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सोमवार, 9 सितंबर 2013
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शुरू से सतर्कता बरती होती तो न जलता पश्चिमी उत्तर प्रदेश - भाकपा
लखनऊ 9 सितम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि मुजफ्फरनगर की हिंसा एक सोची-समझी साजिश का परिणाम है और यह राज्य सरकार की पूरी तरह विफलता का परिचालय है। दंगों पर तत्काल रोक लगाया जाना बेहद जरूरी है। दंगों में मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी सम्वेदना व्यक्त करते हुये भाकपा ने मुजफ्फरनगर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं देश की जनता से अपील की है कि वह हर स्थिति में शांति एवं सौहार्द कायम रखे और निहित स्वार्थों के मंसूबों को विफल कर दे।
मुजफ्फरनगर की वारदातों पर भाकपा की ओर से जारी बयान में भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि पिछले दस-बारह दिनों से साम्प्रदायिक एवं निहित स्वार्थी राजनैतिक शक्तियां मुजफ्फरनगर में अपना विभाजनकारी खेल खेल रही थीं और साम्प्रदायिक विभाजन को गाँवों-गलियों तक ले जाने में जुटी हुईं थीं। इस दरम्यान शासन-प्रशासन एक के बाद एक गलतियां करता रहा जिसकी परिणति यह दंगा है जिसकी चपेट में शामली, बागपत, मेरठ आदि जनपद आ चुके हैं। इस दंगों में अब तक लगभग 30 लोगों की जानें जा चुकी हैं और सैकड़ों स्त्री-पुरूष यहां तक कि बच्चे भी घायल हुए हैं। सम्पत्तियों की भी भारी बरबादी भी हुयी है। समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी तनाव व्याप्त है। प्रदेश के अन्य भागों में भी तनाव पैदा करने की खबरें मिल रहीं हैं।
सबसे बड़ी बात है कि हालात इस कदर बेकाबू हो गये हैं कि राज्य सरकार को सेना को कमान सौंपनी पड़ी है। उत्तर प्रदेश में ऐसा लगभग डेढ़ दशक बाद हुआ है। इतना ही नहीं इस क्षेत्र के ग्रामीण जीवन के सौहार्द और मेल-जोल का ताना-बाना आजादी के बाद पहली बार टूटा है। यदि इसको पुनः कायम न किया गया तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
भाकपा का आरोप है कि राज्य सरकार साम्प्रदायिक और हिंसक तत्वों से कड़ाई से नहीं निपट रही है। मुजफ्फरनगर में पिछले 10 दिनों से भारी तनाव था और इसी तनाव के बीच एक पंचायत आयोजित हुई लेकिन इस दौरान सम्वेदनशील स्थानों से पुलिस और सुरक्षा बल गायब थे। पुलिस महानिदेशक एवं आई.जी. कानून-व्यवस्था वहां पहुंचे लेकिन स्थिति के बेहद गंभीर होने के बाबजूद उन्होंने स्थानीय पुलिस-प्रशासन को जरूरी निर्देश नहीं दिये। इतना ही नहीं दोनों अधिकारी वहां से पलायन भी कर गये।
प्रदेश सरकार तब हरकत में आयी जब हालात बेहद बेकाबू हो गये। यही वजह है कि सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह अब भी वोटों के ध्रुवीकरण के लिये साम्प्रदायिक विभाजन का उसी तरह प्रयास कर रही है जैसाकि उसने चौरासी कोसी परिक्रमा के समय किया था। यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और सभी धर्मनिरपेक्ष तथा सद्भाव चाहने वाली ताकतों का इसका मुकाबला करना चाहिये।
भाकपा मांग करती है कि वहां उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये, सघन तलाशी अभियान चला कर हथियारों को बरामद किया जाये, घायलों का पूरी तरह उपचार कराया जाये, जान-माल के नुकसान की भरपाई की जाये, मृतकों के परिवारों को समान धनराशि दी जाये, साम्प्रदायिक सौहार्द कायम करने को नागरिक संगठनों और धर्मनिरपेक्ष दलों के कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाये। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि सरकार और पुलिस-प्रशासन इस ढंग से कार्य करे कि कोई पक्ष उस पर ऊँगली न उठा सके।
भाकपा ने अपनी समस्त जिला कमेटियों से अनुरोध किया है कि वे सौहार्द बनाये रखने हेतु हर सम्भव प्रयास करें। जहां सम्भव हो गोष्ठियां, सद्भाव सभायें तथा मेल-मिलाप के दूसरे कार्यक्रम आयोजित करें।
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