फ़ॉलोअर
सोमवार, 16 अगस्त 2010
at 8:29 pm | 1 comments | सत्य नारायण ठाकुर
निर्माण: संगठित उद्योग, किंतु असंगठित मजदूर?
निर्माण उद्योग सभी आर्थिक गतिविधियों को आधार प्रदान करनेवाले देश का उच्च कोटि का संगठित आधुनिक उद्योग है। इसमें अन्य उद्योगों की तुलना में सर्वाधिक पूंजी निवेश और श्रमशक्ति कार्यरत है, किंतु इस उद्योग का विचित्र विरोधाभास इस तथ्य में निहित है कि यह सौ फीसद औपचारिक उद्योग का दर्जा हासिल करने के बावजूद, इसमें काम करने वाले प्रायः अनौपचारिक श्रमिक हैं। यह अजीबोगरीब स्थिति है कि उद्योग संगठित है, जबकि इसमें कार्यरत मजदूर असंगठित। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन; आईएलओ के भारत स्थित कार्यालय के अध्ययन के मुताबिक भारत के निर्माण उद्योग में 82.58 फीसद श्रमिक कैजुअल और टेम्परेरी हैं, जिनके रोजगार बिचौलिये ठेकेदारों की मनमर्जी पर निर्भर है। इन आकस्मिक कहे जानेवाले मजदूरों का रोजगार टिकाऊ नहीं है, इन्हें न्यूनतम पारिश्रमिक नहीं मिलता, इन्हें सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं है, आवास और स्वास्थ्य चिकित्सा नहीं, कार्यस्थल पर सुरक्षा नहीं, यहां तक कि इनके नियमित वेतन भुगतान की गारंटी भी नहीं है। क्या यह स्वस्थ भारतीय निर्माण उद्योग का प्रमाण है?
भारत के तेज आर्थिक विकास ने अधिसंरचना की जरूरतों, जैसे सड़क, रेल, बंदरगाह, हवाईअड्डा, बांध, नहर, बिजली, सिंचाई, आवास, शहरीकरण, भवन, कल-कारखाने, विशेष आर्थिक क्षेत्र आदि को बढ़ावा दिया है। इन सब जरूरतों को पूरा करने के लिये निर्माण उद्योग का विस्तार अनिवार्य हो गया है। निर्माण उद्योग के विस्तार के साथ अन्य धंधों का विस्तार भी जुड़ा है, जैसे सीमेंट, अलकतरा, लोहा इस्पात, ईंटभट्टा, पत्थरतोड़ आदि। इसके साथ ही इनमें सुरक्षा, कृषि, यातायात, ट्रांसपोर्ट सहित अनेक औद्योगिक गतिविधियां शामिल हैं। इसीलिए 11वीं पंचवर्षीय योजना में निर्माण उद्योग में निवेश का आबंटन 20,00,000 करोड़ रुपये किया गया है।
योजना आयोग के आकलन के मुताबिक निर्माण उद्योग में 36,000 करोड़ रुपये का वार्षिक खर्च होगा। योजना आयोग ने यह भी बताया है कि निवेश की तुलना में इंजीनियरों, तकनीशियनों एवं कुशल श्रमिकों की संख्या में गिरावट हो रही है। मतलब जिस रफ्तार से निर्माण उद्योग में पूंजीनिवेश बढ़ रहा है, उस रफ्तार में कुशल श्रमिकों की संख्या बढ़ने के बजाय घट रही है। इसका मतलब यह निकलता है कि भारतीय निर्माण उद्योग में अकुशल मजदूरों की संख्या बढ़ रही है। योजना आयोग को अंदेशा है कि यह रूझान चिंताजनक है और इसकी परिणति घटिया निर्माण कार्यों में होगी, जिससे भारत की औद्योगिक अधिसंरचना कमजोर पड़ेगी, जो स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि निर्माण उद्योग की घटिया गुणवत्ता से देश को उच्च पथ, बांध, पुल, मेट्रो, रेलमार्गों, बंदरगाह, हवाईअड्डा, विद्युत गृह, सामान्य आवास आदि कमजोर होंेगे।
क्या हम कमजोर और घटिया संरचना स्वीकार करेंगे? इस प्रश्न का उत्तर एक अन्य प्रश्न से किया जाना उचित है। क्या यह कहना सही है कि हमारे पास पर्याप्त कुशल मजदूर नहीं हैं?
नहीं, यह कथन सही नहीं है। हमारे देश में पर्याप्त कुशल श्रमिक मौजूद हैं। रिकार्ड पर कुशल श्रमिकों की बड़ी तादाद को अकुशल की श्रेणी में डाला जाता है, यह बताकर कि उन्हें औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं है। उन्हें अनौपचारिक कहा जाता है। दरअसल रोजगार नियोजन का अनौपचारिक नियोजकों के हाथों में क्रूर शोषण का वह गंदा हथियार है, जिसकी तरकीब से मजदूरों से कुशल श्रम लिया जाता है, किंतु उन्हें अकुशल श्रम का पारिश्रमिक भुगतान किया जाता है। शोषण का यह गंदा तरीका तुरंत खत्म किया जाना चाहिये।
यह सर्वविदित है कि भारत में कुशल श्रमिकों के भारी तादाद को औपचारिक शिक्षा नहीं है। उन्हें औपचारिक डिप्लोमा/डिग्री प्राप्त नहीं है। इसके बावजूद वे कुशल मजदूर हैं और कुशल कोटि के कामों को सफलतापूर्वक अंजाम देने में सक्षम हैं। वे कार्यस्थल पर वर्षों व्यावहारिक काम करते रहने के दौरान अनुभवी प्रशिक्षित मजदूर हैं। वे लंबे समय तक कार्यस्थल पर काम करते हुए प्रशिक्षित हुए हैं। इनके द्वारा संपन्न किया गया काम की गुणवत्त को किसी प्रकार भी डिग्रीधारी लोगों के कामों को गुणवत्ता से कम नहीं आंकी जाती है। वे घटिया काम नहीं करते, प्रत्युत्त वे अच्छे कामों को अंजाम देते हैं। जरूरत इस बात की है कि हम इस हकीकत को मंजूर करें और ऐसे कुशल एवं सक्षम मजदूरों के कौशल को कौशल का प्रमाणपत्र जारी करके मान्यता प्रदान करें।
आईएलओ की गणना के मुताबिक भारत में युवा कर्मियों की विशाल संख्या है, लेकिन उनमें (20 से 24 वर्ष के आयु समूह) सिर्फ पांच प्रतिशत मजदूरों ने औपचारिक तरीके से प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जबकि औद्योगिक विकसित देशाों में यह संख्या 60 से 96 प्रतिशत तक है। भारत में कुल श्रमशक्ति का महज 2.3 प्रतिश्ता ने औपचारिक शिक्षा ग्रहण की है। ऊपर के आंकड़े यह साबित करने के लिये दर्शाये गये हैं कि किस प्रकार भारतीय निर्माण उद्योग में बढ़ते पूंजीनिवेश के मुकाबले औपचारिक रूप से प्रशिक्षित कुशल मजदूरों की संख्या में गिरावट हो रही है।
आईएलओ द्वारा प्रदर्शित इस चिंता की हम सराहना करते हैं, जिसमें अनौपचारिक श्रमिकों की बदतर कार्यदशा का वर्णन किया गया है, किंतु उनका यह निष्कर्ष सही नहीं है कि भारतीय निर्माण मजदूर प्रशिक्षित नहीं हैं और वे गुणवत्तापूर्ण कार्य को अंजाम देने में सक्षम नहीं हैं। आईएलओ के ऐसे निष्कर्ष का कोई औचित्य नहीं है। भारतीय निमाण मजदूरों की स्थिति का यह सही मूल्यांकन नहीं है। भारत के निर्माण मजदूर व्यावहारिक तौर पर प्रशिक्षित है। उन्हें भारतीय परिस्थिति में पारंपरिक तरीके से प्रशिक्षित किया गया है। अब यह सरकार का काम है कि श्रमिकों में विद्यमान कौशल की पहचान कर उनका समुचित प्रमाणीकरण किया जाय। इस सम्बंध में हमारा निम्नांकित सुझाव है:
क) अधिकार प्राप्त प्राधिकरण द्वारा उन सभी मजदूरों को समुचित श्रेणियों में योग्यता और कौशल का प्रमाण पत्र जारी करना, जिन्होंने पारंपरिक तरीके से व्यावहारिक कार्य करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
ख) मजदूरों के कौशल समृद्धि के लिये कार्यस्थल पर काम करते समय प्रशिक्षण के स्थायी विशेष उपाय करना।
ग) श्रम समूह में निरंतर प्रशिक्षित श्रमिकों के आगमन सुनिश्चित करने को निमित्त प्रत्येक हाई स्कूल परिसर में नियोजकों के खर्चें से विभिन्न उद्योगों/धंधों का प्रशिक्षण सत्र चलाना। ऐसे प्रशिक्षण सत्र का खर्च नियोजकों द्वारा उठाना जाना उचित है, क्योंकि श्रमिकों का अंततः एकमात्र लाभार्थी नियोजक ही होता है।
निर्विवाद रूप से भारतीय निर्माण उद्योग में प्रशिक्षित श्रमिकों की भारी संख्या हैं, जिनका प्रशिक्षण व्यावहारिक काम करने की प्रक्रिया में हुआ है। जरूरत है उनकों मान्यता प्रदान करने की, जिसके वे पूर्ण हकदार है।
कुशल मजदूरों की निरंतर प्राप्ति के लिये हाई स्कूलों में निरंतर प्रशिक्षित सत्र आयोजित किया जाना उपयोगी होगा। बहुत से छात्र अनेक कारणों से कालेज में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला नहीं करा पाते हैं। उनको उचित प्रशिक्षित देकर काम का अवसर प्रदान किया जा सकता है। इस प्रकार का प्रशिक्षण शिक्षा की उपयोगिता बढ़ाने में योगदान करेगा और शिक्षा को रोजगारमुखी बनायेगा।
निर्माण उद्योग विभिन्न श्रेणियों के श्रमिकों की संख्या
1995 2005 10 वर्षों में वृद्धि का:
संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत
इंजीनियर्स 687,000 4.70 822,000 2.65 19.66
टैक्नीशियन और फोरमेन 359,000 2.46 573,000 1.85 59.61
सेक्रेटारियल 646,000 4.42 738,000 2.38 14.24
स्किल्ड वर्कर्स 2,241,000 15.34 3,267,000 10.54 45.78
अनस्किल्ड वर्कर्स 10,670,000 73.08 25,600,000 82.58 139.92
कुल 14,603,000100 31,000,000 100 112.28
- सत्य नारायण ठाकुर
भारत के तेज आर्थिक विकास ने अधिसंरचना की जरूरतों, जैसे सड़क, रेल, बंदरगाह, हवाईअड्डा, बांध, नहर, बिजली, सिंचाई, आवास, शहरीकरण, भवन, कल-कारखाने, विशेष आर्थिक क्षेत्र आदि को बढ़ावा दिया है। इन सब जरूरतों को पूरा करने के लिये निर्माण उद्योग का विस्तार अनिवार्य हो गया है। निर्माण उद्योग के विस्तार के साथ अन्य धंधों का विस्तार भी जुड़ा है, जैसे सीमेंट, अलकतरा, लोहा इस्पात, ईंटभट्टा, पत्थरतोड़ आदि। इसके साथ ही इनमें सुरक्षा, कृषि, यातायात, ट्रांसपोर्ट सहित अनेक औद्योगिक गतिविधियां शामिल हैं। इसीलिए 11वीं पंचवर्षीय योजना में निर्माण उद्योग में निवेश का आबंटन 20,00,000 करोड़ रुपये किया गया है।
योजना आयोग के आकलन के मुताबिक निर्माण उद्योग में 36,000 करोड़ रुपये का वार्षिक खर्च होगा। योजना आयोग ने यह भी बताया है कि निवेश की तुलना में इंजीनियरों, तकनीशियनों एवं कुशल श्रमिकों की संख्या में गिरावट हो रही है। मतलब जिस रफ्तार से निर्माण उद्योग में पूंजीनिवेश बढ़ रहा है, उस रफ्तार में कुशल श्रमिकों की संख्या बढ़ने के बजाय घट रही है। इसका मतलब यह निकलता है कि भारतीय निर्माण उद्योग में अकुशल मजदूरों की संख्या बढ़ रही है। योजना आयोग को अंदेशा है कि यह रूझान चिंताजनक है और इसकी परिणति घटिया निर्माण कार्यों में होगी, जिससे भारत की औद्योगिक अधिसंरचना कमजोर पड़ेगी, जो स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि निर्माण उद्योग की घटिया गुणवत्ता से देश को उच्च पथ, बांध, पुल, मेट्रो, रेलमार्गों, बंदरगाह, हवाईअड्डा, विद्युत गृह, सामान्य आवास आदि कमजोर होंेगे।
क्या हम कमजोर और घटिया संरचना स्वीकार करेंगे? इस प्रश्न का उत्तर एक अन्य प्रश्न से किया जाना उचित है। क्या यह कहना सही है कि हमारे पास पर्याप्त कुशल मजदूर नहीं हैं?
नहीं, यह कथन सही नहीं है। हमारे देश में पर्याप्त कुशल श्रमिक मौजूद हैं। रिकार्ड पर कुशल श्रमिकों की बड़ी तादाद को अकुशल की श्रेणी में डाला जाता है, यह बताकर कि उन्हें औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं है। उन्हें अनौपचारिक कहा जाता है। दरअसल रोजगार नियोजन का अनौपचारिक नियोजकों के हाथों में क्रूर शोषण का वह गंदा हथियार है, जिसकी तरकीब से मजदूरों से कुशल श्रम लिया जाता है, किंतु उन्हें अकुशल श्रम का पारिश्रमिक भुगतान किया जाता है। शोषण का यह गंदा तरीका तुरंत खत्म किया जाना चाहिये।
यह सर्वविदित है कि भारत में कुशल श्रमिकों के भारी तादाद को औपचारिक शिक्षा नहीं है। उन्हें औपचारिक डिप्लोमा/डिग्री प्राप्त नहीं है। इसके बावजूद वे कुशल मजदूर हैं और कुशल कोटि के कामों को सफलतापूर्वक अंजाम देने में सक्षम हैं। वे कार्यस्थल पर वर्षों व्यावहारिक काम करते रहने के दौरान अनुभवी प्रशिक्षित मजदूर हैं। वे लंबे समय तक कार्यस्थल पर काम करते हुए प्रशिक्षित हुए हैं। इनके द्वारा संपन्न किया गया काम की गुणवत्त को किसी प्रकार भी डिग्रीधारी लोगों के कामों को गुणवत्ता से कम नहीं आंकी जाती है। वे घटिया काम नहीं करते, प्रत्युत्त वे अच्छे कामों को अंजाम देते हैं। जरूरत इस बात की है कि हम इस हकीकत को मंजूर करें और ऐसे कुशल एवं सक्षम मजदूरों के कौशल को कौशल का प्रमाणपत्र जारी करके मान्यता प्रदान करें।
आईएलओ की गणना के मुताबिक भारत में युवा कर्मियों की विशाल संख्या है, लेकिन उनमें (20 से 24 वर्ष के आयु समूह) सिर्फ पांच प्रतिशत मजदूरों ने औपचारिक तरीके से प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जबकि औद्योगिक विकसित देशाों में यह संख्या 60 से 96 प्रतिशत तक है। भारत में कुल श्रमशक्ति का महज 2.3 प्रतिश्ता ने औपचारिक शिक्षा ग्रहण की है। ऊपर के आंकड़े यह साबित करने के लिये दर्शाये गये हैं कि किस प्रकार भारतीय निर्माण उद्योग में बढ़ते पूंजीनिवेश के मुकाबले औपचारिक रूप से प्रशिक्षित कुशल मजदूरों की संख्या में गिरावट हो रही है।
आईएलओ द्वारा प्रदर्शित इस चिंता की हम सराहना करते हैं, जिसमें अनौपचारिक श्रमिकों की बदतर कार्यदशा का वर्णन किया गया है, किंतु उनका यह निष्कर्ष सही नहीं है कि भारतीय निर्माण मजदूर प्रशिक्षित नहीं हैं और वे गुणवत्तापूर्ण कार्य को अंजाम देने में सक्षम नहीं हैं। आईएलओ के ऐसे निष्कर्ष का कोई औचित्य नहीं है। भारतीय निमाण मजदूरों की स्थिति का यह सही मूल्यांकन नहीं है। भारत के निर्माण मजदूर व्यावहारिक तौर पर प्रशिक्षित है। उन्हें भारतीय परिस्थिति में पारंपरिक तरीके से प्रशिक्षित किया गया है। अब यह सरकार का काम है कि श्रमिकों में विद्यमान कौशल की पहचान कर उनका समुचित प्रमाणीकरण किया जाय। इस सम्बंध में हमारा निम्नांकित सुझाव है:
क) अधिकार प्राप्त प्राधिकरण द्वारा उन सभी मजदूरों को समुचित श्रेणियों में योग्यता और कौशल का प्रमाण पत्र जारी करना, जिन्होंने पारंपरिक तरीके से व्यावहारिक कार्य करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
ख) मजदूरों के कौशल समृद्धि के लिये कार्यस्थल पर काम करते समय प्रशिक्षण के स्थायी विशेष उपाय करना।
ग) श्रम समूह में निरंतर प्रशिक्षित श्रमिकों के आगमन सुनिश्चित करने को निमित्त प्रत्येक हाई स्कूल परिसर में नियोजकों के खर्चें से विभिन्न उद्योगों/धंधों का प्रशिक्षण सत्र चलाना। ऐसे प्रशिक्षण सत्र का खर्च नियोजकों द्वारा उठाना जाना उचित है, क्योंकि श्रमिकों का अंततः एकमात्र लाभार्थी नियोजक ही होता है।
निर्विवाद रूप से भारतीय निर्माण उद्योग में प्रशिक्षित श्रमिकों की भारी संख्या हैं, जिनका प्रशिक्षण व्यावहारिक काम करने की प्रक्रिया में हुआ है। जरूरत है उनकों मान्यता प्रदान करने की, जिसके वे पूर्ण हकदार है।
कुशल मजदूरों की निरंतर प्राप्ति के लिये हाई स्कूलों में निरंतर प्रशिक्षित सत्र आयोजित किया जाना उपयोगी होगा। बहुत से छात्र अनेक कारणों से कालेज में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला नहीं करा पाते हैं। उनको उचित प्रशिक्षित देकर काम का अवसर प्रदान किया जा सकता है। इस प्रकार का प्रशिक्षण शिक्षा की उपयोगिता बढ़ाने में योगदान करेगा और शिक्षा को रोजगारमुखी बनायेगा।
निर्माण उद्योग विभिन्न श्रेणियों के श्रमिकों की संख्या
1995 2005 10 वर्षों में वृद्धि का:
संख्या प्रतिशत संख्या प्रतिशत
इंजीनियर्स 687,000 4.70 822,000 2.65 19.66
टैक्नीशियन और फोरमेन 359,000 2.46 573,000 1.85 59.61
सेक्रेटारियल 646,000 4.42 738,000 2.38 14.24
स्किल्ड वर्कर्स 2,241,000 15.34 3,267,000 10.54 45.78
अनस्किल्ड वर्कर्स 10,670,000 73.08 25,600,000 82.58 139.92
कुल 14,603,000100 31,000,000 100 112.28
- सत्य नारायण ठाकुर
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...6 वर्ष पहले
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र - विधान सभा चुनाव 2017 - *भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र* *- विधान सभा चुनाव 2017* देश के सबसे बड़े राज्य - उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के गठन के लिए 17वीं विधान सभा क...7 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...7 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
भाकपा का 6 से 9 मई तक धन एवं अन्न संग्रह अभियान उठो साथियों, निकलो - पार्टी के लिए धन की व्यवस्था आपको ही करनी है! भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ...
-
The question of food security is being hotly discussed among wide circles of people. A series of national and international conferences, sem...
-
HUNDRED YEARS OF INTERNATIONAL WOMEN'S DAY (8TH MARCH) A.B. Bardhan Eighth March, 2010 marks the centenary of the International Women...
-
गोहत्या के नाम पर होरही हत्याओं पर घडियाली आंसू बहाना बंद कर कडी कार्यवाही करे मोदी सरकार: भाकपा आगरा- 2जुलाई 2017 , भारतीय कम्युनि...
-
कमज़ोर घोड़ों पर चढ़कर युद्ध नहीं जीते गए कभी कमज़ोर तलवार की धार से मरते नहीं है दुश्मन कमज़ोर कलाई के बूते उठता नहीं है कोई बोझ भयानक हैं जीवन ...
-
भाकपा के तीन दिवसीय आंदोलन में हजारों किसान कामगारों ने भागीदारी की लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के आह्वान पर कि...
-
सर्वप्रथम मैं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जिसकी 22वीं पार्टी कांग्रेस हाल ही में पुडुचेरी में हुई, की नवनिर्वाचित राष्ट्रीय परिषद की तरफ स...
-
Political horse-trading continued in anticipation of the special session of parliament to consider the confidence vote on July 21 followed b...
-
लखनऊ 4 मार्च। हाल ही में अंधविश्वास, संप्रदायवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जंग के चलते महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शहीद हुये भारतीय कम...
-
Something akin to that has indeed occurred in the last few days. Sensex figure has plunged precipitately shedding more than a couple of ...
1 comments:
There are so many within you not doing anything. Ask them to work on this front to organise unorganised sector else get them out of your party.
एक टिप्पणी भेजें