”उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनावों की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है। निर्वाचन आयोग ने धनबल, बाहुबल का दुरूपयोग रोकने के लिए काफी कठोर कदम उठाये हैं। लेकिन अब उन पर सख्ती से अमल की जरूरत है। साथ ही कई प्रक्रियाओं को सरल बनाने की भी जरूरत है। अस्तु हम आपसे अनुरोध कर रहे हैं:
- चुनाव की घोषणा के बावजूद पूंजीवादी दलों के प्रत्याशी मतदाताओं के बीच कंबल, शराब तथा कई तरह के उपहार बांटने में जुटे हैं। यह काम स्थानीय पुलिस प्रशासन की नजर में है लेकिन इसकी अनदेखी की जा रही है।
- कई धार्मिक आयोजन एवं अनुष्ठान भी चुनाव प्रचार का साधन बने हैं जिसका खर्च प्रत्याशियों के खर्च में शामिल नहीं हो पा रहा है। इस विषय पर कारगर कदम उठाने की जरूरत है।
- कई विभागों के अधिकारी बसपा के कैडर की तरह काम कर रहे हैं। सरकार के संरक्षण के चलते वे वर्षों से एक ही स्थान पर अपने पदों पर जमे हैं और शासक दल के लिये धन जुटाने के काम में लगे हैं। इस तरह के अधिकारियों की जांच कराके उन्हें या तो स्थानान्तरित कर दिया जाये या उन्हें चुनावों के दौरान मुख्यालय से अटैच किया जाये।
- भारत-नेपाल सीमा तथा उत्तर प्रदेश से सटे राज्यों - बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा आदि की सीमाओं से प्रदेश में अवैध धन, शराब एवं हथियारों के आने पर प्रभावी रोक लगाये जाने की व्यवस्था की भी जरूरत है।
- प्रदेश में चल रही अवैध शराब बनाने की भट्ठियों को तत्काल बन्द कराया जाना चाहिये।
- चुनाव प्रचार के लिये सभाओं की अनुमति लेने की प्रणाली बेहद जटिल है, जिसे सरल बनाया जाये और आवेदन करने के 24 घंटे के अन्दर अनुमति प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय में प्राप्त करा दी जाये।
- नियमित आय-व्यय देने की प्रक्रिया को इस ढंग से सरल बनाया जाये कि प्रत्याशी को कम से कम समय गंवाना पड़े।
- आयोग द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों को निर्देशित किये जाने की जरूरत है कि वे चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशियों द्वारा खोले जाने वाले अस्थाई बचत खातों को खोलने में प्रत्याशियों का सहयोग करें और खाता खोले जाने वाले दिन ही पास बुक एवं चेक बुक जारी करने की व्यवस्था करें।
हमें पूर्ण विश्वास है कि आयोग हमारे सुझावों पर उचित एवं आवश्यक कार्रवाई के लिए विचार करेगा।“
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