भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

रविवार, 8 सितंबर 2013

साजिश का परिणाम है मुजफ्फरनगर का दंगा| भाकपा ने की शांति स्थापित करने की अपील

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि मुजफ्फरनगर की हिंसा एक सोची- समझी साजिश का परिणाम है और इस पर तत्काल रोक लगाया जाना बेहद जरूरी है| दंगों में मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी सम्वेदना व्यक्त करते हुये भाकपा ने मुजफ्फरनगर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं देश की जनता से अपील की है कि वह हर स्थिति में शांति एवं सौहार्द कायम रखे और निहित स्वार्थों के मंसूबों को विफल कर दे| कल की मुजफ्फरनगर की वारदातों पर अपनी पार्टी की ओर से जारी बयान में भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि पिछले दस दिनों से साम्प्रदायिक एवं निहित स्वार्थी राजनैतिक शक्तियां मुजफ्फरनगर में अपना विभाजनकारी खेल खेल रही थीं और साम्प्रदायिक विभाजन को गाँवों-गलियों तक लेजाने में कामयाब रहीं| इस दरम्यान शासन-प्रशासन एक के बाद एक गलतियाँ करता रहा जिसकी परिणति यह दंगा है जिसमें दर्जन भर से ज्यादा लोगों की जानें गयीं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं| सम्पत्तियों की भी भारी बरबादी हुयी है| समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी तनाव व्याप्त है| सबसे बड़ी बात है कि हालात इस कदर बेकाबू हो गये कि सेना को कमान सौंपनी पड़ी है| उत्तर प्रदेश में दशकों बाद ऐसा हुआ है| इतना ही नहीं इस क्षेत्र के ग्रामीण जीवन के सौहार्द और मेलजोल का ताना-बाना आजादी के बाद पहली बार टूटा है| यदि इसको पुनः कायम न किया गया तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे| भाकपा का आरोप है कि राज्य सरकार साम्प्रदायिक और हिंसक तत्वों से कड़ाई से नहीं निपट रही| एक पंचायत को लेकर वहां भारी तनाव था लेकिन सम्वेदनशील स्थानों से पुलिस और सुरक्षा बल गायब थे| पुलिस महानिदेशक एवं आई.जी. कानून-व्यवस्था वहां पहुंचे लेकिन स्थिति के बेहद गंभीर होने के बाबजूद उन्होंने स्थानीय पुलिस-प्रशासन को जरूरी निर्देश नहीं दिये| इतना ही नहीं दोनों अधिकारी वहां से पलायन भी कर गये| प्रदेश सरकार तब हरकत में आयी जब हालात बेहद बेकाबू हो गये| यही वजह है कि सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह भी वोटों के ध्रुवीकरण के लिये साम्प्रदायिक विभाजन का उसी तरह प्रयास कर रही है जैसे कि उसने चौरासी कोसी परिक्रमा के समय किया था|| यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है| भाकपा मांग करती है कि वहां उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये, सघन तलाशी अभियान चला कर हथियारों को बरामद किया जाये, घायलों का पूरी तरह उपचार कराया जाये, जान-माल के नुकसान की भरपाई की जाये, मृतकों के परिवारों को समान धनराशि दी जाये, साम्प्रदायिक सौहार्द कायम करने को नागरिक संगठनों और धर्म निरपेक्ष दलों के कार्य कर्ताओं का सहयोग लिया जाये| सबसे महत्वपूर्ण बात है कि सरकार और पुलिस-प्रशासन इस ढंग से कार्य करे कि कोई पक्ष उस पर ऊँगली न उठा सके| डॉ.गिरीश, राज्य सचिव भाकपा, उत्तर प्रदेश

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य