एआईएसएफ ने लखनऊ यूनीवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (लूटा) तथा लखनऊ यूनीवर्सिटी एसोसिएटेड कालेज टीचर्स एसोसिएशन (लुआक्टा) से भी अपील की है कि वे शिक्षकों के हितों के लिए संघर्ष करने के साथ-साथ लूटा की परम्परा के अनुसार उपकुलपति तथा प्रॉक्टोरियल बोर्ड के कतिपय शिक्षकों की हिटलरशाही का भी विरोध करें।
यहां जारी एक प्रेस बयान में एआईएसएफ ने कहा है कि अगर लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता का यह बयान सही होता कि पिटाई विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना की गयी तो उपकुलपति एवं प्रॉक्टोरियल बोर्ड का यह कर्तव्य था कि वे संबंधित पुलिस कर्मियों के खिलाफ भादंसं की धारा 307, 324, 325 के अधीन एफआईआर दर्ज कराते क्योंकि यह अपराध लखनऊ विश्वविद्यालय के परिसर में हुआ है। उनका ऐसा न करना यह साबित करता है कि पिटाई उनके निर्देशों पर और उनकी शह पर की गयी है।
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