भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

CPI on Saharanpur incidents

सहारनपुर, शामली की घटनाओं को गंभीरता से ले योगी सरकार: भाकपा लखनऊ- 21 अप्रेल, 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कल सहारनपुर और शामली जनपदों को दंगों की आग में झौंकने के भाजपा और उनके सहयोगियों के प्रयास की कड़े शब्दों में निंदा की है. पार्टी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि इस घटना का तटस्थ एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण से विश्लेषण कर कठोर कदम उठायें वरना उन्हीं की पार्टी के सांप्रदायिक और निहित स्वार्थी तत्व उनकी सरकार को बदनाम और विफल बना देंगे. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि न तो यह घटनायें स्वत:स्फूर्त थीं न ही सांप्रदायिक. अल्पसंख्यकों को सबक सिखाने, उन्हें भयभीत करने, उनकी जान और माल को हानि पहुंचाने, दलितों और अल्पसंख्यकों के बीच वैमनस्य पैदा करने और वहां तैनात पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को हठवा कर मनपसंद अधिकारियों को तैनात कराने के उद्देश्य से स्थानीय सांसद, विधायक और अन्य भाजपाइयों द्वारा इन वारदातों को अंजाम दिया गया. सहारनपुर के संवेदनशील सड़क दूधली गांव में भाजपाइयों ने अल्पसंख्यकों को सबक सिखाने और दलितों अल्पसंख्यकों में फूट डालने के उद्देश्य से सात साल से बंद डा. अंबेडकर शोभायात्रा निकालने का प्रयास किया. भाजपाइयों ने अपने इरादों को अंजाम देने को अपने पिट्ठू संगठनों की ओर से यात्रा निकालने की अनुमति लेनी चाही, लेकिन सांप्रदायिक रुप से संवेदनशील इलाकों में किसी नये कार्यक्रम की अनुमति न दिये जाने के शासकीय आदेश के चलते अनुमति नहीं दी गयी. लेकिन फिर भी भाजपाइयों ने गांव से बाहर की भीड़ बुला कर जबरिया यात्रा शुरु कर दी जिसका स्थानीय तौर पर विरोध होना स्वाभाविक था. इसी का बहाना लेकर भाजपाइयों ने स्थानीय सांसद और विधायक के नेत्रत्व में पत्थरबाजी, आगजनी और तोड़ फोड़ की और अल्पसंख्यकों पर एकतरफा हमले बोल दिये. यहां तक कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी निशाना बनाया गया. प्रशासनिक अधिकारियों के दबाव में न आने से बौखलाये भाजपाइयों ने कानून हाथ में लेकर एसएसपी आवास पर तोड़ फोड. की, उस पर कब्जा जमा लिया और सांसद ने मीडिया पर घोषणा की कि नये कप्तान के आने तक उन्होने स्वयं कप्तान का चार्ज संभाल लिया है. पुलिस की मौजूदगी में मुख्यमार्ग पर वाहनों को रोक कर अल्पसंख्यकों की पहचान कर उन पर हमले किये गये. अभी भी आग को फैलाने के तमाम प्रयास किये जा रहे हैं. इससे एक दिन पहले पडौसी जिले शामली के थाना भवन में ट्रक से मोटर साइकिल भिड़ जाने की मामूली घटना को लेकर अल्पसंख्यकों के ट्रक को जला डाला और चुन चुन कर दुकानें जलायीं और राहगीरों पर हमले बोले गये. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद से भाजपा और उसके संगठनों ने सारी संवैधानिक- सामाजिक मर्यादायें तोड़ दीं हैं और वे अल्पसंख्यकों दलितों और कमजोरों पर एकतरफा हमले बोल रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उन्होने सांप्रदायिक उत्पीड़न के जरिये ध्रुवीकरण की प्रयोगशाला बना रखा है जिसके बलबूते वे इस क्षेत्र में अधिकतर लोकसभा और अब विधान सभा की सीटें जीतने में कामयाब रहे हैं. वो आगे भी इसी रणनीति पर चलेंगे. इस बीच स्थानीय पुलिस प्रशासन को दबाव में लेने अथवा अपने मन- मुताबिक अधिकारी तैनात कराने का खेल भी उत्तर प्रदेश में इन दिनों खूब चल रहा है. भाकपा की स्पष्ट राय है कि शांति सद्भाव को पलीता लगाने वाली और कानून व्यवस्था को हाथ में लेकर दलितों अल्पसंख्यकों का लोकतांत्रिक व्यवस्था से विश्वास डिगाने वाली इन वारदातों को शीघ्र ही नहीं रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. सूबे के मुख्यमंत्री को भी इस सबको गंभीरता से लेना होगा. आखिर कानून व्यवस्था को कायम रखने की पहली जिम्मेदारी तो उन्हीं की बनती है. भाकपा ने कानून व्यवस्था, न्याय, शांति और सद्भाव के लिये प्रतिबध्द सभी ताकतों से अपील की कि वे समय रहते इन षडयंत्रों का एकजुट हो जबाव दें. डा. गिरीश

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