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शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

सीआरएफ ओल्डएज होम की 10वीं जयंती


कामरेड सीआर को एक श्रद्वांजलि

महान अक्टूबर समाजवादी क्रांति से विश्व भर में अनेक लोगों को यह प्रेरणा मिली कि एक ऐसे नये समाज के निर्माण के लिए संघर्ष किया जाये जो एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग को या एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के शोषण से विहीन हो। उससे प्रेरणा पाकर लोगों ने एक ऐसा समाज बनाने की कोशिश की जिसमें गरीबी, बेरोजगारी और असमानता न हो, ऐसे लोगों में एक नाम है का. चन्द्र राजेश्वर राव का। उन्हें लोग प्यार से का. सी.आर. कहा कहते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन मेहनतकश लोगों के हित में संघर्ष के लिए समर्पित किया। वह एक जाने-माने देशभक्त और महान कम्युनिस्ट नेता थे। सभी उनका अत्यंत सम्मान करते थे। वह ढाई दशक तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव रहे। अपनी अंतिम सांस तक जनता के निर्विवाद नेता बने रहे। उन्होंने पैतृक सम्पत्ति में अपने हिस्से को पार्टी के तेलुगु दैनिक ”विशालांध्र“ को दान कर दिया था।
मृत्यु से ठीक पहले उन्होंने अपनी विरासत में लिखा था कि उनकी किताबें पार्टी को दी दी जाये और उनके कपड़े जरूरतमंद लोगों को दे दिये जाये। सीआर कहा करते थे कि हरेक कम्युनिस्ट की यह जिम्मेदारी है कि वह बुद्ध लोगों की सामान्यतः और जिन लोगों ने समाज के हितों के लिए अपने जीवन को पूरी तरह खपाया उन वयोवृद्ध लोगों के लिए खास कर मदद के लिए आगे आयें।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जन संघर्षों के साथ ही साथ रचनात्मक कार्यों को भी अपने हाथ में लेती रही है। सीआर के नाम पर एक फाउंडेशन बनाना इसी का एक उदाहरण है। पार्टी की पहल पर सीआर फाउंडेशन का गठन किया गया। अपने गठन के बाद से यह फाउंडेशन तेलंगाना सशस्त्र संघर्ष के हीरो एवं दबे-कुचले लोगों के लिए जीवन भर संघर्षरत रहने वाले का. सी.आर. राजेश्वर राव की स्मृति में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम करता रहा है।
पार्टी को उन लोगों के लिए बड़ी चिंता थी जिन्होंने मेहनतकश जनता के लिए अपने पूरे जीवन का बलिदान कर दिया था। इनमें ऐसे भी अनेक साथी होते हैं जिनकी वृद्धावस्था में देखभाल के लिए भी कोई नहीं होता। पार्टी का विचार था कि ऐसे लोगों की ठीकठाक से देखभाल की कोई व्यवस्था की जानी चाहिए, ऐेसे वरिष्ठ नागरिकों को पार्टी कार्यालयों में रखने के स्थान पर पार्टी को उनके सम्मान एवं आराप के साथ रहने ही व्यवस्था करनी चाहिए। इसी विचार के अनुसार सीआर फाउंडेशन फाॅर प्रोग्रेस का गठन किया गया जो अपने प्रिय नेता सीआर की स्मृति में उपरोक्त उद्देश्य के लिए विविध कार्यकलापों का आयोजन करता है।
का. नीलम राजशेखर रेधी, का. एन. गिरिप्रसाद और का. दासारी नागभूषण राव की पहलकदमी पर सीआर फाउंडेशन ने एक ‘ओल्डएज होम’ और अनुसंधान केन्द्र का निर्माण किया। इस उदात्त कार्य के लिए राज्य सरकार ने 5 एकड़ जमीन 33 वर्ष की लीज पर दी। तत्कालीन गृहमंत्री इन्द्रजीत गुप्त ने उसका शिलान्यास किया।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री चतुरानन मिश्र, टीडीपी प्रमुख नारा चन्द्रबाबू नायडू, कांग्रेस नेता वाई.एस. राजशेखर रेधी (पूर्व मुख्यमंत्री), के.पी. रघुनाथ रेधी (पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल) आदि अनेक नेताओं ने फाउंडेशन के कार्यक्रमों में आकर गरिमा बढ़ायी है। उन लोगों ने कम्युनिस्टों के योगदन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। अनेक रानैतिक हस्तियों और गैर सरकारी संस्थाओं ने फाउंडेशन को आर्थिक सहयोग दिया है। केरल और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों ने भी सीआर फाउंडेशन को आर्थिक सहयोग देकर इस काम में मदद की है।
सीआर फाउंडेशन के तहत एक ‘ओल्डएज होम’, नीलम राजशेखर रेधी अनुसंधान केन्द्र, एक मेडिकल सेन्टर और दो महिला कल्याण केन्द्र चल रहे हैं। यह सब संगठन सुन्दर फूलों, सब्जियों की क्यारियों वाले गार्डन और साथ ही हरे-भरे घूमने के रास्तों के मनोहर वातावरण के बीच बने हैं। ‘ओल्डएज होम’: इसकी स्थापना राष्ट्रपति महात्मा गांधी जन्मदिवस दो अक्टूबर के दिन दस वर्ष पहले की गयी थी। इसकी शुरूआत में यहां पांच ही लोग रहते थे। अब उनकी संख्या बढ़कर 112 हो गयी है जिनमें 59 महिलाएं हैं। दो मंजिल ‘ओल्डएज होम’ में 68 कमरे और चार सामूहिक शयनगृह (डारमिटरी) हैं। हाल ही में एक लिफ्ट भी लगायी गयी है। ग्राउंड फ्लोर में डाइनिंग हाल है जिसमें 54 व्यक्ति एक साथ भोजन कर सकते हैं। पहली मंजिल पर भी एक अन्य डाइनिंग हाल बनाया गया है। पानी गर्म करने के लिए एक सोलर हीटर लगाया गया है जो 200 लोगों के लिए गर्म पानी देता है।
‘ओल्डएज होम’ का मासिक खर्च तीन लाख रुपये के लगभग होता है जिसका कुछ भार वहां रहले वाले भी उठाते हैं। वहीं पर उगने वाली सब्जियां रसोई में काम आती है। वहीं होने वाले फल भी खाने में दिये जाते हैं। ‘ओल्डएज होम’ में एक पुस्तकालय, वाचनालय और टीवी की सुविधाएं उपलब्ध है।
मेडिकल सेंटर: ” स्वाथ्स्य ही धन है“ की कहावत ‘ओल्डएज होम’ के लिए सटीक बैठती है। यहां स्थित मेडिकल सेंटर आस-पास की बस्तियों को चिकितया सेवा दे रहा है। यह सेंटर जनवरी 2003 में शुरू किया गया था। जर्मनी में प्रशिक्षित एक लेडी डाक्टर और एक नर्स ‘ओल्डएन होम’ में रहनेे वाले लोागें एवं अन्य रोगियों की देखभाल करती है। एक सुप्रशिक्षत और अनुभवी नर्स ‘ओल्डएज होम’ में ही रहती है। केयर अस्तपाल ने ‘ओल्डएज होम’ को गोद लिया और वही इस नर्स का खर्च उठाती है। हाल ही में एक डायोनिस्टिक केन्द्र भी शुरू किया गया है। जांच के लिए मामूली शुल्क लिया जाता है जिससे इस केन्द्र का रखरखाव किया जाता है।
वर्ष में तीन बार स्वास्थ्य कैम्प लगाये जाते हैं। इन कैम्पों में स्त्रीरोग विशेषज्ञों, जनरल फिजीशयिनों, दंतचिकित्सकों, नेत्र चिकित्सकों, मधुमेह विशेषज्ञों को बुलाया जाता है और मरीजों को मुफ्त दवाएं दी जाती है। इन केम्पों में औसतन 800 मरीजों को रोग निदान किया जाता है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय महिला फेडरेशन के स्थानीय नेता इन कैम्पों को सफलतापूर्वक चलाने में डाक्टरों की सहायता करते हैं। आंख के आपरेशन भी किये जाते हैं। राष्ट्रीय डीओटी कार्यक्रम की मदद से तपेदिक की दवाएं दी जाती है। यहां कई युवा महिलाओं का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है और उन्हें बच्चे हुए हंै। यहां गर्भाशय की बीमारियों से पीड़ित अनेक महिलाओं का भी सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। मेडिकल सेंटर पोलियो कार्यक्रम में हिस्सा लेता है। हाल के कार्यक्रम में 500 बालकों को पोलियो ड्राप पिलायी गयी। मेडिकल सेंटर चिकनगुनिया के मरीजों को होम्यो पिल्स बांटता है।
नीलम राजशेखर रेधी अनुसंधान केन्द्र: इस अनुसंधान केन्द्र में 56000 पुस्तकें हैं। पुस्तकालय में 6 दैनिक पत्र और 10 पत्रिकाएं आती हैं। केन्द्र अब तक 20 पुस्तकें प्रकाशित कर चुका है। विभिन्न अवसरों पर अनेक विषयों पर जैसे कि इटली के महान चिंतक ग्रेम्शी, 21वीं सदी में समाजवाद, कृषि एवं उद्योगीकरण पर सेमिनार किये गये है। 21 से 24 दिसम्बर 2009 तक ”माक्र्सवाद और समकालीन विश्व पर सेमिनार हो रहा है। इन सेमिनारों को प्रखात हस्तियों ए.बी. बर्धन, प्रभात पटनायक, जयति घोष, राम मनोहर रेधी, शोभनलाल दत्तागुप्त आदि ने संबोधित किया है।“
महिला कल्याण केन्द्र: केन्द्र ने महिला सशक्तीकरण के मुद्दे को बड़े पैमाने पर हाथ में लिया है। सभी जानते है कि 1940 के दशक तक शिक्षा सामान्यतः महिलाओं की पहुंच से दूर थी। जो महिलाएं स्कूलों में जाने की हिम्मत करती थी उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। तो भी अरूतला कमला देवी जैसी महिलाओं ने साहस किया, हर तरह के उत्पीड़न का मुकाबला किया और शिक्षा प्राप्त की। वह तेलंगाना सशस्त्र संघर्ष के प्रमुख लड़ाकों में भी थी। वह लगातार तीन बार राज्य विधानसभा के लिए चुनी गयी। बाद में उन्हें डाक्टरेट भी प्रदान किया गया। महिला कल्याण केन्द्र का नाम उनके नाम पर रखा गया है। यह केन्द्र इस इलाके में विज्ञान केन्द्र के रूप में भी काम करता है। केन्द्रीय मंत्री डग्गुबती पुरदेश्वरी ने अरूतला कमलादेवी भवन का उद्घाटन किया था।
आंध्र प्रदेश महिला समख्या (भारतीय महिला फेडरेशन) की विख्यात नेता यारलगधा भाग्यवादी की स्मृति में एक वोकेशनल टेªनिंग सेंटर खोला गया। उसका शिलान्यास आंध्र प्रदेश विधानसभा की तत्कालीन अध्यक्ष प्रतिभा भारती ने किया था। उसका भवन निर्माण होने के बाद तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री पानाबाकी लक्ष्मी ने उसका उद्घाटन किया। इस केन्द्र में अनेक युवा महिलाएं और विधवाएं सिलाई और कढ़ाई का काम सीख रही है, कुछ महिलाएं कम्प्यूटर का कोर्स भी कर रही है। इसमें केवल तीन महीने की प्रशिक्षण अवधि है। यहां पर साड़ी रोलिंग, मेहंदी और ब्यूटीशियन के कोर्स की कोचिंग भी की जाती है। इसके अलावा जरदोजी और बैग बनने के कोर्स भी चलाये जाते हैं।
अरतला कमलादेवी भवन में हाल में 540 युवा महिलाओं ने सिलाई में, 244 ने कढ़ाई में और 257 ने कम्प्यूटर कोर्स में प्रशिक्षण पाया है। इनमें से 75 प्रतिशत महिलाएं अब 2000 से 3000 रुपये मासिक कमा रही हैं। हाल ही में 155 महिलाओं ने जरदोजी में और 155 ने बैग बनाने में प्रशिक्षण समाप्त किया। वे 3000 रुपये मासिक से भी अधिक कमा रही हैं। यहां प्रशिक्षित कुछ महिलाओं को कई प्रतिष्ठित संस्थाओं में भी काम मिल गया है।
नेपाल के प्रधालमंत्री माधव कुमार नेपाल, मणिपुर के मंत्री पारिजात सिंह, उड़ीसा के पूर्व संसद पंडा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस के डेलीगेटों और अन्य अनेक प्रख्यात हस्तियां फाउंडेशन में आ चुकी है। विदेशों से जैसे की जर्मनी के क्लोज पीटर्स, कनाडा के श्री राजवी और श्रीमती राजवी भी यहां आ चुके हैं।
महिला कल्याण केन्द्रों में महिलाओं को जागरूक बनाने, स्वतंत्र होकर काम करने के संबध में क्लासें चलायी जाती है। ”कुटीर उद्योगों के लिए ऋण कैसे लें“, ”कल्याण योजनाएं“, ”साम्प्रदायिक सौहार्द“ जैसे विषयों पर भी क्लासें चलायी गयी हैं।
सीआर फाउंडेशन ने अपनी लगातार कार्रवाइयों के जरिये इस क्षेत्र की जनता के दिलों दिमाग में अपनी जगह बनायी है।
6 नवंबर 2009 को फाउंडेशन के ‘ओल्डएज होम’ की स्थापना की दसवीं जयंती समारोहपूर्वक मनायी गयी। इस मौके पर अनेक स्वतंत्रता सेनानी, कम्युनिस्ट नेता और तेलंगाना सशस्त्र संघर्ष में भाग लेने वाले वयोवृद्ध लोग वहां आये। सीआर फाउंडेशन की जनरल बाडी मीटिंग की अध्यक्षता फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं पूर्व संसद सदस्य सुरवरम सुधाकर रेधी ने की। जनरल बोडी ने फाउंडेशन के नये नेतृत्व का चयन किया, जिसमें ए.बी. वर्धन को मानद अध्यक्ष, सुरवरम सुधाकर रेधी को अध्यक्ष, डा. के. नारायणा और अजीज पाशा को उपाध्यक्ष, पुवधा नागेश्वर राव एमएलसी को महासचिव, वी. चेन्नाकेशव को सचिव और वी. रामनरसिन्हा राव को कोषाध्यक्ष चुना गया।
जनरल बोडी मीटिंग को संबोधित करते हुए ए.बी. वर्धन ने कहा कि जिन लोगों ने पार्टी और देश की सेवा में अपनी पूरी जिन्दगी लगा दी उनके लिए कोई आराम की जगह बने इसकी बड़े लम्बे अरसे से जरूरत थी। सीआर फाउंडेशन ने उस जरुरत को पूरा किया और फाउंडेशन के कार्यकलाप अत्यंत संतोषजनक रहे हैं।
विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के कुशल देखरेख में फाउंडेशन का काम आगे बढ़ रहा है। जो लोग यहां रहते हैं उनकी सेवा करना और साथ ही आम लोगों की सेवा करना, असल में, का. सी. आर. को यही समुचित श्रद्धांजलि होगी।

वी.एम. नरसिम्हा राव

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