भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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Communist Party of India, U.P. State Council

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बुधवार, 29 दिसंबर 2021

नीट काउंसिलिंग

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मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

विधानसभा चुनाव फौरन घोषित हों

#लखनऊ पहुंची निर्वाचन आयोग की टीम से से भाकपा ने की मांग 
#शासक दल द्वारा चुनावी उद्देश्य से सरकारी मशीनरी और धन का दुरुपयोग रोकें
#चुनाव प्रक्रिया तत्काल शुरू करने और आदर्श आचार संहिता फौरन लागू करने की मांग की।
लखनऊ- 28 दिसंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश की राज्य काउंसिल की ओर से आज पार्टी के कोषाध्यक्ष एवं राज्य कार्यकारिणी के सदस्य कामरेड प्रदीप तिवारी ने आज मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुशील चन्द्रा के नेत्रत्व लखनऊ पहुंचे भारत निर्वाचन आयुक्तों से भेंट की और उन्हें 2022 में होने जारहे विधान सभा चुनावों के संबंध में पार्टी का प्रतिवेदन सौंपा और चर्चा में भाग लिया।
भाकपा प्रतिवेदन में मजबूती से कहा गया है की शासक दल द्वारा चुनाव अभियान के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को रोके जाने के लिए तत्काल विधान सभा चुनावों की घोषणा की जाये और आदर्श आचार संहिता अविलंब लागू की जाये। 
भाकपा के प्रतिवेदन में कहा गया है कि देश के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की विधानसभा के चुनाव सन- 2022 के प्रारंभ में अपेक्षित हैं। ये चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत हों, निर्वाचन आयोग से ऐसी अपेक्षा है।
चुनावों में शासक दल लाभ उठाने की कोशिश करते रहे हैं, यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है। लेकिन वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी केन्द्र और उत्तर प्रदेश दोनों ही जगह सत्ता में है, अतएव वह चुनावों में अधिकाधिक लाभ उठाने की स्थिति में है।
प्रतिवेदन में आरोप लगाया गया है कि भाजपा ने नैतिकता की सारी सीमाएं लांघते हुये पिछले कई माह से शासन तंत्र और राजकीय कोश का उपयोग चुनावी तैयारियों के लिए शुरू कर दिया है। वास्तविक और कल्पित योजनाओं के शिलान्यास, उद्घाटन और लोकार्पण के नाम पर बड़े बड़े और बेहद ख़र्चीले सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए जारहे हैं जिनमें स्वयं प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रीगण चुनावी भाषण कर रहे हैं।
इन्हीं महानुभावों द्वारा संविधान, कानून और मर्यादाओं को ताक पर रख कर धार्मिक स्थलों और आयोजनों को सांप्रदायिक विभाजन और वोट की राजनीति के लिये प्रयोग किया जारहा है। वोटर्लिस्ट्स से विपक्ष समर्थक मतदाताओं के नामों को गायब करने की कोशिशों की खबरें भी लगातार मिल रही हैं।
कोविड प्रोटोकाल का उल्लंघन कर शासकदल और सरकारी कार्यक्रम धड़ल्ले से जारी हैं, जबकि विपक्ष के कार्यक्रमों पर अनावश्यक पाबन्दियाँ थोपी जारही हैं। विपक्ष को नैतिक रूप से कमजोर करने को आयकर विभाग, सीबीआई तथा ईडी जैसी संस्थाओं का राजनैतिक दुरुपयोग किया जारहा है। विपक्ष समर्थक तमाम लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाया जारहा है।
केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग कर प्रचार माध्यमों को जो विज्ञापन दिये जा रहे हैं उनकी विषय वस्तु आपत्तिजनक है। ये विज्ञापन भाजपा के प्रचार- प्रसार और विपक्ष को कमजोर करने के उद्देश्य से जारी किए जारहे हैं। अधिकतर प्रचार माध्यम भाजपा का भौंपू बन चुके हैं। चुनाव को निकट आते देख सरकारी धन से तमाम खैरातें बांट कर मतदाताओं को प्रभावित किया जारहा है। 
आशंका व्यक्त की जारही है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान भी भाजपा शासकीय मशीनरी और सरकारी राजस्व का दुरुपयोग करेगी। भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और सत्ताबल से अर्जित धन के बल पर तमाम असामाजिक तत्वों को स्तेमाल कर चुनावों में धांधली करायेगी। ईवीएम मशीनों के दुरुपयोग की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जासकता।
इन तमाम हथकंडों के बावजूद सरकारों की जनविरोधी नीतियों के कारण भाजपा को हार का भय सता रहा है। अतएव वह चुनावों को आगे बड़ाना चाहती है। इसके लिये वह कोविड के फैलाव का बहाना बना सकती है।
प्रतिवेदन में चुनाव की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने और आदर्श आचार संहिता को फौरन लागू करने की मांग की गयी है ताकि भाजपा द्वारा सरकारी तंत्र के दुरुपयोग पर कानूनी लगाम कसी जासके।  
भाकपा ने मांग की कि राजनैतिक उद्देश्य के लिये भाजपा सरकार द्वारा सरकारी मशीनरी, सरकारी धन और घोषणाओं के दुरुपयोग पर कारगर रोक लगायी जाये। प्रचार माध्यमों को जनता के धन से विज्ञापन देकर अपने निजी राजनैतिक उद्देश्यों को पूरा करने की कारगुजारियों को तत्काल रोका जाये। 
साथ ही सांप्रदायिक विषवमन, जातीय विद्वेष और धर्म के राजनीतिक उद्देश्य हेतु प्रयोग पर कड़ी कार्यवाही की जाये। मतदाता सूचियों में किसी तरह की गड़बड़ी न हो और सभी को मतदान का अवसर मिले, इस बात की गारंटी की जाये। विपक्ष को डराने के उद्देश्य से चुनाव से पूर्व सक्रिय की गयीं ईडी, सीबीआई एवं आईटी जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग रोका जाये। 
भाकपा ने मांग की कि चुनाव निर्धारित समय पर ही कराये जायें और अपरिहार्य कोविड प्रोटोकाल का पालन समान रूप से कराया जाये। चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों, इसकी गारंटी की जाये। स्वास्थ्यकर्मी, बैंक कर्मी एवं आम लोगों के बीच हमेशा रहने वाले कर्मियों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखा जाये।
जारी द्वारा- 
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश
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गरीबों और अमीरों के बीच खाई और चौड़ी हुयी 2021 में

2021 में गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर हुये हैं। 

'सबका साथ और सबका विकास' का आलाप 'गरीबों का वोट और अमीरों को नोट' में बदला। 

इसी तथ्य पर पर्दा डालने को भाजपा कर रही है तमाम तिकड़में। 

हां ये विकास  ही है जिसकी रट मोदी शाह योगी और समूचा संघ परिवार दिन रात लगाये रहता है। विकास के इस विकास के तहत पूंजीपति वर्ग और कार्पोरेट घराने मालामाल हुये हैं और गरीब और अधिक गरीबी की ओर धकेले जा चुके हैं।
जिस कोरोना को अर्थव्यवस्था की बरवादी का कारण बताया जाता रहा है उस काल में भी पूंजीवाद ने आपदा में अवसर तलाश लिये। गत एक वर्ष में बाजार नयी ऊंचाइयों को छूते हुए 52 फीसदी तक बढ़ा।
देश में अरबपतियों की संख्या बढ़ कर 126 पहुंच गई। एक अरब डालर ( करीब 75,000 करोड़ रुपये ) की हैसियत वाले प्रवर्तकों और कारोबारियों की संख्या वर्ष 2020 में 85 थी, जो 2021में रिकार्ड तोड़ कर 126 पर पहुंच गई है। इनकी कुल संपत्ति 728 अरब डालर ( करीब 54.6 लाख करोड़ रुपये ) है, जो दिसंबर 2020 में 494 अरब डालर ( करीब 37 लाख करोड़ रुपये) थी। इन अरबपतियों की सूची में इत्र कारोबारी पीयूष जैन जैसे अरबपति शामिल नहीं हैं, जिनकी काली संपत्ति इस गणना की परिधि से बाहर है।
उधर इस तस्वीर का दूसरा पहलू भी सामने आरहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इसी अवधि के दरम्यान देश में आर्थिक असमानता भी बढ़ गई है। यानी गरीब और गरीब होगये हैं। वहीं, अमीरों की संपत्ति में बढ़ोत्तरी दर्ज हुयी है।
वैश्विक असमानता रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गरीब और अमीर में असमानता का स्तर पांच गुना तक बढ़ा है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में  शीर्ष10 फीसदी आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी हिस्सा है। इन 10 फीसदी में से 1 प्रतिशत के पास 22 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं निचली 50 फीसदी (आधी) आबादी के पास केवल 13 प्रतिशत हिस्सा है।
जी हां! अमीरों के और अमीर होने और गरीबों के और भी गरीब होने के ये आंकड़े 2021 के हैं, जिसके लिए भाजपा के झुठैत न नेहरू को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं न इंदिरा गांधी को। 'सबका साथ, सबका विकास' का भाजपा का आलाप 'गरीबों का वोट और अमीरों को नोट' में बदल चुका है।
इसी पर पर्दा डालने को खैरातें बांटी जारही हैं, धर्म की आड़ ली जारही है तथा सांप्रदायिक विभाजन और जातीय समीकरण बैठाने की तमाम तिकड़में की जारही हैं।
डा. गिरीश।
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शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

प्रकाशनार्थ

अयोध्या में राम नाम पर मची है लूट
भाकपा ने सर्वोच्च न्यायालय की देख रेख में जांच की मांग उठाई

लखनऊ-24 दिसंबर, 2021- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार पर जीरो टौलरेंस की बात करने वाली भाजपा सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है और उसके भ्रष्टाचार के आगोश में राम मन्दिर परिसर तक आगया है। सच तो यह है कि अयोध्या में राम के नाम पर लूट मची है और गरीबों को उजाड़ कर संघी और उनके पोषित लोग ज़मीनें हड़प रहे हैं। भाजपा ने आस्था का कार्पोरेटीकरण और चुनावीकरण कर दिया है। भाजपा के मन्दिर निर्माण के केन्द्र में श्री राम के संघर्षों के साथियों के वंशज दलित पिछड़े आदिवासी नहीं हैं अपितु अधिकारी व्यापारी माफिया और कारपोरेट घराने हैं।
भाकपा ने अयोध्या में राम नाम पर चल रही लूट की सर्वोच्च न्यायालय की देख रेख में जांच करने की मांग की है। वो इसलिए भी कि मन्दिर निर्माण ट्रस्ट का गठन सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के आधार पर हुआ है। 
ज्ञात हो कि उत्तरप्रदेश के चुनावों में भाजपा अयोध्या के विकास और वहां बन रहे राम मंदिर को प्रमुख मुद्दा बना रही थी, लेकिन वह अब मंदिर के नाम पर ज़मीन घोटाले के आरोपों  में बुरी तरह फंस गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जब रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में फ़ैसला दिया और मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ तो वहां विधायकों, मेयर, आयुक्त, एसडीएम और डीआईजी के रिश्तेदारों ने अयोध्या में तमाम ज़मीनें खरीद डाली हैं। खबर है कि ये ज़मीनें महंगे दामों में खरीदी गई हैं। 
महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने 1990 के दशक की शुरुआत में, राम मंदिर स्थल से 5 किलोमीटर से भी कम दूरी पर बरहटा मांझा गांव और अयोध्या में आसपास के कुछ अन्य गांवों में बड़े पैमाने पर ज़मीन का अधिग्रहण किया था। इस ज़मीन में से लगभग 21 बीघा जमीन दलितों से नियमों का उल्लंघन करते हुए ख़रीदी गई थी। इस ख़बर के सामने आने के बाद योगी सरकार ने अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में जांच बैठाई है। विशेष सचिव राजस्व ज़मीन खरीद मामले को लेकर जांच करेंगे और शासन को एक हफ्ते में रिपोर्ट सौंप देंगे।
भाकपा सहित विपक्षी दलों द्वारा उठाई गयी सशक्त आवाज के बाद सरकार ने लीपापोती के उद्देश्य से शासकीय जांच बैठायी है। यह सरकार की स्वीकारोक्ति है कि भ्रष्टाचार हुआ है। 
भाकपा मांग करती है कि अपने भाषणों में मन्दिर मन्दिर रटने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘चंदे की लूट’ और ‘ज़मीन की लूट’ पर जवाब देना चाहिए और पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय और विश्वसनीय जांच करानी चाहिए। 
भाकपा ने आरोप लगाया कि पहले राम मंदिर के चंदे में घोटाला किया गया और अब दलितों की जमीन को हड़पा जा रहा है। इसकी जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में की जानी चाहिए, क्योंकि राम मंदिर को बनवाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि राम के नाम पर लूट का यह खेल अयोध्या तक ही सीमित नहीं है, इसका दायरा काशी तक फैल चुका है और इसे मथुरा तक बढ़ाने की कुचेष्टा की जा रही है। भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने गत दिनों बयान दिया है कि मथुरा श्री कृष्ण की जन्मभूमि है और अब वहां उनका भव्य मंदिर बनना चाहिए। उनके पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी कृष्ण मंदिर की वकालत कर चुके हैं और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी बार-बार मथुरा के चक्कर काट रहे हैं। आए दिन संघ गिरोह का कोई न कोई संगठन मथुरा प्रकरण पर भड़काऊ बयानबाजी करता रहता है। 
इधर काशी में पिछले दिनों जिस काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया गया उस पर और उसके लक़दक़ उदघाटन पर जनता के धन के सैकड़ों करोड़ रुपये बहाये जा चुके हैं। अब इस भव्यता की कीमत भी श्रद्धालु जनता को ही चुकानी है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए पहले मामूली रकम लगती थी, लेकिन अब इसकी भी बाकायदा रेट- लिस्ट जारी कर दी गई है। इसका भुगतान कम से कम ग़रीब के लिए संभव नहीं है।
लोगों का अनुमान है कि जब अयोध्या में राम मंदिर बन कर तैयार हो जाएगा,  तब वहां भी यही कहानी दोहराई जाएगी। रामलला तक पहुंचने के मौके और अधिकार अमीरों को ही मिलेंगे, क्योंकि गरीब आदमी के लिए जेब ढीली कर उनका दर्शन कर पाना कठिन हो जायेगा। अब वो दिन चले गए जब जब लोग तीर्थस्थलों पर श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाएं बनाया करते थे। अब धर्म के नाम पर व्यापार इस कदर बढ़ गया है कि अब आस्था दर्शन पूजा दीन- दुखियों की जगह केवल अमीरों की पहुंच में हो गई है। 
मंदिरों में दर्शन, पूजा और प्रसाद के नाम पर व्यापार तो शुरु हो ही गया है, मंदिरों के नाम पर बने न्यासों में जो लाखों-करोड़ों की कमाई होती है, उस पर भी व्यापारियों की नज़र टिकी रहती है। कई मंदिर ट्रस्ट अपने खर्च पर गरीबों की पढ़ाई, इलाज जैसे काम करते हैं। मगर जिस तरह धर्म को धंधा बना लिया गया है, उसमें परोपकार के ये काम कितने देर तक चलेंगे, कहना कठिन है।
अयोध्या में जिस तरह ज़मीनों की ख़रीद-फ़रोख़्त में गड़बड़ी उजागर हुई है,  उससे सिध्द होगया है कि भाजपा राम के नाम पर लूट मचाये हुये है। राफेल लड़ाकू विमान खरीद से लेकर अयोध्या काशी तक भ्रष्टाचार का यह मायाजाल पसरा पड़ा है। इस पर तभी लगाम लगेगी जब उच्चस्तरीय जांच के बाद दोषी जेल के सींखचों के पीछे होंगे। भाजपा सरकार से ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह अपने पिटारे में बैठे भ्रष्टाचारियों पर बुलडोजर चलाएगी। 
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश  

 
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बुधवार, 22 दिसंबर 2021

प्रकाशनार्थ


कोरोना की संभावित लहर को देखते हुये समुचित सुरक्षात्मक कदम उठाये सरकार: भाकपा
लखनऊ- 22 दिसंबर, 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश ने एक बयान जारी कर कहा कि कोरोना के पुनः प्रसार का खतरा बड़ता जा रहा है और सरकार जनता के प्रति दायित्वों को छोड़ सिर्फ चुनावी कामों में मशगूल है।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि केन्द्र और राज्य सरकार की लापरवाही से दूसरी लहर के समय अस्पतालों में पलंग, आक्सीजन और डाक्टरों के अभाव में तमाम नागरिकों को जीवन से हाथ धोना पड़ा था। सरकारी अस्पताल तो मानो मौत के अड्डे बन गए थे। लेकिन सरकार बड़ी बेशर्मी से कहती है कि आक्सीजन और इलाज के अभाव में कोई भी दिवंगत नहीं हुआ। 
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि महामारी से हुयी भीषण जनहानि के बावजूद सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में कोई सुधार नहीं किया। यही वजह कि गत माहों में डेंगू आदि बुखारों से भी भारी मौतें हुयी हैं। सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों, नर्सों और अन्य स्टाफ की तमाम जगहें खाली पड़ी हैं। दवाओं, पलंगों और उपकरणों का भी भारी अभाव है। 
अब जब कोरोना पैर पसारने लगा है और खतरनाक ओमीक्रान वैरियंट से प्रभावितों की संख्या भी बड़ती जा रही है, सरकार नयी व्यवस्थायें करने के बजाय उपलब्ध पलंगों को ही रिजर्व करने की बात कर रही है।
सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और महंगाई हटाने जैसे मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय विभाजन और वोट की राजनीति में जुटी है। अतएव नागरिकों में असुरक्षा की भावना बड़ती जा रही है। भाकपा मांग करती है कि अस्पतालों में डाक्टरों और स्टाफ की भर्ती की जाये, दवाएं उपकरण उपलब्ध कराये जायें। सचल इलाज समूह जो घरों पर चिकित्सा और देखभाल करें उपलब्ध कराई जायें। वैक्सीनेशन की रफ्तार बड़ाई जाये तथा अन्य सुरक्षात्मक उपाय किए जायें। 
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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रविवार, 28 नवंबर 2021

TET पेपर लीक के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार: भाकपा

प्रकाशनार्थ-
लखनऊ- 28 नवंबर, 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने TET परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने पर गहरा आक्रोश जताया है। पार्टी ने इसे छात्रों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए, इसके लिए सीधे मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया है।
भाकपा ने कहा कि पेपर लीक होने और लाखों अभ्यर्थियों को हैरान परेशान करने वाले इस कांड के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की चेतावनी देने वाले बड़बोले मुख्यमंत्री और उनकी सरकार वोटों के जुगाड़ में इतनी मशरूफ है कि प्रदेश में एक से एक बड़े कांड होरहे हैं। 
प्रयागराज सामूहिक हत्याकांड की स्याही सूखी भी न थी कि अब इतना बड़ा कांड होगया। जनता परेशान है और मुख्यमंत्री चेतावनियों तक सीमित होकर रह गए हैं।
भाकपा ने मांग की कि दोषियों और उनके संरक्षक माफियाओं को कड़ी सजा दी जाये और सभी अभ्यर्थियों को रुपये 50 हजार प्रति व्यक्ति कम्पेनशेसन के तौर पर दिये जायें।
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश।
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शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

प्रकाशनार्थ


कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय चुनावों में हार के भय से लिया गया

यह किसान आंदोलन की जीत और सरकार के दंभ की पराजय है: भाकपा

लखनऊ- 19 नवंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने प्रधानमंत्री द्वारा तीन क्रषी क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा को किसान आंदोलन की बड़ी जीत और अहंकारी, तानाशाह एवं कार्पोरेटपरस्त मोदी सरकार की बड़ी हानि बताया है।
एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि अभी आंदोलन के कई मुद्दे हैं जिन पर सरकार को ठोस कदम उठाने हैं। तीनों क़ानूनों को संसद में रद्द करने के अलावा किसानों की उपजों की सही कीमत और सम्पूर्ण खरीद संबंधी एमएसपी कानून बनाना शेष है। साथ ही बिजली बिल 2020 को रद्द करने और लखीमपुर किसान- पत्रकार हत्याकांड के प्रायोजक केन्द्रीय ग्रहमंत्री को हटाने, 700 से अधिक किसानों की शहादत को सम्मान और उनके परिजनों को पर्याप्त मुआबजे का प्रश्न भी लंबित है। श्रमिकों के अधिकारों वेतनों और अन्य देयों में कटौती रद्द कराने, बेरोजगारों को रोजगार, पुरानी पेंशन बहाली, महंगाई को नीचे लाने और लोकतान्त्रिक क्रियाओं पर दमन जैसे मुद्दे भी लंबित पड़े हैं।
भाकपा ने कहाकि केन्द्र सरकार का यह निर्णय 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की करारी हार के भय से बेहद देर से उठाया गया कदम है। प्रधानमंत्री आज भले ही सदाशयता का नाटक कर रहे हैं लेकिन सभी जानते हैं उन्होने, उनकी सरकार और पार्टी भाजपा ने लोकतान्त्रिक आंदोलनों को कुचलने को कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। 
दिल्ली आरहे किसानों की राह में अवरोध खड़े किये, आंदोलन स्थल पर बाड़ें लगवाईं, कीलें ठोकीं, आँसू गैस, पानी और रबर बुलेट से प्रहार किये, उन्हें खालिस्तानी बताया, आन्दोलनजीवी बता कर उनका मज़ाक उड़ाया, उन पर लखीमपुर में बुलडोजर चढ़वा कर हत्यायेँ कीं और प्रधानमंत्री ने आज तक उनकी शहादत पर दो शब्द तक नहीं बोले। सीएए, एनआरसी विरोधी आंदोलनों पर दमनचक्र और जगह जगह पर विपक्ष के आंदोलनकारियों को देशद्रोह जैसे आरोपों में गिरफ्तार कराया। 
किसान आंदोलन ने लोकतांत्रिक आंदोलनों के लिये रास्ता हमवार किया है और लोकतन्त्र की रक्षा की है। इस महान आंदोलन को वोटों के लिये किसी के भी द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। भाकपा शुरू से ही चट्टान की तरह आंदोलन के साथ खड़ी है और आगे भी खड़ी रहेगी। आगामी आंदोलन के संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा के फैसले का इंतिज़ार रहेगा। 
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा , उत्तर प्रदेश
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बुधवार, 17 नवंबर 2021

प्रकाशनार्थ

प्रकाशनार्थ-

कानपुर में पुलिस प्रताड़ना से एक युवक की मौत की भाकपा ने कड़े शब्दों में निन्दा की

लखनऊ- 17 नवंबर, 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने यहां बयान जारी कर यह आरोप दोहराया है कि प्रधानमंत्री अथवा मुख्यमंत्री  कितना भी गला फाड़ कर चीखें, उत्तर प्रदेश में पुलिसराज कायम है और हर दिन पुलिस किसी न किसी की हत्या कर रही है। यह मुख्यमंत्री के उन शर्मनाक बयानों का दुष्परिणाम है कि पुलिस को ठोकने के आदेश हैं।
 गोरखपुर में  व्यापारी, आगरा में वाल्मीक युवक और कासगंज में अल्पसंख्यक युवक की हत्या के बाद अब ठोकोराज की पुलिस ने कानपुर में एक युवक को कस्टडी में इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई और एक परिवार फिर उजड़ गया।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने घटना की तीव्रतम निन्दा की है, और इसके लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया है। भाकपा ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने, पीड़ित परिवार को 50 लाख सहायता और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की मांग की है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के दलों पर तंज कसा है कि वे जनता की रक्षा में आवाज उठाने के बजाय चुनावी मंच सजाने में जुटे हैं। भाकपा आमजनों की आवाज लगातार उठा रही है, और उठाती रहेगी।
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश।
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सोमवार, 15 नवंबर 2021

उत्तर प्रदेश में जंगलराज



उत्तर प्रदेश में हर दिन हो रहे हैं बलात्कार और पीडिताओं की हत्याएं

कानून व्यवस्था की पंगुता पर झूठ पर झूठ बोलना बन्द करे भाजपा नेत्रत्व

पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने को हर संभव कदम उठायेगी भाकपा- राज्य सचिव ने दी चेतावनी

लखनऊ- 15 नवंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने भाजपा और उसके शीर्षस्थ नेत्रत्व पर आरोप लगाया है कि वे उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त बता कर भुक्त भोगी उत्तर प्रदेश की जनता के घावों पर नमक छिड़क रहे हैं। भाजपा नेत्रत्व के निर्लज्ज और झूठे दावों के विपरीत सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज कायम है। जिन बालिकाओं और महिलाओं के निर्भयतापूर्वक स्कूल जाने के दाबे मुख्यमंत्री अपने बयानों और सरकारी धन से दिये जा रहे विज्ञापनों में कर रहे हैं वे दाबे न केवल खोखले हैं बल्कि कड़वे सच पर पर्दा डालने वाले हैं।
एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि गत दिन जब केन्द्रीय गृह मंत्री उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री की तारीफ़ों के पुल बांध रहे थे और बड़बोले मुख्यमंत्री अपराधियों को भयाक्रांत करने के अपने खोखले दावों पर अपनी पीठ खुद थपथपा रहे थे, उस वक्त भी उत्तर प्रदेश में कई होनहार छात्राओं महिलाओं से दरिंदगी तथा उनमें से एक की हत्या करने की दिल दहलाने वाली घटनायें घट रहीं थीं।
गत शनिवार को ही जनपद- पीलीभीत के थाना- बरखेड़ा के एक गाँव की कक्षा 12वीं की 16 वर्षीय छात्रा अपनी माँ को सुबह साढ़े नौ बजे तक लौटने की कह कर कोचिंग सेंटर के लिए निकली थी। दरिंदों ने दिन दहाड़े उससे गन्ने के खेत में बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी। परिवार को सोलह घंटे बाद उसका लहूलुहान शव नग्नावस्था में मिला। होनहार इस छात्रा ने हाई स्कूल की परीक्षा A ग्रेड में पास की थी और वह डाक्टर बन समाज सेवा करना चाहती थी। डा॰ गिरीश ने दिन रात झूठ की फसल उगाने वाले मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि क्या वे इस छात्रा के सपने लौटा देंगे? क्या उस परिवार को उनकी होनहार बेटी लौटा देंगे?
इसी दिन हुयी एक अन्य घटना भी भगवाइयों के रामराज्य के प्रपोगंडा की कलई खोल कर रख देती है। दिन दहाड़े ही लखीमपुर जनपद के खीरी थानान्तर्गत एक गाँव की एक 16 वर्षीय छात्रा स्कूल से घर लौट रही थी, कि गाँव के बाहर छात्रा को अकेला देख दो लोग उसे खेत में खींच ले गये और छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया। किसी तरह दरिंदों के चंगुल से छूट छात्रा घर पहुंची और आपबीती से परिजनों को अवगत कराया।
बरेली जनपद के मोरादाबाद क्षेत्र की घटना मुख्यमंत्री के इस दाबे को तार तार कर देती है कि उत्तर प्रदेश के अंदर अपराधी थर थर काँप रहे हैं। क्षेत्र की एक पीड़ित महिला द्वारा कल किये खुलासे के अनुसार 8 व्यक्तियों ने उसके साथ जबरन बलात्कार किया और वीडियो बना लिया। महिला को मुंह बन्द रखने की धमकी दी और मजबूरन वह खामोश रही। पर भयमुक्त दरिंदों ने उसको आन लाइन वीडियो भेज सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी तो महिला को मुंह खोलना पड़ा, और उसने एफ़आईआर दर्ज कराई।
योगीराज में दरिन्दे विकलांग बच्चियों पर भी रहम करने को तैयार नहीं हैं। यहाँ नाबालिगों काम पिपासा भी काबू से बाहर जा रही है। बदायूं जनपद के दातागंज क्षेत्र में 11 और 14 वर्ष के दो नाबालिग लड़के विकलांग 14 वर्षीय बच्ची को उस समय घर से उठा कर गन्ने के खेत में लेगये जब वह घर में अकेली थी। दोनों ने बारी बारी से उसके साथ बलात्कार किया। बालिका दायें पैर से अपंग थी और चल भी नहीं सकती थी।
उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं के साथ ऐसे जघन्य क्रत्य हर दिन हो रहे हैं और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंती आदि सभी उत्तर प्रदेश के हालातों पर झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं।
भाकपा ने सभी अपराधियों को जेल के सींखचों के पीछे पहुंचाने, उन्हें कड़ी सजा दिये जाने, पीड़ित्त परिवारों को समुचित मुआबजा दिये जाने और संबंधित थानों के पुलिसकर्मियों के विरूध्द कड़ी से कड़ी सजा दिये जाने की मांग की है। भाकपा ने कहा कि नैतिकता का तकाजा तो यह है कि मुख्यमंत्री जनता के समक्ष अपनी असमर्थता स्वीकार करें और इन बालिकाओं के अभिभावकों के पास पहुँच उनसे माफी मांगें ताकि उनके जख्मों पर मरहम लग सके। 
भाकपा ने घटना वाले जिलों की अपनी इकाइयों को निर्देश दिया है कि वे पीड़ित परिवारों से मिलें, उन्हें ढाढ़स बंधाएं और उन्हें न्याय दिलाने को हर संभव कदम उठायेँ। 
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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शुक्रवार, 5 नवंबर 2021

हिंदुत्व का प्रदूषण

दीपोत्सव अपना रौद्र रूप दिखा कर गुजर गया। अढ़ाई सौ रुपये लीटर तेल, दीपक तो नाममात्र को ही जले। शत्रु देश चीन की लड़ियां फुलझड़ियां ही हावी दिखीं। गरीब घरों के बच्चे अमीरों की आबादी में एक मोमबत्ती, एक अदद पटाखे अथवा कोई खाली दीपक ही मिल जाये, ललचाते घूमते दिखे। मिठाई तो दूर कई घरों में सामान्य पकवान तक नहीं बने।
वहीं अमीरों और अमीर होने का दम्भ पाले मध्यमवर्ग का उल्लास पागलपन की हद तक था। पकवान मिठाइयां उन्हें मुबारक। मेरा एतराज पागलपन की सारी हदें पार चुके पटाखेबाजी से है। सर्वोच्च न्यायालय ने जहरीले पटाखे न चलाने की सीख क्या देदी, संघ परिवार और उसका समूचा प्रचारतंत्र चिंघाड़ उठा।  "ये सारी पाबन्दियों हिंदुओं पर ही क्यों?" जैसे सवालों की झड़ी लग गयी। संदेश ये था कि खूब फोड़ो पटाखे। 
हिंदुत्व के इस उन्माद ने तर्क और हानि जैसे प्रश्नों को पीछे धकेल दिया। जिन पटाखों की खोज चीन ने की, आज भी अधिकतर बारूद चीन से ही आरही है, पर रामराज्य में चीन विरोधी राष्ट्रवाद घल्लूघारा होगया। जो बुज़ुर्गवान शुध्द हवा की तलाश में सुबह सुबह पार्कों बगीचों का रुख करते हैं नाती पोतों के साथ पाकिस्तान और मुसलमानों को संदेश देने में जुटे थे। हिंदू नामधारी तमाम निरीह प्राणियों के फेफड़ों में धुआं उंडेल रहे थे। मासूम सा तर्क था पाकिस्तान और मुसलमानों को सन्देश देना है तो इत्ती कुर्बानी तो करनी होगी।
मुझे याद है कि 2014 से पहले टीवी चैनलों पर दीवाली के हफ्ते भर पहले से सैलिब्रिटीज की अपीलें आने लगतीं थीं कि पटाखे नहीं चलाने। पक्ष विपक्ष के नेतागण भी स्वास्थ्य पर्यावरण की रक्षा के लिए सावधान करते नजर आते। पर अब बात अलग है। 24 कैरट का रामराज है। धुआं भी झेलना है और असह्य कानफोड़ू शोर भी।
सारी शासकीय मशीनरी ने कानों में तेल डाल लिया था। कानून और उसके रक्षक कुंभकर्णी निद्रा में सोये थे। रात डेढ़ दो बजे तक चले इस महाताण्डव की कोई शिकायत तक सुनने को तैयार न था। वाट्सएप मेसेज अभी तक टच नहीं किये गए। राजसत्ता के इशारों को हमारी ब्यूरोक्रेसी से अधिक भगवान? भी नहीं समझते। 
सो बुजुर्गों ने, बीमारों ने, नवजातों ने रात भर धुआं झेला और नीन्द खराब की। सुबह उठे तो आसमान में उषा की लालिमा की जगह धुएं की कालिमा छायी हुयी थीं। जो आज दोपहर तक राहु की तरह रोशनी को निगले हुये है।
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गुरुवार, 4 नवंबर 2021

प्रकाशनार्थ



पेट्रोल डीजल की कीमतों में मामूली कमी पर भाकपा की प्रतिक्रिया-

"तोहफा नहीं ये धोखा है," 2020 - 21 में की गयी सारी बढ़ोत्तरियों को वापस ले सरकार।

 लखनऊ- 4 नवंबर 2021, केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल की कीमतों में की गयी मामूली कमी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि ये कमी तोहफा नहीं धोखा है, और सरकार को इन जिंसों पर 2020 से लेकर अब तक की गयी सारी बढ़ोत्तरी को वापस लेना चाहिए। साथ ही इन लगभग दो वर्षों में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों को बढ़ा कर जनता की जेब से निकाले गये धन को ब्याज सहित लौटाना चाहिये।
भाकपा ने सवाल किया कि यदि सरकार  जनता को दीवाली का तोहफा ही देना चाहती थी तो उसे कम से कम एक हफ्ते पहले देना चाहिए था, जैसे कि सरकारी कर्मियों को महंगाई भत्ता दिया गया है। औसतन आदमी जब त्यौहार से संबंधित 90 प्रतिशत खरीददारी कर चुका है तब यह कथित तोहफा बेमानी है।
सच तो यह है कि उपचुनावों में भाजपा की हुयी करारी हार, विपक्ष खासकर वामपंथ के    महंगाई विरोधी अभियानों, ट्रांसपोर्टर्स, वाहन उद्योग और बाजार के दबावों, जनता की भारी नाराजगी तथा उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनावों में हार के भय से भाजपा सरकार ने ये दिखावा किया है। पर जनता सब समझती है और वह लुटेरों को समझाना भी जानती है।
भाकपा ने गत वर्षों में की गयी समूची बढ़ोत्तरियों को वापस लेने और एरियर्स के भुगतान की मांग के साथ साथ टोल टैक्स बसूली और वाहनों पर लगायी जारही तमाम पैनल्टीज पर भी सवाल उठाया है। इन दोनों ने यात्रा और माल ढुलाई को असहनीय पीड़ादायक बना दिया है।
टोल टैक्स के औचित्य पर सवाल उठाते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि वाहन खरीद पर अधिकतम जीएसटी बसूली जाती है। वाहन रजिस्ट्रेशन के नाम पर भारी रोड टैक्स और बीमा राशि बसूली जाती है, डीजल पेट्रोल पर अतिरिक्त कर( सेस ), एक्साइज एवं वैट बसूले जाते हैं। फिर इसी धन से बनने वाली सड़कों पर टोल टैक्स बसूलना जनता की लूट है और उसके साथ बड़ा धोखा है।
उन्होंने बताया कि एक्सप्रेसवे पर जरा स्पीड बढ़ने पर रुपये 2 हजार की पैनल्टी ठोक दी जाती है। सड़क पर चलना और माल ढुलाई आज बहुत कठिन होगया है और ये बढ़ती महंगाई का सबसे बड़ा कारण है। जनता के साथ ये अपराध वह सरकार कर रही है जो आसमान से नहीं टपकी जनता के वोटों से चुनी गयी है।
अब वक्त आगया है इस सारी लूट के खिलाफ चहुँतरफ़ा आवाज उठे और सरकार को अपने कदम वापस खींचने के लिए बाध्य किया जाये, भाकपा ने कहा है।
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा उत्तर प्रदेश।
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रविवार, 31 अक्टूबर 2021

उत्तर प्रदेश के वामदल फिर गर्म



महंगाई, खाद की किल्लत, धान की खरीद न किये जाने और बेरोजगारी के खिलाफ 9 नवंबर को सड़कों पर उतरेंगे वामदल।

 लखनऊ- 31 अक्टूबर 2021, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों की एक बैठक आज यहां संपन्न हुयी। बैठक में बर्दाश्त के बाहर जा पहुंची महंगाई, रासायनिक खादों की कमी और काला बाजारी से जूझते किसानों की पीड़ा, धान और अन्य कृषि उपजों की सरकारी खरीद में खड़े किये जारहे अवरोध, बाढ़ और तूफान से हुयी फसल हानि की भरपायी से सरकार की किनाराकशी, युवाओं को रोजगार से वंचित रखने एवं वामदलों और अन्य  की गतिविधियों को पुलिस के बल पर बाधित करने जैसे प्रमुख  सवालों पर आंदोलन को धार देने पर विचार किया गया।
निर्णय लिया गया कि उपर्युक्त सवालों पर आगामी 9 नवंबर को उत्तर प्रदेश भर में वामदल संयुक्त रूप से जंगजू प्रदर्शन करेंगे। ये प्रदर्शन मुख्य तौर पर खाद बिक्री केन्द्रों, धान खरीद केन्द्रों, तहसीलों अथवा जिला मुख्यालयों पर किये जायेंगे। स्थानानुसार अथॉरिटीज को ज्ञापन सौंपे जायेंगे।
वामदलों ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में रासायनिक खाद की जबर्दस्त किल्लत किसान विरोधी केन्द्र और राज्य सरकार की देन है। अपनी मांगों के लिये 11 माह से जूझ रहे किसानों को सबक सिखाने के उद्देश्य से खाद का अभाव खड़ा किया गया है।  
इसी उद्देश्य से धान आदि फसलों को निर्धारित कीमत पर सरकार द्वारा खरीदा नहीं जा रहा, सरकारी मुलाजिम तमाम बहाने लगा कर उपजों को रिजेक्ट कर रहे हैं और किसान खुले बाजार में आधे से भी कम दामों पर इसे बेचने को लाचार हैं।
वोटों की नशेड़ी सरकार जब अपनी वोटों की फसल उगाने में मस्त है, तब किसान खाद न मिल पाने और फसल न बो पाने से पस्त है। अति वारिश और तूफान से हुयी फसलों की बर्बादी से वह पहले ही हलकान है। संवेदनहीन सरकार द्वारा मुआवजा देना तो दूर हानि का अभी तक सर्वे तक नहीं कराया गया।
खाद की भारी कमी के चलते जगह जगह किसान कई कई दिनों तक लाइनों में लगे हैं, लाइन में खड़े खड़े किसान ने दम तोड़ दिया, उनमें आपसी झगड़े हो रहे हैं, विक्रय एजेंसियों से झगड़े हुये हैं, यहां तक कि खरीद केन्द्रों पर गोलीबारी तक हुयी है और ललितपुर में तो एक किसान ने आत्महत्या तक कर ली।
बड़े पैमाने पर खाद की काला बाज़ारी जारी है। इसे मुख्यमंत्री ने खुद स्वीकार किया है और काला बाजारी रोकने को समिति गठित की है। यह दीगर बात है कि मुख्यमंत्री काला बाजारियों को ठोक नहीं पा रहे, जैसे कि वे तमाम मजलूमों को ठोकवाते रहते हैं। सभी जानते हैं कि भाजपा जमाखोरों और काला बाजारियों की पुश्तैनी पार्टी है।
इस बीच पेट्रोल डीजल रसोई गैस के दाम सातवें आसमान पर पहुंचा दिये गये हैं। एक माह में ही प्रति लीटर 8 रुपये का इजाफा हुआ है। इन बढ़ोत्तरियों से समूचा बाजार महंगाई की चपेट में है। त्यौहारी सीजन में जनता के अरमानों पर पानी फिर गया है।
 बेरोजगारों को रोजगार देने के बजाय सरकार झूठे आंकड़े फैला रही है। बीमारियों से जनता को बचाने में सरकार पूरी तरह फेल है। लोगों के गुस्से और नाराजगी से डरी सरकार वामपंथ और विपक्ष के आंदोलनों में पुलिस बल का दुरुपयोग कर बाधाएं उत्पन्न कर रही है।
अतएव  वामदलों ने 9 नवंबर को सड़कों पर उतरने का निश्चय किया है।
वामदलों ने आगरा में भाजपाइयों द्वारा लगाये गये झूठे आरोपों के आधार पर 3 होनहार कश्मीरी छात्रों की गिरफ्तारी, उन पर देशद्रोह के आरोप लगाने तथा उनका भविष्य उजाड़ने की करतूत की कठोरतम शब्दों में निंदा की है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है।
साथ ही त्रिपुरा में संघ गिरोह द्वारा अल्पसंख्यकों के विरुध्द चलाये जा रहे हिंसक अभियान की तीव्र भर्त्सना करते हुए  जिम्मेदार सभी को कानून के हवाले करने की मांग की है। वामदलों ने रेखांकित किया कि वहां उपस्थित हुयी भयावह स्थिति में वामपंथी दलों ने कारगर हस्तक्षेप किया वहीं अन्य कटटरपंथियों ने अफवाहों को रसद मुहैया करा के अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास किया। जनता को दोनों से सावधान रहना होगा।
आज की बैठक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी , मार्क्सवादी के राज्य सचिव डा. हीरालाल यादव, भाकपा माले के राज्य सचिव का. सुधाकर यादव, आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के प्रदेश संयोजक का. अभिनव कुशवाहा एवं लोकतांत्रिक जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जुबेर अहमद कुरैशी आदि शामिल थे।
 डा. गिरीश

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शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2021

खाद दो! धान खरीदो! वरना गद्दी छोड़ दो!



खाद की किल्लत पैदा कर किसानों से बदला लेरही हैं भाजपा सरकारें- भाकपा

शीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित न की गयी तो भाकपा खामोश नहीं बैठेगी

 लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में रासायनिक खाद की जबर्दस्त किल्लत किसान विरोधी केन्द्र और राज्य सरकार की देन है। अपनी मांगों के लिये 11 माह से जूझ रहे किसानों को सबक सिखाने के उद्देश्य से खाद का अभाव खड़ा किया गया है। 
इसी उद्देश्य से धान आदि फसलों को निर्धारित कीमत पर सरकारी तौर पर खरीदा नहीं जा रहा और किसान आधे से भी कम दामों पर इसे बेचने को लाचार हैं।
वोटों की नशेड़ी सरकार जब अपनी वोटों की फसल उगाने में मस्त है, तब किसान खाद न मिल पाने और फसल न बो पाने से पस्त है। अति वारिश और तूफान से हुयी फसलों की बर्बादी से वह पहले ही हलकान है।
खाद की भारी कमी के चलते जगह जगह किसान कई कई दिनों तक लाइनों में लगे हैं, उनमें आपसी झगड़े हो रहे हैं, विक्रय एजेंसियों से झगड़े हुये हैं, यहां तक कि गोलीबारी हुयी है और ललितपुर में तो एक किसान ने आत्महत्या तक कर ली।
बड़े पैमाने पर खाद की काला बाज़ारी जारी है। इसे मुख्यमंत्री ने खुद स्वीकार किया है और काला बाजारी रोकने को समिति गठित की है। यह दीगर बात है कि मुख्यमंत्री काला बाजारियों को ठोक नहीं पा रहे, जैसे कि वे तमाम मजलूमों को ठोकवाते रहते हैं। सभी जानते हैं कि भाजपा जमाखोरों और काला बाजारियों की पुश्तैनी पार्टी है।
भाकपा ने चेतावनी दी कि यदि खाद की काला बाजारी तत्काल रोकी न गयी, पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराया नहीं गया और किसानों की सभी उपजें सरकारी केंद्रों पर खरीदने की व्यवस्था न की गयी तो भाकपा शीघ्र ही खाद बिक्री केन्द्रों और धान क्रय केन्द्रों पर प्रदर्शन करेगी।
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,  उत्तर प्रदेश।
29- 10-2021

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गुरुवार, 21 अक्टूबर 2021

आगरा में वाल्मीकि युवक हत्याकांड


 

भाकपा ने हत्या के आरोप में पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने और

न्यायिक जांच की मांग की

 

लखनऊ- 21 अक्तूबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने आगरा में वाल्मीकि युवक की पुलिस द्वारा हत्या पर गहरा रोष जताते हुये इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है। पार्टी ने सभी दोषी पुलिसकर्मियों को हत्या के अभियोग में गिरफ्तार करने और पीड़ित परिवार को रुपए एक करोड़ मुआबजा दिये जाने, पीड़ित परिवार के एक को नौकरी दिये जाने तथा घटना की जांच सर्वोच्च न्यायालय से कराने की मांग की है।

एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि उत्तर प्रदेश सरकार हत्या और दमन की सरकार बन कर रह गयी है। हर दिन प्रदेश में किसी न किसी मजदूर, किसान, दलित, महिला अथवा व्यापारी की हत्या पुलिस या भाजपा पोषित माफियाओं के हाथों होरही है। ऊपर से प्रधानमंत्री डींगें हांक गए हैं कि यूपी में माफिया माफी मांग रहा है। सच कहा जाये तो यूपी जंगलराज में तब्दील होचुका है। थाने में हुयी चोरी के सबूत मिटाने को थाना पुलिस ने यह जघन्य कांड कर डाला। सच तो यह है कि मुख्यमंत्री ने पुलिस को शासन का बेलगाम गिरोह बना रखा है।

भाकपा राज्य सचिव ने कहाकि पार्टी राज्य केन्द्र ने भाकपा की जिला आगरा कमेटी को निर्देश दिया है कि पुलिस प्रताड़ना के शिकार वाल्मीकि परिवार को न्याय दिलाने के लिये हर संभव प्रयास करें।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 18 अक्टूबर 2021

उत्तर प्रदेश में बारिश से हुयी भारी तवाही की संपूर्ण भरपाई तत्काल करे राज्य सरकार: भाकपा


शासकों के पापों की सजा किसानों को क्यों दे रही है कुदरत? कह रहे हैं पीड़ित किसान

लखनऊ- 18 अक्तूबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि उत्तर प्रदेश के तमाम हिस्सों में बे- मौसम वारिश से हुयी भीषण तवाही का तत्काल संज्ञान ले और फसल, धन और जनहानि की न्यायोचित भरपाई को शीघ्र कारगर कदम उठाये।

एक प्रेस बयान में भाकपा सचिव मंडल ने कहाकि गत दो दिनों से लगातार होरही भारी वारिश और बिजली गिरने से प्रदेश में कई दर्जन लोगों और पशुधन की जानें चली गईं, सैकड़ों मकान ध्वस्त होगये और खरीफ और रबी की दोनों फसलें बड़े पैमाने पर बर्वाद हुयी हैं। सरकार की नीतियों से पहले ही आर्थिक रूप से खोखले हुये किसानों की तो मानो कमर ही टूट गयी है, और वे कह रहे हैं कि शासकों के पापों की सजा कुदरत किसानों को क्यों दे रही है?

खरीफ फसलों में धान तो पूरी तरह नष्ट होगया है। जो फसल कट गयी वो या तो डूब गयी या बह गयी है, और जो कट नहीं पायी वो पूरी तरह से बिछ गयी है। अब जल जमाव और कीचड़ के चलते उसकी कटायी संभव नहीं है। इसी तरह कार्तिकी बाजरा, अरहर उड़द, मूंग,  ग्वाल आदि खरीफ फसलें भी पूरी तरह विनष्ट होगयीं हैं।

अभी अभी बोयी गयी रबी की फसलों की भी भारी हानि हुयी है। जो आलू बोये जा चुके हैं वे जमीन के अंदर ही गल जाएंगे और जिनकी बोआई के लिए खेत तैयार किए गये थे वो अब कई हफ्ते तक बोये नहीं जा सकेंगे। अभी अभी बोयी गईं सरसों, मटर, पालक, मैथी, मूली,  शलजम, धनियाँ और हाल ही में रोपित टमाटर, बैगन, गोभी आदि की फसलें भी नष्ट हो चुकी हैं।

हालात ये हैं कि इन दोनों फसलों में किसानों ने जो भारी लागत लगाई वो भी डूब चुकी है। उत्तर प्रदेश के अधिकतर किसानों के सामने अगली फसल की बोआई और जीवन- यापन का संकट आ खड़ा हुआ है। वारिश के अभी कई दिनों जारी रहने की संभावना व्यथित करने वाली है। अप्रत्याशित बिजली कटौती से किसान पहले ही परेशान हैं।

भाकपा ने सरकार से कहा कि वह किसानो, मुसलमानों और विपक्ष के खिलाफ चलाये जा रहे अपने झूठे प्रचार की तंद्रा से बाहर आए और धन, जन और फसल हानि की संपूर्ण भरपायी तत्काल करे।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने सफल रेल रोको आंदोलन, जिसको कि भाकपा ने समर्थन प्रदान किया था, के लिये सभी किसान संगठनों को बधाई दी और उम्मीद जताई कि वारिश से बरवादी की तत्काल भरपायी को भी किसान संगठन प्रमुख मुद्दा बनायेंगे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2021

पुतला दहन की आड़ में भाकपा कार्यकर्त्ताओं की अवैध गिरफ्तारी की निन्दा: तत्काल रिहा हों सभी कार्यकर्ता


लखनऊ- 15 अक्तूबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आज उत्तर प्रदेश में बिना किसी अभियोग अथवा वारंट के भाकपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की अवैध गिरफ्तारी और लोकतान्त्रिक गतिविधियों को पुलिस के बल पर बाधित करने की कड़े शब्दों में निन्दा की है। भाकपा ने सभी की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की है।  

ज्ञात हो कि लखीमपुर किसान संहार में न्याय हासिल करने और केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री की बर्खास्तगी को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कई कार्यक्रमों की घोषणा की है। आज प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के पुतले दहन किये जाने थे। भाकपा ने इन आंदोलनों को नैतिक समर्थन प्रदान किया है।

पुतले दहन से घबराई पुलिस ने कल रात से ही कई भाकपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को बिना कोई कारण बताये अथवा बिना वारंट दिखाये घरों से उठाकर थानों में निरुध्द कर दिया। पार्टी कार्यालयों अथवा पुतला दहन के संभावित क्षेत्रों को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया। लेकिन फिर भी तमाम जगह पुतले जलाये गये और प्रदर्शन कर ज्ञापन दिये गये। भाकपा ने यदि भौतिक समर्थन दिया होता तो यह कार्यवाही और भी जबर्दस्त होती।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि केन्द्र और राज्य सरकार अपने गुंडों और पुलिस प्रशासन के जरिये किसानों, व्यापारियों और गरीब तबकों की हत्यायेँ करा रही है, वहीं विरोध प्रदर्शन के लिये पुतला दहन जैसी लोकतान्त्रिक गतिविधियों को पुलिस के बल पर रौंद रही है। यही भाजपा जब विपक्ष में थी तो प्रधानमंत्रियों और मुख्यमंत्रियों का पुतला जलाना इसका सबसे प्रिय शौक था। भाकपा भाजपा के इस दोगलेपन और निरंकुशता की कड़े शब्दों में निन्दा करती है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021

भाकपा प्रतिनिधिमंडल का लखीमपुर एवं बहराइच जनपदों का दौरा कल दिनांक- 8 अक्तूबर को


शहीद किसान और पत्रकार परिवारों का दुख दर्द साझा करेंगे भाकपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं राज्य सचिव डा॰ गिरीश एवं अन्य नेतागण 

लखनऊ/ नई दिल्ली- 7 अक्तूबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव  डा॰ गिरीश के नेत्रत्व में कल दिनांक- 8 अक्तूबर 2021 को लखीमपुर एवं बहराइच जायेगा।

प्रतिनिधिमंडल केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री और उनके बेटे के हमले में शहीद किसानों और पत्रकार परिवारों से भेंट कर उनका दुख दर्द बांटेगा तथा घटनास्थल का निरीक्षण करेगा।

प्रतिनिधिमंडल में डा॰ गिरीश के अतिरिक्त पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य का॰ राजेश तिवारी, राज्य काउंसिल सदस्य का॰ रघुराज सिंह, हरपाल सिंह भोजवाल, मो॰ सलीम, विजय त्रिवेदी, अखिल भारतीय नौजवान सभा के राज्य अध्यक्ष विनय पाठक, किसान नेता गंगासिंह सहित अन्य कई नेता शामिल रहेंगे।


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गुरुवार, 30 सितंबर 2021

मनीष गुप्ता की मौत की ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री लें : त्यागपत्र दें- भाकपा


लखनऊ- 30 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने गोरखपुर पुलिस द्वारा कानपुर के व्यवसायी मनीष गुप्ता की पीट पीट कर की गयी हत्या पर गहरी पीड़ा जतायी है। मुख्यमंत्री के ठोक दो मिशन को अंजाम देते हुये उत्तर प्रदेश में पुलिस हर रोज निर्दोष लोगों की हत्या कर रही है। मनीष की हत्या उसी मिशन का हिस्सा है, भाकपा ने खुला आरोप लगाया है।

गनीमत है कि मनीष अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं हैं और न उनका आपराधिक रिकार्ड है। यदि ऐसा होता तो योगी पुलिस उन्हें आतंकवादी बता कर अथवा जघन्य अपराधी बताकर वाहवाही लूटने से बाज नहीं आती।

भाकपा ने कहा कि हो सकता है कि राज्य सरकार अपने कुप्रयासों से इस मामले को भी उसी तरह दफना दे जैसा कि उसने लखनऊ पुलिस द्वारा एक कारपोरेट कर्मचारी की गोली मार कर की गयी हत्या के मामले को ठंडा कर दिया। लेकिन आज उत्तर प्रदेश का एक एक नागरिक खौफजदा है, और ऐसा खौफनाक कांड किसी के भी साथ, कभी भी और कहीं भी हो सकता है।

भाकपा ने कहा कि पूर्व के गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों से छोटी छोटी बातों पर त्यागपत्र मांगने वाली भाजपा आज एक से एक संगीन मामले घटित होने के बावजूद ध्रतराष्ट्र बनी हुयी है। भाकपा ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि हत्या की ज़िम्मेदारी लेते हुये वे तत्काल त्यागपत्र दें। उन्होने सभी विपक्षी दलों से कहा कि अब वक्त आ चुका है जब समस्त विपक्ष को उनसे फौरन स्तीफ़ा मांगना चाहिए।

भाकपा ने कहा कि झूठी मक्कार और हत्यारी इस सरकार और उसके मातहत मशीनरी से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। अतएव हत्या की जांच उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश के द्वारा करानी चाहिए। गोरखपुर के एसएसपी सहित सभी जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। मुआबजे, नौकरी और पीड़ित परिवार की अन्य मांगों को तत्काल पूरा किया जाना चाहिए।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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सोमवार, 27 सितंबर 2021

CPI on Bharat Band


अभूतपूर्व रहा किसानों- कामगारों का भारत बन्द

भाकपा ने सभी बन्द समर्थकों को दिली मुबारकबाद दी

सरकार को चेताया कि वह दीवार पर लिखी इबारत को समझे वरना नतीजे भुगतने को तैयार रहे

लखनऊ- 27 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने दावा किया कि भाजपा और उसकी सरकारों द्वारा खड़े किये गये तमाम अवरोधों के बावजूद आज भारत बन्द और उत्तर प्रदेश बन्द पूरी तरह सफल रहा। मुख्यतः यह किसानों कामगारों का बन्द था और उन्होने अपना काम पूरी तरह बन्द रखा। उनकी अपील पर तमाम बाजार, स्कूल, वाहन, कचहरियाँ आदि भी बन्द रहे। किसान संगठनों के आह्वान पर इन दस माहों में हुयी जन कार्यवाहियों में आज की कार्यवाही बहुत बड़ी थी। भाकपा ने बन्द में भाग लेने वाले और बन्द समर्थकों सभी को बधाई दी है।

उत्तर प्रदेश में तानाशाह योगी सरकार ने गत रात से ही किसान नेताओं, भाकपा एवं वामपंथी नेताओं की गिरफ्तारी शुरू कर दी थी। अनेकों नेताओं को घरों में बन्द कर दिया। विरोध प्रदर्शनों की राह में रोड़े खड़े किये और अनेक जगह प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। बावजूद इसके बन्द पूरी तरह कामयाब रहा।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि विभिन्न किसान यूनियनों और वाम किसान संगठनों ने बन्द को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यद्यपि तमाम दलों ने बन्द के समर्थन का ऐलान किया था लेकिन उत्तर प्रदेश में सड़कों पर भाकपा और वामपंथी दलों के समूह अधिक दिखे। लाल झंडों का इतना बड़ा सैलाव देश प्रदेश में कई वर्ष बाद देखने को मिला।

भाकपा ने कहाकि भाजपा सरकार दीवार पर लिखी खुली इबारत को समझे और तीनों काले क्रषी क़ानूनों की वापसी, एमएसपी कानून बनाने, विद्युत बिल 2020 को रद्द करने, सार्वजनिक क्षेत्र को बेचे जाने से बाज आने व रोजगार देने, महंगाई को नीचे लाने और विभाजन तथा तानाशाही की राजनीति बन्द करने की तत्काल घोषणा करे। वरना पीड़ित जनता की आंधी में उसका तंबू ध्वस्त हो जायेगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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रविवार, 26 सितंबर 2021

CPI on Cabinet expension of UP


भाजपा के भय, भ्रम और बदहवाशी को दर्शाता है आचार संहिता की पूर्ववेला में किया गया उत्तर प्रदेश का मंत्रिमंडल विस्तार: डा॰ गिरीश

लखनऊ- 26 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि जब विधान सभा चुनाव के मात्र 5 माह बचे हैं, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार से भाजपा के भय, भ्रम और बदहवाशी सामने आगये हैं। नये मंत्रियों में से कई तो विधान मंडल के सदस्य तक नहीं और उनके विधान मंडल पहुंचने से पहले ही यह सरकार समाधिस्थ हो जाएगी। कुछ दिन के बाद आचार संहिता लग जायेगी और माननीय मंत्रीगण निठल्ले बैठ कर जनता के धन से वेतन भत्ते पायेंगे और इनके बल पर भाजपा का प्रचार करेंगे।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि साधे गये जातीय समीकरणों से साबित होगया है कि भाजपा सरकार का विकास का दावा पूरी तरह खोखला है। झूठ और झूठे प्रचारतंत्र से गड़े गये विकास के दावों में जरा भी दम होता तो भाजपा को इस नंगेपन से जातियों की शरण में न जाना पड़ता। यह इस बात का भी सूचक है कि भाजपा के सहयोगी दल उसे छोड़ चुके हैं और केवल दो दल ही उसके साथ हैं। इसीलिए भाजपा बसपा मार्का अंतर्पार्टी जातीय गठजोड़ में जुटी है।

ऐसे समय में जब महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी सारे रिकार्ड तोड़ चुके हैं, किसानों- कामगारों से पाकिस्तानी नागरिकों जैसा व्यवहार किया जा रहा है, कानून व्यवस्था औंधे मुंह पड़ी है और महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यकों को बड़े पैमाने पर जुल्मों का शिकार बनाया जा रहा है; वोटों का गणित बैठाने को भाजपा अब सांप्रदायिक विभाजन के साथ ही जातीय विभाजन के भरोसे है। लेकिन चुनाव से चंद माह पहले हुआ यह विस्तार भाजपा के खोखलेपन की पोल खोलने वाला है और जनता इसे भलीभाँति समझती है।

सच कहा जाये तो यह विस्तार भाजपा के लिये विपरीत परिणाम देने वाला साबित होगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा , उत्तर प्रदेश   

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शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

Cast Census

 

जातिगत जनगणना से मुकरने से भाजपा सरकार का असली चेहरा सामने आया

 भाकपा ने 2021 की जनगणना में जाति को शामिल करने की मांग को पुनः दोहराया

लखनऊ- 24 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कहाकि कठिन और बोझिल प्रक्रिया बता कर जातिगत जनगणना को टालने के निर्णय से भाजपा की केन्द्र सरकार का असली चेहरा सामने आगया है। ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय को केन्द्र सरकार ने सूचित किया है कि 2011 की जनगणना में जाति को जोड़ने को लेकर अनेक कठिनाइयां आयी थीं, अतएव जातिगत जनगणना न कराये जाने का नीतिगत निर्णय लिया गया है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपनी इस मांग को जोरदार शब्दों में दोहराया कि 2021 की जनगणना में जाति को शामिल किया जाये। इससे सामाजिक संरचना पर पड़े रहस्य के पर्दे हटेंगे और अवसरों के न्यायपूर्ण वितरण के आधार मजबूत होंगे।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि अपने कारपोरेटपरस्त, तानाशाह और सांप्रदायिक एजेंडे को लागू करने और सत्ता शिखर तक पहुँचने को भाजपा और उसकी सरकार जिन जातियों को ईंधन की तरह इस्तेमाल करती है, उन्हीं को न्याय से वंचित रखने में उसे जरा भी गुरेज नहीं होता। वह धड़ल्ले से जाति को जनगणना में शामिल करने के सवाल से भाग रही है। भाकपा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी और उसके कार्यकर्ता इस सवाल को जनता के बीच ले जायेंगे।

भाकपा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की विपक्षी पार्टियों को इस सवाल पर एकजुट हो आवाज उठानी चाहिये और भाजपा सरकार को अपने इस तुगलकी फैसले को वापस लेने को बाध्य करना चाहिये।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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बटाईदारों से फसल न खरीदने का फैसला किसान विरोधी: तत्काल वापस ले केन्द्र सरकार - भाकपा


खनऊ- 24 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह शासन प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के बजाये, हर तरह से किसानों को बरवाद करने पर आमादा है। बटाईदार किसानों से धान और गेहूं की सरकारी खरीद न किये जाने का तुगलकी फैसला किसानों की रही सही कमर भी तोड़ देगा।

राज्य सरकार राशन प्रणाली में धांधली रोकने और एमएसपी खरीद में पारदर्शिता स्थापित करने में असफल रही है। अपनी इस असफलता का ठीकरा बटाईदार किसानों पर फोड़ना चाहती है। इसीलिए उसने ऐसा फैसला लिया है।

भाकपा ने कहा कि आज तमाम छोटी जोतों वाले किसान अपनी ज़मीनें बटायी या वार्षिक पट्टे पर देकर शहरों में नौकरियाँ करने चले जाते हैं। कई अशक्त, बुजुर्ग और महिला किसान भी अपनी ज़मीनें बटाईदार किसानों को देकर खेती करवाते हैं। अब सरकार के नए फैसले के अनुसार ये किसान सरकारी खरीद केन्द्रों पर धान/ गेहूं नहीं बेच पाएंगे और उन्हें बाज़ारों में बेच कर भारी घाटा उठाएंगे। और आगे से वे बटायी पर खेती कर नहीं पाएंगे तो हजारों किसानों की ज़मीनों पर खेती हो नहीं पायेगी। और ज़मीनें खाली रहने पर किसान उसे बेचने को बाध्य होंगे। सरकार ऐसा ही चाहती है।

भाकपा ने कहाकि पहले तीन काले क्रषी कानून व विद्युत बिल 2020 लाकर सरकार ने किसानों की ज़मीनें कार्पोरेट्स के हवाले कराने का रास्ता खोल दिया है। अभी तक एमएसपी की गारंटी वाला कानून तक नहीं बनाया। गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया, और अब एमएसपी पर उपज न खरीदने का रास्ता भी खोज लिया। निश्चय ही यह कदम घनघोर किसान क्रषी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। भाकपा इस पर कडा विरोध जताती है, और इसको रद्द करने की मांग करती है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 9 सितंबर 2021

किसानों के साथ छलावा है केन्द्र सरकार द्वारा घोषित एमएसपी : भाकपा


लखनऊ- 9 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने कल केन्द्र सरकार द्वारा  गन्ने और रबी फसलों के समर्थन मूल्य में अति अल्प व्रध्दी को किसानों के साथ छलावा और उन्हें पूरी तरह बरवाद करने वाला कदम बताया है। किसान तो एमएसपी की गारंटी करने वाला कानून मांग रहे थे, गारंटी तो दूर सरकार ने एमएसपी निर्धारण में ही धोखा कर दिया, भाकपा ने आरोप लगाया है।

किसानों की आमदनी दो गुना करने का दावा करने वाली सरकार ने गन्ने के मूल्य में मात्र 1. 75 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर इसे 285 से 290 रुपये कुंतल किया है। गेहूं की कीमत 1975 से बढ़ा कर 2015 रूपये कर मात्र 2 प्रतिशत की व्रध्दी की है। इसी तरह अन्य जिंसों की कीमतों में मामूली बढ़ोत्तरी की है। यह महंगाई की मार से देवलियापन की स्थिति तक पहुंचे किसानों के जले पर नमक छिड़कना जैसा है।

सरकार ने दावा किया हुआ है कि उसने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू कर दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार किसानों की जुताई, सिंचाई खाद, बीज, बिजली, कीटनाशक आदि की लागत+ उसका श्रम और देखरेख का खर्च+ उगायी गयी फसल वाली जमीन का किराया जोड़ कर एमएसपी निर्धारित किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने इस बीच डीजल पेट्रोल बिजली के दाम आसमान पर पहुंचा दिये, खाद, कीटनाशक, ट्रैक्टर और अन्य क्रषी उपकरणों के दामों में भारी बढ़ोत्तरी कर दी, अब प्रमुख फसलों पर मात्र 2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर एमएसपी को बेमानी बना दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेत्रत्व वाली मूल्य निर्धारण संबंधी समिति के इस निष्कर्ष कि गेहूं की लागत 1008 रुपये कुंतल आती है को चुनौती देते हुये भाकपा ने कहा कि या तो सरकार इस आंकड़े को साबित करके दिखाये, नहीं तो स्वामीनाथन समिति के फार्मूले पर संशोधित मूल्य घोषित करे। लागत में अगली मार्च तक होने वाली संभावित बढ़ोत्तरियों को भी जोड़ा जाना चाहिये।

भाकपा ने कहाकि सरकार किसानो की जरूरत की जिंसो को महंगा बना कर औसत किसान की जेब से साल में कम से कम 50 हजार रूपये निकलवा रही है और उनमें से कुछ को 6 हजार सालाना की खैरात देकर शेष को ठेंगा दिखा रही है। किसानों की माली हालत बेहद जर्जर हो चुकी है और खेती में निरंतर घाटे के चलते वे परिवार का भरण पोषण और इलाज पढ़ाई तक देने में असमर्थ होगये हैं। उनमें से अनेक आत्महत्यायें कर रहे हैं अथवा पलायन को मजबूर हैं। वे खेतिहर मजदूरों को अपरिहार्य वेतन नहीं दे पारहे अतएव खेत मजदूर भी लगातार पलायन कर रहे हैं और गाँव उजाड़ होते चले जारहे हैं।

भाकपा ने कहाकि लगता है देश भर में चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया और किसानों की परेशानी बढ़ाने वाला असरहीन एमएसपी घोषित कर दिया। इस धोखाधड़ी से किसानों में और भी गुस्सा बढ़ेगा और किसान आंदोलन और व्यापक होगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

 

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शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

समूचे उत्तर प्रदेश में फैलते जारहे जानलेवा बुखार से मौतों पर भाकपा ने गहरी चिन्ता जताई


कहा- ईवेंटफुल कारगुजारियों पर समय जाया करने के बजाय लोगों के जीवन की रक्षा करे राज्य सरकार

लखनऊ- 3 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहाकि राज्य सरकार की मुजरिमाना लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा के चलते आज डेंगूनुमा जानलेवा बुखार का प्रदेश में दायरा बढ़ता ही जारहा है और यदि अब भी तत्काल कारगर कदम नहीं उठाये गये तो यह भी कोरोना की दूसरी लहर की तरह प्रदेश में हा हाकार मचा देगा। भाकपा ने राज्य सरकार को आगाह किया कि वो अपने नाटकीय क्रत्यों का परित्याग कर महामारी से लोगों को बचाने को युद्ध स्तर पर कार्यवाही करे।

एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहाकि आगरा मंडल के मथुरा और फीरोजाबाद जनपदों में एक माह में बच्चों एवं बड़ों की सैकड़ों जान लेचुकी बीमारी आज आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, कानपुर आदि मंडलों में पाँव पसार चुकी है और हजारों लोगों को अपनी चपेट में लेचुकी है। हालात यह हैं कि सीएचसी, पीएचसी एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में पलंग न मिल पाने से लोग बेंचों और बराण्डों में इलाज कराने को मजबूर हैं अथवा निजी अस्पतालों में लुटने- पिटने और जान गँवाने को अभिशप्त है। अकेले फीरोजाबाद में ही सत्तर से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं और वहां का मेडिकल कालेज और कई निजी अस्पताल मरीजों से अटे पड़े हैं।

कोरोना की दूसरी लहर जैसी भयावह स्थिति आ उपस्थित होने के बावजूद न तो प्रदेश में कहीं फागिंग होती दिख रही है न कीटनाशकों का छिड़काव। अधिकांश नगर निकायों और विविध पंचायतों को जबरिया हथियाए बैठी भाजपा का ध्यान साज सफाई पर भी नहीं है। कोविडकाल से ही भाकपा और वामपंथी पार्टियां स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और उन्हें प्रभावी बनाने की मांग कर रहीं थीं, मगर उस ओर ध्यान देने के बजाय राज्य सरकार वोट बटोरने की गरज से ईवेंटफुल कारगुजारियों में जुटी रही।

परिणाम यह है कि एक और महामारी ने प्रदेश को अपनी गिरफ्त में लेलिया और सरकार बयानों, विजिट्स और कुछ तबादलों पर लटक कर रह गयी है। भले ही राज्य सरकार कोरोना को हराने के दंभपूर्ण दावे करे लेकिन अभी भी प्रदेश में कोरोना उपस्थिती दर्ज करा रहा है। विगत 24 घंटों में ही राजधानी लखनऊ में कोरोना के सात मरीजों सहित 18 जनपदों में कोरोना पाजिटिव केस मिले हैं। लापरवाहियों के चलते यह कभी भी छलांग भर सकता है।

सरकार और सत्ताधारी दल न केवल लोगों के स्वास्थ्य के प्रति उपेक्षा बरत रहे हैं अपितु बीमारियों के प्रसार की राह हमवार कर रहे हैं। विपक्ष की जहां लोकतान्त्रिक और प्रोटोकाल पालन करने वाली कार्यवाहियाँ बाधित की जारही हैं, वहीं शासक दल की कथित जन आशीर्वाद यात्राओं में प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ाई जारही हैं। एक नेता के स्म्रति भोज में एकत्रित लाखों भोजनार्थियों जिनमें 90 प्रतिशत भाजपायी थे, ने सारे नियम कानूनों और कोविड प्रोटोकाल को हवा में उड़ा दिया। आश्चर्य की बात है कि तबलीगी जमात पर चीख चीख कर कोरोना फैलाने के आरोप लगाने वाले टीवी चेनलों ने वहाँ हुयी मारामारी की एक झलक तक नहीं दिखाई।

भाकपा ने सरकार से मांग की कि तत्काल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कारगर सफाई अभियान चलवाये, व्यापक पैमाने पर फागिंग और कीटनाशक छिड़कवाए, अस्पतालों में मानवीय गरिमा के अनुकूल इंडोर वार्ड्स और पलंगों की व्यवस्था कराये, दवाओं और जांच की माकूल व्यवस्था कराये तथा स्वास्थ्य विभाग की सक्षम और संसाधनों से युक्त टीमें गांवों और शहरी आबादियों में पहुंच कर छानबीन, जांच और इलाज को अंजाम दें।

वोटों की लालसा में सामाजिक विभाजन के लिये नाम बदलने और आस्था के दोहन के लिये शराब और मीट बंदी जैसे कामों में लिप्त सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह उन लोगों के जीवन बचाने और जीवनयापन को प्राथमिकता दे जिनके कि वोटों से चुन कर वह सत्तारूढ़ हुयी है, भाकपा ने कहा है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 2 सितंबर 2021

शराब और मीट पर पाबन्दी के तुगलकी फरमान से मथुरा एवं अन्य स्थानों पर रोजी रोटी से वंचित हो जाएंगे हजारों लोग। फैसले से बाज आये राज्य सरकार।


 

लखनऊ- 2 सितंबर 2021, भारत की परंपरा सर्वे भवन्तु सुखिन: की है, इसीसे भारत का गौरव बढ़ेगा, हिन्दुत्व का गौरव बढ़ाने के नाम पर हजारों लोगों की रोजी रोटी छीनने और उनके परिवारों को भुखमरी की विभीषिका में धकेलने से नहीं।

उपर्युक्त विचार एक प्रेस बयान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने व्यक्त किये। डा॰ गिरीश सूबे के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मथुरा में मीट और शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने के फैसले पर अपनी पार्टी की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।

उन्होने कहाकि इस मनहूस फैसले से मथुरा के तमाम गरीब जिनमें दलित और अल्पसंख्यक अधिक हैं, भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। जनराजस्व की भी बड़ी हानि होगी। उन्होने आरोप लगाया कि जब से भाजपा सत्ता में आयी है, लोगों के रोजगार छीनने में जुटी है। उनको वैकल्पिक रोजगार देने की व्यवस्था किये बिना दसियों हजार लोगों की रोजी रोटी छीनना कहीं से भी उचित नहीं है।

यदि मीट और शराब की बिक्री रोकने से ही हिन्दुत्व का गौरव बड़ता है तो इसकी शुरुआत योगीजी को अपने गृह जनपद गोरखपुर से करनी चाहिये। और फिर यह गौरव मथुरा तक सीमित क्यों रहे, इसे समूचे उत्तर प्रदेश में विस्तार देना चाहिये। ये कितना उपहासास्पद है कि जो सरकार जहरीली शराब का निर्माण और बिक्री तथा उससे होने वाली मौतों को नहीं रोक पारही वह असली शराब की बिक्री रोक कर हिन्दुत्व को परवान चड़ाएगी। जो सरकार राजस्व के लालच में पीक कोविड काल में शराब बिकवाती रही वह अपनी सनक को पूरा करने को उसे बिकने से रोकेगी।

सरकार ने पहले ही मथुरा के कई कस्बों में मीट की बिक्री पर पाबंदी लगा कर हजारों को रोजगार से वंचित कर रखा है। अब नया फरमान दसियों हजार लोगों के मुंह का निवाला छीनेगा। राज्य सरकार ने पहले ही हजारों सरकारी नौकरियों में भर्ती को उलझा के रखा हुआ है, और चन्द नौकरियाँ दी भी जातीं हैं तो मुख्यमंत्री नियुक्तिपत्र स्वयं वितरित कर राजनीतिक लाभ उठाने में जुट जाते हैं। भाजपा राज में रोजगार से वंचित लोग आत्महत्यायें कर रहे हैं और भुखमरी तथा अर्थाभाव से जनित बीमारियो से मर रहे हैं।

ऐसे में मथुरा में शराब और मीट की बिक्री पर पाबन्दी लगाना लोगों के जीवन से खिलवाड़ करना है।

भाकपा ने कहाकि यदि मगरूर सरकार पाबन्दी लगाना ही चाहती है तो पहले इस कारोबार और इसके सहयोगी कारोबार से जुड़े लोगों को वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था करानी चाहिये, तब किसी पाबन्दी की सोचना चाहिये। भाकपा ने मथुरा एवं उत्तर प्रदेश के समस्त नागरिकों से अपील की कि हिन्दुत्व की आड़ में लोगों की रोजी रोटी छीनने वाले इस घिनौने आदेश का पुरजोर विरोध करें।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 1 सितंबर 2021

उत्तर प्रदेश: आम जनता की ज्वलंत समस्याओं को लेकर वामदलों ने समूचे उत्तर प्रदेश में जबर्दस्त प्रदर्शन किये


 

लखनऊ-  1 सितंबर 2021, उत्तर प्रदेश के चार वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी ), भाकपा माले- लिबरेशन एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के तत्वावधान में आज आसमान छूती महंगाई, बेरोजगारी, बुखार से होरही मौतों और बाढ़ की विभीषिका से तवाही, भुखमरी और अर्थाभाव से की जारही आत्महत्याएं, जर्जर कानून व्यवस्था, भाजपा द्वारा चलायी जारही विभाजन और तानाशाही की राजनीति और बांदा जनपद में स्वतन्त्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले अधिकारियों और भाजपाइयों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही जैसे ज्वलंत सवालों पर आज समूचे प्रदेश में बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर कर दस्तक दी।

कई जिलों में वामदलों के साथ लोकतान्त्रिक जनता दल के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल रहे। जिलों जिलों में धरने और प्रदर्शनों के बाद महामहिम राष्ट्रपति महोदय और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपे गए। भारी वारिश के बावजूद वामपंथियों का यह आंदोलन उल्लेखनीय ढंग से सफल रहा, भले ही हमेशा की तरह टीवी चेनलों ने इसे नजरंदाज किया है।   

ज्ञापनों में महंगाई पर कारगर रोक लगाने, डीजल पेट्रोल रसोई गैस पर लगे असहनीय टैक्सों को पर्याप्त मात्रा में घटाने, सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री रोके जाने, हर बेरोजगार को काम दिलाने- मनरेगा में 200 दिन काम और प्रतिदिन 600 रुपये मजदूरी दिलाने, इस तरह की योजना शहरों में चलाये जाने, दवाओं और खाद्य वस्तुओं के दाम बांधने, हर व्यक्ति को रुपए 7500/- प्रति माह दिये जाने, खाने की सभी सामग्री किट के रूप में उपलब्ध कराये जाने, टीकाकरण में तेजी लाने, जनता पर बोझ बढ़ाने वाले बिजली बिल 2021 को वापस लेने, तीन क्रषी क़ानूनों को वापस कराने, एमएसपी की गारंटी करने, योगी सरकार द्वारा दमनकारी असंवैधानिक आलोकतांत्रिक रवैया रोके जाने, कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने- दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं व अन्य कमजोर तबकों पर अत्याचार रोके जाने, भ्रष्टाचार पर कारगर रोक लगाने की मांग की गयी है।

साथ ही पैगासस कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करायी जाये, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुधार किया जाये, बुखार से होरही मौतों से जान की रक्षा की जाये, बाढ़ की विभीषिका से तवाही का मुआबजा दिया जाये, गरीबों को आवास दिलाये जायें, गरीब बच्चों की पढ़ाई में हुयी हानि की भरपाई की जाये तथा आंदोलनकारी किसानों से सरकार तत्काल वार्ता करे आदि सवालों को भी उठाया गया। बांदा में स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले अधिकारियों और भाजपाइयों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की मांग की गयी।

बयान जारी किये जाने तक लखनऊ, गोरखपुर, कुशीनगर, संत कबीर नगर, बस्ती, मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, सोनभद्र, भदोही, सुल्तानपुर, अयोध्या, इलाहाबाद, मछलीशहर ( जौनपुर ), खागा ( फ़तेहपुर ), प्रतापगढ़, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, उरई ( जालौन ), झांसी, ललितपुर, कानपुर महानगर, कानपुर देहात, औरैया, कायमगंज ( फरुखाबाद ), बरेली, बदायूं, पूरनपुर ( पीलीभीत ), शाहजहाँपुर, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा एवं मैनपुरी आदि जनपदों में सफल आंदोलन की खबरें सोशल मीडिया से प्राप्त हो चुकी हैं।

वामपंथी दलों के नेताओं ने आज फिर रसोई गैस के दाम 25 रुपये बढ़ाए जाने पर गहरा आक्रोश जताया। महंगाई की मार से पीढ़ित जनता के ऊपर यह बड़ा कुठराघात है। भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा माले सचिव का॰ सुधाकर यादव, आ॰ इ॰ फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाहा एवं लोकतान्त्रिक जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जुबेर अहमद कुरेशी ने सभी आंदोलनकारियों को बधाई दी है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश              मो॰ नं॰ 9412173664, 7055893132

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गुरुवार, 26 अगस्त 2021

सुस्पष्ट नीति निर्धारण एवं क्रियान्वयन हेतु राष्ट्रीय जनगणना में जाति के आंकड़े शामिल किये जायें: भाकपा, उत्तर प्रदेश


 

लखनऊ- 26 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल की बैठक आज यहां पार्टी के कैसरबाग स्थित कार्यालय पर संपन्न हुयी। बैठक की अध्यक्षता  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने की। का॰ इम्तेयाज़ अहमद पूर्व विधायक एवं का॰ अरविंदराज़ स्वरूप ने चर्चा में भाग लिया।

बैठक में मुख्य रूप से जनता खासकर किसान मजदूरों और नौजवानों के ज्वलंत सवालों पर 1 सितंबर को होने वाले राज्यव्यापी आंदोलन की तैयारियों की समीक्षा की गयी, राष्ट्रीय  जनगणना में जाति को शामिल किए जाने पर गहन चर्चा हुयी, केन्द्र सरकार द्वारा सरकारी संस्थानों को बेचे जाने पर रोष जताया गया और विधान सभा चुनावों की तैयारियों पर चर्चा की गयी।

ज्ञात हो कि भाकपा उत्तर प्रदेश की निरंकुश और घोर जनविरोधी सरकार को सत्ता में वापसी से रोकना चाहती है, अतएव वामपंथी एवं लोकतांत्रिक शक्तियों की व्यापक एकता चाहती है।

बैठक में वामपंथी दलों के संयुक्त तत्वावधान में 1 सितंबर को प्रदेश भर में होने वाले जन प्रदर्शन की तैयारियों का जायजा लिया गया। पाया गया कि पूरे प्रदेश में इस आंदोलन की व्यापक तैयारियां चल रही हैं। यह आंदोलन महंगाई पर कारगर रोक लगाने, डीजल पेट्रोल रसोई गैस पर लगे असहनीय टैक्सों को पर्याप्त मात्रा में घटाने, सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री रोके जाने, हर बेरोजगार को काम दिलाने- मनरेगा में 200 दिन काम और प्रतिदिन 600 रुपये मजदूरी दिलाने, इस तरह की योजना शहरों में चलाये जाने, दवाओं और खाद्य वस्तुओं के दाम बांधने, हर व्यक्ति को रुपए 7500/- प्रति माह दिये जाने, खाने की सभी सामग्री किट के रूप में उपलब्ध कराये जाने, टीकाकरण में तेजी लाने, जनता पर बोझ बढ़ाने वाले बिजली बिल 2021 को वापस लेने, तीन क्रषी क़ानूनों को वापस कराने, एमएसपी की गारंटी करने, योगी सरकार द्वारा दमनकारी असंवैधानिक आलोकतांत्रिक रवैया रोके जाने, कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने- दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं व अन्य कमजोर तबकों पर अत्याचार रोके जाने, भ्रष्टाचार पर कारगर रोक लगाने आदि सवालों पर होने जारहा है।

साथ ही पैगासस कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करायी जाये, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुधार किया जाये, गरीब बच्चों की पढ़ाई में हुयी हानि की भरपाई की जाये तथा आंदोलनकारी किसानों से सरकार तत्काल वार्ता करे आदि सवालों को भी उठाया जाएगा।

ज्ञात हो कि लोकतान्त्रिक जनता दल, उत्तर प्रदेश ने भी वामपंथी दलों के साथ आंदोलन में भागीदारी की घोषणा की है। स्थानीय स्तर पर कई दलों और सामाजिक समूहों का समर्थन भी आंदोलन को मिल रहा है।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने पार्टी के केन्द्रीय सचिव मंडल द्वारा दोहराये गये इस रुख का समर्थन किया है कि राष्ट्रीय जनगणना में जाति के आंकड़े संग्रहीत कर नीतिगत निर्णय लिये जायें।

राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनावों हेतु पार्टी की तैयारियों पर का जायजा भी लिया। पार्टी जनता के हितों की रक्षा हेतु किए गये संघर्षों और आंदोलनों के आधार पर चुनाव लड़ती है। इसके अतिरिक्त भी जिलों में तैयारियों हेतु पार्टी कार्यकर्ता और समर्थकों की आम सभाएं करने का निश्चय किया है। ऐसी एक सभा दिनांक 28 अगस्त को हमीरपुर जनपद के मौदहा में तथा 29 अगस्त को चित्रकूट में होगी।

इन सभाओं में राज्य सचिव डा॰ गिरीश, सहसचिव का॰ अरविंदराज़ स्वरूप, राष्ट्रीय परिषद के सदस्य का॰ रामचंद सरस तथा उत्तर प्रदेश नौजवान सभा के प्रदेश संयोजक विनय पाठक आदि संबोधित करेंगे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश              मो॰ नं॰ 9412173664, 7055893132

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