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शनिवार, 2 अक्तूबर 2010
7 सितम्बर 2010 की राष्ट्रव्यापी हड़ताल जबरदस्त सफ़ल - दस करोड़ मजदूर हड़ताल में शामिल
आठ केन्द्रीय टेªड यूनियनों और कई स्वतंत्र फेडरेशनों के आह्वान पर संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के दस करोड़ से भी अधिक मजदूर हड़ताल में शामिल हुए। उन्होंने प्रभावी तरीके से यूपीए-दो सरकार की जनविरोधी और मजदूर विरोधी नीतियों के विरूद्ध रोष व्यक्त किया। मजदूरों ने जबर्दस्त एवं अभूतपूर्व हड़ताल की। महानगरों में बैंकों से लेकर सड़कों पर चलने वाले थ्री-व्हीलर तक बंद रहे, जनजीवन ठप्प हो गया।
देश के मेहनतकश लोगों की इस जबरदस्त प्रतिक्रिया से उत्साहित टेªड यूनियन केन्द्रों ने सही ही घोषणा की है कि यदि सरकार मजदूर वर्ग की मांगों, खासतौर पर महंगाई रोकने के लिए समुचित कदम नहीं उठाती है तो मेहनतकश लोग और अध्ािक जोरदार कदम उठाने पर मजबूर होंगे।
देश की केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने 7 सितंबर 2010 को मेहनतकश वर्ग की ज्वंलत मांगों के लिए हड़ताल की राष्ट्रव्यापी सफलता पर देश के मेहनतकश लोगों का हार्दिक अभिनंदन किया है। एक बयान में उन्होंने कहा है:
“देश की केन्द्रीय ट्रेड यूनियनें - इंटक, एटक, हिंद मजदूर सभा, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी और यूटीयूसी महंगाई, श्रम कानूनों के उल्लंघन, सार्वजनिक क्षेत्र की मुनाफा कमाने वाली इकाइयों के विनिवेश, छंटनी, ले ऑफ और ठेकाकरण के विरुद्ध ऐतिहासिक हड़ताल के लिये देश के मेहनतकश लोगों का हार्दिक अभिनंदन करती हैं।”
”यह आम हड़ताल असंगठित मजदूरों- जो आज देश की श्रमशक्ति के 90 प्रतिशत से अधिक हैं- के लिए सामाजिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त केन्द्रीय धनराशि की मांग के लिए भी थी।“
”अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में हड़ताल का असर पड़ा। ऐसा एक भी राज्य नहीं था जहां हड़ताल न हुई हो, यहां तक कि जम्मू-कश्मीर में भी हड़ताल रही; बैंक बीमा और अन्य अनेक संस्थान बंद रहे। कोयला, बिजली, टेलीकम्युनिकेशन, पेट्रोलियम, डाकघरों, राज्य सरकारों के दफ्तरों, रक्षा, सड़क परिवहन, आंगनबाड़ी और निर्माण में लगे लाखों मजदूरों ने हड़ताल की। गांवों के असंगठित मजदूरों ने भी साहस के साथ हड़ताल के आह्वान पर व्यापक रूप में हड़ताल में हिस्सा लिया। देश भर में हजारों मजदूरों ने जुलूस निकाले, धरने दिये और महंगाई के विरुद्ध प्रदर्शन किये।“
“सभी मेट्रोपेालिटन शहरों पर हड़ताल का जबरदस्त असर पड़ा। पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा मंे ही नहीं, असम, मेघालय, मणिपुर, झारखंड, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गोआ, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक एवं अन्य राज्यों में भी मजदूरों ने बढ़चढ़ कर हड़ताल में हिस्सा लिया।”
मजदूर वर्ग के बीच 63 वर्ष बाद हासिल की गयी एकता ने मजदूरों को हड़ताल पर जाने के लिए प्रेरित किया। सार्वजनिक क्षेत्र ही नहीं, निजी क्षेत्र में भी हड़ताल उल्लेखनीय तरीके से सफल रही। हमारे अनुमान के अनुसार, दस करोड़ से अधिक मजदूर हड़ताल में शामिल हुए। इस एकताबद्ध कार्रवाई के लिए मजदूरों का अभिनंदन करते हुए केन्द्र टेªड यूनियनें उनका आह्वान करती हैं कि यदि टेªड यूनियनों द्वारा उठाये गये मुद्दों को सरकार द्वारा सही तरीके से हल नहीं किया जाता है तो फरवरी 2011 के महीने में संसद को विशाल मार्च की तैयारी में जुट जाये।”
विभिन्न राज्यों से हड़ताल की प्रारंभिक रिपोर्ट अत्यंत उत्साहजनक हैंः
सभी केन्द्रीय टेªड यूनियनों (सिवाय भारतीय मजदूर संघ), औद्योगिक एवं स्वतंत्र फेडरेशनों द्वारा 7 सितंबर 2010 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान पर सभी राज्यों, उद्योग के सभी क्षेत्रों, संगठित एवं असंगठित उद्योगों, राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के सभी कर्मचारियों, मजदूरों ने उत्साहपूर्वक हड़ताल में हिस्सा लेकर इस हड़ताल को एक ऐतिहासिक हड़ताल बना दिया।
हड़ताल के संबंध में क्षेत्रवार संक्षिप्त जानकारी
बैंकिंग उद्योग
देश भर में बैंकों के कर्मचारियों और अधिकारियों ने अत्यधिक संगठित तरीके से हड़ताल में हिस्सा लिया।
बीमा उद्योग एवं अन्य वित्त क्षेत्र-बीमा कम्पनियों एवं वित क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारी शत-प्रतिशत हड़ताल पर रहे है।
कोयला मजदूर
देश भर में तमाम खान-खदानों में शत प्रतिशत कोयला मजदूर हड़ताल में शामिल हुए। अनेक खान क्षेत्रों में विशाल प्रदर्शन किए गये।
तेल-पेट्रोलियम उद्योग
लगभग तमाम रिफाइनरियों समेत ओएनजीसी, इंडियन ऑयल और अन्य तेल कंपनियों के कर्मचारियों ने अत्यंत सफल हड़ताल की। इससे स्वाभाविक ही था कि ट्रांसपोर्ट और एयरलाइंस जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी असर पड़ा।
सड़क परिवहन
राजस्थान, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, गोआ, पेप्सू ट्रांसपोर्ट, केरल, असम आदि राज्यों में सड़क परिवहन ठहर गया।
रक्षा क्षेत्र
आर्डनेंस फैक्टरियों में तमाम असैन्य कर्मचारियों, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और रक्षा कर्मचारियों ने आम हड़ताल में हिस्सा लिया। जिससे इस क्षेत्र मे काम ठप्प हो गया।
असंगठित क्षेत्र
सभी राज्यों में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों ने शानदार तरीके से हड़ताल में हिस्सा लिया। आंगनबाड़ी, घरेलू, मजदूर, मिड डे मील योजना, आशा, लाखें निर्माण मजदूर, बीडी मजदूर, ठेका मजदूरों आदि ने हड़ताल में हिस्सा लिया। सरकारी दफ्तरों पर पिकेटिंग की और प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
बिजली उद्योग
कई राज्यों में बिजली मजदूरों ने हजारों की संख्या में हड़ताल में हिस्सा लिया जिसका इसके संबंधित अन्य गतिविधियों पर असर पड़ा।
राज्य और केन्द्र सरकार के कर्मचारी
केरल, हरियाणा, राजस्थान, पं. बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गोआ, बिहार, असम आदि राज्यों के काफी संख्या में सरकारी कर्मचारी हड़ताल मंे शामिल हुए। डाकतार, इन्कम टैक्स विभाग एवं अन्य विभागों के कर्मचारी विभिन्न राज्यों में और हड़ताल मंे शामिल हुए।
टेली कम्युनिकेशन
टेलीकम्युनिकेशन (बीएसएनएल) के कर्मचारी कई राज्यों में हड़ताल पर गये क्योंकि उनकी यूनियनें हड़ताल के प्रयोजकों में से थी।
एडयापुर रामगढ़ औद्योगिक इलाके की 1500 छोटी कंपनियों ने हड़ताल की। भावंतपुर लाईम स्टोन, बैंकों, बीमा, बीएसएनएल मजदूरों ने हड़ताल की। केन्द्र एवं राज्य सरकार के 90 प्रतिशत कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए। बीएसएसआर के सेल्स सेक्टर के शतप्रतिशत कर्मचारी हड़ताल पर थे।
- आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस
देश के मेहनतकश लोगों की इस जबरदस्त प्रतिक्रिया से उत्साहित टेªड यूनियन केन्द्रों ने सही ही घोषणा की है कि यदि सरकार मजदूर वर्ग की मांगों, खासतौर पर महंगाई रोकने के लिए समुचित कदम नहीं उठाती है तो मेहनतकश लोग और अध्ािक जोरदार कदम उठाने पर मजबूर होंगे।
देश की केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने 7 सितंबर 2010 को मेहनतकश वर्ग की ज्वंलत मांगों के लिए हड़ताल की राष्ट्रव्यापी सफलता पर देश के मेहनतकश लोगों का हार्दिक अभिनंदन किया है। एक बयान में उन्होंने कहा है:
“देश की केन्द्रीय ट्रेड यूनियनें - इंटक, एटक, हिंद मजदूर सभा, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी और यूटीयूसी महंगाई, श्रम कानूनों के उल्लंघन, सार्वजनिक क्षेत्र की मुनाफा कमाने वाली इकाइयों के विनिवेश, छंटनी, ले ऑफ और ठेकाकरण के विरुद्ध ऐतिहासिक हड़ताल के लिये देश के मेहनतकश लोगों का हार्दिक अभिनंदन करती हैं।”
”यह आम हड़ताल असंगठित मजदूरों- जो आज देश की श्रमशक्ति के 90 प्रतिशत से अधिक हैं- के लिए सामाजिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त केन्द्रीय धनराशि की मांग के लिए भी थी।“
”अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में हड़ताल का असर पड़ा। ऐसा एक भी राज्य नहीं था जहां हड़ताल न हुई हो, यहां तक कि जम्मू-कश्मीर में भी हड़ताल रही; बैंक बीमा और अन्य अनेक संस्थान बंद रहे। कोयला, बिजली, टेलीकम्युनिकेशन, पेट्रोलियम, डाकघरों, राज्य सरकारों के दफ्तरों, रक्षा, सड़क परिवहन, आंगनबाड़ी और निर्माण में लगे लाखों मजदूरों ने हड़ताल की। गांवों के असंगठित मजदूरों ने भी साहस के साथ हड़ताल के आह्वान पर व्यापक रूप में हड़ताल में हिस्सा लिया। देश भर में हजारों मजदूरों ने जुलूस निकाले, धरने दिये और महंगाई के विरुद्ध प्रदर्शन किये।“
“सभी मेट्रोपेालिटन शहरों पर हड़ताल का जबरदस्त असर पड़ा। पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा मंे ही नहीं, असम, मेघालय, मणिपुर, झारखंड, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गोआ, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक एवं अन्य राज्यों में भी मजदूरों ने बढ़चढ़ कर हड़ताल में हिस्सा लिया।”
मजदूर वर्ग के बीच 63 वर्ष बाद हासिल की गयी एकता ने मजदूरों को हड़ताल पर जाने के लिए प्रेरित किया। सार्वजनिक क्षेत्र ही नहीं, निजी क्षेत्र में भी हड़ताल उल्लेखनीय तरीके से सफल रही। हमारे अनुमान के अनुसार, दस करोड़ से अधिक मजदूर हड़ताल में शामिल हुए। इस एकताबद्ध कार्रवाई के लिए मजदूरों का अभिनंदन करते हुए केन्द्र टेªड यूनियनें उनका आह्वान करती हैं कि यदि टेªड यूनियनों द्वारा उठाये गये मुद्दों को सरकार द्वारा सही तरीके से हल नहीं किया जाता है तो फरवरी 2011 के महीने में संसद को विशाल मार्च की तैयारी में जुट जाये।”
विभिन्न राज्यों से हड़ताल की प्रारंभिक रिपोर्ट अत्यंत उत्साहजनक हैंः
सभी केन्द्रीय टेªड यूनियनों (सिवाय भारतीय मजदूर संघ), औद्योगिक एवं स्वतंत्र फेडरेशनों द्वारा 7 सितंबर 2010 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान पर सभी राज्यों, उद्योग के सभी क्षेत्रों, संगठित एवं असंगठित उद्योगों, राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के सभी कर्मचारियों, मजदूरों ने उत्साहपूर्वक हड़ताल में हिस्सा लेकर इस हड़ताल को एक ऐतिहासिक हड़ताल बना दिया।
हड़ताल के संबंध में क्षेत्रवार संक्षिप्त जानकारी
बैंकिंग उद्योग
देश भर में बैंकों के कर्मचारियों और अधिकारियों ने अत्यधिक संगठित तरीके से हड़ताल में हिस्सा लिया।
बीमा उद्योग एवं अन्य वित्त क्षेत्र-बीमा कम्पनियों एवं वित क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारी शत-प्रतिशत हड़ताल पर रहे है।
कोयला मजदूर
देश भर में तमाम खान-खदानों में शत प्रतिशत कोयला मजदूर हड़ताल में शामिल हुए। अनेक खान क्षेत्रों में विशाल प्रदर्शन किए गये।
तेल-पेट्रोलियम उद्योग
लगभग तमाम रिफाइनरियों समेत ओएनजीसी, इंडियन ऑयल और अन्य तेल कंपनियों के कर्मचारियों ने अत्यंत सफल हड़ताल की। इससे स्वाभाविक ही था कि ट्रांसपोर्ट और एयरलाइंस जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी असर पड़ा।
सड़क परिवहन
राजस्थान, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, गोआ, पेप्सू ट्रांसपोर्ट, केरल, असम आदि राज्यों में सड़क परिवहन ठहर गया।
रक्षा क्षेत्र
आर्डनेंस फैक्टरियों में तमाम असैन्य कर्मचारियों, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और रक्षा कर्मचारियों ने आम हड़ताल में हिस्सा लिया। जिससे इस क्षेत्र मे काम ठप्प हो गया।
असंगठित क्षेत्र
सभी राज्यों में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों ने शानदार तरीके से हड़ताल में हिस्सा लिया। आंगनबाड़ी, घरेलू, मजदूर, मिड डे मील योजना, आशा, लाखें निर्माण मजदूर, बीडी मजदूर, ठेका मजदूरों आदि ने हड़ताल में हिस्सा लिया। सरकारी दफ्तरों पर पिकेटिंग की और प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
बिजली उद्योग
कई राज्यों में बिजली मजदूरों ने हजारों की संख्या में हड़ताल में हिस्सा लिया जिसका इसके संबंधित अन्य गतिविधियों पर असर पड़ा।
राज्य और केन्द्र सरकार के कर्मचारी
केरल, हरियाणा, राजस्थान, पं. बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गोआ, बिहार, असम आदि राज्यों के काफी संख्या में सरकारी कर्मचारी हड़ताल मंे शामिल हुए। डाकतार, इन्कम टैक्स विभाग एवं अन्य विभागों के कर्मचारी विभिन्न राज्यों में और हड़ताल मंे शामिल हुए।
टेली कम्युनिकेशन
टेलीकम्युनिकेशन (बीएसएनएल) के कर्मचारी कई राज्यों में हड़ताल पर गये क्योंकि उनकी यूनियनें हड़ताल के प्रयोजकों में से थी।
एडयापुर रामगढ़ औद्योगिक इलाके की 1500 छोटी कंपनियों ने हड़ताल की। भावंतपुर लाईम स्टोन, बैंकों, बीमा, बीएसएनएल मजदूरों ने हड़ताल की। केन्द्र एवं राज्य सरकार के 90 प्रतिशत कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए। बीएसएसआर के सेल्स सेक्टर के शतप्रतिशत कर्मचारी हड़ताल पर थे।
- आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस
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