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शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021
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प्रकाशनार्थ
अयोध्या में राम नाम पर मची है लूट
भाकपा ने सर्वोच्च न्यायालय की देख रेख में जांच की मांग उठाई
लखनऊ-24 दिसंबर, 2021- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार पर जीरो टौलरेंस की बात करने वाली भाजपा सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है और उसके भ्रष्टाचार के आगोश में राम मन्दिर परिसर तक आगया है। सच तो यह है कि अयोध्या में राम के नाम पर लूट मची है और गरीबों को उजाड़ कर संघी और उनके पोषित लोग ज़मीनें हड़प रहे हैं। भाजपा ने आस्था का कार्पोरेटीकरण और चुनावीकरण कर दिया है। भाजपा के मन्दिर निर्माण के केन्द्र में श्री राम के संघर्षों के साथियों के वंशज दलित पिछड़े आदिवासी नहीं हैं अपितु अधिकारी व्यापारी माफिया और कारपोरेट घराने हैं।
भाकपा ने अयोध्या में राम नाम पर चल रही लूट की सर्वोच्च न्यायालय की देख रेख में जांच करने की मांग की है। वो इसलिए भी कि मन्दिर निर्माण ट्रस्ट का गठन सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के आधार पर हुआ है।
ज्ञात हो कि उत्तरप्रदेश के चुनावों में भाजपा अयोध्या के विकास और वहां बन रहे राम मंदिर को प्रमुख मुद्दा बना रही थी, लेकिन वह अब मंदिर के नाम पर ज़मीन घोटाले के आरोपों में बुरी तरह फंस गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जब रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में फ़ैसला दिया और मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ तो वहां विधायकों, मेयर, आयुक्त, एसडीएम और डीआईजी के रिश्तेदारों ने अयोध्या में तमाम ज़मीनें खरीद डाली हैं। खबर है कि ये ज़मीनें महंगे दामों में खरीदी गई हैं।
महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने 1990 के दशक की शुरुआत में, राम मंदिर स्थल से 5 किलोमीटर से भी कम दूरी पर बरहटा मांझा गांव और अयोध्या में आसपास के कुछ अन्य गांवों में बड़े पैमाने पर ज़मीन का अधिग्रहण किया था। इस ज़मीन में से लगभग 21 बीघा जमीन दलितों से नियमों का उल्लंघन करते हुए ख़रीदी गई थी। इस ख़बर के सामने आने के बाद योगी सरकार ने अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में जांच बैठाई है। विशेष सचिव राजस्व ज़मीन खरीद मामले को लेकर जांच करेंगे और शासन को एक हफ्ते में रिपोर्ट सौंप देंगे।
भाकपा सहित विपक्षी दलों द्वारा उठाई गयी सशक्त आवाज के बाद सरकार ने लीपापोती के उद्देश्य से शासकीय जांच बैठायी है। यह सरकार की स्वीकारोक्ति है कि भ्रष्टाचार हुआ है।
भाकपा मांग करती है कि अपने भाषणों में मन्दिर मन्दिर रटने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘चंदे की लूट’ और ‘ज़मीन की लूट’ पर जवाब देना चाहिए और पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय और विश्वसनीय जांच करानी चाहिए।
भाकपा ने आरोप लगाया कि पहले राम मंदिर के चंदे में घोटाला किया गया और अब दलितों की जमीन को हड़पा जा रहा है। इसकी जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में की जानी चाहिए, क्योंकि राम मंदिर को बनवाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि राम के नाम पर लूट का यह खेल अयोध्या तक ही सीमित नहीं है, इसका दायरा काशी तक फैल चुका है और इसे मथुरा तक बढ़ाने की कुचेष्टा की जा रही है। भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने गत दिनों बयान दिया है कि मथुरा श्री कृष्ण की जन्मभूमि है और अब वहां उनका भव्य मंदिर बनना चाहिए। उनके पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी कृष्ण मंदिर की वकालत कर चुके हैं और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी बार-बार मथुरा के चक्कर काट रहे हैं। आए दिन संघ गिरोह का कोई न कोई संगठन मथुरा प्रकरण पर भड़काऊ बयानबाजी करता रहता है।
इधर काशी में पिछले दिनों जिस काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया गया उस पर और उसके लक़दक़ उदघाटन पर जनता के धन के सैकड़ों करोड़ रुपये बहाये जा चुके हैं। अब इस भव्यता की कीमत भी श्रद्धालु जनता को ही चुकानी है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए पहले मामूली रकम लगती थी, लेकिन अब इसकी भी बाकायदा रेट- लिस्ट जारी कर दी गई है। इसका भुगतान कम से कम ग़रीब के लिए संभव नहीं है।
लोगों का अनुमान है कि जब अयोध्या में राम मंदिर बन कर तैयार हो जाएगा, तब वहां भी यही कहानी दोहराई जाएगी। रामलला तक पहुंचने के मौके और अधिकार अमीरों को ही मिलेंगे, क्योंकि गरीब आदमी के लिए जेब ढीली कर उनका दर्शन कर पाना कठिन हो जायेगा। अब वो दिन चले गए जब जब लोग तीर्थस्थलों पर श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाएं बनाया करते थे। अब धर्म के नाम पर व्यापार इस कदर बढ़ गया है कि अब आस्था दर्शन पूजा दीन- दुखियों की जगह केवल अमीरों की पहुंच में हो गई है।
मंदिरों में दर्शन, पूजा और प्रसाद के नाम पर व्यापार तो शुरु हो ही गया है, मंदिरों के नाम पर बने न्यासों में जो लाखों-करोड़ों की कमाई होती है, उस पर भी व्यापारियों की नज़र टिकी रहती है। कई मंदिर ट्रस्ट अपने खर्च पर गरीबों की पढ़ाई, इलाज जैसे काम करते हैं। मगर जिस तरह धर्म को धंधा बना लिया गया है, उसमें परोपकार के ये काम कितने देर तक चलेंगे, कहना कठिन है।
अयोध्या में जिस तरह ज़मीनों की ख़रीद-फ़रोख़्त में गड़बड़ी उजागर हुई है, उससे सिध्द होगया है कि भाजपा राम के नाम पर लूट मचाये हुये है। राफेल लड़ाकू विमान खरीद से लेकर अयोध्या काशी तक भ्रष्टाचार का यह मायाजाल पसरा पड़ा है। इस पर तभी लगाम लगेगी जब उच्चस्तरीय जांच के बाद दोषी जेल के सींखचों के पीछे होंगे। भाजपा सरकार से ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह अपने पिटारे में बैठे भ्रष्टाचारियों पर बुलडोजर चलाएगी।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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