शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013
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बैंकों में 18 दिसम्बर को रहेगी हड़ताल - विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी
लखनऊ 6 दिसम्बर। बैंक कर्मचारियों की सबसे बड़ी यूनियन - एआईबीईए के आह्वान पर यू.पी. बैंक इम्पलाइज यूनियन की स्थानीय इकाई ने यूनियन बैंक आफ इंडिया की हजरतगंज शाखा के समक्ष दोपहर में विशाल प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन बैंकों से बड़े धन्ना सेठों, औद्योगिक एवं व्यापारिक घरानों द्वारा अरबों-खरबों के ऋण लेकर डकार जाने की प्रवृत्ति के खिलाफ किया गया। इस मुद्दे पर देश के सभी बैंकों में 18 दिसम्बर को आम हड़ताल का आह्वान बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों की यूनियनों ने किया है।
प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए यूपीबीईयू के उपमहासचिव वी. के. सिंह ने कहा कि जहां मार्च 2008 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में खराब ऋण की राशि 39,090 करोड़ रूपये थी वहीं यह राशि पांच साल के अन्दर बढ़कर 1,64,000 करोड़ रूपये पहुंच चुकी है, जिसके कारण बैंकों को अपनी-अपनी बैलेंस शीट में प्रावधान करना पड़ता है जो 2012-13 में 2008-09 के मुकाबले 11,121 करोड़ से बढ़कर 43,102 करोड़ पहुंच चुका है, जिसका असर बैंको के मुनाफे पर पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप बैंकों ने पिछले पांच वर्ष में कुल 3,58,893 करोड़ रूपये के सकल लाभ कमाने के पश्चात रूपये 1,40,266 करोड़ का प्रावधान खराब ऋणों के लिए किया जिसके कारण शुद्ध मुनाफा घट कर केवल 2,18,627 करोड़ रूपये रह गया। उन्होंने बताया कि 1 करोड़ से ऊपर के 7295 ऋण खातों में 68,292 करोड़ रूपये फंसा हुआ है जबकि अकेले 4 सबसे बड़े ऋण खातों में बैंकों का 22,666 करोड़ रूपये फंसा हुआ है।
यूपीबीईयू के सहायक महामंत्री एस. के. संगतानी ने प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जून 2013 में खराब ऋणों का 35 प्रतिशत अर्थात 63,671.00 करोड़ रूपये 30 सबसे बड़े औद्योगिक घरानां के ऋण खातों में बकाया था जिसके कारण वित्तमंत्री को कहना पड़ा कि ”एक अमीर मालिक की कम्पनी बीमार हो, ऐसा नहीं हो सकता, मालिक को कम्पनी में पैसा लगाना ही होगा। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि इस ऋण वसूली के लिए सरकार एवं बैंक सख्त कदम उठायें।
यूपीबीईयू के प्रांतीय उपाध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बैंकों में खराब ऋणों की राशि को तमाम तरीकों से छुपाया जाता रहा है जिसकी वजह से 3,25,000 करोड़ रूपये के ऋणों को अच्छे ऋणों में परिवर्तित किया गया जिसमें रू. 2,70,000 करोड़ रूपये के ऋण औद्योगिक घरानों के थे।
यूपीबीईयू के सहायक महामंत्री दीपू बाजपेई ने प्रदर्शनकारियों को बताया कि रिजर्व बैंक गवर्नर ने खराब ऋणों को अच्छे ऋणों में प्रदर्शित करने की मानसिकता की आलोचना करते हुए एक बार कहा था कि ”एक सूअर को लिपिस्टिक लगा देने से वह राजकुमारी नहीं बन जाता।“
प्रदर्शनकारियों को बैंक कर्मचारियों के प्रमुख नेता सुभाष बाजपेई, परमानन्द, अजीत सक्सेना, वी.के.सक्सेना, जे.एस.भाटिया, डी.के. रावत, ए.के. बाजपेई, ओम प्रकाश, वी.के. श्रीवास्तव, शकील अहमद, ए.के. सिंह गांधी, के.के. मिश्र, रतन लाल आदि शामिल थे।
यूपीबीईयू के अध्यक्ष आर. के. अग्रवाल ने बैंकों में बढ़ते हुए खराब ऋण की प्रवृत्ति को दीमक और घुन लगने जैसा बताया जो पूरी बैंकिंग व्यवस्था को अन्दर ही अन्दर खोखला करता जा रहा है। उन्होंने अफसोस व्यक्त किया कि किंशफिशर एअर लाईन्स पर लगभग 2,780 करोड़ रूपये का बैंकों का बकाया होने के बावजूद उसके मालिक विजय माल्या छुट्टा घूम रहे हैं और उन पर काई कार्यवाही इन ऋणों को वसूलने के लिए नहीं हो रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इन ऋणों की वसूली के लिए इन औद्योगिक एवं व्यापारिक घरानों के खिलाफ कड़े कदम उठाये जायें एवं आवश्यकता पड़ने पर इनके मालिकों को जेल में डाला जाये।
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