फ़ॉलोअर
रविवार, 26 दिसंबर 2010
at 7:16 pm | 0 comments |
”हमें तुम्हारे स्विस बैंक खाते का हिसाब चाहिए“
लखनऊ 26 दिसम्बर। लोकतंत्र के तीनों स्तम्भों - राजनीति, नौकरशाही और न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार की कटु भर्त्सना के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ तथा व्यापक चुनाव सुधारों के लिए व्यापक जनसंघर्ष के संकल्प के साथ आज भाकपा के 85वें स्थापना दिवस पर यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की लखनऊ जिला कौंसिल द्वारा ”हमें तुम्हारे स्विस बैंक खाते का हिसाब चाहिए“ शीर्षक से आयोजित परिचर्चा सम्पन्न हुई।
परिचर्चा शुरू करते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने मुंडरा काण्ड से लेकर 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले तक के तमाम घोटालों की चर्चा करते हुए कहा कि पूंजीवाद ने जिस भ्रष्टाचार को पिछले बीस सालों में फैलाया है, उसके खिलाफ व्यापक जन-संघर्ष के बिना लोकतंत्र को बचाया नहीं जा सकता और इसके लिए शहरी मध्यमवर्ग को अगुवा दस्ते की भूमिका अदा करनी होगी। उन्होंने पंचायत चुनावों तक फैल गये भ्रष्टाचार पर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि आश्चर्य होता है कि ग्राम प्रधान और ब्लाक प्रमुख तक के प्रत्याशियों ने करोड़ों रूपये खर्च किये हैं। उन्होंने कहा कि आज भ्रष्टाचार के खिलाफ बात करने वाले राजनीतिक दल - भाजपा, सपा, राजग, बसपा आदि सभी जिस पैसे से चुनाव लड़ते हैं, वह भ्रष्टाचार के जरिए ही पैदा किया गया होता है। उन्होंने व्यापक चुनाव सुधारों पर भी बल दिया जिसमें अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और वापसी के अधिकार का उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया।
परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा कि तेलगी काण्ड से शुरू हुए तमाम घोटालों ने देश में एक आवारा पूंजी को जन्म दिया है जो देश में हर चीज को अवारा बना रही है। उन्होंने कहा इस अवारा पूंजी द्वारा पैदा किए गए अवारा भ्रष्टाचार के खिलाफ समाज के सजग लोगों को निकलना ही होगा। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हमें परिपक्व इरादों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि स्विस बैंक जमा अरबों करोड़ रूपये के मामले को भाकपा के सांसद गुरूदास दासगुप्ता ने संसद में उठाया था तब भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी बिलकुल चुपचाप बैठे रहे थे और उन्होंने स्वर नहीं उठाया था। उन्होंने कहा कि भाकपा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ क्षेत्रीय सम्मेलनों का फैसला लिया है और उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर कार्यवाही योजना बनाई जायेगी।
विख्यात आरटीआई कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था में अगर स्विस बैंक में जमा अरबों करोड़ रूपये अगर वापस आ भी गये तो भ्रष्टाचार के जरिए वे दुबारा स्विस बैंक या किसी दूसरे देश के बैंकों में पहुंच जायेंगे। उन्होंने एक ऐसी एकीकृत एजेंसी के गठन पर बल दिया जिसके पास राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों तथा न्यायाधीशों के सभी खिलाफ जांच करने और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार हो।
फारवर्ड ब्लाक के सचिव वीरेन्द्र कुमार ने भाकपा द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किए अभियान में फारवर्ड ब्लाक द्वारा शिरकत की घोषणा करते हुए कहा कि निमंत्रण भेजे जाने के बावजूद बाकी राजनीतिक दलों का परिचर्चा में भाग न लेना यह दर्शाता है कि वे भ्रष्टाचार में कितने तल्लीन हैं। इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स के महासचिव शास्त्री प्रसाद त्रिपाठी, एडवोकेट ने जहां न्यायपालिका के अन्दर ही व्याप्त भ्रष्टाचार पर चल रहे आत्ममंथन और चिन्ता की चर्चा की वहीं वाई.एस.लोहित एडवोकेट ने संस्थागत भ्रष्टाचार और छोटे स्तर के भ्रष्टाचार में अंतर करने की बात कही। महिला फेडरेशन की कान्ती मिश्रा ने भ्रष्टाचार के कारण महिलाओं पर पड़ रहे कुप्रभावों की चर्चा करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जनान्दोलन को महिलाओं को आगे आने का आह्वान किया। यू.पी. बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के मंत्री आर.के.अग्रवाल ने कहा कि हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के पहले खुद से लड़ना होगा। एलआईसी कर्मचारियों के नेता लालता शाह ने कहा कि हमें परेशानियों से बचने के लिए और निजी नुकसान की आशंका से भ्रष्टाचार से समझौता करने की प्रवृत्ति के खिलाफ भी संघर्ष करना होगा।
परिचर्चा की शुरूआत में विषय प्रवर्तन करते हुए ”पार्टी जीवन“ के कार्यकारी सम्पादक प्रदीप तिवारी ने कहा कि पूंजीवाद में पूंजी अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए जिन बुराईयों को जन्म देती है उनके प्रमुख है राजनीति में भ्रष्टाचार फैलाना। पिछले 20 साल पहले देश में आर्थिक उदारीकरण का जो दौर शुरू हुआ था, उसमें पूंजी ने मुनाफे के बरक्स अगर कुछ बढ़ना शुरू हुआ तो वह था भ्रष्टाचार और खाद्य पदार्थों की कीमतें। इन दोनों ने मिल कर देश की 95 प्रतिशत जनता का जीवन दुश्वार कर दिया है। उन्होंने इतिहास में जाते हुए कहा कि 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर चुनाव जीतने के लिए भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए उंगली क्या उठा दी थी कि उसके फलस्वरूप आपात काल घोषित हुआ और 1977 में कांग्रेस को पहली बार केन्द्र में सत्ता से बेदखल होना पड़ा। 1988 में फिर बोफोर्स दलाली का मुद्दा चुनावी मुद्दा बना और सत्ता परिवर्तन हो गया।
प्रदीप तिवारी ने कहा कि 1993 में नरसिम्हाराव ने अपनी सरकार बचाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों को ही खरीद लिया। उसके बाद से अगर संयुक्त मोर्चा सरकार के छोटे-से कार्यकाल को छोड़ दिया जाये तो कांग्रेस नीत संप्रग या भाजपा नीत राजग ही केन्द्र सरकार में सत्तासीन रहे। कहने को दो महा-ईमानदार - अटल बिहारी बाजपेई और मनमोहन सिंह ही प्रधानमंत्री रहे पर ये दोनों भ्रष्टों के पालनहार की भूमिका में ही नजर आए। प्रदीप तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा अदल-बदल कर सत्ता चलाते रहे और इनके भ्रष्टाचार ने पंचायत चुनावों तक को भ्रष्टाचार की दलदल में ढ़केल दिया है। उन्होंने परिचर्चा में भाग ले रही जनता का आह्वान करते हुए कहा कि इस माहौल में संघर्ष के लिए जनता को खड़ा करना जरूरी हो गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष एक फौरी जरूरत बन गया है। भ्रष्टाचार के मुद्देनजर वर्तमान चुनावी व्यवस्था सड़ चुकी है और चुनाव सुधारों के लिए संघर्ष भी फौरी जरूरत बन गया है।
परिचर्चा के पहले वयोवृद्ध कम्युनिस्ट शिव प्रकाश तिवारी ने ध्वजारोहण किया। इप्टा के साथियों ने इस मुद्दे पर एक गीत प्रस्तुत किया। परिचर्चा की अध्यक्षता भाकपा जिला सचिव मो. खालिक ने की।
परिचर्चा शुरू करते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने मुंडरा काण्ड से लेकर 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले तक के तमाम घोटालों की चर्चा करते हुए कहा कि पूंजीवाद ने जिस भ्रष्टाचार को पिछले बीस सालों में फैलाया है, उसके खिलाफ व्यापक जन-संघर्ष के बिना लोकतंत्र को बचाया नहीं जा सकता और इसके लिए शहरी मध्यमवर्ग को अगुवा दस्ते की भूमिका अदा करनी होगी। उन्होंने पंचायत चुनावों तक फैल गये भ्रष्टाचार पर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि आश्चर्य होता है कि ग्राम प्रधान और ब्लाक प्रमुख तक के प्रत्याशियों ने करोड़ों रूपये खर्च किये हैं। उन्होंने कहा कि आज भ्रष्टाचार के खिलाफ बात करने वाले राजनीतिक दल - भाजपा, सपा, राजग, बसपा आदि सभी जिस पैसे से चुनाव लड़ते हैं, वह भ्रष्टाचार के जरिए ही पैदा किया गया होता है। उन्होंने व्यापक चुनाव सुधारों पर भी बल दिया जिसमें अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और वापसी के अधिकार का उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया।
परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा कि तेलगी काण्ड से शुरू हुए तमाम घोटालों ने देश में एक आवारा पूंजी को जन्म दिया है जो देश में हर चीज को अवारा बना रही है। उन्होंने कहा इस अवारा पूंजी द्वारा पैदा किए गए अवारा भ्रष्टाचार के खिलाफ समाज के सजग लोगों को निकलना ही होगा। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हमें परिपक्व इरादों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि स्विस बैंक जमा अरबों करोड़ रूपये के मामले को भाकपा के सांसद गुरूदास दासगुप्ता ने संसद में उठाया था तब भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी बिलकुल चुपचाप बैठे रहे थे और उन्होंने स्वर नहीं उठाया था। उन्होंने कहा कि भाकपा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ क्षेत्रीय सम्मेलनों का फैसला लिया है और उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर कार्यवाही योजना बनाई जायेगी।
विख्यात आरटीआई कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था में अगर स्विस बैंक में जमा अरबों करोड़ रूपये अगर वापस आ भी गये तो भ्रष्टाचार के जरिए वे दुबारा स्विस बैंक या किसी दूसरे देश के बैंकों में पहुंच जायेंगे। उन्होंने एक ऐसी एकीकृत एजेंसी के गठन पर बल दिया जिसके पास राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों तथा न्यायाधीशों के सभी खिलाफ जांच करने और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार हो।
फारवर्ड ब्लाक के सचिव वीरेन्द्र कुमार ने भाकपा द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किए अभियान में फारवर्ड ब्लाक द्वारा शिरकत की घोषणा करते हुए कहा कि निमंत्रण भेजे जाने के बावजूद बाकी राजनीतिक दलों का परिचर्चा में भाग न लेना यह दर्शाता है कि वे भ्रष्टाचार में कितने तल्लीन हैं। इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स के महासचिव शास्त्री प्रसाद त्रिपाठी, एडवोकेट ने जहां न्यायपालिका के अन्दर ही व्याप्त भ्रष्टाचार पर चल रहे आत्ममंथन और चिन्ता की चर्चा की वहीं वाई.एस.लोहित एडवोकेट ने संस्थागत भ्रष्टाचार और छोटे स्तर के भ्रष्टाचार में अंतर करने की बात कही। महिला फेडरेशन की कान्ती मिश्रा ने भ्रष्टाचार के कारण महिलाओं पर पड़ रहे कुप्रभावों की चर्चा करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जनान्दोलन को महिलाओं को आगे आने का आह्वान किया। यू.पी. बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के मंत्री आर.के.अग्रवाल ने कहा कि हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के पहले खुद से लड़ना होगा। एलआईसी कर्मचारियों के नेता लालता शाह ने कहा कि हमें परेशानियों से बचने के लिए और निजी नुकसान की आशंका से भ्रष्टाचार से समझौता करने की प्रवृत्ति के खिलाफ भी संघर्ष करना होगा।
परिचर्चा की शुरूआत में विषय प्रवर्तन करते हुए ”पार्टी जीवन“ के कार्यकारी सम्पादक प्रदीप तिवारी ने कहा कि पूंजीवाद में पूंजी अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए जिन बुराईयों को जन्म देती है उनके प्रमुख है राजनीति में भ्रष्टाचार फैलाना। पिछले 20 साल पहले देश में आर्थिक उदारीकरण का जो दौर शुरू हुआ था, उसमें पूंजी ने मुनाफे के बरक्स अगर कुछ बढ़ना शुरू हुआ तो वह था भ्रष्टाचार और खाद्य पदार्थों की कीमतें। इन दोनों ने मिल कर देश की 95 प्रतिशत जनता का जीवन दुश्वार कर दिया है। उन्होंने इतिहास में जाते हुए कहा कि 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर चुनाव जीतने के लिए भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए उंगली क्या उठा दी थी कि उसके फलस्वरूप आपात काल घोषित हुआ और 1977 में कांग्रेस को पहली बार केन्द्र में सत्ता से बेदखल होना पड़ा। 1988 में फिर बोफोर्स दलाली का मुद्दा चुनावी मुद्दा बना और सत्ता परिवर्तन हो गया।
प्रदीप तिवारी ने कहा कि 1993 में नरसिम्हाराव ने अपनी सरकार बचाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों को ही खरीद लिया। उसके बाद से अगर संयुक्त मोर्चा सरकार के छोटे-से कार्यकाल को छोड़ दिया जाये तो कांग्रेस नीत संप्रग या भाजपा नीत राजग ही केन्द्र सरकार में सत्तासीन रहे। कहने को दो महा-ईमानदार - अटल बिहारी बाजपेई और मनमोहन सिंह ही प्रधानमंत्री रहे पर ये दोनों भ्रष्टों के पालनहार की भूमिका में ही नजर आए। प्रदीप तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा अदल-बदल कर सत्ता चलाते रहे और इनके भ्रष्टाचार ने पंचायत चुनावों तक को भ्रष्टाचार की दलदल में ढ़केल दिया है। उन्होंने परिचर्चा में भाग ले रही जनता का आह्वान करते हुए कहा कि इस माहौल में संघर्ष के लिए जनता को खड़ा करना जरूरी हो गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष एक फौरी जरूरत बन गया है। भ्रष्टाचार के मुद्देनजर वर्तमान चुनावी व्यवस्था सड़ चुकी है और चुनाव सुधारों के लिए संघर्ष भी फौरी जरूरत बन गया है।
परिचर्चा के पहले वयोवृद्ध कम्युनिस्ट शिव प्रकाश तिवारी ने ध्वजारोहण किया। इप्टा के साथियों ने इस मुद्दे पर एक गीत प्रस्तुत किया। परिचर्चा की अध्यक्षता भाकपा जिला सचिव मो. खालिक ने की।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...8 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
अखनूर बस हादसे के लिये उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह जिम्मेदार: डा॰ गिरीश भाकपा नेता ने म्रतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की , घायलों क...
-
भाकपा राज्य कार्यकारिणी की बैठक में गहरी चिन्ता जताई गयी लखनऊ- 30 मई 2022 , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी ...
-
Political horse-trading continued in anticipation of the special session of parliament to consider the confidence vote on July 21 followed b...
-
REVERSE DEREGULATION OF FUEL PRICES The Congress led UPA II Government has totally failed to contain inflation and to cont...
-
“यदि सरकार ने कोरोना से जंग के लिये नीतियां तय करने से पहले महामारीविदों और अन्य विशेषज्ञों से राय ली होती तो स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती...
-
लखनऊ 3 सितम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं अन्य वामपंथी दलों द्वारा खाद्य सुरक्षा, महंगाई तथा भ्रष्टाचार के सवाल पर 12 सितम्बर को उत्तर...
-
साम्राज्यवाद का दुःस्वप्नः क्यूबा और फिदेल आइजनहावर, कैनेडी, निक्सन, जिमी कार्टर, जानसन, फोर्ड, रीगन, बड़े बुश औरछोटे बुश, बिल क्लिंटन और अब ...
-
The demand to divide Uttar Pradesh into separate states has been raised off and on for the last two decades. But the bitter truth r...
-
The Hindu today published the following item : The Left parties will stage protests against fuel price hike during Prime Minister Manmohan S...
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की अखिल भारतीय पार्टी कांग्रेस सामान्यतः हर तीसरे साल की जाती है। पार्टी कांग्रेस भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का ...
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें