थम नहीं रहीं उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर हिसा की वारदातें
सरकार और पुलिस की कार्यवाही प्रचार और आत्मसंतुष्टि तक सीमित:
भाकपा
लखनऊ- 7 मई 2022, अपने एक प्रेस वक्तव्य में भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी ने कहा है कि वह इस बात पर भारी चिन्तित है कि जंगलराज बन चुके उत्तर प्रदेश
में महिलाएं ही नहीं अबोध बालिकाएं तक सुरक्षित नहीं हैं। उनकी जान और अस्मत के प्यासे
कानून व्यवस्था और बाबा के बुलडोजर को ठेंगा दिखा रहे हैं। सरकार द्वारा की जाने वाली
कथित कार्यवाही से अखबारों की खबर भले ही बन जाती हो और हुक्मरानों को आत्मसंतुष्टि
मिल जाती हो, पर सच यह है कि न तो महिलाओं पर हिंसा रुक पा रही
है, और न ही अन्य आपराधिक वारदातें कम हो पा रही हैं।
गत 48 घंटों में ही लखीमपुर में 8 साल की बच्ची को वीभत्स बलात्कार
कर लहूलुहान कर दिया गया, गाजियाबाद के होटल में अलीगढ़ की महिला की हत्या
कर हत्यारा फरार होगया वहीं मथुरा में पुलिस चौकी से मामूली फासले पर महिला की कुल्हाड़ी
से हत्या कर अपराधी गायब होगया। ये चंद उदाहरण हैं जिनसे प्रदेश की जर्जर कानून व्यवस्था
और महिलाओं और बच्चियों की असुरक्षा का खुलासा हो जाता है।
भाकपा ने कहा महिला सुरक्षा के उत्तर प्रदेश सरकार के सारे दावे
खोखले हैं और प्रदेश में महिलायें बेहद भय और असुरक्षा के माहौल में जी रही हैं। उत्तर
प्रदेश महिला फेडरेशन और जनवादी महिला समिति आदि ने शीर्ष पुलिस अधिकारी से मिल कर
महिलाओं की सुरक्षा की मांग उठायी है, और सुरक्षा संबंधी कई सुझाव भी दिये हैं, पर सरकार हिलने को तैयार नहीं है। वह उन्हीं कारनामों को अंजाम दे रही है
जिनसे प्रचार मिले और विभाजन पैदा हो।
जनमानस इस स्थिति को लंबे समय तक सहन नहीं कर सकता, और न ही विपक्षी पार्टियां
ही। भाकपा ने इन घटनाओं पर स्थानीय तौर पर आवाज उठायी है और हालात नहीं सुधरे तो राज्य
स्तर पर आवाज उठायी जायेगी, भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपने बयान
में कहा है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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