फ़ॉलोअर
शनिवार, 25 सितंबर 2010
at 5:41 pm | 1 comments | प्रदीप तिवारी
आर्थिक सवालों को पृष्ठभूमि में न जाने दें!
इधर कुछ दिनों से साम्प्रदायिक ताकतें अयोध्या के जिन्न को फिर झाड़-पोछ रहीं हैं। एक बार फिर मन्दिर निर्माण के लिए लोगों को भड़काने का विश्व हिन्दू परिषद ने कार्यक्रम बनाया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की हाल ही में जोधपुर में सम्पन्न बैठक में इस कार्यक्रम को अंगीकृत किया गया है।
सोलह अगस्त से विहिप अयोध्या से हनुमान शक्ति जागरण अभियान छेड़ चुकी है। इस अभियान को देश के दो लाख गांवों में ले जाने की उसकी महत्वाकांक्षी योजना है। रथ यात्रा और राम शिला पूजन के बाद की यह उसकी सबसे व्यापक योजना है।
ये सब उस समय किया जा रहा है जब अयोध्या के विवादित स्थल के मालिकाना हक के मुकदमें का फैसला आने के करीब है। इस संभावित फैसले को लेकर उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में तनाव बढ़ाने की कोशिशें चल रहीं हैं। विहिप और आरएसएस का इरादा यह है कि फैसला कुछ भी हो, उन्हें मन्दिर निर्माण के लिए हिन्दूओं को भड़काना और समाज में सद्भाव के वातावरण को दूषित करना है - यदि वे हारते हैं तो आस्था के नाम पर और जीतते हैं तो सर्वोच्च न्यायालय में अपील के खिलाफ एक उभार पैदा करके। उनके राजनीतिक हित बिना भड़कावे के पूरे नहीं हो सकते हैं।
आज पूरे देश की जनता महंगाई से त्राहि-त्राहि कर रही है। बाजार में खाद्यान्नों की कीमतें आसमान पर पहुंच जाने के बावजूद किसानों को उनकी फसलों का लाभप्रद मूल्य नहीं मिल पा रहा है। सरकार को महंगाई थामने की कोई चिन्ता नहीं है जिसके कारण महंगाई कुलांचे भर रही है। संगठित क्षेत्र में रोजगार कम होते जाने के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है। अनौपचारिक क्षेत्रों में रोजगार चले जाने के कारण कहने को तो पूर्णकालिक रोजगार मिलता है परन्तु मिलने वाला वेतन या मजदूरी अर्द्धरोजगार से भी बदतर होती है। अपनी मेहनत से होने वाली कमाई पर निर्भर आम जन-मानस परेशान हाल है।
देश के जन-मानस में महंगाई और आर्थिक नीतियों के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। आन्दोलन खड़े हो रहे हैं। किसान जगह-जगह पर सड़कों पर आ रहे हैं। आर्थिक नीतियों और महंगाई के खिलाफ खड़े हो रहे आन्दोलन वर्गीय चेतना से लैस नहीं हैं परन्तु उनका आधार निश्चित रूप से वर्गीय ही है। कोई सरमायेदार अथवा भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा व्यक्ति इन आन्दोलनों में शिरकत नहीं कर रहा है।
केन्द्र एवं कई राज्यों में सत्तासीन कांग्रेस और उसके सहयोगी दल इन आन्दोलनों को भ्र्रमित कर उन्हें समाप्त करना और कुंठित कर देना चाहते हैं। भाजपा भी अच्छी तरह जानती है कि महंगाई एवं आर्थिक नीतियों के खिलाफ पनप रहा जनाक्रोश उसके हित में नहीं है क्योंकि वह भी उन्हीं आर्थिक नीतियों की पैरोकार है जिन्हें कांग्रेस चला रही है। उसका जनाधार सिकुड़ रहा है। अपने जनाधार को व्यापक करने के लिए आक्रोशित जनता का ध्यान आर्थिक मुद्दों से वह भी हटाना चाहती है।
साम्प्रदायिक या किसी अन्य संकीर्ण उभार की क्रिया और प्रतिक्रिया अंतोगत्वा वर्गीय आधार पर संघर्षों के लिए तैयार हो रही जनता की एकता को ही छिन्न-भिन्न करेंगे और उससे फायदा पूंजीवाद और पूंजीवाद के पैरोकार राजनीतिक दलों को ही होगा। इन तथ्यों के मद्देनजर हमें पूरी चौकसी रखनी है और साजिशों को पराजित कर महंगाई और अन्य आर्थिक मुद्दों पर संघर्षों को और तेज करना और उन्हें धार देना है।
- प्रदीप तिवारी
सोलह अगस्त से विहिप अयोध्या से हनुमान शक्ति जागरण अभियान छेड़ चुकी है। इस अभियान को देश के दो लाख गांवों में ले जाने की उसकी महत्वाकांक्षी योजना है। रथ यात्रा और राम शिला पूजन के बाद की यह उसकी सबसे व्यापक योजना है।
ये सब उस समय किया जा रहा है जब अयोध्या के विवादित स्थल के मालिकाना हक के मुकदमें का फैसला आने के करीब है। इस संभावित फैसले को लेकर उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में तनाव बढ़ाने की कोशिशें चल रहीं हैं। विहिप और आरएसएस का इरादा यह है कि फैसला कुछ भी हो, उन्हें मन्दिर निर्माण के लिए हिन्दूओं को भड़काना और समाज में सद्भाव के वातावरण को दूषित करना है - यदि वे हारते हैं तो आस्था के नाम पर और जीतते हैं तो सर्वोच्च न्यायालय में अपील के खिलाफ एक उभार पैदा करके। उनके राजनीतिक हित बिना भड़कावे के पूरे नहीं हो सकते हैं।
आज पूरे देश की जनता महंगाई से त्राहि-त्राहि कर रही है। बाजार में खाद्यान्नों की कीमतें आसमान पर पहुंच जाने के बावजूद किसानों को उनकी फसलों का लाभप्रद मूल्य नहीं मिल पा रहा है। सरकार को महंगाई थामने की कोई चिन्ता नहीं है जिसके कारण महंगाई कुलांचे भर रही है। संगठित क्षेत्र में रोजगार कम होते जाने के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है। अनौपचारिक क्षेत्रों में रोजगार चले जाने के कारण कहने को तो पूर्णकालिक रोजगार मिलता है परन्तु मिलने वाला वेतन या मजदूरी अर्द्धरोजगार से भी बदतर होती है। अपनी मेहनत से होने वाली कमाई पर निर्भर आम जन-मानस परेशान हाल है।
देश के जन-मानस में महंगाई और आर्थिक नीतियों के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। आन्दोलन खड़े हो रहे हैं। किसान जगह-जगह पर सड़कों पर आ रहे हैं। आर्थिक नीतियों और महंगाई के खिलाफ खड़े हो रहे आन्दोलन वर्गीय चेतना से लैस नहीं हैं परन्तु उनका आधार निश्चित रूप से वर्गीय ही है। कोई सरमायेदार अथवा भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा व्यक्ति इन आन्दोलनों में शिरकत नहीं कर रहा है।
केन्द्र एवं कई राज्यों में सत्तासीन कांग्रेस और उसके सहयोगी दल इन आन्दोलनों को भ्र्रमित कर उन्हें समाप्त करना और कुंठित कर देना चाहते हैं। भाजपा भी अच्छी तरह जानती है कि महंगाई एवं आर्थिक नीतियों के खिलाफ पनप रहा जनाक्रोश उसके हित में नहीं है क्योंकि वह भी उन्हीं आर्थिक नीतियों की पैरोकार है जिन्हें कांग्रेस चला रही है। उसका जनाधार सिकुड़ रहा है। अपने जनाधार को व्यापक करने के लिए आक्रोशित जनता का ध्यान आर्थिक मुद्दों से वह भी हटाना चाहती है।
साम्प्रदायिक या किसी अन्य संकीर्ण उभार की क्रिया और प्रतिक्रिया अंतोगत्वा वर्गीय आधार पर संघर्षों के लिए तैयार हो रही जनता की एकता को ही छिन्न-भिन्न करेंगे और उससे फायदा पूंजीवाद और पूंजीवाद के पैरोकार राजनीतिक दलों को ही होगा। इन तथ्यों के मद्देनजर हमें पूरी चौकसी रखनी है और साजिशों को पराजित कर महंगाई और अन्य आर्थिक मुद्दों पर संघर्षों को और तेज करना और उन्हें धार देना है।
- प्रदीप तिवारी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...5 वर्ष पहले
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र - विधान सभा चुनाव 2017 - *भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र* *- विधान सभा चुनाव 2017* देश के सबसे बड़े राज्य - उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के गठन के लिए 17वीं विधान सभा क...7 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...7 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
सहारनपुर की स्थिति को शीघ्र काबू में करे राज्य सरकार: भाकपा लखनऊ- 10 मई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आरोप लगाया है क...
-
कर्जमाफी: एक बार फिर ठगे गये किसान – भाकपा लखनऊ- 4 अप्रेल 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के कि...
-
भारतीय खेत मजदूर यूनियन की केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक 23 एवं 24 अगस्त 2010 को नई दिल्ली में यूनियन के अध्यक्ष अजय चक्रवर्ती पूर्व स...
-
लखनऊ- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस(प्री) परीक्षा का परचा लीक होने, और उससे संबंधित मांगों पर आन्दोलन कर रहे अभ्यर्थियों को इलाहाबाद...
-
कामेरड अजय घोष द्वारा पार्टी संविधान में परिवर्तन के लिए अमृतसर में विशेष पार्टी महाधिवेशन बुलाया था जिसमें पार्टी ने घोषित किया था- ‘‘कम्य...
-
लखनऊ 12 सितम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य मंत्रिपरिषद की ओर से जारी प्रेस बयान में पार्टी के राज्य सह सचिव अरविन्द राज स्वरूप न...
-
लखनऊ- उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद में 3 दिसंबर को हुये अराजकता के नाच को जिसमें कि एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या और एक ...
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल के सचिव डा0 गिरीश ने 17 से 21 सितंबर तक काठमांडू में संपन...
-
लखनऊ- २६ अप्रैल २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कल लखनऊ में बाबा रामदेव द्वारा दलितों, दलित लड़कियों और महिलाओं के प्रत...
-
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 16वीं विधान सभा का चुनाव हो रहा है। यह चुनाव स्वतंत्र भ...
1 comments:
Beware from rumours.
एक टिप्पणी भेजें