धरने और प्रदर्शनों के माध्यम से मांगे की जायेंगी - ”न एपील न बीपीएल - हमें चाहिए सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली“, ”हमें चाहिये प्रति माह प्रति परिवार 2 रूपये किलो की दर से 35 किलो अनाज“, ”योजना आयोग के फर्जी गरीबी अनुमान खारिज करो, इन्हें कल्याणकारी योजनाओं के आबंटन का आधार मत बनाओ“, ”किसानों की उपज की लाभकारी कीमतें दो“, ”स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करो“, ”कैश कूपन नहीं राशन की गारंटी चाहिए“, ”राशन प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार रोका जाये“, ”महंगाई पर रोक लगाई जाये“, तथा ”हर प्रकार के भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाये“।
इस विषय में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक में उपर्युक्त मुद्दों को शामिल कर उसे शीघ्र से शीघ्र पारित किया जाये। संप्रग सरकार प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून में इन बातों को शामिल करने को तैयार नहीं है और केवल फर्ज अदायगी के तौर पर एक ऐसा कानून बनाना चाहती है जिससे भ्रष्टाचार तो और फैलेगा परन्तु जरूरतमंदों को कुछ भी हासिल नहीं होगा।
भाकपा राज्य सचिव ने बताया कि 12 सितम्बर को जिलाधिकारी कार्यालयों अथवा एफसीआई के गोदामों पर धरने/प्रदर्शन आयोजित कर प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन अधिकारियों के माध्यम से भेजे जायेंगे। भाकपा राज्य सचिव मंडल के निर्देश पर 27 अगस्त से ही पूरे प्रदेश में इन सवालों पर सभायें, नुक्कड़ सभायें जारी हैं जो 11 सितम्बर तक जारी रहेंगी।
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