणामों से हो जायेगी, भाकपा ने कहा है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 4 नवंबर 2020

CPI on Mathura Episode


 

मथुरा के मन्दिर में पढ़ी गयी नमाज के बहाने विभाजन की राजनीति को हवा दे रही है राज्य सरकार

 

भाकपा ने सभी जागरूक एवं सद्भाव की ताकतों से कट्टरपंथियों के षडयंत्रों को विफल करने की अपील की

 

लखनऊ- 4 नवंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मण्डल ने जनपद- मथुरा के एक मन्दिर में नमाज पढ़ने वाले लोगों पर संगीन धाराओं में मुकदमे और उनकी गिरफ्तारी की निन्दा की। खान अब्दुल गफ्फार खान ( सीमांत गांधी ) द्वारा शुरू किये गये खुदाई ख़िदमतगार से जुड़े ये लोग लंबे समय से सांप्रदायिक सद्भाव का मिशन चला रहे हैं, और उसीके तहत 84 कोसी परिक्रमा करने मथुरा आए थे।

जिस पुजारी की अनुमति और आमंत्रण पर उन्हें मन्दिर परिसर में प्रवेश मिला था और सद्भाव का भाव जगाने के उद्देश्य से उन्होने वहाँ नमाज भी पढ़ी थी, बाद में वे पुजारी जी विभाजनवादी एवं कट्टरपंथियों के दबाव में आ गये और उन्होने खुदाई खिदमतगारों और उनके साथियों के विरूध्द अभियोग दर्ज करा दिया। हर बार की तरह मुसलमानों को निशाना बना कर विभाजन की राजनीति को हवा देने वाली योगी सरकार की पुलिस ने उन्हें आनन-फानन में गिरफ्तार कर लिया।

अब मन्दिर आंदोलन के अवसान एवं गो हत्या के नाम पर फर्जी गिरफ्तारियों के लिए उच्च न्यायालय की फटकार खा चुके विभाजन की राजनीति करने वाले तत्व पुनः सक्रिय होगये हैं और घ्रणा फैलाने को मुस्लिम धर्मस्थलों आरती और हनुमान चालीसा पढ़ने का स्वांग रच रहे हैं। दोनों के उद्देश्यों में वैपरीत्य है- उन्होने नमाज सद्भाव के लिये पढ़ी थी तो ये अब जो कुछ भी कर रहे हैं उकसाबे के लिये कर रहे हैं।

भाकपा ने कहा कि तमाम मुद्दों पर बेनकाव हो चुकी योगी सरकार विभाजन की राजनीति को प्रमोट करने के लिये अल्पसंख्यकों को कोई न कोई बहाना बना कर निशाना बना रही है। बदलाव और प्रगति की वाहक ताकतों को कभी नक्सल तो कभी देशद्रोही बता कर प्रताड़ित कर रही है। उसीके इशारे पर यह चालीसा पढ़ने अथवा कथित आरती करने का अभियान शुरू किया गया है।

भाकपा ने सरकार और उसके रजाकारों को चेतावनी दी कि वह जनता को गुमराह करने और सद्भाव एवं बदलाव की ताकतों को मिटाने के अपने मंसूबों से बाज आये और कम ही बचे अपने कार्यकाल में आम जनता के हित में काम करे।

भाकपा ने सभी जागरूक और सद्भाव की ताकतों से अपील की कि वे विभाजनकारी और सांप्रदायिक कट्टरपंथियों की इन साज़िशों को विफल करने को जुट जायें और सद्भाव की मुहिम को आगे बढ़ाएं।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

भाकपा एवं माकपा के शीर्ष नेता हाथरस पहुंचे : बिटिया के परिवार से मिल कर दुख जताया और ढाढ़स बंधाया


हाथरस/ लखनऊ - 6 अक्तूबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड डी॰ राजा, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी ) के महासचिव का॰ सीताराम येचुरी, भाकपा की सचिव एवं एटक की महासचिव का॰ अमरजीत कौर, माकपा की पॉलिट ब्यूरो सदस्य बृंदा करात, भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव आज सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ हाथरस की बिटिया के गांव बूलगड़ी पहुंचे और पीड़ित परिवार की पीढ़ा साझा की और उनको ढाढ़स बँधाया।

परिवार ने वामपंथी नेताओं को पीड़िता की हत्या, हालात और बदसलूकी के बारे में विस्तार से बताया। परिवार अब भी अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है और खुल कर बात करने से डर रहा है। वह न्याय की गुहार लगा रहा है और इसके लिये वह न्यायिक जांच चाहता है। उसकी पीड़ा यह भी है कि माननीय उच्च न्यायालय ने उन्हे 12 अक्तूबर को उपस्थित होने का नोटिस भेजा है और शोक के इन हालातों में उन्हें यह भी पीड़ादायक लग रहा है।

दोनों दलों के शीर्ष नेत्रत्व ने परिवार की पीड़ा को साझा किया और भरोसा दिलाया कि वे उनको न्याय दिलाने को हर स्तर पर सहयोग करेंगे। उपस्थित मीडिया से उन्होने कहा कि यूपी में जिस तरह महिलाओं, बेटियों दलितों और कमजोरों पर जुल्म हो रहे हैं उससे किसी भी इंसान की रूह कांप जाती है। उन्होने सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग की। उन्होने कहा कि बलरामपुर में बलात्कारियों पर एनएसए लगाया गया है क्योंकि वे मुस्लिम हैं। हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं, पर यह आश्चर्यजनक है कि देश और दुनियाँ को जिस हादसे ने स्तब्ध कर दिया है, उसके आरोपियों पर एनएसए लगाना तो दूर भाजपा के सांसद और विधायक उन्हें जेल तक में वीआईपी सुविधाएं दिलवा रहे हैं। ऐसी सरकार से न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

एक सवाल के जबाव में वाम नेताओं ने कहा कि दंगाइयों की सरकार मुख्य समस्या से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है और विपक्ष पर दंगा भड़काने का आरोप लगा रही है। इस पर कौन विश्वास करेगा? सच तो यह है कि सरकार संरक्षित आरोपियों के समर्थक प्रतिदिन यहाँ आने वालों पर पथराव कर रहे हैं और उपद्रव करने की हर कोशिश कर रहे हैं। वे यह भी भूल गये हैं कि बाहर से आने वाले लोगों के साथ शालीनता से व्यवहार करना चाहिये, जैसा कि भारत की संस्क्रति कहती है।

वाम नेताओं ने एक स्वर से योगी सरकार को महिलाओं और बालिकाओं के साथ हो रही दरिंदगी को रोकने में असफल बताया और मुख्यमंत्री के तत्काल इस्तीफे की मांग की।

भाकपा नेता डा॰ गिरीश ने जिला प्रशासन के माध्यम से सरकार से मांग की कि यदि परिवार के लोग उच्च न्यायालय जाने का निर्णय लेते हैं तो उनकी सुरक्षा और लाने ले जाने की ज़िम्मेदारी सरकार और प्रशासन ले। उन्होने कहा कि पीड़ित को न्याय दिलाने की आवाज उठाना हमारा फर्ज है तथा हम आम लोगों से भाई चारा बनाये रखने की भी अपील कराते हैं।

वामदलों के नेताओं के साथ दर्जनों वाहनों के काफिले में सैकड़ों अनुशासित कार्यकर्ता भी मौजूद थे। परन्तु न तो नेताओं की जिंदाबाद का नारा लगा न ही किसी की मुर्दाबाद। कार्यकर्ताओं का कहना था कि वे यहां संवेदनाएं व्यक्त करने आए हैं न कि राजनीति करने। वैसे ये कार्यकर्ता किसी भी चुनौती  का सामना करने को मुस्तैद थे। मौके पर मौजूद लोग उनकी शालीनता और अनुशासन की प्रशंसा कर रहे थे और स्थानीय प्रशासन भी तनावमुक्त महसूस कर रहा था।

प्रतिनिधि मण्डल में आदिकेशन एडवोकेट, गफ्फार अब्बास, सुहेव शेरवानी सभी भाकपा, ब्रजलाल भारती, भारत सिंह एवं इदरीश सभी माकपा आदि भी शामिल थे। शेष सैकड़ों कार्यकर्ता बैरीकेडिंग के बाहर लाल झंडे लिये खड़े थे।

डा॰ गिरीश

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शनिवार, 3 अक्टूबर 2020

Left Parties Rejected CBI inquiry in Hathras case


 

उत्तर प्रदेश के वामदलों ने सीबीआई जांच की सिफ़ारिश को नकारा

 

लखनऊ- 3 अक्तूबर- उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने योगी सरकार द्वारा हाथरस प्रकरण की जांच के लिये सीबीआई जांच की सिफ़ारिश को पीड़ित परिवार को न्याय से वंचित करने और जांच को विलंबित करने की साजिश बताया है। यह पीड़ित परिवार द्वारा बार बार न्यायिक जांच की गुहार और उच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर जांच कराने की कार्यवाही के विपरीत है। यह आरोपियों के पक्ष में खड़े लोगों और भाजपा की कपटपूर्ण चाल का परिणाम है।

वामपंथी दलों ने कहा कि तोते (सीबीआई) की कारगुजारी अभी हाल में सारा संसार बाबरी मस्जिद दहन केस में देख चुका है। विध्वंसक बार बार दुहराते रहे कि उन्होने ढांचा तोड़ा है और सीबीआई ने उनके बेदाग छूटने की व्यवस्था कर दी। इस जांच पर भला कौन विश्वास कर सकता है।

वामदलों ने कहा कि घटना के दिन 14 सितंबर से लेकर आज तक प्रदेश सरकार और प्रशासन पीड़ित परिवार का जघन्य उत्पीड़न करता रहा है और अब उनके ऊपर सीबीआई जांच थोप कर उत्पीड़न को जारी रखने और न्याय से वंचित करने का षडयंत्र है। रात के साढ़े नौ बजे एसआईटी टीम को पीढ़ितों के घर भेज देना भी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही है। राज्य सरकार को इससे बाज आना चाहिये।

वामदलों ने कहा कि जिलाधिकारी हाथरस और लीपापोती करने वाले अन्य अधिकारियों के यथावत पदों पर बने रहते कोई निष्पक्ष जांच संभाव नहीं। उन सभी को माकूल सजा दी जानी चाहिये।

वामदलों के नेताओं माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, भाकपा- माले के सचिव सुधाकर यादव एवं फारबर्ड के संयोजक अभिनव सिंह कुशवाहा ने कहा कि बेटियों की सुरक्षा और हाथरस की बेटी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर उनका संघर्ष जारी रहेगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव,

भाकपा- उत्तर प्रदेश   

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शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

हाथरस प्रकरण-


 

बिटियाओं के साथ दरिंदगी और दमनकारी जंगलराज के खिलाफ-

 

मुख्यमंत्री के त्यागपत्र और बहू बेटियों की पूर्ण सुरक्षा के लिये-

 

वामपंथी दलों ने समूचे उत्तर प्रदेश में गांधी प्रतिमाओं पर किये आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन

 

लखनऊ- 2 अक्तूबर 2020, हाथरस की बेटी से दरिंदगी, आधी रात को जबरिया किये गये अंतिम संस्कार, बलरामपुर, भदोही, बुलंदशहर, बागपत, फ़तेहपुर में बेटियों के साथ हाल में हुयी दरिंदगी और हर जगह पुलिस प्रशासन का शर्मनाक आचरण, दलितों महिलाओं और किसानों पर अत्याचार, नफरत की राजनीति, मीडिया और राजनेताओं पर पुलिस- प्रशासन के क्रूर हमलों के खिलाफ आज वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं ने लगभग हर जिले में गांधी प्रतिमाओं पर धरने प्रदर्शन किये तथा मौन अनशन किये। वामपंथी दलों ने मुख्यमंत्री के त्यागपत्र और हाथरस के डीएम और एसपी पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की।

कोरोना काल में हुयी वामपंथ की अनेक कार्यवाहियों में आज की कार्यवाही अभूतपूर्व थी। इतना ही नहीं लगातार कई दिनों से वामपंथी दल और उनके सहयोगी जन संगठन उत्तर प्रदेश में इन वारदातों पर उद्वेलित हैं और लगातार सड़कों पर उतर कर आंदोलित हैं। भले ही मीडिया की उपेक्षा का वे सामना कर रहे हैं।

आज यद्यपि सभी जिलों के वामपंथी पार्टियों एवं जनसंगठनों के कार्यकर्ताओं ने दमखम दिखाया लेकिन हाथरस में कर्फ़्यू जैसी पाबंदियों को भेद कर भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश एवं अन्य कार्यकर्ताओं ने गांधी प्रतिमा पर पहुँच कर धरना दिया। लखनऊ में अलग अलग स्थानों से गांधी प्रतिमा पर धरना दे रहे वामपंथी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया जिनमें माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, मुकुट सिंह मधु गर्ग एवं माले के लीडर रमेश सेंगर सहित अनेक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें देर शाम रिहा किया गया। भाकपा कार्यकर्ताओं को भी जाने से रोक दिया गया।

कानपुर शहर, उरई, गाजीपुर, सुल्तानपुर, गोरखपुर, सोनभद्र, मथुरा, अलीगढ़, गाजियाबाद, नोइडा, मुरादाबाद, चित्रकूट, बांदा, झांसी, बाराबंकी, गोंडा, कानपुर देहात, बुलंदशहर, कासगंज, लालगंज(आजमगढ़), भदोही, जौनपुर, फैजाबाद, कुशीनगर, शामली, फ़तेहपुर, लखीमपुर खीरी, बदायूं, मैनपुरी, मेरठ, आदि जिलों की सूचना बयान जारी होने तक लिखित रूप में प्राप्त हुयी है।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि हाथरस में प्रशासनिक, पुलिस, भाजपा और जातीय संगठनों का आतंक बना हुआ है। आंदोलन करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं पर पुलिस संरक्षण में संगठित गुंडे पत्थर वरसा रहे हैं, नामी गिरामी टीवी चेनलों के एंकर्स और कैमरामैन आदि को न केवल बिटिया के घर जाने से रोका जा रहा है अपितु महिला पत्रकारों से अशोभनीय व्यवहार किया गया है। बिटिया के परिवार को बंधक बना लिया गया है और उसे प्रताड़ित किया जा रहा है। दुख दर्द बांटने आने वाले राजनेताओं को न केवल रोका जा रहा है बल्कि उनसे मारपीट तक की जा रही है। यह सब राज्य सरकार के दूषित आदेशों के तहत किया जा रहा है। वामपंथी दल इसकी कड़े शब्दों में निन्दा कराते हैं।

वामदलों ने कहा कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे और बहू बेटियों की सुरक्षा की गारंटी तक संघर्ष जारी रहेगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020

यूपी में जंगलराज

 

 

उत्तर प्रदेश बना बलात्कार प्रदेश- बेटियों की सुरक्षा के लिये चिन्तित माँ- बाप

 

हाथरस के बाद अब बलरामपुर सहित कई जगह हुयी दरिंदगी की वारदातें

 

हाथरस की सीमाएं सील, राजनेताओं को घुसने से रोका: लोकतन्त्र तार तार

 

वामदलों ने पुनः मांग की- इस्तीफा दें योगी  आदित्यनाथ

 

कल गांधी प्रतिमाओं पर आक्रोश जतायेंगे वामपंथी दल

 

लखनऊ- 1 अक्तूबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने अपने प्रेस बयान में कहा है कि बालिकाओं और महिलाओं से दरिंदगी और उनकी जघन्य हत्याओं को रोक पाने में पूरी तरह विफल योगी सरकार दरिंदगी के खिलाफ उठ रही हर आवाज को कुचलने पर उतर आयी है।

हाथरस में धारा 144 लागू कर दी गयी है, 4 से अधिक लोगों को पुलिस इकट्ठा नहीं होने दे रही है, जनपद की सीमायें सील कर दी गईं हैं, हर राजनेतिक व्यक्ति को जनपद में प्रवेश करने से बलपूर्वक रोका जा रहा है, पीड़िता के गाँव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है और पीड़िता के परिवार के प्रति संवेदनायें व्यक्त करने जाने वालों को बलपूर्वक खदेड़ा जा रहा है। विपक्षी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है और सैकड़ों के खिलाफ मुकदमे लिखे जा रहे हैं। बलात्कारों पर खुल कर राजनीति करने वाली राज्य सरकार अब विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है। वह पूरी तरह लोकतन्त्र को कुचलने पर आमादा है।

हाथरस की बेटी की चिता की आग अभी ठंडी नहीं हुयी थी कि जनपद बलरामपुर में हाथरस से भी भयानक वारदात हुयी है। जनपद के थाना गैसड़ी के ग्राम मझौली की दलित छात्रा का स्कूल से लौटते समय अपहरण कर लिया, उसके साथ गैंगरेप किया गया, उसके दोनों पैर तोड़ दिये गये, कमर तोड़ दी गयी, इससे पहले मुंह बंद करने के लिये घातक इंजेक्शन ठूंस दिया। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत होगयी।

इसके अलावा शाहजहांपुर, बुलंदशहर, आजमगढ़ में भी इसी तरह की जघन्य घटनायें सामने आयी हैं। यूपी में प्रति दिन इसी तरह की लगभग दर्जन भर वारदातें घट रही हैं। हर बेटी के माता पिता अपनी बेटियों की सुरक्षा के लिये चिन्तित हैं। अन्याय के लिये उठ रही हर आवाज को योगी सरकार पुलिस- प्रशासन के बल पर कुचल रही है।

भाकपा का आरोप है कि यूपी में महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों, किसानो और मजदूरों का अलग अलग तरीकों से उत्पीड़न किया जा रहा है। नित रोज उठ रहे मुद्दों को उठाने वाले विपक्ष एवं वामपंथी कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। यह सब उस सरकार को बचाने के लिये किया जा रहा है जो प्रशासन पर से नियंत्रण खो बैठी है, बेटियों और आम आदमी की रक्षा करने में असमर्थ है और नैतिक रूप से पराजित हो चुकी है।

भाकपा वामपंथ की इस मांग को पुनः दोहराती है कि शासन का नैतिक अधिकार खो चुके मुख्यमंत्री को पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं और उन्हें पद से त्यागपत्र  दे देना चाहिए।

बेटियों को न्याय दिलाने, हर तरह का उत्पीड़न रोके जाने, नफरत की राजनीति और लोकतन्त्र की हत्या से बाज आने आदि सवालों पर उत्तर प्रदेश में वामपंथी दल कल गांधी जयंती पर गांधीजी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करने के बाद विरोध प्रदर्शन करेंगे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 29 सितंबर 2020

 


 

हाथरस की पीड़िता की मौत पर भाकपा गहरा दुख जताया

 

मुख्यमंत्री से महिलाओं की रक्षा न कर पाने की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुये त्यागपत्र की मांग की

 

लखनऊ- 29 सितंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने हाथरस की पीड़िता की आज दिल्ली में हुयी मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। भाकपा ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में प्रदेश सरकार और हाथरस पुलिस प्रशासन की इस जघन्य वारदात के प्रति उदासीनता की निंदनीय करतूत ने समाज को हिला कर रख दिया है। सामाजिक और राजनीतिक संगठन निरंतर आवाज उठाते रहे मगर सिस्टम अपने ही ढर्रे पर रेंगता रहा।

यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा कि भले ही अन्य घटनायें हाथरस की तरह देश और समाज की नजरों में न आ पायें पर उत्तर प्रदेश में यह हर रोज हो रहा है। कोविड काल में ही बलात्कार और हत्या की हुयी वारदातों को ही संकलित कर दिया जाये तो एक पुस्तक का रूप ले लेगी। हमेशा की तरह इस बार भी प्रदेश सरकार के मुखिया ने नैतिक ज़िम्मेदारी लेने के बजाय दुख प्रकट कर दिया। नियमानुसार धनराशि दिला कर कर्तव्य की इतिश्री कर दी।

भाकपा मांग करती है कि अवलाओं की रक्षा कर पाने में असमर्थ मुख्यमंत्री को त्यागपत्र दे देना चाहिये। हाथरस प्रकरण में हीला- हवाली के लिए प्रशासन में ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिये और देश और समाज को आश्वस्त करना चाहिये। फास्ट ट्रेक कोर्ट गठित कर दिया गया है। सिस्टम की ओर से पैरवी में कोई चूक न हो इस बात की गारंटी की जानी चाहिये।

भाकपा मांग करती है कि नियमों से ऊपर उठ कर पीड़िता के परिवार को अतिरिक्त राशि प्रदान की जानी चाहिए। भाकपा और उसके सहयोगी संगठन उत्तर प्रदेश में महिलाओं की रक्षा के सवाल पर मुस्तैदी से आवाज उठाते रहे हैं और उठाते रहेंगे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

 

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सोमवार, 28 सितंबर 2020

CPI Today


 

भाकपा ने आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी एवं लोकतान्त्रिक आंदोलनों को कुचलने की निन्दा की

 

लखनऊ- 28 सितंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने राज्य सरकार पर तीखे आरोप लगाये कि वह महामारी का लाभ उठा कर जनवादी आंदोलनों को कुचल रही है, जबकि भाजपा और और संघ परिवार सहित तमाम संगठनों को हर तरह की गतिविधियों की छूट दी हुयी है। भाकपा ने इन कार्यवाहियों की कड़े शब्दों में निन्दा की।

आज ही सरकार ने विपक्षी ताकतों के तमाम कार्यक्रमों मे बाधा उत्पन्न की। निजीकरण के विरोध में मशाल जुलूस निकाल रहे बिजली कर्मचारी संघ एवं अन्य सभी संगठनों के नेताओं को अभी शाम गिरफ्तार कर लिया। बहराइच में आज शहीद भगत सिंह के जन्म दिवस पर रोजगार मार्च निकाल रहे भाकपा, नौजवान सभा एवं स्टूडेंट्स फेडरेशन के कार्यकर्ताओं को बलपूर्वक रोका गया जबकि कई दिनों पहले कार्यक्रम की अनुमति के लिये आवेदन कर दिया गया था। गत दिनों मऊ में क्रषि बिल की प्रतियाँ जला रहे भाकपा जिला सचिव और किसान सभा के नेताओं को संगीन दफाओं में बन्द कर दिया। 25 सितंबर को क्रषि बिल के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले वामदलों, भाकपा एवं अन्य दलों के प्रतिरोध प्रदर्शनो को ना केवल रोका गया अपितु मुकदमे तक दर्ज किये गये। आज भी प्रदेश भर में विपक्षी दलों और कर्मचारी नेताओं की जगह जगह गिरफ्तारियाँ की गईं।

भाकपा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार की जन विरोधी नीतियों और दमनकारी कारगुजारियों से जनता त्राहि त्राहि कर उठी है। राजनीतिक दल और विभिन्न वर्गीय संगठन जनता का साथ दे रहे हैं और सड़क पर उतर रहे हैं। योगी सरकार पुलिस के बल पर इन आंदोलनों को कुचलने पर आमादा है। वे ये भी भूल गये हैं कि वे उसी लोकतान्त्रिक व्यवस्था के तहत सत्ता में आये हैं जिसको कि वे कुचलने का कुचक्र रच रहे हैं। ये लोकतन्त्र और लोकतान्त्रिक संस्थाओं की हत्या का प्रयास है जिसमें उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी। न तो आंदोलनकारी पीछे हटेंगे न लोकतन्त्र को वे समाप्त कर पाएंगे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

किसान विरोधी कानून पर हस्ताक्षर न करें राष्ट्रपति : वाम दल

 

किसानों के सफल प्रतिरोध के लिये वाम दलों ने उन्हें बधाई दी

 

विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा कर किसानों का अपमान कर रहे हैं प्रधानमंत्री

 

लखनऊ- 25 सितंबर 2020, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने कहा कि किसान विरोधी क़ानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का संयुक्त प्रतिरोध आज उत्तर प्रदेश में व्यापक पैमाने पर संपन्न हुआ। किसानो और उनके समर्थक दलों और  संगठनों ने प्रदेश में बड़े पैमाने पर धरने दिये, प्रदर्शन किये, रास्ते जाम किये और सरकार के पुतले फूंके। अनेक जगह किसानों के समर्थन में बाजार भी बन्द हुये।

उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने इस अभूतपूर्व कार्यवाही के लिए उत्तर प्रदेश और देश के किसानों, मजदूरों, युवाओं एवं छात्रों को बधाई दी है। वामपंथी पार्टियों, उनके सहयोगी मजदूर, छात्र और नौजवान संगठनों ने भी इस कार्यवाही में बड़े पैमाने पर भाग लिया और सरकार को उसके कुक्रत्यों पर आईना दिखाया।

वामपंथी दलों का आरोप है कि किसान विरोधी इन काले क़ानूनों का हमला देश के 90 प्रतिशत किसान झेल नहीं पायेंगे। अपनी उपजों की कीमतों के लिए वे कारपोरेट घरानों के सामने घुटने टेकने और अंततः अपनी ज़मीनों को कार्पोरेट्स के आगे सरेंडर करने को मजबूर होंगे। ये विशाल किसान समुदाय को मजदूर बनाने की साजिश है। ये मंडी समितियों की खरबों रुपये की संपत्ति को कार्पोरेट्स के क्रषि माल्स के लिये सौंपने की तैयारी है। यह कथित राष्ट्रवादियों का विश्व व्यापार संगठन और बहुराष्ट्रीय निगमों के सामने शर्मनाक सरेंडर है।

वामपंथी दलों ने कहा कि प्रधानमंत्री विपक्षी दलों पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा कर किसानों का अपमान कर रहे हैं। सरकार की नीतियों से खोखले बनने से क्षुब्ध किसान जब प्रतिरोध कर रहे हैं तो पीएम उनकी बुद्धिमत्ता पर सवाल उठा रहे हैं। यह आपत्तिजनक भी है और निंदनीय भी। वामपंथी दलों ने किसान कार्यवाहियों को पुलिस बलों के बल पर बाधित करने का आरोप भी लगाया। उन्होने देश में कई जगह किसानों पर संघियों के संगठित गिरोहों के हमलों की भी निन्दा की।

वामपंथी दलों ने देश के राष्ट्रपति से मांग की कि वे किसान हित में काले क़ानूनों पर हस्ताक्षर न करें। अन्यथा यह प्रतिरोध शायद ही थमेगा।

उपर्युक्त बयान भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- माले के राज्य सचिव का॰ सुधाकर यादव, फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाहा एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने जारी किया है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 23 सितंबर 2020

ट्रेड यूनियनों का संयुक्त प्रदर्शन

 

पूंजीपतियों की धनलिप्सा की पूर्ति के लिये मजदूरों और किसानों को तवाह कर रही है भाजपा सरकार

 

भाकपा ने मजदूर संगठनों के संयुक्त प्रतिरोध प्रदर्शन के लिये उन्हें बधाई दी

लखनऊ- 23 सितंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने कल संसद में पारित मजदूर विरोधी काले कानून, निजीकरण, बेरोजगारी और श्रमिकों के ऊपर केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे तीखे हमलों के के विरूध्द संयुक्त ट्रेड यूनियनों के प्रतिरोध कार्यक्रम की सफलता पर उन्हें बधाई दी।

यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा कि जैसे जैसे मजदूरों- किसानों युवाओं के साथ सरकार की धोखाधड़ी (चीटिंग) बढ़ती जा रही है उनका प्रतिरोध भी तेज होता जा रहा है। आज के प्रतिरोध कार्यक्रमों के आयोजनों में कई जगह सरकारी बाधाओं के बावजूद श्रमिकों ने जोरदार प्रदर्शन किये। अनेक जगहों पर उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं का सक्रिय समर्थन हासिल हुआ।

भाकपा ने कहा कि गत सप्ताहों के घटनाक्रमों साबित कर दिया है कि सरकार पूरी तरह बड़े पूँजीपतियों और कार्पोरेट्स के साथ खड़ी है। उनकी धन लिप्सा को पूरी करने को किसान- कामगारों को तवाह करने वाले कानून बनाती जा रही है। उत्तर प्रदेश की एक कथित दलित पार्टी का सरकार के इन क्रत्यों में सरकार के साथ खड़ा होना आश्चर्यजंक ही नहीं मजदूर विरोधी क्रत्य है जिसके लिए मेहनतकश उसे माफ नहीं करेंगे।

भाकपा ने टीवी चेनलों पर आरोप लगाया कि मजदूरों किसानों और नौजवानों पर जब अभूतपूर्व हमले होरहे हैं नामी- गिरामी टीवी चेनल देश का ध्यान भटकाने को बालीवुड और ड्रग्स आदि पर समय खराब कर रहे हैं। वे मजदूरों किसानों और युवाओं के सवालों को पूरी तरह नकार रहे हैं। समाज को इस पर बहस चलानी चाहिये। बालीवुड के गरिमामय लोगों को भी सरकार और मीडिया के इस खेल के खिलाफ सामने आना चाहिये।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा , उत्तर प्रदेश

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