फ़ॉलोअर
रविवार, 1 अगस्त 2010
at 9:58 am | 0 comments | एटक
केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा 7 सितम्बर को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का आह्वान
नयी दिल्ली, 15 जुलाई 2010ः एक अत्यंत विरल घटना में नौ केन्द्रीय टेªड यूनियन संगठन-जो अलग-अलग विचारधाराओं को मानते हैं - यूपीए-दो सरकार की ऐसी जनविरोधी नीतियों के खिलाफ-जिनसे आम लोगों, खासकर मजदूर वर्ग को नुकसान पहुंचता है- संघर्ष करने के लिए एकजुट हुए हैं।
जब यह समाचार प्रेस में जा रहा है, केन्द्रीय टेªड यूनियनों और मजदूरांे एवं कर्मचारियों की फेडरेशनों के प्रतिनिधि दिल्ली के मावलंकर भवन में मजदूरों के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में अपना विचार-विमर्श शुरू कर चुके हैं। देश के कोने-कोने से विभिन्न केन्द्रीय टेªड यूनियनों और फेडरेशनों के प्रतिनिधि सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं और उनमें अभूतपूर्व उत्साह है। सभी प्रतिनिधि यूपीए-दो सरकार की जनविरोधी नीतियों-खासकर महंगाई, मंदी से ग्रस्त उद्योगों में रोजगार के छिनने, श्रम कानूनों के उल्लंघन, असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा के अभाव, सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश-के विरूद्ध संघर्ष तीव्र करने पर जोर दे रहे हैं।
सम्मेलन में शामिल होने वाले नौ केन्द्रीय संगठन हैंः इंटक, एटक, सीटू, हिंद मजदूर सभा, टीयूसीसी, एआईसीसीटीयू, एआईयूटीयूसी, यूटीयूसी और एलपीएफ। राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले इन संगठनों के बीच वार्ताओं के कई दौर चले। आशा है कि सम्मेलन के घोषणापत्र में 7 सितम्बर 2010 को अखिल भारतीय आम हड़ताल के आह्वान को मजदूर वर्ग के इस सम्मेलन में जबर्दस्त समर्थन मिलेगा। आशा की जाती है कि अन्य क्षेत्रों के मजदूर भी मजदूर वर्ग के इस संयुक्त आह्वान का अनुमोदन करेंगे।
सम्मेलन में जिस घोषणापत्र पर बहस चल रही है उसका मूलपाठ नीचे दिया जा रहा है।
घोषणापत्र
15 जुलाई 2010 को टेªड यूनियनों, श्रमिकों एवं कर्मचारियों, फेडरेशन के प्रतिनिधियों के इस दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में विगत 14 सितम्बर 2009 केा सम्पन्न ऐतिहासिक सम्मेलन में सर्वसहमति से निर्धारित पांच सूत्री मांगों पर किये गये संयुक्त कार्यक्रमों की समीक्षा की गयी। 28 अक्टूबर को सम्पन्न अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस, 18 दिसंबर 2009 का विराट धरना और 5 मार्च 2010 का सत्याग्रह और जेल भरो कार्यक्रम, जिसमें 10 लाख श्रमजीवियों ने हिस्सा लिया, के आलोक में और उसके बाद उत्साह परिस्थिति को देखते हुए यह सम्मेलन निम्नाकिंत घोषण पत्र स्वीकार करता हैः टेªड यूनियनों द्वारा महंगाई रोकने के लिए कारगार कदम उठाये जाने की लगातार मांग किये जाने के बावजूद खासकर खाद्य पदार्थों के दाम लगातार ऊंचे होते हुए 17 प्रतिशत ऊपर पहुंच गये, मुद्रास्फीति दो अंकों में आ गयी, किंतु सरकार श्रमजीवी जनता के दुखों को कम करने के मामले में बिल्कुल संवेदनहीन बनी रही।
टेªड यूनियन अधिकार और श्रम कानूनों के बेरोकटोक किये जा रहे उल्लंघन के प्रति टेªड यूनियनों द्वारा व्यक्त चिंताओं के बावजूद परिस्थिति और भी ज्यादा रोजाना विकट एवं दमनकारी बनती जा रही है।
रोजगार के नुकसान, बेरोजगारी, असह्ाय जीवनदशा, काम के घंटे बढ़ना, अंधाधुंध ठेकाकरण और आउटसोर्सिंग और आकस्मीकरण का टेªड यूनियनों द्वारा लगातार विरोध किये जाने के बावजूद मजदूरों की हो रही बदतर जीवनदशा और मेहनतकश अवाम के गिरते जीवन स्तर को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
टेªड यूनियनों द्वारा विरोध किये जाने के बावजूद लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों का विनिवेश और हाल में कोल इंडिया लि., बीएसएनएन, सेल, एनएलसी, हिंदुस्तान कॉपर, एनएमडीसी आदि में विनिवेश की कार्रवाई बेरोकटोक जारी है।
टेªड यूनियनों द्वारा असंगठित मजदूरों के लिए सार्वभौमिक सम्यक सामाजिक सुरक्षा तथा इसके लिए पर्याप्त कोष आवंटन किये जाने की लगातार मांग किये जाने के बावजूद बहुत मामूली कोष का आवंटन और लाभ दिए जाने के मामले में अनेक पाबंदियों के प्रावधान किये गये हैं।
यह सम्मेलन अत्यंत चिंतापूर्वक दर्ज करता है कि न केवल टेªड यूनियनों के विरोध की उपेक्षा कर दी गयी है, बल्कि खाद्य पदार्थों के दाम तेज गति से बढ़ानेवाली नीतियों को बर्बरतापूर्वक अमल में लाया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अनुरूप पेट्रोल-डीजल के दामों को नियंत्रण से मुक्त किये जाने का ताजा सरकारी फैसला इसका उदाहरण है जिससे केरोसिन तेल, घरेलू गैस, डीजल और पेट्रोल का दाम और भी बढ़ जायेगा।
अतएव यह सम्मेलन सर्वसहमति से पूर्व निर्धारित मांगों को एक बार फिर निम्न प्रकार दोहराता है:
ऽ आवश्यक वस्तुओं के मूल्यवृद्धि की गति को रोकने के लिए सर्वव्यापी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के समुचित सुधार और वितरण उपाय और सट्टेबाजार पर रोक।
ऽ मंदी प्रभावित क्षेत्र में रोजगार सुरक्षा को सम्बन्धित उद्यमों को प्रोत्साहन पैकेज से जोड़ने के कदम उठाये जायें और ढांचागत उद्यमों में पर्याप्त सार्वजनिक निवेश किया जाए।
ऽ सभी मौलिक श्रम कानूनों को बिना किसी अपवाद या छूट के कठोरता से लागू किया जाए और श्रम कानूनों के उल्लंघन पर दंडात्मक कदम उठाया जाय।
ऽ असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा कानून 2008 की योजनाओं में गरीबी रेखा के आधार पर पात्रता दायरे के रोक संबंधी प्रावधानों को हटाने के कदम उठाये जाएं और नेशनल फ्लोर लेवेल सोशल सिक्योरिटी सभी असंगठित कामगारों सहित ठेका एवं आकस्मिक श्रमिकों को दिलाने के लिए राष्ट्रीय कोष का गठन किया जाए जिसकी अनुशंसा असंगठित क्षेत्र उद्यमों के राष्ट्रीय आयोग और श्रम संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने की है।
ऽ बजटीय घाटे को पूरा करने के मकसद से केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों में विनिवेश का कदम न उठाया जाये, बल्कि उन के बढ़ते रिजर्व और सरप्लस का उपयोग उनके विस्तार और नवीनीकरण के लिए एवम् बीमार उद्यमों के पुनः स्थापन के लिए किया जाए।
श्रमिकों का यह राष्ट्रीय सम्मेलन संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अपने वैध प्रतिरोध को जारी रखते हुए मजदूरों के गुस्से का इजहार करता है और उन गलत नीतियों को तुरंत सुधारने की मांग करता है, जिनसे श्रमजीवी जनता के हितों को और संपूर्ण समाज को खतरनाक तरीके से नुकसान पहुंचता है।
अतएवं यह सम्मेलन 7 सितम्बर 2010 को अखिल भारतीय आम हड़ताल के आह्वान का निश्चय करता है।
यह सम्मेलन देश के तमाम मेहनतकश अवाम का आह्वान करता है कि वे सम्बद्धता का भेदभाव भूलकर, संयुक्त रूप से आह्वान की जाने वाली इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल को पूरी तरह कामयाब बनायें और मजदूरों की संपूर्ण एकता को साकार करें। यदि इस दौरान सरकार इन मांगों को नहीं मानती है तो टेªड यूनियनें संघर्ष को और तेज करंेगी और संसद मार्च की तैयारी करेंगी।
आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) द्वारा जारी
जब यह समाचार प्रेस में जा रहा है, केन्द्रीय टेªड यूनियनों और मजदूरांे एवं कर्मचारियों की फेडरेशनों के प्रतिनिधि दिल्ली के मावलंकर भवन में मजदूरों के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में अपना विचार-विमर्श शुरू कर चुके हैं। देश के कोने-कोने से विभिन्न केन्द्रीय टेªड यूनियनों और फेडरेशनों के प्रतिनिधि सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं और उनमें अभूतपूर्व उत्साह है। सभी प्रतिनिधि यूपीए-दो सरकार की जनविरोधी नीतियों-खासकर महंगाई, मंदी से ग्रस्त उद्योगों में रोजगार के छिनने, श्रम कानूनों के उल्लंघन, असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा के अभाव, सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश-के विरूद्ध संघर्ष तीव्र करने पर जोर दे रहे हैं।
सम्मेलन में शामिल होने वाले नौ केन्द्रीय संगठन हैंः इंटक, एटक, सीटू, हिंद मजदूर सभा, टीयूसीसी, एआईसीसीटीयू, एआईयूटीयूसी, यूटीयूसी और एलपीएफ। राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले इन संगठनों के बीच वार्ताओं के कई दौर चले। आशा है कि सम्मेलन के घोषणापत्र में 7 सितम्बर 2010 को अखिल भारतीय आम हड़ताल के आह्वान को मजदूर वर्ग के इस सम्मेलन में जबर्दस्त समर्थन मिलेगा। आशा की जाती है कि अन्य क्षेत्रों के मजदूर भी मजदूर वर्ग के इस संयुक्त आह्वान का अनुमोदन करेंगे।
सम्मेलन में जिस घोषणापत्र पर बहस चल रही है उसका मूलपाठ नीचे दिया जा रहा है।
घोषणापत्र
15 जुलाई 2010 को टेªड यूनियनों, श्रमिकों एवं कर्मचारियों, फेडरेशन के प्रतिनिधियों के इस दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में विगत 14 सितम्बर 2009 केा सम्पन्न ऐतिहासिक सम्मेलन में सर्वसहमति से निर्धारित पांच सूत्री मांगों पर किये गये संयुक्त कार्यक्रमों की समीक्षा की गयी। 28 अक्टूबर को सम्पन्न अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस, 18 दिसंबर 2009 का विराट धरना और 5 मार्च 2010 का सत्याग्रह और जेल भरो कार्यक्रम, जिसमें 10 लाख श्रमजीवियों ने हिस्सा लिया, के आलोक में और उसके बाद उत्साह परिस्थिति को देखते हुए यह सम्मेलन निम्नाकिंत घोषण पत्र स्वीकार करता हैः टेªड यूनियनों द्वारा महंगाई रोकने के लिए कारगार कदम उठाये जाने की लगातार मांग किये जाने के बावजूद खासकर खाद्य पदार्थों के दाम लगातार ऊंचे होते हुए 17 प्रतिशत ऊपर पहुंच गये, मुद्रास्फीति दो अंकों में आ गयी, किंतु सरकार श्रमजीवी जनता के दुखों को कम करने के मामले में बिल्कुल संवेदनहीन बनी रही।
टेªड यूनियन अधिकार और श्रम कानूनों के बेरोकटोक किये जा रहे उल्लंघन के प्रति टेªड यूनियनों द्वारा व्यक्त चिंताओं के बावजूद परिस्थिति और भी ज्यादा रोजाना विकट एवं दमनकारी बनती जा रही है।
रोजगार के नुकसान, बेरोजगारी, असह्ाय जीवनदशा, काम के घंटे बढ़ना, अंधाधुंध ठेकाकरण और आउटसोर्सिंग और आकस्मीकरण का टेªड यूनियनों द्वारा लगातार विरोध किये जाने के बावजूद मजदूरों की हो रही बदतर जीवनदशा और मेहनतकश अवाम के गिरते जीवन स्तर को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
टेªड यूनियनों द्वारा विरोध किये जाने के बावजूद लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों का विनिवेश और हाल में कोल इंडिया लि., बीएसएनएन, सेल, एनएलसी, हिंदुस्तान कॉपर, एनएमडीसी आदि में विनिवेश की कार्रवाई बेरोकटोक जारी है।
टेªड यूनियनों द्वारा असंगठित मजदूरों के लिए सार्वभौमिक सम्यक सामाजिक सुरक्षा तथा इसके लिए पर्याप्त कोष आवंटन किये जाने की लगातार मांग किये जाने के बावजूद बहुत मामूली कोष का आवंटन और लाभ दिए जाने के मामले में अनेक पाबंदियों के प्रावधान किये गये हैं।
यह सम्मेलन अत्यंत चिंतापूर्वक दर्ज करता है कि न केवल टेªड यूनियनों के विरोध की उपेक्षा कर दी गयी है, बल्कि खाद्य पदार्थों के दाम तेज गति से बढ़ानेवाली नीतियों को बर्बरतापूर्वक अमल में लाया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अनुरूप पेट्रोल-डीजल के दामों को नियंत्रण से मुक्त किये जाने का ताजा सरकारी फैसला इसका उदाहरण है जिससे केरोसिन तेल, घरेलू गैस, डीजल और पेट्रोल का दाम और भी बढ़ जायेगा।
अतएव यह सम्मेलन सर्वसहमति से पूर्व निर्धारित मांगों को एक बार फिर निम्न प्रकार दोहराता है:
ऽ आवश्यक वस्तुओं के मूल्यवृद्धि की गति को रोकने के लिए सर्वव्यापी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के समुचित सुधार और वितरण उपाय और सट्टेबाजार पर रोक।
ऽ मंदी प्रभावित क्षेत्र में रोजगार सुरक्षा को सम्बन्धित उद्यमों को प्रोत्साहन पैकेज से जोड़ने के कदम उठाये जायें और ढांचागत उद्यमों में पर्याप्त सार्वजनिक निवेश किया जाए।
ऽ सभी मौलिक श्रम कानूनों को बिना किसी अपवाद या छूट के कठोरता से लागू किया जाए और श्रम कानूनों के उल्लंघन पर दंडात्मक कदम उठाया जाय।
ऽ असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा कानून 2008 की योजनाओं में गरीबी रेखा के आधार पर पात्रता दायरे के रोक संबंधी प्रावधानों को हटाने के कदम उठाये जाएं और नेशनल फ्लोर लेवेल सोशल सिक्योरिटी सभी असंगठित कामगारों सहित ठेका एवं आकस्मिक श्रमिकों को दिलाने के लिए राष्ट्रीय कोष का गठन किया जाए जिसकी अनुशंसा असंगठित क्षेत्र उद्यमों के राष्ट्रीय आयोग और श्रम संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने की है।
ऽ बजटीय घाटे को पूरा करने के मकसद से केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों में विनिवेश का कदम न उठाया जाये, बल्कि उन के बढ़ते रिजर्व और सरप्लस का उपयोग उनके विस्तार और नवीनीकरण के लिए एवम् बीमार उद्यमों के पुनः स्थापन के लिए किया जाए।
श्रमिकों का यह राष्ट्रीय सम्मेलन संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अपने वैध प्रतिरोध को जारी रखते हुए मजदूरों के गुस्से का इजहार करता है और उन गलत नीतियों को तुरंत सुधारने की मांग करता है, जिनसे श्रमजीवी जनता के हितों को और संपूर्ण समाज को खतरनाक तरीके से नुकसान पहुंचता है।
अतएवं यह सम्मेलन 7 सितम्बर 2010 को अखिल भारतीय आम हड़ताल के आह्वान का निश्चय करता है।
यह सम्मेलन देश के तमाम मेहनतकश अवाम का आह्वान करता है कि वे सम्बद्धता का भेदभाव भूलकर, संयुक्त रूप से आह्वान की जाने वाली इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल को पूरी तरह कामयाब बनायें और मजदूरों की संपूर्ण एकता को साकार करें। यदि इस दौरान सरकार इन मांगों को नहीं मानती है तो टेªड यूनियनें संघर्ष को और तेज करंेगी और संसद मार्च की तैयारी करेंगी।
आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) द्वारा जारी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...8 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
भाकपा के प्रतिनिधिमंडल ने अलीगढ़ के गांव किवलाश पहुंच दलित बिटिया की हत्या के संबंध में गांववासियों से भेंट की , घटनास्थल का निरीक्षण ...
-
किसानों की अमूल्य शहादत को क्रांतिकारी नमन पेश करेंगे वामदल 20 दिसंबर को गाँव गाँव शहादत दिवस मनाने के एआईकेएससीसी के आह्वान का ...
-
कैराना लोकसभा और नूरपुर विधान सभा क्षेत्रों का प्रचार थमने और मतदान से पहले होने जारही मोदी की बागपत रैली और लोकार्पण कार्यक्रम पर रोक लग...
-
समय पर कराये जायें निकाय चुनाव: भाकपा लखनऊ- 22 मई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव न...
-
भारतीय संस्क्रति के विषय में पं॰ जवाहर लाल नेहरू का द्रष्टिकोण [ अपने निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिये दक्षिणपंथियों द्वारा आज भ...
-
Communist Party of India ( CPI ) leader Gurudas Dasgupta on Thursday again trained guns on ...
-
बहू- बेटियों की जान खतरे में , इज्जत तार तार: आखिर कौन है इसका जिम्मेदार ? भाकपा ने कहा- बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरका...
-
लखनऊ- 29 मार्च, 2017. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की हाल ही में पदारुढ सरकार ने मीटबंदी के मामले ...
-
LUCKNOW: Dalit thinker and writer Kanwal Bharti was on Tuesday arrested by the police in Rampur district for an alleged provocative pos...
-
Anshu Kumari Saturday YES...........YES IT'S TRUE,,,,,,,.......!!!!!!!! !!!!!!!!!!1 हां, यह सच है। '"सच ...
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें