भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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Communist Party of India, U.P. State Council

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गुरुवार, 29 जून 2017

CPI will support U.P. band

जी.एस.टी. के विरोध में कल होने जारहे उत्तर प्रदेश बन्द को

भाकपा ने समर्थन प्रदान किया


लखनऊ- 29 जून 2017, पेट्रोलियम पदार्थों को महंगा बनाये रखने को जी.एस.टी. से बाहर रखने, इसे आधी अधूरी तैयारी से लागू करने तथा कारपोरेट्स के हित में और आम जनता व छोटे मंझोले व्यापारियों की ऊपर लादी जारही मौजूदा व्यवस्था का विरोध करते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य इकाई ने क्ल 30 जून को किये जारहे उत्तर प्रदेश बन्द/ भारत बन्द को समर्थन दिया है.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि जी.एस.टी. बिल को संसद में पास कराते वक्त भाजपा के नेत्रत्व वाली केंद्र सरकार ने जिस भावना को जाहिर किया था आज लागू कराते वक्त वह कहीं नहीं दिखाई दे रही है. आज जो पक्ष सामने आरहा है उससे आम जनता को कोई लाभ नहीं होने जारहा. कारपोरेट और बड़े औद्योगिक समूह इसका लाभ उठायेंगे और छोटे और मझोले व्यापारी इसकी जटिलताओं के मकड़जाल में फंस कर रह जायेंगे. लगता है कि यह भी नोटबंदी की तरह लोगों को हैरान और परेशान करेगी. पर सरकार इससेपूरी तरह वेपरवाह बनी हुयी है.
इसी सबको देखते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कई व्यापारिक संगठनों द्वारा कल कराये जारहे उत्तर प्रदेश बन्द को समर्थन प्रदान किया है. भाकपा राज्य सचिव ने अपनी तमाम स्थानीय इकाइयों का आह्वान किया है कि वे इस बन्द को नैतिक और भौतिक समर्थन प्रदान करें.

डा. गिरीश, राज्य सचिव


भा. क. पा. उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 27 जून 2017

योगी सरकार : असफलताओं के सौ दिन : भाकपा



लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के अब तक के कार्यकाल को 'असफलता के सौ दिन' शीर्षक से नवाजा है.
योगी सरकार द्वारा आज सौ दिन पूरा करने पर भाकपा की ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि इन सौ दिन में यह सरकार एक कदम भी आगे बढ़ने के बजाय सौ कदम पीछे की ओर खिसकी है.
यह सरकार मुख्य तौर पर चुनावों में लुभावने वायदों और क़ानून व्यवस्था दुरुस्त होने की लोगों की आकांक्षा के तहत सत्ता में आयी थी. इसका सबसे बढ़ा वायदा किसानों के कर्जे माफी का था जो कि न केवल आधा अधूरा है अपितु अभी तक अधर में लटका है. गन्ना किसानों के भुगतान के बारे में सरकार के दाबे झूठे हैं और चीनी मिलों पर किसानों की अभी भी तमाम रकम बाक़ी पड़ी है. किसानों के हालात  जस के तस बने हुए हैं और वे आत्महत्याएं कर रहे हैं.
क़ानून व्यवस्था तो जैसे नष्टप्राय ही होचुकी है. ह्त्या, लूट, डकेती और डकेती के साथ ह्त्या, राहजनी, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार, बलात्कार के साथ ह्त्या आदि सभी बड़े पैमाने पर होरहे हैं. तमाम दाबों के बावजूद भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं लेरहा. एक अबोध बच्ची तो रिश्वत देने को अपनी गुल्लक लेकर पुलिस अधिकारी के पास पहुंची क्योंकि पुलिस उसकी माँ के हत्यारों को इसलिए नहीं पकड़ रही थी कि उसे रिश्वत नहीं मिली थी. यह शर्मनाक घटनाक्रम योगी के सुशासन की सारी कलई खोल कर रख देता है.
सबका साथ सबका विकास का राग अलापने वाली योगी सरकार के शासन में दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर लोगों पर जबरदस्त जुल्म होरहे हैं. सत्ता का संरक्षण प्राप्त दबंग तत्व और संघ की विभिन्न शाखाओं के लोग किसी न किसी बहाने उन पर शारीरिक हमले बोल रहे हैं और उनकी संपत्तियों को विनष्ट कर रहे हैं. हमलाबरों पर कार्यवाही करने के बजाय पीड़ितों और उनके हक में आवाज उठाने वालों को ही क़ानून के शिकंजे में घेरा जा रहा है. सहारनपुर, संभल की घटनायें सभी के सामने हैं. ये दबंग और शासक समूह द्वारा पोषित तत्व पुलिस- प्रशासन के अधिकारियों- कर्मचारियों पर खुले हमले बोल रहे हैं, जिसके चलते अधिकारी इनके दबाव में नाजायज काम करने को मजबूर हैं.
निजी एवं कार्पोरेट्स के हितों को साधने और कमजोर तबकों को रौंदने की गरज से सरकार ने मीटबंदी  और खनन बंदी की तथा तमाम तरह की भर्ती प्रक्रियाओं को रद्द कर दिया. इससे नौजवान और हर किस्म का मजदूर बेरोजगारी से कराह रहा है. 15 जून तक सडकों को गड्ढा मुक्त करने का इनका दावा भी हवा हवाई साबित हुआ है. हर स्तर पर शिक्षा में सुधार के बजाय उसे सांप्रदायिक बनाने की योजना पर काम चल रहा है.
सरकार केवल घोषणाओं और प्रपोगंडा के भरोसे चल रही है. इसकी असफलताओं से ध्यान हठाने को इसके प्रबन्धक खुल कर सांप्रदायिकता और जातीय उत्पीडन का सहारा लेरहे हैं. सरकार के काले कारनामों का विरोध करने वालों की आवाज बंद करने के प्रयास चल रहे हैं. आजादी के बाद यह पहली ऐसी सरकार है जो शुरू के सौ दिन में ही पूरी तरह अनुत्तीर्ण होचुकी है और बिहार के टापरों की तर्ज पर अपनी कामयाबी का ढिंढोरा पीट रही है.

डा. गिरीश 

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बुधवार, 14 जून 2017

Report of Agitation of Left Parties in U.P. on Jun 12

उत्तर प्रदेश में वामपंथी दलों का दमन विरोधी दिवस बेहद सफल

जिला केंद्रों पर किये गये धरने- प्रदर्शनऔर आम सभायें


लखनऊ- 12 जून, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं वामपंथी दलों के आह्वान पर दमन विरोधी दिवस समूचे उत्तर प्रदेश में बेहद सफल रहा. सहारनपुर और प्रदेश के अन्य भागों में हुयी हिंसा की वारदातों और उनमें दलितों- अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने, महिलाओं के साथ होरहीं दिल कंपा देने वाली वारदातों, जघन्य अपराधों जिनमें सर्राफों व्यापारियों, व्यापारियों, वाहनों और बैंकों की लूट शामिल हैं, हाईवे और नेशनल हाईवेज पर लूट,  हत्या और सामूहिक बलात्कार की बड़ती वारदातें, जर्जर होचुकी कानून व्यवस्था, गुंडा तत्वों द्वारा शांतिप्रिय नागरिकों को निशाना बनाने यहां तक कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकरियों को निशाना बनाने, छात्रों और नौजवानों को जेल भिजवाने और जगह जगह दंगे फैलाने के प्रदेश सरकार और संघ परिवार के कारनामों पर कारगर रोक लगाने आदि प्रदेश को  मथ रहे सवालों पर यह आंदोलन केंद्रित था.
इसके अलावा हाल ही में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में उठ खड़े हुये किसान आंदोलनों और मध्य प्रदेश में पुलिस गोली से 6 किसानों के मारे जाने, किसानों की जर्जर हालत को पलटने को स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने, केंद्र सरकार द्वारा काटने के लिये पशुओं की खरीद- फरोक्त को रोकने वाली अधिसूचना को रद्द करने, उत्तर प्रदेश के समस्त सीमांत और लघु किसानों के सभी कर्जे अविलंब माफ करने, प्रदेश सरकार की खनन और पशु कटान नीति से तथा नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया में लगाई पाबंदी आदि से बेरोजगारी में बढ़ोत्तरी और विकास के चौपट होने आदि सवाल भी इस आंदोलन के केंद्र में थे.
योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह संयुक्त वामपंथ का पहला बड़ा आन्दोलन था. भीषण गर्मी और रमजान के बावजूद भाकपा और वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं ने जिस उत्साह और जुझारू तेवरों के साथ आंदोलन को कामयाब बनाया उसके लिये वे बधाई के पात्र हैं. जैसाकि आजकल यूपी में संघ गिरोह द्वारा जनवादी आंदोलनों पर हमलों की वारदातें होरहीं हैं और हमें आशंका थी कि वे ऐसा करेंगे, हमारे कार्यकर्ताओं ने हिम्मत और गर्मजोशी के साथ दमन के विरुध्द आवाज बुलंद की.
प्रत्येक जगह जिलाधिकारियों के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति और राज्य पाल को उपर्युक्त मुद्दों से जुड़ी मांगों को शामिल कर ज्ञापन दिये गये.
राजधानी लखनऊ में जहाँ चार दिन पूर्व वामदलों के धरने को पीत पट्टाधारियों ने निशाना बनाने की कोशिश की थी, वहीं गांधी प्रतिमा पर पहले से ज्यादा लोग एकत्रित हुये और जोशीले नारों के साथ धरने पर बैठे. भाकपा के जिला सचिव मो. खालिक की अध्यक्षता में हुयी सभा को पार्टी के राज्य सहसचिव अरविंदराज स्वरुप सचिव मंडल सदस्य आशा मिश्रा, रामप्रताप त्रिपाठी, मो. अकरम और कांती मिश्रा आदि ने संवोधित किया. सभा का संचालन सीपीएम के जिला सचिव प्रदीप शर्मा ने किया.
प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में वामपंथी कार्यकर्ताओं ने लहुरावीर चोक स्थिति आजाद पार्क में धरना दिया. यहां संपन्न सभा की अध्यक्षता भाकपा के वरिष्ठ नेता विजय कुमार ने की. संचालन माकपा के नंद लाल पटेल ने किया. सीपीएम के राज्य सचिव हीरालाल यादव, भाकपा के निजामुदीन, अजय मुखर्जी, राजनाथ पांडे, फार्बर्ड ब्लाक के संजय भट्टाचार्य सहित अन्य वाम नेताओं ने संवोधित किया.
कानपुर में वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं ने राम आसरे पार्क में धरना और सभा का आयोजन किया. भाकपा के जिला सचिव रामप्रसाद कनौजिया, असित कुमार सिंह, माकपा के अरविंद कुमार, एसयूसीआई के बालेंदु कुमार आदि ने सभा को संबोधित किया.
अलीगढ़ में भाकपा और माकपा के कार्यकर्ताओं ने कलक्ट्रेट पर धरना देकर सभा की. भाकपा के जिला सहसचिव इकबाल मंद, पूर्व सचिव एहतेशाम बेग, रामबाबू गुप्ता, सीपीएम के जिला सचिव इदरीश अहमद, नरेंद्र पचौरी, ओमप्रकाश शर्मा और माले के धर्मेंद्र ने सभा को संबोधित किया.
आगरा में भाकपा और माकपा ने सुभाष पार्क से कलक्ट्रेट तक जुलूस निकाला और आम सभा की. सभा को भाकपा की राज्य काउंसिल के सदस्य तेज सिंह वर्मा, जिला सचिव ताराचंद, ओम प्रकाश प्रधान, पूरन सिंह ऐड्वोकेट, एस. के. खोसला, जगदीश प्रसाद शर्मा, भीकम सिंह, सुधीर कुलश्रेष्ठ, मोहनसिंह जादूगर, भवन निर्माण संघ के धर्मजीत सिंह, सीपीएम के जिला सचिव श्रीलाल तोमर और भारतसिंह ने संबोधित किया.
 राज्य कार्यकारिणी सदस्य का. नसीम अंसारी के अनुसार इलाहाबाद में उपर्युक्त सवालों पर भाकपा, माकपा और माले ने 10 और 11 जून को पुतला दहन कर ज्ञापन दिया.
फैजाबाद में तहसील के समक्ष तिकौनियां पार्क पर धरना और सभा की गयी. सभा को भाकपा के जिला सचिव अशोक कुमार तिवारी, रामतीर्थ पाठक, रामजी राम, एस. एन. बागी, नौजवान सभा के राज्य सचिव आफताव अहमद, सीपीएम के माताबदल व सत्यभान सिंह और माले के नेताओं ने संबोधित किया.
झांसी में भाकपा ने कलक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन और आम सभा की. जिला सचिव शिरोमणि सिंह राजपूत की अध्यक्षता में संपन्न सभा को भगवान दास पहलवान, लक्ष्मण सिंह आदि ने संवोधित किया.
मेरठ में भाकपा और किसान सभा ने जिलाधिकारी कार्यालय पर भाकपा जिला सचिव शरीफ अहमद, इदरीस और किसान सभा के नेता जितेंद्र वर्मा और संग्राम सिंह के नेत्रत्व में प्रदर्शन किया और आमसभा की.
बांदा में भाकपा ने जिलाधिकारी कार्यालय पर भारी सुरक्षाबलों की मौजूदगी में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया. सभा को राज्य काउंसिल सदस्य राम चंद्र सरस, जिला सचिव केवलसिंह, देवीदयाल गुप्ता, श्यामसुंदर राजपूत, मदन भाई पटेल, श्यामबाबू तिवारी, वकार खान और हसीब अली आदि ने संबोधित किया.
जनपद चित्रकूट में भी भाकपा ने तहसील पर प्रदर्शन और आम सभा की. सभा को अमित यादव, चंद्रपाल पाल और माकपा के रुद्रप्रसाद मिश्र ने संबोधित किया.
ललितपुर में भी भाकपा ने जिला कलक्ट्रेट पर सभा कर ज्ञापन दिया. जिला सचिव जमील अहमद एड्वोकेट, किशन लाल, पर्वत लाल अहिरवार व महेंद्र बौध्द आदि ने सभा को संबोधित किया.
गाज़ियाबाद में जिलाधिकारी कार्यालय पर भाकपा द्वारा जिला सचिव जितेंद्र शर्मा के नेत्रत्व में धरना एवं आम सभा की गयी. यहाँ रहीमुद्दीन, सगीर अहमद, पर्वीन, सरदार जर्नेल सिंह ने संबोधित किया. अल्पसंख्यक आबादी बहुल मोहल्ला- शहीद नगर में सैकड़ों रोजेदारों ने वहाँ के पार्टी कार्यालय से टेलीफोन एक्स्चेंज तक जुलूस निकाला.
मथुरा में भाकपा, माकपा और माले ने धरनास्थल से जिलाधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकाल कर आमसभा की. सभा को भाकपा की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य गफ्फार अब्बास ऐडवोकेट, अब्दुल अशफाक, मास्टर वीरेंद्र सिंह, प्रेम मिस्त्री, माकपा के दिगंबर सिंह व टीकेंद्र शाद और माले के नसीर शाह ऐडवोकेट व सौरभ इंसान आदि ने संबोधित किया.
जालौन जिले के मुख्यालय उरई में भाकपा कार्यालय मजदूर भवन से जिलाधिकारी कार्यालय तक शानदार जुलूस निकाला और आम सभा की. सभा को भाकपा के वरिष्ठ नेता कैलाश पाठक, राज्य कार्यकारिणी सदस्य सुधीर अवस्थी, जिला सचिव विजय सिंह, नौजवान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष विनय पाठक, माकपा के जिला सचिव कमला कांत और माले के सचिव कुशवाहा ने संबोधित किया.
जौनपुर जिला मुख्यालय पर भाकपा, माकपा व एसयूसीआई ने विशाल प्रदर्शन किया. सभा को भाकपा राज्यकार्यकारिणी के सदस्य जयप्रकाश सिंह, जिला सचिव कल्पनाथ गुप्ता, रामनाथ यादव, सुभाष पटेल, जगन्नाथ शास्त्री, सत्यनारायन पटेल, माकपा के किरणशंकर रघुवंशी, जयलाल सरोज व इंद्रजीत पाल, एसयूसीआई के जगदीशचंद्र अस्थाना, महेंद्रकुमार मौर्य  श्रीपति सिंह व प्रवीन शुक्ल ने संबोधित किया. सभा का संचालन सुबास गौतम ने किया.
गाज़ीपुर में भाकपा द्वारा का. सरयू पांडे पार्क में धरना दिया गया. सभा को पूर्व सांसद विश्वनाथ शास्त्री, जिला सचिव अमरीका यादव, डा. रामबरन सिंह, जनार्दनराम, शमीम, राम अवध, रामलाल, मनोजसिंह, पूर्व ब्लाक प्रमुख रामायण यादव आदि ने संबोधित किया.
मऊ में भी जिला मुख्यालय पर भाकपा ने जिला मुख्यालय पर धरना दिया. सभा को जिला सचिव विनोद राय, रामसोच यादव, माकपा के वीरेंद्र व माले के विनोद ने संबोधित किया.
औरैया में भाकपा ने  जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. सभा को राज्य काउंसिल सदस्य अतरसिंह कुशवाहा, सरनाम सिंह, बाबूराम निराला, ओमप्रकाश दोहरे, हनुमंतसिंह व दिग्विजय सिंह ने संबोधित किया.
प्रतापगढ में भाकपा ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया. सभा को जिला सचिव रामबरन, कमरुद्दीन, राजमणि, त्रिभुवननाथ शर्मा, उपेंद्रनारायण पांडे, हेमंत ओझा, महाराजदीन यादव, सीपीएम के लालबहादुर तिवारी, माले के रामनरेश पटेल, एसयूसीआई के पुष्पेंद्र विश्वकर्मा ने संबोधित किया.
भदोही में भाकपा और माकपा ने जिला मुख्यालय पर धरना/ प्रदर्शन किया. सभा को भाकपा ,राज्य कार्यकारिणी के सदस्य फूलचंद यादव, जिला सचिव सुशील श्रीवास्तव, भुआल पाल, राजेंद्र कनौजिआ, महबूब अली, माकपा के सचिव कैलाशनाथ, इंद्रदेव पाल, जगन्नाथ मौर्य ने संबोधित किया.
शाहजहांपुर में निषेधाज्ञा को तोड़ कर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. सभा को जिला सचिव मो. सलीम, रामशंकर नेताजी, सुरेश कुमार नेताजी, डा. रुपा शर्मा, मनीश चंद्र व प्रदीपकुमार गुप्ता ने संबोधित किया.
सुल्तानपुर में तिकौनियां पार्क में धरना/ प्रदर्शन किया गया जिसे भाकपा के जिला सचिव शारदा पांडे, रामअजोर उपाध्याय, मुन्ना शर्मा, प्रेमा देवी, शमीम खान, रामखिलावन, माकपा के बाबूराम यादव व एसयूसीआई के जयप्रकाश मौर्य ने संबोधित किया.
पीलीभीत में नेहरु ऊर्जा पार्क में संयुक्त धरने का आयोजन किया गया. सभा को भाकपा जिला सचिव चिरोंजीलाल यादव, भीमसेन शर्मा, बालकराम, भोजपाल, फारबर्ड ब्लाक के प्रांतीय सचिव एस.एन.सिंह चौहान, माकपा के रजीउद्दीन शम्सी ने संबोधित किया.
बहराइच में  भाकपा ने जिला केंद्र पर जुझारू प्रदर्शन किया. सभा को भाकपा नेता सिध्दनाथ श्रीवास्तव, कुलेराज यादव, शशिवाला श्रीवास्तव, लालबहादुर लोदी, रामबचन सिंह, मो. शरीफ व श्रावस्ती के जंगबहादुर सिंह ने संबोधित किया.
बस्ती में  प्रदर्शनकारी शास्त्री चौक पर इकट्ठे हुये मगर प्रशासन ने आगे नहीं बढने दिया. वहीं सभा की गयी जिसे भाकपा नेता अशर्फीलाल गुप्ता, भिखई राम, गंगाराम सोनकर, विशलावती, दुर्गावती, शांति व माकपा के के.के. तिवारी ने संबोधित किया. जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया गया.
महाराजगंज जिला मुख्यालय पर भाकपा ने प्रदर्शन किया जिसमें जिला सचिव गुरुशरण यादव, अवधराज यादव, अमजद शाह, रोहित, कल्पनाथ ने भाग लिया.
हाथरस में भाकपा के साथियों ने उप जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच कर सभा की. जिला सचिव चरन सिंह बघेल, सत्यपाल रावल, द्रुगपाल सिंह, संजय खान आदि ने संबोधित किया.
बुलंदशहर के स्याना तहसील मुख्यालय पर भाकपा ने जोरदार प्रदर्शन किया और सभा की. सभा को राज्य सचिव मंडल सदस्य अजय सिंह, वरिष्ठ नेता सागर सिंह, जिला सचिव मुरारीलाल आदि ने संबोधित किया.
मुजफ्फरनगर में भी जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना और सभा की गयी जिसे भाकपा के जिला सचिव राजबल त्यागी, शाहनवाज खान, सुभाष उपाध्याय, छोटे खान, मूर्तज़ा सलमानी, धीर सिंह सीपीएम के श्यामवीर राठी और सहदेव सिंह ने संबोधित किया.
अमरोहा के जिला मुख्यालय पर धरना और आमसभा की गयी जिसे भाकपा के जिला सचिव नरेश चंद्रा, घसीटा सिंह, गोविंद गोला तथा माकपा और फार्बर्ड के नेताओं ने संबोधित किया.
गोरखपुर में भाकपा और माकपा ने जिला मुख्यालय पर धरना दिया. सभा को भाकपा जिला सचिव, सुरेश राय, समी उल्लाह खान तथा राममूर्ति ने संबोधित किया.
मुरादाबाद में भाकपा, माकपा और माले ने प्रदर्शन कर सभा की जिसे भाकपा के राम किशोर रस्तोगी व मोहम्मद असलम आदि ने संबोधित किया.
कानपुर देहात के जिला मुख्यालय पर भाकपा द्वारा जोरदार धरना/ आम सभा की गयी जिसे जिला सचिव राजेंद्रदत्त शुक्ला, वरिष्ठ नेता रणजीतसिंह सेंगर, हरिमोहन त्रिपाठी, मोतीलाल भारती, रामअवतार भारती, केप्टन आर. एस. यादव, आदि ने संबोधित किया.
मैंनपुरी में भाकपा और किसान सभा ने जिला केंद्र पर धरना प्रदर्शन किया जिसे भाकपा जिला सचिव रामधन, वीरेंद्रसिंह चौहान तथा किसान सभा के सचिव राधेश्याम यादव ने संबोधित किया.
जनपद फतेहपुर के खागा कस्बे में नगरपालिका से तहसील तक जुलूस निकाला और सभा की. सभा को भाकपा राज्य कार्यकारिणी सदस्य मोती लाल, जिला सचिव रामसजीवन सिंह, राज्य काउंसिल सदस्य फूलचंद पाल, हीरालाल चौधरी, पूरन लाल, रामप्रकाश तथा माकपा के नरोत्तम सिंह व गया प्रसाद आदि ने संबोधित किया. तहसील के 250 गांवों को कौशांबी जनपद में देने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर भी विरोध प्रकट किया गया.
बरेली में भाकपा ने दामोदर स्वरुप पार्क में धरना दिया जिसमें राज्य कार्यकारिणी सदस्य राजेश तिवारी, तार्केश्वर चतुर्वेदी, डी.डी. बेलवाल, रामनाथ चच्चा, आर.एस. चौहान, रामकिशोर व उमेश वाल्मीकि आदि शामिल थे.
देवरिया में भाकपा ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जिसमें सीपीएम के कुछ साथी शामिल थे. सभा को जिला सचिव आनंद चौरसिया, चक्रपाणि तिवारी, कमला यादव, सदानंद ने संबोधित किया.
कौशाम्बी में भाकपा द्वारा शिवसिंह यादव के नेत्रत्व में सिराथू तहसील पर प्रदर्शन किया गया और सभा की गयी.
फरुखाबाद में यह कार्यक्रम 15 जून को आयोजित होगा. अन्य जिलों की रिपोर्ट अपेक्षित है.
गोंडा में भाकपा जिला सचिव रघुनाथ राम, सत्यनारायन तिवारी, ईश्वरशरण शुक्ल, दीनानाथ त्रिपाठी माकपा के कौशलेंद्र पांडे आदि ने ज्ञापन दिया.

डा. गिरीश



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गुरुवार, 8 जून 2017

जनता पर दमन चक्र चलाना बंद करें भाजपा सरकारें और संघ परिवार

जनता पर दमन चक्र चलाना बंद करें भाजपा सरकारें और संघ परिवार

वामपंथी दलों का उत्तर प्रदेश में दमन विरोधी दिवस  12 जून को


लखनऊ- 8 जून, 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने मध्य प्रदेश में पुलिस द्वारा 6 किसानों की ह्त्या, माकपा महासचिव का. सीताराम येचुरी पर हिन्दू सेना द्वारा किये गये हमले, लखनऊ में छात्रों की मद के धन को मुख्यमंत्री के स्वागत समारोह में खर्च करने का विरोध कर मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने वाले छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भेजने और आज इस सबके विरुध्द लखनऊ में गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन कर रहे वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं पर संघ समर्थक टोली द्वारा हमले बोलने की कोशिश की कड़े शब्दों में निंदा की है. भाकपा ने मंदसौर में पुलिस की गोली से शहीद हुए किसानों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना भी व्यक्त की है.
एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकारें कारपोरेट घरानों के हित पूरे करने में इस कदर जुटी हैं कि आम जनता का देवाला ही निकल चुका है. किसान कर्ज में डूब चुके हैं, मजदूरों और दस्तकारों से रोजगार छिन चुके हैं, नौजवानों को रोजगार से वंचित कर दिया गया है. सभी पीड़ित तबके अपने हक़ माँगने के लिए सडकों पर उतर रहे हैं और भाजपा सरकारें उन पर दमन चक्र चला रही हैं. अपराधों की बाढ़ से आम लोग त्राहि त्राहि कर उठे हैं.
उत्तर प्रदेश सहित देश के उन सभी राज्यों में जहां भाजपा की सरकारें हैं वहां दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, किसानों, मजदूरों, युवाओं और छात्रों को सीधे निशाना बनाया जा रहा है. एक तरफ सरकार और प्रशासन लाठियां गोलियां बरसा रहे हैं वहीं दूसरी ओर हिन्दू युवा वाहिनी, बजरंगदल और आर.एस.एस. से जुड़े संगठन शारीरिक हमले बोल रहे हैं. भाजपा और संघ परिवार आक्रोश और विसंगति की हर आवाज को दबा रहे हैं. संविधान प्रदत्त बोलने की स्वंत्रता व विचारों की आजादी पर तीखे हमले किये जारहे हैं. यह लोकतंत्र के लिये घातक है. संघ परिवार के प्रभुत्ववाद पर लगाम लगाया जाना जरूरी होगया है. सभी लोकतांत्रिक ताकतों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिये.
भाकपा हर दबे कुचले के साथ खड़ी है. वह किसानों, कामगारों, युवा- छात्रों, दलितों अल्पसंख्यकों के हक़ की हर लड़ाई का साथ देगी. भाकपा ने जनता के हितों की लड़ाई में उसके साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने का निश्चय किया है और 12 जून को सभी वामपंथी दलों के साथ मिल कर समूचे उत्तर प्रदेश में दमन विरोधी दिवस मनाने का पहले ही निर्णय ले लिया है.

डा. गिरीश, राज्य सचिव


भाकपा, उत्तर प्रदेश 

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शुक्रवार, 2 जून 2017

Left in U.P. decided to Protest on !2th June on Law and Order

वामपंथी दलों ने सहारनपुर में प्रवेश पर रोक की निंदा की 5 जून को महामहिम राज्यपाल से मिलने का निश्चय 12 जून को जिला मुख्यालयों पर संयुक्त प्रदर्शनों का निर्णय लखनऊ- 2 जून 2017, प्रदेश के वामपंथी दलों ने राज्य सरकार और सहारनपुर जिला प्रशासन द्वारा जनपद सहारनपुर में विपक्षी दलों के प्रवेश पर लगायी पाबंदी पर घोर आपत्ति जताई है. इस तरह की कार्यवाहियों को घोर तानाशाहीपूर्ण और अलोकतांत्रिक बताते हुये इसे तत्काल बंद करने की मांग की है. सहारनपुर हिंसा और प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर वाम दलों ने महामहिम राज्यपाल जी से मिलने और ज्ञापन देने हेतु 5 जून का समय मांगा है और 12 जून को जिला मुख्यालयों संयुक्त प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है. यहाँ संपन्न वामपंथी दलों की बैठक में इस बात को लेकर गहरा आक्रोश था कि सहारनपुर में हुयी हिंसा का जायजा लेने को वहाँ आज पहुंचने वाली वामपंथी दलों के नेताओं की टीम के सहारनपुर प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गयी. इतना ही नहीं स्थानीय कार्यकर्ताओं को धमकाया गया कि न तो किसी को सहारनपुर में घुसने दिया जायेगा, न किसी से मिलने दिया जायेगा और न प्रेस वार्ता होने दी जायेगी. वामदलों ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है. बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि भाजपा के 75 दिन के शासन में उत्तर प्रदेश सुलग रहा है. दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और अन्य कमजोर वर्गों पर अत्याचार की सारी हदें पार होगयीं हैं. सांप्रदायिक, सामंती और सरकार संरक्षित तत्व दंगे- फसाद करा रहे हैं, महिलाओं के साथ बदसलूकी और उनकी हत्यायें हो रही हैं. व्यापारियों को लूटा जा रहा है, कत्ल, राहजनी और आगजनी की वारदतों ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं. सहारनपुर की आग अभी शांत नहीं हुयी थी कि जेवर में चार महिलाओं के साथ हथियारों की नोंक पर सामूहिक बलात्कार, उसी परिवार के एक व्यक्ति की हत्या और लूट ने हर नागरिक को अंदर तक हिला दिया है. दंगे और कमजोरों पर हमले भाजपा और उसके संगठनों की अगुवाई में होरहे हैं. यहाँ तक कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों तक पर हमले किये जारहे हैं और उन्हें दबाव में लेकर अपनी करतूतों पर पर्दा डालने और अन्य पर अनुचित कार्यवाही करने को मजबूर किया जारहा है. कानून के राज की जगह गुंडाराज ने ले ली है और कानून- व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है. बड़े पैमाने पर पुलिस- प्रशासन के अधिकारियों के तबादलों के बावजूद स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ा है. आये दिन मुख्यमंत्री जी द्वारा दी जारही चेतावनियों का कोई असर नहीं होरहा क्योंकि कानून की धज्जियां बिखेरने वाले अधिकांश तत्व भाजपा के हैं अथवा उन्हें भाजपा का सरंक्षण हासिल है. सरकार अपराधों पर रोक लगाने से ज्यादा अपने परंपरागत विभाजनकारी कदमों को आगे बढ़ाने और विपक्ष पर हमला बोलने में व्यस्त है. जनता की उसे कोई परवाह नहीं है. नोटबंदी, मीटबंदी, खननबंदी और भर्तियों और भर्ती परीक्षा के परिणामों पर रोक ने बेरोजगारी का बड़ा पहाड़ खड़ा कर दिया है. किसानों के कर्जमाफी की घोषणा के क्रियान्वित न होने के कारण किसानों की आत्म हत्यायों का सिलसिला थम के नहीं देरहा. आलू प्याज आदि जैसी चीजों के मूल्यों में गिरावट ने उन्हें तवाह करके रख दिया है. इधर भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा पशुओं की खरीद- फरोक्त पर रोक लगाने वाली अधिसूचना ने किसानों, मीट के छोटे कारोबारियों और गैर शाकाहारी लोगों पर बड़ा प्रहार किया है. केंद्र सरकार क्या खाया जाय, क्या पढा जाये और क्या खरीदा बेचा जाये जैसे तानाशाहीपूर्ण फैसले जनता पर थोप रही है और चुनावों में किये गये वायदों से दूर भाग रही है. तीन महीने भी अभी सरकार ने पूरे नहीं किये हैं और आम जनता में हा हाकार मचा हुआ है. अतएव वामपंथी दलों ने महामहिम राज्यपाल महोदय से मिल कर स्थिति से उन्हें अवगत कराने का निश्चय किया है. इसके अलावा सहारनपुर की घटनाओं की न्यायिक जांच कराने, दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं और अन्य कमजोर वर्गों पर अत्याचार रोके जाने, सांप्रदायिक जातिवादी और अपराधिक तत्वों को जेल के सींखचों के पीछे पहुंचाने, दंगाराज नहीं, कानून का राज स्थापित किये जाने, जनतांत्रिक कार्यवहियों को सीमित करने की कोशिशों को रोके जाने, किसानों को बदहाली से उबारे जाने तथा पशुओं की खरीद- फरोक्त संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना को रद्द किये जाने आदि सवालों पर 12 जून को जिला मुख्यालयों पर संयुक्त रुप से धरने अथवा प्रदर्शन किये जाने का निर्णय भी बैठक में लिया गया है. बैठक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी( मा.) के सचिव का. हीरा लाल यादव, सीपीआई- एमएल के राज्य सचिव का. सुधाकर यादव, फारबर्ड ब्लाक के राज्य सचिव एसएन सिन्ह चौहान तथा एसयूसीआई-सी के सचिव जगन्नाथ वर्मा व अन्य शामिल थे. डा. गिरीश
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