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बुधवार, 1 अक्टूबर 2014

बिजली दरों में बढ़ोतरी की भाकपा द्वारा कटु निन्दा

लखनऊ 1 अक्टूबर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विद्युत नियामक आयोग द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में औसत 12 प्रतिशत तथा कृषि के लिए औसत 12.20 प्रतिशत की बढ़ोतरी के लिए आज दी गई अनुमति की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि एक साल पहले ही बिजली दरों में औसत 30 प्रतिशत बढ़ोतरी एक साल पहले ही की गई थी और इस बढ़ोतरी से सामान्य घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ किसानों की कमर टूट जायेगी। ज्ञातव्य हो कि उद्योगों को आपूर्ति की जाने वाली बिजली की दरों में केवल 7.38 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है जबकि वाणिज्यिक कनेक्शनों पर केवल 6.28 प्रतिशत औसत बढ़ोतरी की गई है।
भाकपा के राज्य सचिव मंडल की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने उत्तर प्रदेश सरकार से मामले में हस्तक्षेप कर प्रस्तावित बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की है। भाकपा ने कहा है कि सपा सरकार के वर्तमान कार्यकाल के दौरान बिजली की दरों में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ोतरी की जा चुकी है। इस वृद्धि का असर लगातार बढ़ रही महंगाई पर भी पड़ेगा।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि सरकार शहरों को भी 12 घंटे विद्युत आपूर्ति नहीं कर पा रही है और न ही बिजली चोरी को रोकने का प्रयास कर रही है। उल्टे सामान्य उपभोक्ताओं पर लगातार असहनीय भार लादती चली जा रही है। अगर राज्य सरकार इस बढ़ोतरी को वापस नहीं लेती है तो भाकपा पूरे प्रदेश में जनता को इस बढ़ोतरी के खिलाफ लामबंद करेगी और इसके खिलाफ जनसंघर्ष आयोजित करेगी।



कार्यालय सचिव

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