सोमवार, 25 जनवरी 2016
at 6:58 pm | 0 comments |
संघ का कार्य- व्यवहार लोकतंत्र के लिये घातक
हाल ही में लखनऊ की दो घटनायें काबिले गौर हैं-
प्रथम- अपनी लखनऊ यात्रा के दौरान श्री मोदी जब हजरतगंज से गुजर रहे थे तो हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमुला की बलात आत्महत्या के विरोध में एक वामपंथी छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने उन्हें काले झंडे दिखाये. यह देखते ही वहां मौजूद भगवा ब्रिगेड के लोग बौखला गये और जनतांत्रिक तरीके से विरोध जता रहे छात्रों पर हमला बोलने को दौड़ पड़े.
समाचार पत्रों के मुताबिक यदि पुलिस ने विरोध जताने वाले छात्रों को खदेड़ न दिया होता तो भगवा ब्रिगेड उनको सबक सिखा देती.
दूसरी- एक बारबर के बेटे को आतंकवादियों से कथित संबंध बता कर जब गिरफ्तार किया गया तो भीड़ ने उसके पिता की दुकान पर हमला बोल दिया और उसमें तोड़-फोड़ की. तोड़-फोड़ करने वालों को खदेड़ने के लिये पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.
( बंबई में भी रोहित की मौत का विरोध कर रहे दलित छात्रों को संघ की शाखा वालों ने लाठी-डंडों से पीट पीट कर घायल कर दिया).
ये दोनों घटनायें कई सवाल खड़े करती हैं-
क्या लोकतंत्र में काले झंडे दिखाने वालों से अब सत्तापक्ष कानून हाथ में लेकर खुद ही निपटेगा? इससे जो अराजकता और तानाशाही का बीजारोपण होगा वह हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली को ही ले डूबेगा. लंबे समय तक विपक्ष में रहने वाला संघ गिरोह आये दिन काले झंडे दिखाने का काम करता रहा तब उस पर तो किसी दल के कार्यकर्ताओं ने हमले नहीं किये. इससे साबित होता है कि लोकतांत्रिक तरीकों से सत्ता में आया संघ गिरोह सत्ता में आते ही लोकतांत्रिक परंपराओं को ही तहस- नहस करने पर आमादा है.
अब जरा दूसरी घटना पर गौर करें. किसी को किसी आरोप में गिरफ्तार करने का मतलब यह तो नहीं कि वह अपराधी सिध्द होगया. यह तो न्याय के घोषित सिध्दांतों के विरुध्द होगा. यह भी जग जाहिर कि राज सत्तायें अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिये तमाम निर्दोष लोगों को झूठे आरोप लगा कर गिरफ्तार करती रहीं हैं और बाद में अदालतों ने उन्हें निर्दोष करार दिया है. बीस माह के शासनकाल में हर मोर्चे पर विफल रही भगवा सरकार भी इस तरह की गिरफ्तारियां करके समस्याओं से ध्यान हठाने की कोशिश कर रही है, तमाम राजनीतिविदों ने ऐसी आशंका जताई हैं. फिर किसी को भी भीड़ इकट्ठी कर तोड़ फोड़ करने और कानून हाथ में लेने का अधिकार किसने दे दिया?
यहां यह भी उल्लेखनीय कि देश में आये दिन आतंकी हमले होते रहते हैं लेकिन कहीं भी कभी भी ऐसा देखने को नहीं मिला कि भीड़ आतंकवादियों से मोर्चा लेने निकल पड़ी हो. नहीं कभी संघ शाखा के लठैत आतंकवादियों से दो दो हाथ करने निकले. ये अपने देश के दलितों, अल्पसंख्यकों अथवा उनके पक्ष में आवाज उठाने वालों पर ही शूरमागीरी दिखाते रहते हैं.
क्या यह इसलिये नहीं कि संघ गिरोह ने समाज में सांप्रदायिकता का जहर घोल रखा है. असहिष्णुता का मुद्दा उठाने वालों को दिन रात कोसने वाला संघ गिरोह बताने का कष्ट करेगा क्या कि सहिष्णुता के वातावरण में किसी की गिरफ्तारी मात्र पर उसके घर या प्रतिष्ठान पर हमला कौन करेगा? जब तक कि भीड़ को उकसाया न जाये. और इस उकसावे का काम संघ गिरोह के अलाबा कौन कर सकता है? बंबई में तो संघियों ने खुले आम हमला बोला.
लखनऊ और बंबई की घटनायें इस ओर इशारा करती हैं कि दलितों कमजोरों के पक्ष में आवाज उठाने वालों पर हमले और किसी पर आरोप लगते ही भीड़ को उकसा कर तोड़ फोड़ कराने की वारदातें हमारे लोकतंत्र के लिये गंभीर खतरा हैं.
67 वें गणतंत्र दिवस पर जागो भारतवासियो!
डा. गिरीश
»» read more
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...1 वर्ष पहले
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र - विधान सभा चुनाव 2017 - *भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र* *- विधान सभा चुनाव 2017* देश के सबसे बड़े राज्य - उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के गठन के लिए 17वीं विधान सभा क...2 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...3 वर्ष पहले

लोकप्रिय पोस्ट
-
लखनऊ- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस(प्री) परीक्षा का परचा लीक होने, और उससे संबंधित मांगों पर आन्दोलन कर रहे अभ्यर्थियों को इलाहाबाद...
-
हाल ही में लखनऊ की दो घटनायें काबिले गौर हैं- प्रथम- अपनी लखनऊ यात्रा के दौरान श्री मोदी जब हजरतगंज से गुजर रहे थे तो हैदराबाद के दलित छात्...
-
प्रकाशनार्थ उन्नाव के उद्वेलित किसानों से वार्ता करे सरकार अपने ही लोगों से लाठी- गोली से निपटना अनुचित और निंदनीय लखनऊ- 18 नवंबर 2...
-
भारतीय खेत मजदूर यूनियन की केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक 23 एवं 24 अगस्त 2010 को नई दिल्ली में यूनियन के अध्यक्ष अजय चक्रवर्ती पूर्व स...
-
लखनऊ—३०नवंबर २०१३. आधा पेराई सत्र बीत गया, चीनी मिलें चालू नहीं हुईं, गन्ने का पिछला बकाया किसानों को मिला नहीं, गन्ने का नया समर्थन मूल्य घ...
-
लखनऊ-१९ जून २०१५. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत् नियामक आयोग द्वारा प्रदेश में एक साथ विद्युत् ...
-
लखनऊ- २६ अप्रैल २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कल लखनऊ में बाबा रामदेव द्वारा दलितों, दलित लड़कियों और महिलाओं के प्रत...
-
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय कार्यकारिणी के आह्वान पर उत्तर प्रदेश में आज भाकपा ने सभी जिला मुख्यालयों पर धरने और प्रद...
-
लखनऊ- १३, जुलाई २०१४. आसमान लांघ रही महंगाई, जमाखोरी और रिकार्डतोड़ अपराधों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दिनांक- १४ जुलाई को प्रदेश भर ...
-
लखनऊ- 1 अक्तूबर, 2015- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने भारतीय जनता पार्टी और आर.एस.एस. पर आरोप लगाया है कि वे अ...
