फ़ॉलोअर
सोमवार, 14 दिसंबर 2015
at 10:18 pm | 0 comments | आस्था., गंगा आरती, धर्म, नरेंद्र मोदी, शिंजो आबे
गंगा आरती में नरेंद्र मोदी और शिंजो आबे.
गत दिनों एक हिदी दैनिक में प्रकाशित इतिहासकार श्री रामचंद्र गुहा के एक लेख का उपसंहार कुछ इस प्रकार हुआ है – भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा है कि “बहुलता और सहिष्णुता का माहौल सतत आर्थिक विकास के लिये अनिवार्य है.” ऐसा नहीं लगता कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात से सहमत हैं. वह एक साथ आर्थिक आधुनिकतावादी और सांस्कृतिक प्रतिक्रियावादी, दोनों बने रहना चाहते हैं. यह दो घोडौं की सवारी है, जिनमें से एक आगे जा रहा है और दूसरा पीछे.
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे की यात्रा का संपूर्ण सार उपर्युक्त शब्दों पूरी तरह अभिव्यक्त है. इस यात्रा के मौके पर मोदी ने जापान के साथ जहाँ कई आर्थिक समझौते किये वहीं अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी जाकर शिंजो अबे के साथ पूरे एक घंटे तक गंगा आरती में भाग लिया. दोनों की तन्मयता देखते ही बनती थी.
यहाँ दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा किये गये आर्थिक/ व्यापारिक समझौतों पर कोई टिप्पणी करना व्यर्थ है. आर्थिक नव उदारवाद और कार्पोरेट हितों के लिये समर्पित भारत सरकार के मुखिया से यह सब अपेक्षित ही है. लेकिन दोनों जनतंत्रों के मुखियाओं का गंगा आरती में पूरा का पूरा एक घंटे बिताना और एक अनापेक्षित तन्मयता का प्रदर्शन करना कई सवाल खडे करता है.
धर्म और आस्था एक बिल्कुल निजी मामला है. किसी भी उच्च पदासीन व्यक्ति अथवा जनसाधारण को अपने धर्म और उसके प्रति उसकी आस्था को पाबंद नहीं किया जा सकता. लेकिन धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देशों के दो दो राष्ट्राध्यक्ष यदि गंगा आरती जैसे धार्मिक आयोजन में भाग लेंगे तो उनके इस कृत्य की नुक्ताचीनी अवश्य ही होगी.
श्री मोदी का लक्ष्य स्पष्ट है. वे आर्थिक नव उदारवाद के एजेंडे पर सरपट दौड्ते हुये भी हिंदुत्व के अपने एजेंडे से हठना नहीं चाहते, यही वजह है वे दादरी जैसी घृणित घटनाओं पर मौन साधे रहे, असहिष्णुता के सवाल पर भी खामोश बने रहे, योग जैसी लोकप्रिय विधा को उन्होने हिंदुत्व की चाशनी में लपेट कर पेश करने में कोई कोर कसर नहीं रखी थी, आये दिन अपनी पार्टी के नेताओं के विवादास्पद बयानों पर उन्होंने कभी लगाम नहीं लगाई और अब गंगा आरती में भाग लेकर अपनी धर्मपरायण और हिंदूपंथी छवि को पेश करने में कामयाब रहे. आरती के समय जिस तन्मयता का प्रदर्शन उन्होंने किया यदि ऐसी ही तन्मयता उन्होने गुजरात के सांप्रदायिक दंगों के दौरान दिखाई होती तो बडे खून खराबे को रोका जा सकता था.
शीर्षस्थ पद पर बैठे किसी व्यक्ति द्वारा किसी धार्मिक क्रिया में भाग लेने का प्रभाव तुरत फुरत होता है. आज ही हरिद्वार की गन्गा समिति ने 9 स्थानों पर आरती करने का और उसे भव्यता प्रदान करने का फैसला किया है. कल वारणसी में भी यही कहानी दोहराई जा सकती है. मोदी हो या शिंजे, कोई भी शासक यही चाहता भी है. धार्मिक कट्टरता बडे और लोग उसी में उलझ कर अपने रोजी रोटी के सवालों को तरजीह न दें, शासक वर्ग ऐसा ही चाहता है.
इस आरती को भव्यता प्रदान करने, इसमें दोनों नेताओं की भागीदारी की व्यवस्थायें करने में जो भारी राजस्व का अपव्यय हुआ उससे वाराणसी जनपद के समस्त सरकारी अस्पतालों की एक सप्ताह की दवा खरीदी जा सकती थी. सुरक्षा इंतजामों या यात्रा पर हुये व्यय को जोड दिया जाये तो इस धनराशि से एक माह की दवायें वाराणसी के अस्पतालों को दी जा सकती थीं. पर मोदी को तो अपने हिंदुत्त्व के एजेंडे को जिंदा रखने और अपने वोट बैंक को साधे रखने की फिक्र है. इसके लिये वे लोकतांत्रिक परंपराओं को तहस नहस करने से भी नहीं चूक रहे.
दास व्यवस्था, सामंती समाज तथा पूंजीवादी व्यवस्था सभी में बहुमत पर अल्पमत का शासन रहता है. समस्त संसाधनों पर अल्पमत समाज का कब्जा रहता है और बहुमत समाज उनके हितों की प्रतिपूर्ति का औजार बन कर रह जाता है. और इस तरह वह घोर अभावों में कष्टमय जीवन बिताने को मजबूर होता है. यह अभाव और कष्ट बहुमत समाज में अल्पमत समाज के प्रति आक्रोश और विद्रोह को जन्म देता है. शासक वर्ग इस आक्रोश और विद्रोह की ज्वाला को शांत करने को तमाम हथकंडे अपनाता है. धर्म और आस्था उनमें सबसे कारगर औजार हैं. मोदी और शिंजे दोनों शासक वर्ग के चतुर सिपहसालार हैं. अतएव एक ओर वे दोनों आर्थिक आधुनिकतावाद का अनुशरण कर रहे हैं, वहीं सांस्कृतिक कट्टरता को भी परवान चढाना चाहते हैं. वाराणसी में गंगा आरती में उनकी भागीदारी इसी उद्देश्य के लिये है.
डा. गिरीश.
»» read more
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...5 वर्ष पहले
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र - विधान सभा चुनाव 2017 - *भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र* *- विधान सभा चुनाव 2017* देश के सबसे बड़े राज्य - उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के गठन के लिए 17वीं विधान सभा क...7 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...7 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
किसानों के हालात भले न बदलें सरकार जरूर बदल देगा किसानों का आक्रोश नई दिल्ली- अखिल भारतीय किसान सभा सहित देश के लगभग दो सौ किसान संगठनो...
-
लखनऊ- 6 नवंबर 2018 , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कल हरदोई जनपद में रेल हादसे में चार मजदूरों की ...
-
Lucknow 22nd June. Communist Party of India has been opposing the approval given to POSCO to set up its plant in Jagatsinghpur district of ...
-
लखनऊ- 1 अगस्त 2016, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल की दो दिवसीय बैठक यहां का. फूलचंद यादव की अध्यक्षता में संपन्न ...
-
विवेक तिवारी हत्याकांड की भाकपा ने की कड़े शब्दों में निन्दा मुख्यमंत्री से की त्यागपत्र की मांग लखनऊ- 29 सितंबर 2018 , भारतीय कम्य...
-
भाकपा ने व्यापारिक संगठनों के बन्द को समर्थन प्रदान किया लखनऊ- 27 सितंबर 2018 , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने खुदरा...
-
प्रकाशनार्थ सोनभद्र नरसंहार के विरुध्द कल ( 25 जुलाई ) को प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगी भाकपा लखनऊ- 24 जुलाई 2019 , ...
-
लखनऊ- 18 नवंबर: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउंसिल की बैठक यहां मथुरा के वरिष्ठ नेता कामरेड गफ्फार अब्बास एडवोकेट की अध्यक्षत...
-
अदालतों के हाल के कुछ निर्णयों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , उसके आनुसांगिक संगठनों खासकर भाजपा की बौखलाहट निरंतर बढ़ती जारही है। इस ब...
-
बैलट से ही कराये जायें निकाय चुनाव: भाकपा लखनऊ- 13 अप्रेल 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने मांग की है कि आगामी जुलाई से...