उपरोक्त सूचना यहां देते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश एवं ”इंसाफ“ के प्रांतीय महामंत्री इम्तियाज अहमद, पूर्व विधायक ने कहा है कि सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्टों पर केन्द्र एवं राज्य सरकारें कोई अमल नहीं कर रही हैं। देश के अल्पसंख्यक बाहुल्य 121 पिछड़े जिलों में से 90 जिलों में मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (एमएसडीपी) के लिए 3,632 करोड़ रूपयों की व्यवस्था की गयी थी जिसमें से अब तक केवल 33 प्रतिशत व्यय किया गया है, जिसमें से अधिकांश हिस्सा भ्रष्टाचार की भेट चढ़ चुका है। इंदिरा आवास योजना में उनकी आबादी के सापेक्ष मकान अल्पसंख्यकों को आबंटित नहीं किये गये और अल्पसंख्यकों को इस योजना से रंचमात्र फायदा नहीं पहुंचा है। देश की कुल आबादी का 15 प्रतिशत मुस्लिम अल्पसंख्यक होने के बावजूद विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं में उनकी हिस्सेदारी केवल 0.6 प्रतिशत है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश तथा ”इंसाफ“ के राज्य महासचिव इम्तियाज अहमद, पूर्व विधायक ने यहां जारी एक प्रेस बयान में मांग की है कि एमएसडीपी के लिए 25 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी के मानक के बजाय 15 प्रतिशत का मानक अपनाया जाये और जिलों के बजाय मोहल्ला और गांवों को चयनित कर उन्हें धनराशि आबंटित की जाये। डा. गिरीश और इम्तियाज अहमद ने यह भी मांग की है कि विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं में गरीब अल्पसंख्यकों को उनकी आबादी के अनुपात में हिस्सा मिलना सुनिश्चित किया जाये।
प्रदेश के बुनकरों (मुस्लिम और हिन्दू दोनों) की बर्बादी के लिए सपा, बसपा एवं कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए डा. गिरीश और इम्तियाज अहमद ने यू.पी. हैण्डलूम कारपोरेशन की बहाली तथा सूत मिलों को दुबारा चालू किये जाने की मांग करते हुए बुनकरों के बिजली के बिलों तथा बैंक बकायों को माफ किये जाने की भी मांग की है।
नेताद्वय ने संविधान के नाम पर आरक्षण में अल्पसंख्यकों के साथ किये जा रहे भेदभाव के लिए कांग्रेस, सपा, बसपा और भाजपा चारों को जिम्मेदार बताते हुए इस भेदभाव को समाप्त किये जाने की भी मांग की है।
कार्यालय सचिव
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