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बुधवार, 16 जून 2010

अर्जुन सिंह को घेरने की पूरी तैयारी

डेट लाइन इंडिया ने आज यह छापा है :
नई दिल्ली, 15 जून- अर्जुन सिंह को घेरने की अब पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। वारेन एंडरसन को भोपाल से बाइज्जत भगाने और जमानत दिलवाने के अलावा राज्य सरकार के जहाज में दिल्ली पहुंचाने को ले कर अर्जुन सिंह, तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी के खिलाफ मामले दर्ज कर लिए गए हैं। इस इकतरफा कानूनी कार्रवाई में तत्कालीन गृह मंत्री पी वी नरसिंह राव और भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से अभियुक्त एंडरसन की मुलाकात का कहीं कोई हवाला नहीं दिया गया। राजीव गांधी सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री रहे और राजीव गांधी के निजी दोस्त तथा रिश्तेदार अरुण नेहरू ने तो अब खुल कर मांग कर डाली है कि पी वी नरसिंह राव और एंडरसन के बीच क्या बातचीत हुई थी उसे तुरंत सार्वजनिक किया जाना चाहिए। अरुण नेहरू ने कहा है कि एंडरसन के भागने की घटना के दो हिस्से थे। अर्जुन सिंह कहते हैं कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उसे दिल्ली भेजा गया था मगर दिल्ली आ कर वह राष्ट्रपति और गृह मंत्री से मिला तो किसी को तो सफाई देनी पड़ेगी। प्रणब मुखर्जी को भी बताना चाहिए कि एंडरसन जब दिल्ली आया था तो क्या हुआ था? नेहरू का सवाल है कि एंडरसन इतना महत्वपूर्ण क्यों था कि उससे तत्काल गृह मंत्री और भारत के राष्ट्रपति मिलने के लिए तैयार हो गए? जब नेहरू को यह याद दिलाया गया कि उस समय विदेश मंत्रालय भी राजीव गांधी ही देख रहे थे तो नेहरू राजीव गांधी के बचाव में दिखार्इ्र पड़े और उन्होंने कहा कि जब अर्जुन सिंह ने एंडरसन को छोड़ ही दिया था तो इसके बाद राजीव गांधी के पास कौन सा विकल्प बचा था? यह बात हजम होने वाली नहीं है। नेहरू ने कहा कि मैं मंत्रिमंडल की राजनैतिक मामलाें की कमेटी का भी सदस्य था और मैं जानता हूं कि कमेटी कैसे काम करती है? नेहरू का सवाल है कि अगर एंडरसन दिल्ली आ भी गया था तो गृह मंत्री से मिलने की उसे क्या जरूरत थी? और इस मुलाकात का इंतजाम किसने किया था? भोपाल के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आरजी सिंह की अदालत में यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन अध्यक्ष वारेन एंडरसन को गैस कांड के बाद भोपाल से बाहर भेजे जाने के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, कलेक्टर मोती सिंह तथा पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी के खिलाफ अलग अलग दो मामले प्रस्तुत किए गए। अधिवक्ता फुरखान खान ने अदालत में एक निजी इस्तगासा पेश करते हुए एंडरसन को गलत तरीके से भोपाल से बाहर भेजे जाने के लिए अर्जुन सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण कायम किए जाने की मांग की। इस मामले की सुनवाई के लिए आगामी 29 जून की तिथी निर्धारित की गई है। इसी प्रकार गैस पीडित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने इसी अदालत में पेश अपने आवेदन में एंडरसन को बाहर भेजने को तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी की मिलीभगत बताते हुए उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराए जाने की मांग की। इस मामले की सुनवाई के लिए 24 जून की तिथि निर्धारित की गई है। उक्त दोनों तिथियों को यह निर्धारण होगा कि मामला सुनवाई के लिए लिया जा सकेगा अथवा नहीं। दूसरी तरफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव शैलेन्द्र कुमार शैली ने भी थाना प्रभारी हनुमानगंज को पेश एक शिकायत में एंडरसन की असंवैधानिक रिहाई के लिए अर्जुन सिंह, मोती सिंह और स्वराज पुरी को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रकरण दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई किए जाने की मांग की। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने भोपाल गैस कांड के दोषी वारेन एंडरसन को भोपाल से बाहर भेजे जाने को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए आज यहां कहा कि सिंह को जनता को बताना चाहिए कि एंडरसन को छोड़ने के लिए दिल्ली से किसका फोन आया था। पटवा ने आज यहां संवाददाताओं से चर्चा करते हुए बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि एंडरसन को छोड़ने के लिए सिंह को दिल्ली से फोन आया था इसलिए सिंह को इस बात का खुलासा करना चाहिए कि यह फोन क्या तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने किया था अथवा केन्द्रीय मंत्री अरुण सिंह या किसी अन्य ने किया था। पटवा ने कहा कि गैस कांड के दौरान यह आशंका भी व्यक्त की गई थी कि यह मात्र एक दुर्घटना नहीं, बल्कि परीक्षण के लिए एक सोझी समझी साजिश के तहत किया गया गैस रिसाव था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मामले में गठित मंत्रियों के समूह से दस दिन में रिपोर्ट मांगी है तथा मंत्रियों को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि क्या यह एक सोची समझी साजिश थी। एक प्रश्न के उत्तार में पटवा ने कहा कि एंडरसन को छोडने के मामले में अर्जुन सिंह पूर्ण रूप से दोषी हैं और उनको फोन करने वाला उनसे भी बड़ा दोषी है। दो तीन दिसम्बर 1984 को यूनियन कार्बाइड के सयंत्र से गैस रिसाव के दो साल पहले भी तत्कालीन अर्जुन सिंह सरकार ने यूनियन कार्बाइड का बचाव किया था। अर्जुन सिंह सरकार में श्रम मत्री रहे तारासिंह वियोगी ने वर्ष 1982 में राज्य विधान सभा में उठाए गए एक मामले में स्पष्ट कहा था कि यूनियन कार्बाइड सयंत्र में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। वियोगी ने 21 दिसंबर 1982 को विधानसभा में तत्कालीन भाजपा विधायक निर्भय सिंह पटेल द्वारा कार्बाइड कारखाने में दिसंबर 1981 से अक्तूबर 1982 तक हुई दुर्घटनाओं के संबंध में पूछे गए प्रश्न के उत्तार में कहा था कि श्श्यूनियन कार्बाइड कारखाने द्वारा सुरक्षा उपायों की व्यवस्था की गई है और कारखाना अधिनियम के तहत कारखाने को समुचित उपाय करने की हिदायत दी गई है।वियोगी ने विधानसभा को बताया था कि कार्बाइड सयंत्र में वर्ष 1981 में एक दुर्घटना हुई थी लेकिन जनवरी 82 से अक्तूबर 82 के बीच कोई दुर्घटना नहीं हुई। उन्होंने बताया कि एक कर्मचारी सईद खान नहीं बल्कि साबू खान के हाथ में दुर्घटनावश चोट आई, लेकिन दुर्घटना में उसने हाथ नहीं खोया था। वियोगी ने इस बात से इंकार किया था कि सयंत्र में हुई एक बड़ी दुर्घटना में साबू खान ने अपना हाथ खो दिया था। निर्भय सिंह पटेल ने कार्बाइड सयंत्र में वर्ष 1981 से अक्तूबर 1982 तक हुई दुर्घटनाओं के अलावा यह जानना चाहा था कि क्या 14 अक्टूबर 1982 को हुई बड़ी दुर्घटना में सईद खान को अपना हाथ गंवाना पड़ा था। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र और कांग्रेस विधायक अजय सिंह ने कहा है कि वे अपने पिता अर्जुन सिंह की भोपाल गैस त्रासदी को लेकर चुप्पी पर कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि वह उनके अधिकृत प्रवक्ता नहीं है। अजय सिंह ने कहा कि यह मेरे पिता को तय करना है कि उनको कहां और क्या कहना है और मेरा इससे कुछ लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि एक पुत्र के नाते यह उनका दायित्व बनता है कि वह इस कठिन समय में अपने पिता के साथ खड़े रहें और वह पूरी जिम्मेदारी से यह काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे अर्जुन सिंह के पुत्र है और इस नाते वे उनका बहुत सम्मान करते हैं। अजय ने कहा कि इस बारे में मेरे पिता को फैसला करना है कि वे कब और कहां कुछ कहेंगे और इस बात से उन का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि हालांकि वे भोपाल में पैदा नहीं हुए थे उनके दिल में त्रासदी से मरने वाले के लिए उतना ही दुख है जितना किसी आम भोपालवासी को होगा। कांग्रसी नेता ने कहा कि भोपाल से उन्हें बहुत कुछ मिला है और यहां बिताए गए स्कूल के दिनों की मीठी यादें आज भी उनके दिल में ताला हैं। उन्होंने कहा कि 1983 में यूनियन कार्बाइड ने उनके द्वारा चलाई जा रही चुरहट चिल्ड्रन वेल्फेयर सोसाइटी को डेढ़ लाख रुपए दान में दिए थे पर ऐसा तीन या चार अन्य कंपनियों ने भी किया था। अजय ने बताया कि हादसे के वक्त वे विधायक नहीं थे और उस वक्त उन की हैसियत एक मामूली कांग्रेसी कार्यकर्ता की ही थी।
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