यह अनशन प्रदेश की जनता की ज्वलंत समस्याओं - कमरतोड़ मंहगाई, भ्रष्टाचार, उपजाऊ जमीनों के अधिग्रहण, शिक्षा के बाजारीकरण, बेरोजगारी, जर्जर हो चुकी कानून व्यवस्था के खिलाफ तथा एक मजबूत लोकपाल कानून शीघ्र से शीघ्र बनाये जाने को लेकर किया गया जिसमें वाम दलों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की। अनशन का नेतृत्व भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश, माकपा के राज्य सचिव डा. एस. पी. कश्यप, फारवर्ड ब्लाक के प्रदेश अध्यक्ष राम किशोर तथा आरएसपी के प्रदेश सचिव संतोष गुप्ता ने किया।
अनशनकारियों को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार पर आरोप लगाये कि दोनों ही सरकारें महंगाई बढ़ाने का घृणित कार्य कर रही हैं जिससे आम जनता बेहद कठिनाइयां झेल रही है। यही हाल भ्रष्टाचार का है। केन्द्र और राज्य सरकार के दर्जनों मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं। सरकारी दफ्तरों में जनता के छोटे-छोटे कामों के लिये भारी रिश्वत ली जा रही है। ऊपरी स्तर पर तो हजारों करोड़ का गोलमाल हो रहा है।
किसान रबी की फसल की तैयारी में हैं लेकिन उन्हें खाद के लिये भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। महंगी बिजली, महंगे डीजल, महंगे बीज, खाद और कीटनाशकों ने उनकी कठिनाईयां बेहद बढ़ा दी हैं। ऊपर से उनकी जमीनों को हड़पने का खुला खेल चल रहा है।
प्रदेश के लाखों लाख नौजवान बेरोजगारी से त्रस्त हैं। रोजगार के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है। शिक्षा तो और भी महंगी बना दी गयी है। सामान्य व्यक्ति अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पा रहा। उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था से लोग आजिज आ चुके हैं। अपराध-अत्याचार सभी बढ़ रहे हैैं। शासन-प्रशासन इन्हें काबू में करने में इच्छा शक्ति नहीं रखता।
केन्द्र की कांग्रेस मजबूत लोकपाल कानून बनाने के काम को लगातार टाल रही हैं वह भ्रष्टाचार के बलबूते ही सत्ता में आना एवं बने रहना चाहती है। यही हाल भाजपा का है जिसके तमाम नेता जेल जा रहे हैं और बाकी भ्रष्टाचार के खिलाफ यात्रा निकालने का नाटक कर रहे हैं। प्रदेश के एक मुख्य विपक्षी दल सपा का नाटक भी जनता बड़े ध्यान से देख रही है। उत्तर प्रदेश की जनता इन चारों दलों की राजनीति को ठुकरा देना चाहती है। जातिवाद, साम्प्रदायिकता और पूंजीवाद के हथकंडों को जनता भली-भांति समझ चुकी है और इनसे निजात पाना चाहती है। ऐसे में आमजन वामपंथी दलों की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। वामपंथी दल ही हैं जो आम जनता की कसौटी पर खरे उतरते हैं और इस राजनैतिक शून्य को भर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में वाम दल इस स्थिति को समझ रहे हैं। अतएव वे जन सवालों पर संयुक्त आन्दोलन तेज करके जनता को अपने इर्द-गिर्द गोलबंद कर रहे हैं। आज का अनशन इस आन्दोलन की शुरूआत है।
वक्ताओं ने आज के दिन को प्रदेश की वाम राजनीति का ऐतिहासिक दिन बताते हुए प्रदेश की अन्य धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक ताकतों का आह्वान किया कि वे प्रदेश की जनता के बेहतर भविष्य के लिए एक विराट मोर्चे के गठन के लिए आगे आयें और जनता के सवालों पर संयुक्त संघर्ष आयोजित करें।
चारों वाम दलों ने घोषणा की कि अब वे जमीनी स्तर पर उपर्युक्त सवालों पर संघर्ष चलायेंगे। जिला, तहसील, ब्लाक स्तरों पर धरने-प्रदर्शन किये जायेंगे। दर्जनों रैलियां की जायेंगी तथा रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ हस्तक्षेपकारी कार्यवाही की जायेगी।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने अनशन पर बैठे भाकपा के साथियों का आह्वान किया कि वे भाकपा के राष्ट्रीय आह्वान पर 21 अक्टूबर को प्रदेश भर में भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ तथा प्रभावी लोकपाल कानून के लिए जगह-जगह पर सामूहिक अनशन आयोजित करें।
अनशन को अपना समर्थन देने आये एनसीपी नेता प्रो. रमेश दीक्षित ने कहा कि वाम मोर्चा ही विकल्प बन सकता है जिसकी ओर जनता बड़ी आशा भरी दृष्टि से देख रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की वाम मोर्चा शीघ्र ही जनता के सामने एक विकल्प पेश करने में सफल होगा।
अनशनकारियों को सम्बोधित करने वाले अन्य प्रमुख वक्ता थे - भाकपा के अशोक मिश्र, इम्तियाज अहमद, अरविन्द राज स्वरूप, आशा मिश्रा, सुरेश त्रिपाठी, सदरूद्दीन राना; माकपा के प्रेम नाथ राय, वेद प्रकाश, छोटे लाल और मधु गर्ग; फारवर्ड ब्लाक के शिव नारायण सिंह चौहान, नौजवान सभा के राज्य सचिव नीरज यादव तथा आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन की राज्य संयोजिका कु. निधि चौहान आदि।
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