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शुक्रवार, 30 नवंबर 2018
at 9:06 am | 0 comments |
Mr. Modee Must Go: Farmers Gathered in Delhi.
किसानों के हालात भले न बदलें सरकार जरूर बदल देगा
किसानों का आक्रोश
नई दिल्ली- अखिल भारतीय किसान सभा सहित देश के लगभग
दो सौ किसान संगठनों के बैनर तले बड़ी संख्या में यहाँ रामलीला मैदान में पहुँच चुके
हैं। कल चार अलग अलग दिशाओं से किसानों ने रामलीला ग्राउंड तक पैदल मार्च किया। आज
वे रामलीला ग्राउंड से संसद जाने की तैयारी में हैं जहां वे अपनी खुली संसद आयोजित
कर अपनी व्यथा प्रकट करेंगे।
मौसम की दुश्वारियों और यात्रा की कठिनाइयों को झेलते
हुये ये किसान यूं ही दिल्ली नहीं पहुंचे हैं। इसके पीछे उनकी वह महापीड़ा छिपी है जो
उन्हें पूंजीवादी दलों की सरकारों खास कर इन साढ़े चार साल में मोदी सरकार ने दी है।
वर्ष दर वर्ष अपनी बदहाली और कंगाली से झूझते किसान फांसी के फंदे पर झूलते रहे और
राजसत्तायेँ अट्टहास करती रहीं।
अपने चुनाव अभियान में मोदी ने किसानों के कर्जे माफी
और उनकी आमद दो गुना करने का वायदा किया था, लेकिन सरकार ने किसानों
के प्रति वही धोखाधड़ी का रवैया अपनाया जिसे की वह अन्य तबकों के लिए अपनाती रही है।
उन्होने भाजपा और मोदी पर बड़ा भरोसा किया था और उन्हें भारी बहुमत से सत्ता सौंपी थी। लेकिन आमदनी दोगुना करना तो दूर वे और भी बदहाली
के गर्त में धकेल दिये गए।
अतएव आज वे मांग कर रहे हैं कि उनकी आमदनी डेढ़ गुना
करने का बिल संसद में पास किया जाये और एक बार उन्हें सारे कर्जों से मुक्त किया जाये।
वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग भी कर रहे हैं जिसके बारे में सरकार
और भाजपा भ्रम फैला रही है कि उसे तो लागू कर दिया गया। इसके अलाबा तमाम क्षेत्रीय
समस्याएँ भी हैं। कहीं गन्ने का उन्हे भुगतान नहीं मिला तो कहीं चीनीं मिलें नहीं चलीं।
कहीं धान, बाजरा, आलू प्याज का मूल्य नहीं मिला तो महंगे डीजल, बिजली और फर्तीलाइजर्स ने उनकी कमर तोड़ रखी है। अनेक ऐसे सवाल हैं जो उनके
आक्रोश को बड़ा रहे हैं और उन्हें खींच कर दिल्ली ले आए हैं।
एक तरफ उनमें इस सरकार के प्रति गहरा गुस्सा है तो दूसरी
ओर अपनी अभूतपूर्व एकता पर भारी उत्साह है। यह गुस्सा और उत्साह भले ही उनके हालात
न बदले लेकिन मौजूदा सरकार को जरूर बदल देगा। देखना है सरकार उनके प्रति सहानुभूति
का रवैया अपनाती है या फिर उन्हें कोरे आश्वासन और झूठे दाबों से टरकाती है। पर इतना
तय है कि किसानों का यह सैलाब अब किसी झूठ को और सहने को तैयार नहीं।
डा। गिरीश,
रविवार, 18 नवंबर 2018
at 5:34 pm | 0 comments |
जनता के आम हितों से किनाराकशी भाजपा को महंगी पड़ेगी : भाकपा
लखनऊ- 18 नवंबर: भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी की राज्य काउंसिल की बैठक यहां मथुरा के वरिष्ठ नेता कामरेड गफ्फार अब्बास एडवोकेट
की अध्यक्षता में संपन्न हुयी।
बैठक में देश और प्रदेश के मौजूदा हालात पर राज्य सचिव
डा॰ गिरीश ने एक व्यापक समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत की जिस पर 20 साथियों ने चर्चा में
भाग लिया। बैठक में कार्यक्रम एवं संगठन संबंधी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये।
डा॰ गिरीश ने कहाकि केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार
हर मोर्चे पर विफल होचुकी हैं। चुनावों के समय भाजपा ने जनता से जो भी वायदे किये उनमें
से एक भी पूरा नहीं किया गया। इन सरकारों की अकर्मण्यता और अहमन्यता ने सारे रिकार्ड
तोड़ दिये हैं। परिणामस्वरूप बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और कमजोर तबकों पर अत्याचार की मार से लोग कराह उठे हैं। रुपये
की कीमत में अभूतपूर्व गिरावट सरकार कथित कुशलता की कलई खोलने को काफी है। इसका नतीजा
है कि सरकार का जनाधार बुरी तरह खिसका है। यही वजह है कि देश भर में हाल में हुये कई
उपचुनावों में भाजपा को भारी पराजय का मुख देखना पड़ा है।
डा॰ गिरीश ने कहाकि पांच राज्यों की विधान सभाओं के
चुनावों और लोकसभा चुनावों में संभावित पराजय
के भय से समूचे संघ परिवार ने विभाजनकारी और सांप्रदायिक एजेंडों पर पूरी ताकत झोंक
दी है। सत्ता के चार सालों में मंदिर निर्माण पर पूरी खामोशी ओड़े रही भाजपा और संघ
गिरोह ने अब मंदिर निर्माण का बेसुरा राग छेड़ दिया है। शहरों के ऐतिहासिक लोकप्रिय
नामों को भी जबरिया बदला जारहा है। इस नाम परिवर्तन की सनक पर जनता का भारी मात्रा
में धन व्यय किया जारहा है। गंगा को स्वच्छ बनाने के नाम पर ये गंगाभक्त बड़ी धनराशि
डकार गये और गंगा की हालत आज भी जैसी की तैसी बनी हुयी है। इनकी गोवंश रक्षा नीति ने आवारा पशुओं के विशाल
झुंड पैदा कर दिये हैं जो किसानों की फसल उजाड़ रहे हैं और लोगों की जानें लेरहे हैं।
समूची जनता त्राहि त्राहि कर रही है।
अतएव जनता की आँखों में धूल झोंकने की गरज से और एक
क्षत्र तानाशाही लादने के उद्देश्य से सर्वोच्च न्यायालय को निशाना बनाया जारहा है।
यह देश लोकतन्त्र और संविधान के लिये बहुत ही घातक है। वोट और सत्ता की भूख ने उन्हें
अंधा बना दिया है। मोदी, योगी, भागवत और
उनके अन्य सभी नेता अनापशनाप झूठ वमन कर रहे हैं और गोदी मीडिया तटस्थता का चोला दूर
फेंक उनके कीर्तन में लगा है। लेकिन भाकपा की राय है कि ये न 1989 है न 1992, जबकि देश की जनता को उन्होने बरगला लिया था। जनहितों से किनारा कर भ्रामक
एजेंडे पर काम करना उनके लिये उलटा पड़ने वाला है, डा॰ गिरीश ने
कहा।
इन चुनौतियों से निपटने को भाकपा ने वामपंथी दलों के
साथ मिल कर व्यापक जन चेतना निर्मित करने को अभियान चलाने पर ज़ोर दिया। 3 से 6 दिसंबर
के बीच जिलों जिलों में “संविधान, धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतन्त्र
के समक्ष चुनौतियां” विषय पर विचार गोष्ठियाँ एवं सभा आदि आयोजित की जायेंगी। भारत
की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी ) से इस मुद्दे पर सहमति बन चुकी है। अन्य वामपंथी
दलों से भी चर्चा की जाएगी।
भाकपा ने अपने जिला स्तरीय नेताओं को राजनैतिक प्रशिक्षण
देने हेतु एक चार दिवसीय शिविर आयोजित करने का निर्णय भी लिया। यह शिविर 6 से 9 दिसंबर
के बीच बदायूं में होगा। इसमें जिला सचिव और सहसचिवों को भाग लेना है।
भाकपा राज्य कार्यकारिणी ने 29 और 30 दिसंबर को दिल्ली
में होने वाले देश के किसानों के संयुक्त आंदोलन को समर्थन प्रदान किया है और ज्यादा
से ज्यादा किसान साथियों से दिल्ली पहुँचने की अपील की है।
बैठक में पार्टी की लोकसभा चुनावों की तैयारी पर भी
चर्चा हुयी। भाकपा प्रदेश में 10 सीटें लड़ने की योजना पर कार्य कर रही है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
मंगलवार, 6 नवंबर 2018
at 1:42 pm | 0 comments |
हाथरस और हरदोई हादसों पर भाकपा ने गहरा दुख जताया
लखनऊ- 6 नवंबर
2018, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कल हरदोई
जनपद में रेल हादसे में चार मजदूरों की मौत और हाथरस में पुलिस द्वारा विकलांग दलित
की हत्या पर गहरा दुख और क्षोभ प्रकट किया है। डा॰ गिरीश ने प्रत्येक म्रतक के परिवार
को रुपये 20- 20 लाख का मुआबजा तथा परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है।
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में डा॰ गिरीश ने कहाकि भाजपा
शासन में प्रशासनिक लापरवाही और अत्याचारों की सारी हदें टूट गयी हैं। एक माह में ही
केवल उत्तर प्रदेश की सीमा के अंतर्गत कई बड़े रेल हादसे हुये जिनमें दर्जनों लोग जान
से हाथ धो बैठे। अपराधों और सड़क हादसों में भी हर रोज तमाम लोग मारे जारहे हैं। योगी
की पुलिस अब रक्षक नहीं भक्षक का काम कर रही है। इसका सीधा कारण है कि केंद्र और राज्य
की सरकारें हरी कीर्तन में व्यस्त व्यस्त हैं, शासन प्रशासन पर उनका
कतई ध्यान नहीं है।
उन्होने कहाकि इससे बड़ी बिडंबना क्या होगी कि कल हाथरस
में पुलिस ने ठेला लगाकर जीवनयापन करने वाले विकलांग दलित युवक से धौंस मांगी और न
देपाने पर पीट पीट कर उसकी हत्या कर दी। भारी जन दबाव के चलते हत्यारे दरोगा के खिलाफ
एफआईआर दर्ज हुयी है लेकिन अभी उसकी गिरफ्तारी किया जाना जरूरी है। साथ ही म्रतक परिवार
को वो सभी सुविधायें और पावनायें दी जानी चाहिये जो कि लखनऊ में पुलिस द्वारा मारे
गये श्री तिवारी के परिवार को दी गईं थीं, डा॰ गिरीश ने मांग
की है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा , उत्तर प्रदेश
शनिवार, 3 नवंबर 2018
at 1:41 pm | 0 comments |
न्यायिक सक्रियता, संघ की बौखलाहट और मन्दिर राग
अदालतों के हाल के कुछ निर्णयों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ, उसके आनुसांगिक संगठनों खासकर भाजपा की बौखलाहट निरंतर बढ़ती जारही है। इस
बौखलाहट के चलते एक ओर वह सर्वोच्च न्यायालय पर हमलावर हुये हैं वहीं उन सबने अयोध्या
में मन्दिर निर्माण का कीर्तन पुनः तेज कर दिया है। सारी सीमायें लांघ कर सर्वोच्च
न्यायालय पर जिस भौंडे ढंग से हमले किये जारहे हैं वे देश और लोकतान्त्रिक समाज के
लिये बेहद चिंता का सबब बनते जारहे हैं। अंततः ये हमले हमारी लोकतान्त्रिक प्रणाली
और संविधान के ऊपर हैं।
इसी बीच संघ, विश्व हिन्दू
परिषद और संघ के तमाम सहोदरों ने चार साल की हैरान करने वाली चुप्पी को तोड़ते हुये
अयोध्या में मन्दिर आंदोलन को धार देना शुरू कर दिया है। अब बात यहां तक पहुंच गयी
है कि अध्यादेश लाकर और कानून बना कर मन्दिर बनाने की मांग की जारही है। यह मांग
किसी और ने नहीं विजयादशमी पर अपने परंपरागत भाषण में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने
स्वयं की। नाटकीयता की हद यह है कि सरकार का नियंता संघ अपनी ही सरकार से मांग
करने का अभिनय कर रहा है।
लेकिन महामुख
के खुलते ही दसों मुख खुल गये हैं। कथित विहिप और संत समाज तो पहले ही अभियान की
रूपरेखा तैयार कर चुके थे अब गिरराज किशोर और सुब्रह्मण्यम स्वामी सरीखे भाजपा के
वाचाल भी सक्रिय होगये हैं। एक दो नहीं संवैधानिक पदों पर बैठे कोई दर्जन भर
दुर्मुख एक ही भाषा बोल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने
तो यहां तक कह डाला कि मन्दिर निर्माण तो जारी है। उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने
कहाकि 2019 से पहले ही मन्दिर का निर्माण अवश्य होगा भले ही उसके लिये कानून बनाना
पड़े। राम भक्त दर्शाने की होड़ मची है। तोगड़िया और शिवसेना प्रमुख देखने में भले ही
अलग दिखाई देते हों पर उनका मन्दिर राग भाजपा और संघ के लिये आधार तैयार करने वाला
ही नजर आरहा है।
केरल के सबरीमाला मन्दिर के मामले में सर्वोच्च
न्यायालय द्वारा सभी स्त्रियों के प्रवेश के निर्णय पर संघ और भाजपा ने सारी
सीमायें लांघ कर अपनी फौजें सड़कों पर उतार दीं। इतना ही नहीं भाजपा अध्यक्ष अमित
शाह ने सर्वोच्च न्यायालय को खुल्लमखुला नसीहत दे डाली कि सर्वोच्च न्यायालय को
ऐसे निर्णय नहीं देने चाहिये जो जनता की आस्था के विपरीत हों और जिन्हें लागू नहीं
किया जासके। यह सर्वोच्च न्यायालय की सर्वोच्चता और हमारे संविधान पर खुला हमला है
जिसके तहत व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की
सर्वोच्चता स्थापित की गयी है। इस प्रकरण ने संघ और भाजपा के नारी सम्मान और स्वातंत्र्य
के प्रति ढोंग को भी उजागर कर दिया। एक केन्द्रीय महिला मन्त्री ने तो बेहद फूहड़ बयान
देकर नारी की निजता पर घ्रणित हमला बोला।
ऐसा नहीं कि भाजपा ऐसा पहली बार कर रही है। वह ऐसा
बार- बार और लगातार करती आयी है। आस्था और श्रध्दा उसके राजनीतिक कवच- कुंडल हैं। इन्हीं
की आड़ में इस समूह ने 6 दिसंबर 1992 को राष्ट्रीय एकता परिषद को दिये अपने वचन और
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की धज्जियां बिखेरते हुये अयोध्या के विवादित
ढांचे को ही ज़मींदोज़ कर दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय पर संघ परिवार का ताज़ा हमला उसके
अधीन विचारधीन अयोध्या विवाद की सुनवाई जनवरी 2019 में शुरू करने के फैसले को लेकर
है। संघ भली प्रकार जानता है कि 29 अक्तूबर को सक्षम बेंच के अभाव में सुनवाई संभव
नहीं थी और एक सक्षम बेंच के गठन के लिये भी वक्त चाहिये होता है। लेकिन संघ को तो
राजनीति करनी थी। पहले कहा गया कि यह सब कांग्रेस के दबाव में किया जारहा है। जब
यह पटाखा फुस्स होगया तो कहा जाने लगाकि सर्वोच्च न्यायालय करोड़ों हिंदुओं की
भावना से खिलवाड़ न करे। यह सर्वोच्च न्यायालय को खुली धमकी है जो अपने वोट बैंक को
बरगलाने के लिये की जारही है।
सर्वोच्च न्यायालय ही नहीं तमाम स्वायत्त संस्थाओं
को भी संघ परिवार तहस नहस कर रहा है। निर्वाचन आयोग, सीबीआई, सीवीसी और अब रिजर्व बैंक को निशाने पर लिया गया है।
संघ और भाजपा की इस बौखलाहट और कारगुजारियों के
लिये पर्याप्त कारण भी हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और मोदीजी द्वारा
जनता को तमाम सब्जबाग दिखाये गये थे। आज उनकी कलई पूरी तरह खुल गयी है। दो करोड़
नौजवानों को हर वर्ष रोजगार देने का वायदा अब उन्हें पकौड़े तलने की नसीहत में बदल
गया है। किसानों की आमदनी दोगुनी करने, विदेशों से
कालाधन वापस लाकर हर खाते में रुपये- 15 लाख पहुंचाने,
आतंकवाद की रीड़ तोड़ने, पाकिस्तान की आँखों में आँखें डाल कर
बात करने जैसे झांसे और “न खाऊँगा न खाने दूंगा” जैसी कसमें सभी तार- तार होचुके
हैं। भाजपा स्वयं इन्हें चुनावी जुमला बता चुकी है।
नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के दुष्परिणाम सभी के
सामने हैं। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में
अभूतपूर्व व्रध्दी और कमरतोड़ महंगाई, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार
में रुपये की निरंतर गिरती कीमत और भ्रष्टाचार के मोर्चे पर मोदी सरकार की विफलता
ने भाजपा के पैरों तले से जमीन खिसका दी है। राफेल विमान सौदे में सीधे
प्रधानमंत्री की लिप्तता ने डूबते जहाज की पैंदी में एक और छेद कर दिया। इसे भाजपा
भी समझ रही है और संघ भी। विकास, स्वच्छता अभियान और विदेशों
में छवि निर्माण के ढोंग भी परवान नहीं चड़ सके। सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा पर चढ़
कर फायदा उठाने का मंसूबा आरएसएस के बारे में सरदार पटेल के स्पष्ट विचारों ने
धराशायी कर दिया।
हाल के कुछ न्यायिक फैसलों ने भी संघ और भाजपा की
कथनी करनी और दोगलेपन को उजागर किया है। सबरीमाला मन्दिर में सभी आयु की महिलाओं
के प्रवेश, शहरी नक्सल के नाम पर गिरफ्तार बुध्दिजीवियों
की गिरफ्तारी के मामले को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचार के लिये स्वीकार करना, सीबीआई प्रकरण पर सर्वोच्च न्यायालय की सक्रियता,
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 31 वर्ष पुराने हाशिमपुरा मामले में दोषियों को आजीवन
कारावास की सजा सुनाना और उत्तर प्रदेश में 68,500 शिक्षकों
की भर्ती में हुये घोटाले की इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई से जांच के
आदेश पारित करना आदि तमाम मामले हैं जो भाजपा, संघ और उनकी
सरकारों की कारगुजारियों को बेनकाब करते हैं।
इन सब से बौखलाया संघ परिवार मन्दिर मुद्दे की
सुनवाई को जनवरी तक बढ़ाए जाने को कुटिलता से आस्था का प्रश्न बना कर सर्वोच्च
न्यायालय पर हमले बोल रहा है। हर तरफ से घिरे और पूरी तरह बेनकाब संघ के सामने
“मन्दिर शरणम गच्छामि” के अलाबा कोई रास्ता नहीं है। अतएव अध्यादेश लाकर अथवा
कानून बना कर मन्दिर बनाने की आवाजें तेज हो गईं हैं। मोहन भागवत और भाजपा अध्यक्ष
अमित शाह के बीच हुई गुफ्तगू भी इसी उद्देश्य से है। संघ के महासचिव ने 1992 जैसा आंदोलन
छेड़ने की धमकी दी है। यह साख बचाने और चेहरा छिपाने की कवायद भी होसकती हैं।
अब देखना यह है कि क्या संघ के निर्देशों का पालन
करते हुये केन्द्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र से पहले मन्दिर निर्माण के लिये
अध्यादेश लाएगी? या फिर संसद में कोई बिल लाकर यह जताने का
प्रयास करेगी कि वह तो मन्दिर निर्माण के लिये प्रतिबध्द है। लेकिन इस बिल के अधर
में लटक जाने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं। पर भाजपा को लोगों को भ्रमित करने का
बहाना तो मिल ही जाएगा। कानूनी पेंच यह भी है कि अयोध्या के विवादित भूखंड का
अदालती निर्णय आने से पहले वहाँ कोई निर्माण संभव नहीं है। भाजपा और संघ यह भली
प्रकार जानते हैं। अतएव मन्दिर राग अलापना उनकी मजबूरी है तो न्यायपालिका को धमकाना
उनकी राजनैतिक जरूरत। इसे वे निरंतर जारी रखेंगे भले ही देश के लोकतान्त्रिक ढांचे
को कितनी ही क्षति क्यों न उठानी पड़े।
डा॰ गिरीश
गुरुवार, 1 नवंबर 2018
at 5:20 pm | 0 comments |
CPI on Hashimpura
हाशिमपुरा पर न्यायपालिका का फैसला संवैधानिक मूल्यों
के प्रति उम्मीद जगाने वाला है
भाकपा ने फैसले का किया स्वागत
लखनऊ- 1 नवंबर 2018, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य
सचिव मंडल ने 31 वर्ष पुराने मेरठ के हाशिमपुरा जनसंहार के दोषी 16 पीएसी कर्मियों को आजीवन
कारावास की सजा के फैसले का स्वागत किया है। ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश और देश में
कई संगीन मामलों के पीड़ित न्याय की आस लगाये बैठे हैं, इस फैसले ने उनमें न्याय के लिये नई उम्मीद
जगाई है। भाकपा ने पीड़ितों की हानि की विकरालता को देखते हुये उन्हें पर्याप्त मुआबजे
की मांग भी की है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा॰
गिरीश ने कहाकि अभी मोब लिंचिंग, सांप्रदायिक दंगों और नरसंहार, बम ब्लास्ट, फर्जी मुठभेड़ें और जेनयू के छात्र नजीब
के लापता होने के कई मामले जांच और न्यायिक प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। देर से ही मगर
दुरुस्त आये इस फैसले ने जहां पीड़ित वर्ग में न्याय की उम्मीद जागी है वहीं आस्था, धर्म, जातीय और सांप्रदायिक विद्वेष से लथपथ ताकतों
को म्यान में रहने का संदेश दिया है। यह प्रशासनिक मशीनरी और उन सुरक्षा बलों के लिये
भी एक सबक है जो घ्रणा और हिंसा की राजनीति करने वालों के हाथों की कठपुतली बन कर भक्षक
बन जाते हैं।
यह फैसला इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि अल्पसंख्यकवाद
और तुष्टीकरण का हौवा खड़ा करने वाली भाजपा और आरएसएस जैसी ताकतों को भी यह कठघरे में
खड़ा करता है। ये ताक़तें अल्पसंख्यकों की रक्षा हेतु आवाज उठाने वाली ताकतों पर अल्पसंख्यकवाद
और तुष्टीकरण के मिथ्या आरोप मढ़ती रहती हैं और अपनी हिंसा, विद्वेष और सांप्रदायिक राजनीति को जायज ठहराने की कोशिशों में लिप्त रहती
हैं। इतना ही नहीं ये ताक़तें प्रशासनिक मशीनरी और सुरक्षाबलों में अपनी घुसपैठ और उनके
सांप्रदायीकरण का निरंतर प्रयास करती रहती हैं, खासकर तब जब वे
सत्ता में होती हैं।
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अल्पसंख्यक समुदाय
को निशाना बना कर हत्याएं की गई हैं। यह हिरासत में मौत का मामला है। इसमें मानवाधिकार
का हनन किया गया है और पीड़ितों को न्याय दिलाने में तीन दशक लग गए। इतने समय बाद न्याय
मिलना न्यायपालिका के उद्देश्य को पूरा नहीं करता है। इस मामले में निर्दोष और निहत्थे
लोगों की जानबूझ कर हत्या की गई है। यह किसी भी सुरक्षाबल और राज्य व्यवस्था के लिये
शर्मनाक है।
निश्चय ही हमारी न्यायपालिका का यह फैसला हमारे संविधान
में विहित धर्मनिरपेक्षता, लोकतन्त्र और न्यायिक समानता के मूल्यों
को परिपुष्ट करता है और दीर्घकालिक प्रभाव डालने वाला है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
इस फैसले का तहे दिल से स्वागत करती है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018
at 5:50 pm | 0 comments |
श्री नारायण दत्त तिवारी के निधन पर भाकपा ने शोक जताया
लखनऊ- 18 अक्तूबर 2018, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने
स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, पूर्व राज्यपाल, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को समर्पित, उदार, सहज तथा लोकप्रिय नेता श्री नारायण दत्त तिवारी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त
किया है। पार्टी ने शोक संतप्त परिवार और उनके सगे- संबंधियों के प्रति सहानुभूति प्रकट
करते हुये उन्हें इस पीढ़ा को सहन कर पाने में समर्थ होने की कामना की है।
यहां जारी एक प्रैस बयान
में पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि श्री तिवारी आजीवन सांप्रदायिकता, जातिवाद और विभाजन की राजनीति का विरोध करते रहे।
सत्ता पक्ष में और सत्तासीन रहते हुये भी उन्होने सभी को सहज सम्मान दिया और विपक्ष
की बात को भी पूरा महत्व दिया। मौजूदा व्यवस्था में विकास की तमाम सीमाओं के बावजूद
उन्होने उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के विकास को हर संभव प्रयत्न किया। आम जनता के
लिए भी वे सहजता से उपलब्ध्द रहे। उनका जीवन आज के दंभी, मौकापरस्त और फूटपरस्त नेताओं के लिए एक गहरे सबक
की तरह है। उनके निधन से सादगी, मिलनसारिता और सबके प्रति मैत्री भाव के एक युग की सामाप्ति होगयी है, जिसको पुनर्जीवित करने के प्रयास किये जाने चाहिये।
उत्तर प्रदेश भाकपा उन्हें श्रध्दा सुमन अर्पित करती है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018
at 1:21 pm | 0 comments |
Constitute JPC on Rafel Deal: CPI. CPI will organise protest on ground label.
राफेल डील की JPC से जांच की मांग को लेकर भाकपा का राष्ट्रीय अभियान 24 अक्तूबर को
लखनऊ- 11 अक्तूबर 2018, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी राफेल डील घोटाले के खुलासे और इसके लिये संयुक्त संसदीय कमेटी ( JPC )
के गठन की मांग को लेकर आगामी 24 अक्तूबर को जिलों जिलों में आन्दोलन करेगी। आन्दोलन
के तहत प्रदर्शन,
धरने,
आम सभाएं और गोष्ठियां आयोजित की जायेंगी।
उपर्युक्त जानकारी यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल के सचिव डा॰ गिरीश
ने यहां जारी एक प्रेस बयान में दी। उन्होने यह भी बताया कि 24 अक्तूबर को ही वामपंथी
दलों द्वारा नई दिल्ली के मावलंकर हाल के कान्स्टीट्यूशन क्लब में राफेल डील की संयुक्त
संसदीय समिति द्वारा जांच कराये जाने की मांग को लेकर संयुक्त कन्वेन्शन का आयोजन किया
जारहा है।
डा॰ गिरीश ने कहाकि राफेल डील का मामला जो पहले
ही काफी गंभीर मामला बन चुका था,
अब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केन्द्र सरकार से डील की सारी प्रक्रिया बन्द लिफाफे में
मांग लेने से और भी गंभीर बन गया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन के अचानक फ्रान्स
जाने से इस पर शंकाओं और रहस्य के बादल और भी गहरा गए हैं। विपक्ष के विरूध्द निरंतर
दहाड़ने वाले प्रधानमंत्री भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस गंभीर सवाल पर निरंतर चुप्पी
साधे हुये हैं। उनकी यह चुप्पी देश में बेचैनी पैदा कर रही है।
कारण स्पष्ट है कि इस बात के पहले से ही काफी
प्रमाण हैं कि इस घोटाले में भारत सरकार,
प्रधानमंत्री तथा प्रधानमंत्री कार्यालय पूरी तरह से संलिप्त हैं।
भारत सरकार लगातार कह रही है कि यह डील गोपनीय
समझौते के तहत आता है। लेकिन अब फ्रान्स के राष्ट्रपति कह रहे हैं कि कीमतों की खुली
घोषणा की जासकती है और इस पर उन्हें कोई एतराज नहीं है। फ्रेंच कंपनी के अनुसार मौजूदा
डील की कीमतें पहले से तीन गुना अधिक हैं।
इस डील का सबसे अधिक आपत्तिजनक पहलू यह है कि
भारत में इसके असेंबलिंग का काम विमान निर्माण में दक्षता प्राप्त भारत के सार्वजनिक
क्षेत्र के उपक्रम ‘हिंदुस्तान
ऐरोनौटिक्स लिमिटेड’
( HAL )
को न देकर श्री अनिल अंबानी की नयी नवेली कंपनी को दे दिया गया। फ्रान्स के पूर्व राष्ट्रपति
हौलांडे ने खुलासा किया है कि अनिल अंबानी की कंपनी के नाम का प्रस्ताव किसी अन्य ने
नहीं खुद भारत सरकार ने किया था।
भारत सरकार इसका खंडन करती रही है। लेकिन क्या
सरकार बतायेगी कि क्यों डील पर हस्ताक्षर के वक्त प्रधानमंत्री मोदी एचएएल के प्रतिनिधियों
के बजाय अनिल अंबानी को साथ लेगये। फ्रान्स के अधिकारियों के अनुसार भारत सरकार ने
अनिल अंबानी को रुपये 30 हजार करोड़ का सीधा लाभ पहुंचाया है। यह क्रौनी कैपिटलिज्म
को बढ़ाने वाला नहीं है क्या?
क्या इससे एचएएल को बन्दी और बेरोजगारी के गर्त में नहीं धकेल दिया गया है? सवाल यह भी उठता
है कि इतने महत्वपूर्ण और संवेदनशील समझौते के वक्त प्रधानमंत्री जी रक्षामंत्री और
विदेशमंत्री को साथ क्यों नहीं लेगये?
भाकपा राज्य सचिव ने कहाकि देश की सुरक्षा और
भारी भ्रष्टाचार से जुड़े इस सवाल की अनदेखी नहीं की जासकती। अतएव भाकपा ने 24 अक्तूबर
को देशव्यापी आन्दोलन का निश्चय किया है। उत्तर प्रदेश में हर स्तर पर अन्य वामदलों
का सहयोग प्राप्त करने का प्रयास भी किया जायेगा। भाकपा ने अपनी समस्त जिला इकाइयों
का आह्वान किया है कि वे इस अभियान से अधिकाधिक जनता को जोड़ें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा , उत्तर
प्रदेश
बुधवार, 10 अक्टूबर 2018
at 6:49 pm | 0 comments |
CPI, U.P. Condemned Rail exedent in Raibareli
भाकपा ने उत्तर
प्रदेश में हुये रेल हादसों पर गहरी चिंता जताई
मृतक परिवारों और
घायलों को पर्याप्त आर्थिक मदद की मांग की
लखनऊ- 10 अक्टूबर 2018,
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आज उत्तर प्रदेश के रायबरेली में
हुये रेल हादसे पर गहरी चिन्ता और पीड़ा जतायी है. अभी अभी झांसी के निकट मालगाड़ी
के इंजन के पटरी से उतरने की खबर ने और भी चिंता पैदा करती है.
यहां जारी एक प्रेस बयान
में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि आज फिर एक बढ़ा रेल हादसा होगया जिसमें
कई लोगों की जानें चलीं गयीं और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. दुर्घटना के कई
घंटे बाद भी घटनास्थल पर अफरा तफरी मची है, यहाँ तक कि दुर्घटना में अनाथ हुये
अबोध बच्चे तक वहीं भटक रहे हैं. यह केन्द्र और राज्य सरकार की संवेदनहीनता को
उजागर कर देता है.
उन्होंने कहाकि श्री मोदीजी
के शपथ ग्रहण के दिन से शुरू हुआ भीषण रेल दुर्घटनाओं का सिलसिला आज उनके शासन के
साढ़े चार साल बाद भी अबाध तरीके से जारी है. इससे रेल यात्रियों में भारी असुरक्षा
व्याप्त है. जो सक्षम हैं और जहां उपलब्धता है लोग ट्रेन के बजाय हवाई जहाज से
यात्रा कर रहे हैं. जो मजबूर हैं वे यमराज की पर्याय बनी रेल से यात्रा करने को
मजबूर हैं.
सुरक्षा के नाम पर किये
जारहे उपायों के नाम पर हर रोज तमाम ट्रेनें घंटों लेट की जारहीं हैं और यात्री
हलकान होरहे हैं. झांसी के पास मालगाड़ी के रेल इंजन के पटरी से उतरने की एक खबर भी
अभी अभी आयी है. इससे समस्या की जटिलता और स्थिति की भयावहता को आसानी से समझा
जासकता है.
भाकपा ने मांग की सरकार रेल
हादसे रोकने के लिये पर्याप्त कारगर कदम उठाये, प्रति मृतक के परिवार को रु. बीस
लाख मुआबजा दे, घायलों का इलाज सक्षम सरकारी अस्पतालों में कराया जाए और गंभीर रूप
से घायलों को दो व कम घायलों को एक लाख रु. का मुआबजा दिया जाए. जो बच्चे अनाथ हुए
हैं उनके लालन पालन और शिक्षा की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार बहन करे.
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा , उत्तर प्रदेश
सोमवार, 8 अक्टूबर 2018
at 6:05 pm | 0 comments |
CPI condemned Attack on U.P.and Bihar people in Gujaraat
भाकपा ने गुजरात में उत्तरा प्रदेश और बिहार के लोगों पर हमलों की कड़े
शब्दों में निन्दा की
मोदी- योगी से हमलों की नैतिक जिम्मेदारी लेने और उत्तर प्रदेशवासियों
से क्षमा मांगने की
की मांग
लखनऊ- 8 अक्तूबर 2018, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने
गुजरात में उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले लोगों
पर होरहे शारीरिक हमलों की कड़े शब्दों में निन्दा की है। पार्टी ने इन हमलों के लिए
मोदी और योगी से नैतिक जिम्मेदारी लेने की मांग की है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में पार्टी के राज्य
सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि महाराष्ट्र के बाद अब गुजरात में भी बिहार और उत्तर प्रदेशवासियों
पर गंभीर शारीरिक हमले होरहे हैं। इन हमलों के विरूध्द गुजरात के मुख्यमंत्री को कड़ी
चेतावनी देने के बजाय योगी आदित्यनाथ उनसे वार्ता का नाटक कर रहे हैं और हर मामले की
तरह इन घटनाओं की जिम्मेदारी गुजरात के कथित विकास से ईर्ष्या रखने वालों पर डाल रहे
हैं। पल पल मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने तो इन खतरनाक घटनाओं पर मुह तक
नहीं खोला।
भाकपा ने मोदीजी से सवाल किया कि क्या आपका यही
गुजरात माडल है?
क्या भाजपा और संघ का यही राष्ट्रवाद है?
जिस उत्तर प्रदेश के लोगों ने मोदीजी को भारी बहुमत से वाराणसी से जिताया, भाजपा को उत्तर प्रदेश
से 71 लोकसभा सीटें दीं और उसे प्रदेश में पूर्ण बहुमत देकर भाजपा की सरकार बनायी उस
प्रदेश के निवासियों के साथ मोदी के अपने प्रदेश में ऐसा घिनौना वरताव असहनीय है। समय
आने पर उत्तर प्रदेशवासी इसका जरूर माकूल जबाव देंगे।
भाकपा राज्य सचिव ने गुजरात में रह रहे और अपने
परिश्रम से गुजरात को धनवान बनाने में अतुलनीय योगदान कर रहे हिंदीवासियों को कड़ी सुरक्षा
देने,
उनके इलाज की समुचित व्यवस्था करने तथा उन पर हमले करने वालों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही
करने की मांग की है। उन्होने कहाकि मोदीजी और योगीजी को इन घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी
लेते हुये उत्तर प्रदेशवासियों से माफी मांगनी चाहिये।
डा॰ गिरीश
शनिवार, 29 सितंबर 2018
at 2:59 pm | 0 comments |
CPI condemned encountar of Vivek in Lucknow: Demanded resignation of CM Yogii
विवेक तिवारी हत्याकांड की भाकपा ने की कड़े शब्दों में निन्दा
मुख्यमंत्री से की त्यागपत्र की मांग
लखनऊ- 29 सितंबर 2018, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने गत रात राजधानी लखनऊ में एपल कंपनी के एरिया मैनेजर श्री
विवेक तिवारी की पुलिस द्वारा हत्या की कड़े शब्दों में निन्दा की है। भाकपा ने आरोप
लगाया कि अब तक प्रदेश में कमजोर तबकों के एंकाउंटर किए जारहे थे और योगी सरकार अपनी
पीठ थपथपा रही थी तथा पुलिसजनों को महिमामंडित कर रही थी। इससे बड़े मनोबल वाली पुलिस
ने अब राजधानी में यह जघन्य हत्याकांड कर डाला।
भाकपा राज्य सचिव
डा॰ गिरीश ने कहा कि लोकतन्त्र में ऐसी घटनाओं की जिम्मेदारी जनता द्वारा चुने शासकों
की बनती है। अतएव मुख्यमंत्री के ‘एक्टिविज्म’ मात्र से काम चलने
वाला नहीं। मुख्यमंत्री को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिये और अपने पद से तत्काल
इस्तीफा दे देना चाहिये। उन्होने कहाकि श्री तिवारी के परिवार की मांग पर सीबीआई से
जांच कराया जाना जरूरी है,
पर योगी के सत्ता में रहते निरपेक्ष जांच असंभव है।
भाकपा राज्य सचिव
ने मांग की कि पीड़ित परिवार को रुपये 50 लाख का मुआबजा दिया जाये, म्रतक की पत्नी को
सरकारी नौकरी दी जाये तथा श्री तिवारी की सहकर्मी सना को केस समाप्त होने तक सुरक्षा
दी जाये। डा॰ गिरीश ने कहाकि अब वक्त आगया है कि योगीराज में हुये फर्जी एंकाउंटर्स
और मोब लिंचिंग की घटनाओं की जांच के लिये एक न्यायिक आयोग बैठाया जाये ताकि जिम्मेदारियाँ
निर्धारित की जासकें और दोषियों को जेल के सींखचों के पीछे भेजा जासके।
भाकपा राज्य सचिव
मंडल ने अपनी जिला कमेटियों का आह्वान किया कि वे लखनऊ, अलीगढ़ और प्रदेश
के अन्य हिस्सों में होरहे एंकाउंटर्स,
मोब लिंचिंग की घटनाओं और भाजपा तथा उसकी पुलिस की हिंसा के खिलाफ कल से ही विरोध जताएं
और राज्यपाल के नाम ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
गुरुवार, 27 सितंबर 2018
at 5:27 pm | 0 comments |
CPI, U.P. supported Bandh of Traders
भाकपा ने व्यापारिक संगठनों के बन्द को समर्थन प्रदान किया
लखनऊ- 27 सितंबर 2018, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और इसमें आई॰
टी॰ सी॰,
वालमार्ट जैसी कंपनियों का प्रवेश,
जी॰ एस॰ टी॰ की जटिलताओं,
पेट्रोल- डीजल की कीमतों में असहनीय व्रध्दी,
नोटबंदी से हुयी व्यापार की तवाही तथा आन लाइन ट्रेडिंग जैसी समस्याओं के खिलाफ कल
( 28 ) सितंबर को व्यापारिक संगठनों द्वारा आहूत उत्तर प्रदेश बन्द का समर्थन किया
है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव
डा॰ गिरीश ने कहाकि भूमंडलीकरण के दौर में स्वदेशी उद्योग, लघु उद्योग व्यापार
और क्रषी की रक्षा करने के बजाय केन्द्र और राज्यों की सरकारें विदेशी कंपनियों और
कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने में जुटे हैं। परिणामस्वरूप देश की पूंजी का 71 प्रतिशत
भाग चंद पूंजी घरानों के हाथ में सिमट कर रह गया है और शेष जनता 29 प्रतिशत पूंजी पर
गुजारा कर रही है। कालेधन के रूप में तमाम पूंजी विदेशों को जारही है। रुपये की कीमतों
में अभूतपूर्व गिरावट का यह एक प्रमुख कारण है।
कारपोरेट और वित्तीय पूंजी लघु उद्यमी, व्यापारी और किसानों-
कामगारों को तवाह कर रही है। अंबानी सरीखे लोग प्रति घंटे 12: 50 करोड़
कमा रहे हैं वहीं आम आदमी की आमदनी घट कर बेहद नीचे पहुँच गयी है। इससे व्यापारी, किसान, लघु उद्यमी, दस्तकार और कामगार
सभी नाराज हैं और वे संघर्षरत हैं। कल का बन्द इसी कड़ी का हिस्सा है जिसे सफल बनाया
जाना चाहिये।
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपनी तमाम कतारों का
आह्वान किया कि वे व्यापारिक संगठनों के इस बन्द को नैतिक और भौतिक समर्थन प्रदान करें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,
उत्तर प्रदेश।
मंगलवार, 25 सितंबर 2018
at 2:13 pm | 0 comments |
अलीगढ़ में हुये फर्जी एंकाउंटर की भाकपा ने निन्दा की। न्यायिक जांच की आवाज उठाई।
लखनऊ- 25 सितंबर 2018, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने गत दिनों अलीगढ़ में पुलिस द्वारा की गयी दो मुस्लिम नौजवानों
की सुनियोजित हत्या की निन्दा की है। पार्टी ने इस घटना की जांच किसी कार्यकारी न्यायाधीश
से कराने की मांग की है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में पार्टी के राज्य
सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि अतरौली क्षेत्र में होरही ताबड़तोड़ हत्याओं से दबाव
में आई अलीगढ़ पुलिस ने फर्जी एंकाउंटर का प्लाट तैयार कर दो मुस्लिम नौजवानों की हत्या
कर दी। अब पुलिस की मदद से स्थानीय सांप्रदायिक तत्व घटना को कम्यूनली कैश करने में
जुटे हैं। हालात यह हैं कि नामनिहाद संस्थाएं पुलिस के आला अफसरों का अभिनंदन कर रहीं
हैं और बड़ी ही बेशर्मी से पुलिस अफ़सरान उनके हाथों मालायें पहन रहे हैं और अपने सेवा
संबंधी कोड का मज़ाक उड़ा रहे हैं।
डा॰ गिरीश ने कहाकि यदि इस हत्याकांड की न्यायिक
जांच करा दी जाये तो इस सारे षडयंत्र का पर्दाफाश होजायेगा और हत्यारे जेल के सींखचों
के भीतर होंगे। उन्होने म्रतक परिवारों को रुपये 20 लाख प्रति परिवार मुआबजा देने की
मांग की।
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपनी जिला इकाई को
निर्देश दिया कि वह घटनास्थल पर पहुंच कर जांच पड़ताल करे, पीड़ित परिवारों से
मिले और इस अन्याय पर स्थानीय तौर पर प्रतिरोध दर्ज कराये। साथ ही व्यापक रिपोर्ट तैयार
कर राज्य कार्यालय को भी प्रेषित की जाये।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,
उत्तर प्रदेश
मंगलवार, 11 सितंबर 2018
at 6:09 pm | 0 comments |
मूल्यव्रध्दी एवं जनता के अन्य सवालों पर सरकार को घेरेगी भाकपा: पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल की बैठक में कई निर्णय लिये गये
लखनऊ- 11 सितंबर 2018, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउंसिल की दो दिवसीय बैठक यहां संपन्न
हुयी। बैठक की अध्यक्षता राजेन्द्र यादव पूर्व विधायक ने की। बैठक में भाकपा के केन्द्रीय
सचिव कामरेड भालचंद कांगो ने अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय परिद्रश्य पर विस्तार से
जानकारी दी। राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने प्रदेश के बिगड़ते हालातों की समीक्षा करते हुये
क्रत कार्यों और भविष्य की गतिविधियों की रूपरेखा संबंधी रिपोर्ट रखी जिसे व्यापक चर्चा
के बाद पारित कर दिया गया।
राज्य काउंसिल बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव की उत्तर
प्रदेश में पार्टी की रणनीति पर भी गहनता से विचार विमर्श हुआ। पार्टी ने प्रदेश में
भाजपा को हराने और अपना खाता खोलने की जरूरत को महसूस करते हुये चुनींदा सीटों पर चुनाव
लड़ने का निश्चय किया है। पार्टी इसके लिये तैयारियों में जुट गयी है।
पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतों में भारी व्रद्धि, महंगाई और रुपये के अधः पतन को लेकर 10 सितंबर के वामदलों व अन्य के राष्ट्रव्यापी
अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन और महंगाई से लहूलुहान जनता के हितों को ध्यान में रखते हुये
राज्य काउंसिल ने केन्द्र सरकार से मांग की कि वह तत्काल पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें
पर्याप्त कम करे तथा रुपये के क्षरण को रोकने को तत्काल आवश्यक कदम उठाये।
पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी मांग की कि वो अन्य
राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी पेट्रोल डीजल पर वैट कम करके उसकी कीमतें घटाये।
पार्टी ने चेतावनी दी कि यदि कीमतें शीघ्र कम नहीं की गईं तो जनता की जेब से निकाले
जारहे जनता के धन की वापसी के लिये भाकपा आंदोलन तेज करेगी।
राज्य काउंसिल बैठक में केरल में बाढ़ की विभीषिका से
हुयी तबाही और अब वहाँ फैल रही महामारियों से निपटने तथा पुनर्निर्माण और पुनर्वास
में केरल की जनता की मदद करने को “केरल की जनता के साथ
एकजुटता सप्ताह” आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत 17
से 24 सितंबर के बीच समूचे प्रदेश में नुक्कड़ सभाएं एवं जन चौपाल लगा कर भाकपा कार्यकर्ता
केरल की जनता की सहायता के लिये जनता से फंड मांगेंगे। उत्तर प्रदेश से भाकपा और उसके
सहयोगी संगठन दो लाख के लगभग धनराशि पहले ही भेज चुके हैं।
पेट्रोल डीजल की कीमतों, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, समूह हत्याएं, लोकतन्त्र और आजादी पर हमले उत्तर प्रदेश
के किसान कामगारों के सवालों पर केन्द्र और राज्य सरकार को घेरने के लिये भाकपा ने
मंडलीय रेलियाँ आयोजित करने का निर्णय भी लिया है। जिन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा जाना
है वहाँ विधान सभा स्तर पर रेलियाँ क्षेत्रीय रेलियों के बाद की जायेंगी।
पार्टी बैठक में रेखांकित किया गया कि जनता के ज्वलंत
सवालों पर भाकपा जमीनी स्तर पर संघर्षरत और सक्रिय है और उसके जनाधार और संगठन का विस्तार
होरहा है।
भाकपा ने आज सुल्तानपुर में 2005 में शहीद हुये नौजवानों
को उनकी वरसी पर श्रध्दांजली देने सुल्तानपुर जारहे भाकपा राज्य सचिव का॰ हीरालाल यादव, पॉलिट ब्यूरो सदस्य का॰ सुभाषिणी अली और अन्य नेताओं की गिरफ्तारी की निन्दा
की है। भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि अपना जनाधार खिसकता देख योगी सरकार
बौखला गयी है और अब वह शांतिपूर्ण सभाओं तक को रोक रही है। कल भी सरकार ने जनपद सोनभद्र
में 108 वामपंथी कार्यकर्ताओं को और हरदोई में 3 भाकपा कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतरने
से पहले ही गिरफ्तार कर लिया था॰ भाकपा ने माकपा कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग
की है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
सोमवार, 10 सितंबर 2018
at 7:54 pm | 0 comments |
Left protest against price rise.
महंगाई के खिलाफ वामपंथी दलों का उत्तर प्रदेश भर में
जबरदस्त प्रतिरोध प्रदर्शन
लखनऊ- 10 सितंबर 2018, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दामों में बेतहासा व्रध्दी, डालर
के मुक़ाबले रुपये की कीमत में असहनीय गिरावट और हाड़तोड़ महंगाई के खिलाफ वामपंथी दलों
ने हर जिले में जबरदस्त प्रतिरोध प्रदर्शन प्रदर्शन किया।
आज पूर्वान्ह से ही हर जगह वामपंथी दलों के जत्थे प्रतिरोध
प्रदर्शन हेतु सड़कों पर उतर गये। कई जगह प्रदर्शन किये गये, जाम लगाये गये और अनेक जगह केन्द्र और राज्य सरकार के पुतले फूंके गये। कई
जिलों में वामपंथी दलों के सैकड़ों कार्यकर्ता गिरफ्तार किये गये।
डा॰ गिरीश ने कहाकि अनेक जगह व्यापारिक प्रतिष्ठानों
ने स्वतः बन्दी रखी। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी व्यापारी संगठन ने विपक्ष के इस आंदोलन
का कोई विरोध नहीं किया। किसानों, कामगारों, युवाओं, विद्यार्थियों, शिक्षकों, अधिवक्ताओं आदि समाज के विभिन्न तबकों ने विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।
राजधानी लखनऊ में वामपंथी दलों के सैकड़ों कार्यकर्ता
भाकपा के केसरबाग स्थित कार्यालय पर एकत्रित हुये और आक्रोशपूर्ण नारे लगाते हुये जीपीओ
स्थित गांधी प्रतिमा पर पहुंचे, जहां आमसभा की गई। प्रदर्शन का
नेत्रत्व भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं राज्य सचिव डा॰ गिरीश, सहसचिव
अरविंदराज स्वरूप, इम्तियाज़ अहमद पूर्व विधायक, का॰ आशा मिश्रा, सीपीएम की पूर्व सांसद और पोलिटब्यूरो
सदस्य सुभासिनी अली, सचिव मण्डल सदस्य प्रेमनाथ राय, मधु गर्ग, आर॰ एस॰ बाजपेयी, माले
के नेता रमेश सिंह सेंगर आदि ने किया।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने प्रतिरोध अभियान को कामयाब
बनाने को सभी वामपंथी कार्यकर्ताओं और अन्य सहयोगियों को बधाई दी है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उतर प्रदेश
बुधवार, 29 अगस्त 2018
at 7:16 pm | 0 comments |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निन्दा और उनकी फौरन रिहाई की मांग की
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मण्डल ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं
और बुध्दिजीवियों सुधा भारद्वाज, वरनन गोन्साल्वस, गौतम नवलखा, वरवारा राव एवं अरुण
फ़रेरा जो दलितों, आदिवासियों और समाज के अन्य कमजोर तबकों के लिये
संघर्ष करते रहे हैं के घरों पर देश भर में की गयी छापेमारी और उनकी गिरफ्तारी की कड़े
शब्दों में निन्दा की है।
सरकार ने उनके ऊपर शहरी नक्सलवादी होने का काल्पनिक
आरोप लगाया है। यह कितना आश्चर्यजनक है कि एक ओर सरकार अपनी पीठ थपथपाने के लिये नक्सलवाद
के खत्म होने के दाबे करती है वहीं दूसरी तरफ प्रतिरोध की आवाज को दबाने को हर घ्रणित
हथकंडा अपना रही है।
भीमा कोरेगांव में दलितों के खिलाफ हिंसक वारदातों के
बाद भाजपा की केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के ऊपर फर्जी
आरोप लगाने और उनको माओवादियों से जोड़ने के लिये विभिन्न जांच एजेंसियों का स्तेमाल
करती रही हैं।
भाकपा की यह द्रढ़ राय है कि यह सब कार्यवाही सनातन संस्था
द्वारा ईद और गणेश चतुर्थी पर सीरियल ब्लास्ट करने की योजना और गौरी लंकेश, दाभोलकर, गोविंद पनसारे और दूसरे पोंगापंथ विरोधियों
की हत्या में इनकी संलिप्तता से ध्यान हटाने के उद्देश्य से कीगयी है।
यह दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों तथा समाज के अन्य कमजोर तबकों के ऊपर होने वाले अन्याय और अत्याचारों
के खिलाफ आवाज उठाने वालों को धमका कर उनकी आवाज बन्द करने की साजिश है। सर्वोच्च न्यायालय
ने भी इस पर गंभीर टिप्पणी की है कि असहमति की आवाज लोकतन्त्र के लिये सेफ्टी बाल्व
है।
इन कारगुजारियों से एक बार फिर वर्तमान सरकार का फासीवादी
चेहरा सामने आगया है। यह घटनाक्रम एक बार फिर भारतीयों के संवैधानिक अधिकारों और लोकतन्त्र
की रक्षा के लिये सभी धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक एवं
वामपंथी ताकतों की एकता और कार्यवाही की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
भाकपा सभी गिरफ्तार शख़्सियतों की तत्काल रिहाई और उन
पर लगाये गए सभी झूठे और मनगढ़ंत आरोपों की वापसी की मांग करती है।
डा॰ गिरीश
सोमवार, 27 अगस्त 2018
at 8:18 pm | 0 comments |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश ने केरल आपदा राहत हेतु एक लाख रुपयों का चैक भाकपा महासचिव को सौंपा।
लखनऊ/ नई दिल्ली 27 अगस्त 2018- भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल के सचिव डा॰ गिरीश एवं अन्य साथियों ने केरल
की आपदा राहत हेतु रुपये एक लाख का चेक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव
कामरेड एस॰ सुधाकर रेड्डी एवं सचिव का॰ शमीम फ़ेजी को पार्टी के केन्द्रीय मुख्यालय, नई दिल्ली पहुँच कर सौंपा।
इस अवसर पर भाकपा की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य
का॰ गफ्फार अब्बास, का॰ जितेन्द्र शर्मा, का॰ शरीफ अहमद, बीकेएमयू के नेता विजेन्द्र निर्मल, प्रोफेसर सदासिव, मुक्ति संघर्ष के सह संपादक महेश
राठी, सगीर अहमद एवं मोहम्मद शाहिद आदि प्रमुख रूप से मौजूद
थे।
इस अवसर पर डा॰ गिरीश ने कहाकि भाकपा की उत्तर
प्रदेश राज्य इकाई केरल के पुनर्निर्माण में हर संभव योगदान करेगी। महासचिव एस॰ सुधाकर
रेड्डी ने कहाकि उत्तर प्रदेश की भाकपा ने इस मानवीय कार्य को जिस संजीदगी से लिया
है उसके लिए उसके नेता और कार्यकर्ता बधाई और प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होने
उम्मीद जताई कि भाकपा उत्तर प्रदेश राहत राशि इकट्ठा करना जारी रखेगी और केन्द्रीय
मुख्यालय को भेजती रहेगी।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा उत्तर प्रदेश
रविवार, 26 अगस्त 2018
at 6:54 pm | 0 comments |
अस्थियों पर वोट की राजनीति कर रहे हैं संघ और भाजपा: डा॰ गिरीश
प्रक्रति के प्रकोप के चलते कई वर्षों से गुमनामी
के अंधेरे में खोये रहे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी अंततः इस
दुनियां को अलविदा कह गये। उनकी मौत पर हर कोई दुखी था और दलीय तथा विचारधाराओं की
सीमायें लांघ कर लगभग सभी दलों ने उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन
कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी जो वैचारिक रूप से संघ और भाजपा की सांप्रदायिक, विभाजनकारी, फासीवादी और जनविरोधी नीतियों की मुखर
आलोचक रही हैं।
इसका कारण यह था कि हम एक बहुदलीय लोकतन्त्र में
जीरहे हैं जिसमें राजनैतिक विरोध स्वाभाविक है, व्यक्तिग्त विरोध
का कोई स्थान नहीं। हालांकि राजनैतिक दलों की संकीर्णता और निहित स्वार्थों के
चलते समय समय पर व्यक्तिगत विरोध भी छलकता रहता है। दूसरे हमारी ऐतिहासिक परंपरा है
कि म्रत्यु के बाद मतभेद अथवा वैमनस्य खत्म होजाता है।
लेकिन भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार ने श्री
अटल बिहारी बाजपेयी जो कि कई वर्षों से संघ परिवार में पूरी तरह उपेक्षित थे और
यदि वे स्वस्थ होते तो श्री आडवाणी जी की तरह ही घनघोर उपेक्षा के शिकार होते, की मौत को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वोट बटोरने के एक नायाब मौके के
रूप में देखा और पूरा संघ परिवार उनकी मौत को भुनाने में जुट गया। अन्त्येष्टि से
लेकर अस्थि कलश विसर्जन तक सबकुछ सुनियोजित तरीके से किया गया और आगे भी हमें ऐसे कई
हथकंडे देखने को मिलेंगे।
2014 के लोकसभा चुनावों में वोट बटोरने के लिये
उछाले गये जुमले जब बुरी तरह बेनकाब होकर निष्प्रभावी होगये तो 2019 के चुनाव की
पूर्व वेला में श्री अटल बिहारी के दिवंगत होने की प्राक्रतिक घटना को संघ ने
भुनाने की ठान ली। दिवंगत अटल बिहारी भाजपा के लिये अब ‘वोट बिहारी’ बन कर रह गये हैं। उनकी अस्थियाँ आज ‘वोटस्थियाँ’ और अस्थि कलश आज ‘वोट
कलश’ बन कर रह गये हैं। यही वजह है कि श्री अटल के असली परिवारीजन
और विपक्षी पार्टियां भाजपा पर आज हड्डियों पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं।
अब अस्थियों पर राजनीति करने की भाजपा और संघ की
कोशिश कितनी सफल होगी यह तो भविष्य ही तय करेगा। पर ये वो आसुरी शक्तियां हैं जो
अस्थियों पर राजनीति करने के लिये सुविख्यात हैं। राजनैतिक स्वार्थों के लिये ये
अपनों की मौत को कई दिनों तक छिपाये रह सकते हैं। मौत की अधिक्रत घोषणा से पहले
श्रध्दांजलि अर्पित कर सकते हैं। वोटों की खातिर सूखी आंखों को पोंछ कर गम का
क्रत्रिम इजहार कर सकते हैं।
1989 में अयोध्या में कथित कार सेवकों जिन्होने
इनके उकसाबे पर संविधान, राष्ट्रीय एकता परिषद और सर्वोच्च
न्यायालय के निर्देशों की धज्जियां उड़ायीं थीं, की कथित हड्डियों
को गांव गांव गली गली घुमाकर इन्होने समाज विशेष की कोमल भावनाओं को सांप्रदायिक
ज्वार में बदला और फिर उनके नाम पर वोट बटोर कर उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में
सत्तायें हथियायीं। उसी सरकार की छतरी तले वे सारे कायदे कानूनों और आदेशों
निर्देशों को ठेंगा दिखा कर बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर चुके हैं। इससे उपजे
सांप्रदायिक विभाजन पर ये आज तक वोटों की फसलें उगा रहे हैं।
अपने सुपरिचित हथकंडों को अपनाते हुये आज वे पुनः
श्री अटल बिहारी बाजपेयी की अस्थियों पर वोट की फसल उगाने की कोशिश में जुटे हैं। हिन्दू
धर्म और परंपराओं के रक्षक होने का दाबा करने वाले ये लालची धर्म और परंपराओं को भी
भूल गये। शास्त्रों के अनुसार अस्थियों का विसर्जन किसी मान्य तीर्थस्थल पर
निकटस्थ परिजनों द्वारा एकल रूप से किया जाना चाहिये ताकि दिवंगत आत्मा को
चिरस्थायी शान्ति प्राप्त होसके। लेकिन इन्होने उन्हे 4000 भागों में बांट दिया।
अब मुश्किल से 70- 75 ग्राम आस्थियाँ चार हजार कलशों में क्यों और कैसे विभाजित की
गईं यह तो भाजपा ही बता सकती है।
अटलजी उस संघ के कार्यकर्ता थे जिसके पास तिल को ताड़
बनाने की ताकत है। वह संघ जो अपने झूठे प्रचार और मैसमेरिज्म के जरिये करोड़ों लोगों
को भ्रमित कर गणेश प्रतिमाओं को दूध पिलाने को मंदिरों के बाहर कतारों में खड़ा कर सकता
है। उसी संघ की छतरी तले अटल जी का अधिकांश जीवन विपक्ष में ही बीता। उनकी वाकपटुता
को संघ ने खूब भुनाया। वे कई बार चुनाव हारे तो संघ ने उसे एक योग्य नेता का अपमान
प्रचारित किया। पहली बार वे जोड़तोड़ से प्रधानमंत्री बने और विश्वास हासिल नहीं कर पाये।
संघ ने प्रचारित किया कि यह एक योग्य व्यक्ति को सत्ता से दूर रखने की साजिश है। अंततः
वे फिर जोड़तोड़ से प्रधानमंत्री बने। संघ ने जनता को फर्जी ‘फील गुड’ का अहसास कराया और ‘इंडिया
इज शाइनिंग’ का जुमला उछाला। लेकिन 2004 में जनता ने उन्हें बाहर
का रास्ता दिखा दिया। उसके बाद वे गुमनामी में किसी और ने नहीं उसी संघ और भाजपा ने
धकेल दिये जिनके कि वे सदैव संकटमोचक बने।
‘जिन्दा हाथी लाख का मरा डेढ़ लाख का’ की तर्ज पर भाजपा आज उनकी सीमित लोकप्रियता को बढ़ा चड़ा कर पेश कर रही है।
वह आज उन्हें आजादी के बाद का सबसे महान नेता जताने का प्रयास कर रही है। संघ उस ऐतिहासिक
तथ्य को भी ढांपना चाहता है कि वह आजादी के आंदोलन से बाहर था और उसके द्वारा क्रत्रिम
तौर पर गड़े और खड़े किये गये क्रत्रिम नायक या तो अंग्रेजों से माफी मांग रहे थे या
फिर आजादी के लिये जूझने वालों के खिलाफ गवाहियाँ डेराहे थे। वीर सावरकर और अटल बिहारी
संघ द्वारा गड़े गये नायकों में सबसे आगे की कतार में खड़े हैं।
उनके पास आज आज सत्ता है, सत्ता के कारण भीड़ है, पर्याप्त संख्या में संघ का काडर
है, दौलत है और सबसे ऊपर हवाबाज़ मीडिया है। इस सबके बल पर वे
अटलजी का क्रत्रिम महिमा क्षेत्र तैयार कर रहे हैं। भूख, गरीबी, दमन, अत्याचार से दमित जनता का ध्यान बंटाने की कोशिश
कर रहे हैं। हर चुनाव क्षेत्र तक लाव लश्कर के साथ पहुँचने के लिये गंदी संदी नालेनुमा
नदियों तक में अस्थि विसर्जन का ढोंग रचा जारहा है। आयोजनों पर अनाप शनाप जनता की गाड़े
पसीने की कमाई को बहाया जारहा है। आपदाग्रस्त केरल को मात्र रु॰ 600 करोड़ देकर हाथ
झाड लिये गये मगर वोट कलश विसर्जन पर अथाह धन व्यय किया जारहा है। देश के कोने कोने
में बाड़ आयी हुयी है। आम जनता पर अनेक मुसीबतों का पहाड़ टूटा पड़ा है, पर मान्य मंत्रीगण कंधों पर कलश लिये घूम रहे हैं। वोट बटोरने की इस म्रग
मरीचिका में वे अपने निर्धारित दायित्वों से भाग रहे हैं।
अब यह तो वक्त ही बताएगा कि 2004 में खुद सिंहासन पर
आरूढ़ प्रधानमंत्री श्री बाजपेयी तत्कालीन एनडीए को बहुमत नहीं दिला पाये तो क्या आज
के एनडीए की डूबती नाव को पार लगा पायेंगे। पर संघ और भाजपा 2019 के लोकसभा चुनावों
की पूर्ववेला में हुयी श्री अटल की मौत को राजनैतिक रूप से भुनाने में कोई कसर नहीं
छोड़ना चाहते।
डा॰ गिरीश
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