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शनिवार, 30 मई 2020
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ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की कार्यवाही राष्ट्रीय हितों के प्रतिकूल: विद्युत्कर्मियों के आंदोलन का समर्थन करेगी भाकपा
लखनऊ- 30 मई 2020, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने पावर सैक्टर के निजीकरण के लिये केन्द्र सरकार द्वारा
लाये गये विद्युत संशोधन अधिनियम 2020 के खिलाफ समस्त विद्युत कर्मियों और अभियन्ताओं
द्वारा संयुक्त रूप से 1 जून को देश भर में आयोजित विरोध प्रदर्शन/ काला दिवस को समर्थन
प्रदान किया गया है।
इस संबंध में जारी एक बयान में भाकपा ने कहा कि स्वतन्त्रता
प्राप्ति के बाद खाद्य समस्या से निजात दिलाने को क्रषी क्षेत्र के विकास और सिमटे
औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिये आधारभूत ढांचा मजबूत करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र
की नींव रखी गयी थी। ऊर्जा भी एक आधारभूत आवश्यकता
है अतएव देश की पहली संसद ने गहन विचार विमर्श के बाद देश को आत्मनिर्भर बनाने की द्रष्टि
इसे सार्वजनिक क्षेत्र में लाने का निर्णय लिया था। सभी जानते हैं कि ऊर्जा के सार्वजनिक
क्षेत्र में आने के बाद ही देश में ऊर्जा निर्माण और वितरण का ढांचा खड़ा किया गया जिससे
भारत क्रषी उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना और उसने औद्योगिक क्षेत्र में व्यापक प्रगति की।
मौजूदा सरकार आत्मनिर्भरता के जुमले के तहत ही ऊर्जा
का निजीकरण करने पर आमादा है और कोरोना काल में लाक डाउन की स्थितियों का लाभ उठाते
हुये यह विनाशकारी अधिनियम ले आयी है। इस बिल में देश के बाहर बिजली बेचने का प्राविधान
भी किया गया है ताकि प्रधान मंत्री के कारपोरेट दोस्त उनके निजी पावर हाउस द्वारा निर्मित
बिजली को पाकिस्तान को बेच सके। दिन भर पाकिस्तान विरोध के नाम पर राजनीतिक रोटियाँ
सैंकने वाली भाजपा सरकार को अपने चहेते पूंजीपति के आर्थिक लाभ के लिये पाकिस्तान को
बिजली बेचने से कोई गुरेज नहीं।
भाकपा ने आरोप लगाया कि इस बिल में सब्सिडी एवं क्रास
सब्सिडी खत्म करने, डिस्काम ( वितरण ) को कारपोरेट जगत
के हाथों सौंपने और टैरिफ की नयी व्यवस्था लादने के जनविरोधी प्राविधान किये गए हैं।
इससे आम उपभोक्ताओं खासकर किसानों पर भारी बोझ डाला जायेगा। इसकी शुरूआत बिजली दरों
में बढ़ोत्तरी के साथ पहले ही हो चुकी है। इस बिल के लागू होने के बाद किसानों और आम
उपभोक्ताओं को 10 रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली मिलेगी।
भाकपा ने आरोप लगाया कि निजीकरण के अपने कदम को जायज
ठहराने को भाजपा सरकार बिजली को घाटे में होने और विद्युत चोरी जैसे बहाने बना रही
है। जबकि यह घाटा सरकार की कारपोरेटपरस्त नीतियों की देन है। सच तो यह है कि उत्तर
प्रदेश के सार्वजनिक क्षेत्र- यूपीपीसील द्वारा
केन्द्रीय पूल के औसत से कम कीमत पर बिजली तैयार की जाती है। जबकि कारपोरेट घराने अत्यधिक
महंगी दरों पर बिजली बना कर केन्द्रीय पूल को देते हैं।
भाकपा ने कहा कि हम विद्युत कर्मियों के आंदोलन को द्रढता
के साथ समर्थन इसलिये दे रहे हैं कि वह किसानों, आम नागरिकों
यहाँ तक कि उद्योग जगत के हितों में है। उद्योग चलेंगे तो रोजगार भी मिलेंगे। लाक डाउन
के बाद भयावह हुयी बेरोजगारी की समस्या को देखते हुये ये अति आवश्यक है। जबकि ऊर्जा
क्षेत्र का निजीकरण और उसको कार्पोरेट्स को सौंपने की मोदी सरकार की कार्यवाही राष्ट्रीय
हितों के प्रतिकूल है।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने सभी किसान संगठनों, मजदूर संगठनों उद्योग व्यापार से जुड़े संगठनों और आम जनता से अपील की कि वे
अपने हितों की रक्षा के लिये विद्युतकर्मियों के प्रतिरोध का समर्थन करें और लाक डाउन
की आड़ में देश की सार्वजनिक संपत्तियों को अपने पूंजीपति समर्थकों को बेचने की केन्द्र
सरकार की साजिश के खिलाफ आवाज बुलंद करें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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