भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

शनिवार, 14 अगस्त 2010

संसद में भाकपा - अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के कल्याण का पैसा भी राष्ट्रमंडल खेलों में हजम

राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की तैयारियों के सिलसिले में सामने आये व्यापक भ्रष्टाचार के संबंध में बोलते हुए भाकपा सांसद डी. राजा ने अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए चिन्हित पैसे को भी इन खेलों के आयोजन में खर्च किये जाने पर गंभीर आपत्ति की। उन्होंने कहा कि:
”वामपंथ, दक्षिणपंथ और मध्यमार्ग के मध्य मतभेदों के बावजूद सदन ने इस मुद्दे को बहस के लिए लिया है। इससे पता चलता है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के प्रति हरेक को सरोकार है। हम आज जिस बात की चर्चा कर रहे हैं वह तो आइसबर्ग की दिखने वाली चोटी मात्र है, असल मसला इससे बहुत बड़ा है। अनुसूचित जाति के लिए विशेष अंगभूत योजना (स्पेशल कम्पोनेन्ट प्लान) और आदिवासी उपयोजना के प्रश्न वृहत्तर मुद्दे हैं और मेरे पास जानकारी है कि कई राज्य सरकारें आज भी स्पेशल कम्पोनेन्ट प्लान या ट्राइबल सब प्लान के लिए पैसा चिन्हित नहीं करती। केन्द्र सरकार के 24 से अधिक केन्द्रीय विभागों में इन योजनाओं के लिए कोई अलग आबंटन नहीं है और वे समझते हैं कि इसके लिए अलग पैसा आबंटन की जरूरत नहीं। इतना कहने के बाद, मैं कहना चाहता हूं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए तय पैसे को अन्यत्र खर्च कर देना अक्षम्य है। यह संवैधानिक दायित्वों के साथ विश्वासघात है, चाहे वह केन्द्र सरकार हो या कोई राज्य सरकार। इसे संविधान की भावना के विरूद्ध एक अपराध मानना होगा। सरकार दावा करती है कि यह आम आदमी की सरकार है, पर वह जो कुछ भी कर रही है, वह आम आदमी के खिलाफ है।
यह मात्र एक अत्याचार नहीं है। यह आज के जमाने का एक गंभीर अत्याचार है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लोग राष्ट्र के लिए जो दौलत पैदा करते हैं, उसमें उनके वाजिब हिस्से को हड़प कर लिया जाये। यह लोकतंत्र के नाम पर चुनी जाने वाली सरकारों द्वारा किये जाने वाला भयंकर अपराध है। ऐसी चीजें जारी रहें, इसे सहन नहीं किया जा सकता। राष्ट्रमंडल खेल देश के लिए गौरव की बात होने चाहिये थे पर यह शर्म की बात बन रही है। सरकार के पास क्या जवाब है?यह एक गंभीर अपराध है। आज यह दिल्ली में हो रहा है, कल अन्य राज्यों में हो सकता है। अतः यह सही समय है कि केन्द्र सरकार हस्तक्षेप करे और जो कुछ हुआ है, उसे सुधारे। यह पैसा वापस दिया जाये और अनुसूचित जातियों के लिए स्पेशल कम्पोनेन्ट प्लान और ट्राइबल सब प्लान को योजना आयोग के दिशानिर्देशों के तहत इन लोगों के कल्याण के लिए योजनाओं के रूप में समझा जाना चाहिये।“
- डी. राजा

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य