भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

शनिवार, 7 नवंबर 2015

सांप्रदायिकता, असहिष्णुता, रूढ़वादिता और हिंसा की राजनीति के खिलाफ अभियान चलायेगी भाकपा

लखनऊ- 7 नवंबर - भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउंसिल की दो दिवसीय बैठक आज यहाँ संपन्न होगयी. बैठक में आन्दोलन/ अभियान संबंधी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए हैं. बैठक के निष्कर्षों की जानकारी देते हुये राज्य सचिव डा.गिरीश ने बताया कि राज्य काउंसिल ने केन्द्र सरकार द्वारा आज ही पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद कर में फिर से वृध्दि करने एवं सभी सेवाओं पर सेस लगाने के फैसलों को जनविरोधी बताते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है. भाकपा ने इस संबंध में पारित प्रस्ताव में कहा कि मोदी सरकार को आम जनता की कोई फ़िक्र नहीं है. बिहार के चुनाव समाप्त होते ही उसने जनता के ऊपर नए करों का बोझ लाद दिया. इससे महंगाई की मार से पहले से ही हाल- बेहाल जनता और भी बेहाल हो जायेगी. भाकपा ने जनहित में इन वृध्दियों को तत्काल रद्द करने की मांग की है और इस सवाल को जनता के बीच लेजाने का निश्चय किया है. भाकपा ने रूढ़वादिता, असहिष्णुता, सांप्रदायिकता एवं हिंसा की राजनीति के खिलाफ चरणबध्द अभियान छेड़ने का निश्चय किया है. अभियान के पहले चरण के रूप में 24 नवंबर को- "रूढ़वादिता, असहिष्णुता और हिंसा की राजनीति" विषय पर प्रत्येक जनपद में विचार गोष्ठियां आयोजित करने का निर्णय लिया है. दूसरे चरण में डा. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर ) को अथवा उसकी पूर्व संध्या पर "सदभाव एवं संविधान की रक्षा" के उद्देश्य से गोष्ठियां, सभाएं अथवा अन्य आयोजन किये जायेंगे. तीसरे चरण में इन मुद्दों पर क्षेत्रीय रैलियाँ आयोजित की जायेंगी. हर कार्यक्रम में समाज के प्रबुध्द और सहिष्णु तबकों एवं शख्सियतों को शामिल किया जायेगा. इन अभियानों की प्रासंगिकता को जतलाते हुये राज्य काउंसिल द्वारा पारित रिपोर्ट में कहा गया है कि केन्द्र में मोदी सरकार के पदारूढ़ होने के बाद से आर.एस.एस. और दूसरी हिन्दुत्ववादी सांप्रदायिक शक्तियां और अधिक हमलावर होगयीं हैं. वे पूरी तरह निरंकुश होकर सेक्युलर, सहिष्णु एवं उदार शक्तियों के खिलाफ जहर उगल रही हैं और रूढ़वादिता के खिलाफ संघर्ष करने वाले व्यक्तियों की हत्यायें कर रही हैं. दादरी में अखलाक, कन्नड़ लेखक कलबुर्गी, कम्युनिस्ट नेता का.गोविन्द पानसरे तथा नरेन्द्र दाभोलकर की हत्यायें संघ द्वारा पोषित और केन्द्र सरकार द्वारा संरक्षित घ्रणित विचारों की देन हैं. मुस्लिम अल्पसंख्यक इनके खास निशाने पर है. अपनी इन निर्लज्ज करतूतों को वे राष्ट्रवाद का चोला पहना रही हैं. प्रधानमन्त्री ने इन हरकतों पर चुप्पी साध रखी है और उनके मंत्रिमंडल सहयोगी व प्रमुख भाजपाई निरंतर विषवमन कर समाज को बाँट रहे हैं और हिंसा की जघन्य वारदातों को वे स्वाभाविक आक्रोश की देन बता कर अपने पापों पर पर्दा डाल रहे हैं. देश में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा और असहिष्णुता के खिलाफ साहित्यकारों, कलाकारों, फिल्मी हस्तियों, वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और अन्य प्रबुध्द जनों ने अपनी आवाज उठायी है और उन्हें मिले शानदार पुरुस्कारों को वापस किया है. यह क्रम लगातार जारी है. भाकपा उनके इस संघर्ष में पूरी शिद्दत से उनके साथ है. अब संघ गिरोह ने कम्युनिस्टों और वामपंथियों के खिलाफ अनर्गल प्रलाप शुरू कर दिया है जो उनकी खीझ और बौखलाहट का परिचायक है. हम इन फासिस्ट कारगुजारियों के खिलाफ सदैव संघर्षरत रहे हैं और आगे भी रहेंगे, भाकपा ने संकल्प व्यक्त किया है. भाकपा ने इस बैठक में जिला एवं क्षेत्र पंचायत चुनावों कि समीक्षा की . भाकपा के पांच सदस्य और सात समर्थित प्रत्याशी जिला पंचायत में विजयी हुए हैं जबकि पिछली बार केवल एक प्रत्याशी ही जीता था. लगभग पचास बी. डी. सी. सदस्य भी विजयी हुये हैं. जाती, धन और बाहुबल के इस दौर में भाकपा प्रत्याशी बेहद कम संसाधनों और शुचिता के साथ चुनाव लड़े थे. निष्कर्ष है कि भाकपा अपनी चुनावी राजनीति को पुनः संगठित कर रही है. अब ग्राम प्रधान के चुनाव भी अधिकाधिक संख्या में लड़ने का निर्णय लिया गया है. डा. गिरीश, राज्य सचिव

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य