भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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शुक्रवार, 31 मई 2024

योगी सरकार ध्यान भटकाने में लिप्त: बद रहे हैं हादसे


अखनूर बस हादसे के लिये उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह जिम्मेदार: डा॰ गिरीश

भाकपा नेता ने म्रतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की, घायलों के स्वास्थ्य लाभ की कामना की

सरकार से की पर्याप्त आर्थिक सहायता देने की मांग

लखनऊ/ हाथरस/ अलीगढ़- 31 मई 2024, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता डा॰ गिरीश ने अखनूर बस हादसे पर गहरा दुख जताया है जिसमें कि अब तक दो बच्चों सहित दो दर्जन की दर्दनाक मौत हुयी है और लगभग छह दर्जन घायल अस्पताल में भर्ती हैं। भाकपा ने हाथरस अलीगढ़ मथुरा और भरतपुर के निवासी इन सभी म्रतक श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की है। भाकपा ने म्रतकों के परिवारों और घायलों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान सरकार से मांग की है कि वह म्रतकों के परिवारों और घायलों को समुचित आर्थिक सहायता प्रदान करें।

भाकपा ने इस गंभीर और दर्दनाक हादसे के लिये सीधे उत्तर प्रदेश सरकार और उसके विभिन्न विभागों को जिम्मेदार ठहराया है। यहां जारी एक प्रेस बयान में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान के प्रभारी डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन की लापरवाही और व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उत्तर प्रदेश में हर दिन कई कई जानलेवा सड़क हादसे हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में धर्म की आड़ में एक बड़ा माफिया काम कर रहा है जो लोगों को बरगला कर विभिन्न तीर्थस्थलों को ले जाता है, जिनमें पहाड़ के तीर्थस्थल भी शामिल हैं। इसके लिये माफिया खटारा बसें हायर करता है और बस की क्षमता से दो दो गुने मुसाफिर भर कर ले जाता है। पहाड़ी मार्गों पर मैदान के ड्रायवरों से बस चलवायी जाती हैं। ओवरलोडिंग, बस की जर्जरता और ड्रायवर की असक्षमता से जानलेवा हादसे हो जाते हैं और तमाम परिवार समूल नष्ट हो जाते हैं।

सवाल उठता है कि इतनी अधिक ओवरलोड बस उत्तर प्रदेश की सीमा से कैसे पार हो गयी? पुलिस क्या करती रही? क्या परिवहन विभाग ने मौके पर जाकर तसदीक किया कि जितनी सवारियों का परमिट जारी किया गया है, क्या उतनी ही सवारियाँ बस में भरी जा रही हैं? पता तो यहां तक चला है कि सवारियों की फर्जी सूची के आधार पर  बस को परमिट दे दिया जाता है और हर स्तर पर सरकारी कारकुनों की जेब गरम कर माफिया बस को साफ निकाल ले जाता है।

उत्तर प्रदेश में ऐसे हादसे आए दिन हो रहे हैं और सत्ता शिखर पर बैठे लोग औरंगज़ेब, मस्जिद और पाकिस्तान की रट लगा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। वे जनता के हितों की उपेक्षा कर गंभीर अपराध कर रहे हैं। ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिये और इसकी सजा उन्हें मिलनी ही चाहिए। अंतिम चरण मे मतदान में उनको जनता निश्चय ही सबक सिखाएगी, डा॰ गिरीश ने आशा व्यक्त की है।

डा॰ गिरीश

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गुरुवार, 30 मई 2024

टैक्स दर टैक्स लगाती जा रही है सरकार: एक देश एक टैक्स का नारा सिर्फ जुमला - भाकपा


मतदान समाप्ति के तत्काल बाद उत्तर प्रदेश में एक और टैक्स थोपने की तैयारी-

वाहनों पर लगेगा भारी- भरकम “सड़क सुरक्षा सेस”

भाकपा ने सभी से प्रबल विरोध करने की अपील की

लखनऊ- 30 मई 2024, मतदान के आखिरी दिन- 1 जून के बाद किसी भी दिन उत्तर प्रदेश वासियों की पाकिट पर बुलडोजर चलने जा रहा है। सावधान हो जाइये आपके वाहन पर एक और नया टैक्स-  “सड़क सुरक्षा सेस” लगाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इंतज़ार है तो बस आपके वोट के EVM में बन्द हो जाने का।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश सरकार की इस तुगलकी योजना को सिरे से खारिज करती है और इस जनविरोधी प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में डालने की मांग करती है। भाकपा प्रत्येक पार्टी और हर नागरिक से अपील करती है कि उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रस्तावित कदम का पुरजोर विरोध करें।

इस प्रस्तावित टैक्स गहरी आपत्ति जताते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं राज्य प्रभारी डा॰ गिरीश ने कहा कि वाहनों और यात्रा पर फले से ही दर्जन भर टैक्स लगा चुकी डबल इंजन सरकार अब वाहन स्वामियों और मुसाफिरों की जेब पर डाका डालने को एक और टैक्स थोपने की तैयारियों में जुटी है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में डा॰ गिरीश ने कहा कि परिवहन विभाग के सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के वाहनों पर सड़क सुरक्षा सेस लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 1 जून को होने वाले आखिरी मतदान के बाद इसे अंतिम रूप देकर किसी भी दिन शासन के पास भेज दिया जायेगा।

इस प्रस्ताव के पीछे भगवा सरकार की अफसरशाही का तर्क है कि वाहनों के बढ़ते दबाव से प्रदेश भर की सड़कें टूटती हैं। सड़क सुरक्षा सेस के जरिये बसूले जाने वाले राजस्व से टूटी सड़कों का मेंटीनेन्स तत्काल होता रहेगा।

सवाल यह उठता है कि सड़कों के निर्माण और मरम्मत के नाम पर केंद्र और राज्य सरकारें कोई एक दर्जन टैक्स लगा कर वाहनस्वामियों और यात्रा करने वालों की जेब से जब अरबों खरबों रुपये निकाल रही हैं, तो एक और नया टैक्स क्यों? जब केंद्रीय परिवहन मंत्री दावा करते हैं कि उनके पास धन की कोई कमी नहीं है, तो उपभोक्ताओं पर यह एक और कुठाराघात क्यों?

हम बार बार यह सवाल उठाते रहे हैं कि भाजपा सरकार एक देश एक टैक्स की बात करती है मगर वाहन और यात्रा पर कई कई भारी भरकम टैक्स लगाये हुये हैं। वाहन खरीद को ही लें तो इस पर अच्छी भली जीएसटी देनी होती है, फिर भारी रोड टैक्स और इंश्योरेंस। वाहनों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी, जीएसटी, सेस और स्थानीय टैक्स देने पड़ते हैं। इन सभी टैक्सों से बसूले धन से बनने वाली सड़कों पर फिर जबर्दस्त टोल टैक्स बसूला जाता है। और जब इतने से भी सरकार का पेट नहीं भरता तो स्पीड सीमा निर्धारित कर दो हजार की पैनल्टी बसूली जाती है।

इतना ही नहीं आए दिन नंबर प्लेट्स संबंधी नियम बदल दिये जाते हैं और बदलने के ठेके निजी कंपनियों को दे दिये जाते हैं जिसकी कीमत और प्रदूषण के नाम पर अलग टैक्स देना होता है। नए मोटर वाहन कानून के जरिये भारी अर्थदण्ड और कड़ी सजा के प्रावधान सरकार द्वारा किए जा चुके हैं जिन्हें जनदबाव के कारण फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल रखा है।  

डा॰ गिरीश ने खुलासा किया कि प्रस्तावित सड़क सुरक्षा सेस की दरें भी काफी हैरान करने वाली होंगी, जिससे करदाता हिल कर रह जायेंगे। सूत्रों के अनुसार छोटे वाहनों पर एक प्रतिशत, तो भारी वाहनों पर दो प्रतिशत सेस बसूलने की योजना है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी कार की कीमत यदि दस लाख रुपये है तो उस पर दस हजार रुपये और किसी कार या भारी वाहन की कीमत यदि 50 लाख है तो उसे 50 हजार रुपये सेस देना होगा। इससे सार्वजनिक परिवहन- यात्रा और माल ढुलाई महंगी हो जायेगी, जो सभी चीजों की कीमतें बढ़ाने का कारण बनेगी।

डा॰ गिरीश ने कहा कि वाहन और ईंधन के विक्रय पर कर रूप में मिली इस विपुल धनराशि के उपयोग और निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार है। इस महाभ्रष्टाचार से लाभान्वित सरकार और अफसरशाही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बजाय जनता पर भार बढ़ाती जा रही है। सत्ताधारियों द्वारा धर्म और जाति के आडंबर में फंसायी गयी जनता सबकुछ सहती जा रही है। लेकिन जनता को जाग्रत कर उसे विरोध के लिए लामबंद करना होगा और इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा, डा॰ गिरीश ने ज़ोर देकर कहा है।

डा॰ गिरीश, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं प्रभारी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( CPI )

 

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मंगलवार, 2 जनवरी 2024

Press Note of CPI


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी  के वरिष्ठ सदस्य डा॰ गिरीश का प्रेस बयान-

हड़ताली चालकों पर दमन बंद करे सरकार! काले कानून को रद्द करे!

लखनऊ- 2 जनबरी 2024, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय नेता डा॰ गिरीश ने ड्रायवरों की हड़ताल का पुरजोर समर्थन करते हुये, उन्हें 10 साल की कैद और सात लाख जुर्माना संबंधी कानून को तत्काल रद्दी की टोकरी मेन डालने की मांग की है। साथ ही हड़ताली ड्रावर बंधुओं पर सरकार द्वारा दहाए जा रहे जुल्मों और बल प्रयोग की कड़े शब्दों में निन्दा की है।  

भाकपा की ओर से जारी एक प्रेस बयान में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी क वरिष्ठ सदस्य डा॰ गिरीश ने कहा कि  नया मोटर वेहिकल एक्ट जब बनाया जा रहा था, तब सब बे फिक्र थे कि मोदी की गारंटी के बीच उनसे कोई अन्याय नहीं हो सकता। लेकिन जब काले कानून का खुलासा हुआ तो पता चला कि यह तो जानलेवा कानून है। इतनी बड़ी सजा और जुर्माने को चुकाते हुये तो इन्सानों ई उम्र ही बीत जाएगी। फिर कैसे वो अपने परिवार का भरण पोषण करेगा। अब लोगों को पता चला है तो त्राहि त्राहि मची है।

अब सरकार कह रही है कि हड़ताल का कोई नोटिस नहीं दिया गया। यह वही सरकार है जिसने श्रमिकों के हित में बनाए गए श्रम क़ानूनों को अपने पूंजीपति आकाओं के जुल्म और लूट की छूट देने को एक झटके में बदल दिया। अब सरकार किस मुंह से कानूनी नोटिस की बात कर रही है? शर्म आनी चाहिए इस सरकार को जो अपनी शोषित पीड़ित जनता से अंग्रेजों से भी बुरा वरताव कर रही है।

डा॰ गिरीश ने कहा कि लोकतन्त्र को कुचल कर फ़ासिज़्म के रास्ते पर बढ़ रही सरकार का सोच ये है कि धार्मिक सवालों और धार्मिक विभाजन को इतना अधिक उछाला जाये कि लोग अपना हित ही भूल जायेँ और उनकी आड़ में उन पर मनमानी तानाशाही लादी जा सके। और आज यही हो रहा है।

लेकिन अब जब सचाई सामने आ रही है तो लोगों को कुछ कुछ समझ आ रहा है। जो ड्रायवर बंधु वाहनों पर गाने बजा रहे थे कि “जो राम को लाये हैं, हम उनको लाएँगे आज वे समझ गए कि राम की आड़ में वे उनकी जान लेने वाला कानून ले आए। धीरे धीरे समझ आ रहा है कि बुलडोजर मुसलमानों पर ही नहीं हर शोषित- पीड़ित पर कहर ढा रहा है। केवल उन पर नहीं चल रहा जो संघ और भाजपा से जुड़े हैं, भले ही वे बलात्कारी ही क्यों न हों।

भाकपा नेता ने कहा कि अभी तो संसद में बिना बहस ही कराये पारित किए आपराधिक क़ानूनों की भयावहता की सचाई सामने आना बाकी है। जिस दिन वो सामने आएगी, मंदिर निर्माण की आड़ में फैलाई गयी सारी “माया” छट जाएगी।

(डा॰ गिरीश)  

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