भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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बुधवार, 10 मई 2017

CPI On Saharanpur

सहारनपुर की स्थिति को शीघ्र काबू में करे राज्य सरकार: भाकपा लखनऊ- 10 मई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आरोप लगाया है कि कल की सहारनपुर की घटनायें भाजपा की मात्र डेढ माह पुरानी सरकार की राजनैतिक और प्रशासनिक विफलता का परिणाम हैं. पिछले तीन सप्ताह में इस जनपद में हिंसा और आगजनी की ये तीसरी बड़ी वारदात है. यद्यपि इन घटनाओं के लिये शासन- प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार है लेकिन जिन लोगों ने गुस्से में आकर कानून हाथ में लिया और जन और धन को निशाना बनाया वह निंदनीय है. एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि इस क्षेत्र के दलित और अल्पसंख्यक इन दिनों लगातार सामंती और सरकार के आक्रमणों को झेल रहे हैं. 5 मई को हुये उपद्रव में यद्यपि एक क्षत्रिय युवक की दुखद मौत होगयी थी लेकिन शब्बीरपुर और उसके आसपास के गांवों में बड़े पैमाने पर दलितों के ठौर- मकान फूंक डाले गये थे. इस मुद्दे पर विचार करने हेतु दलित रविदास छात्रावास में बैठक करना चाहते थे जिसको रोक दिया गया. पुन: उन्होने गांधीपार्क में बैठक बुलाई और उन्हें वहां से भी खदेड़ दिया गया. भाकपा की यह द्रढ़ राय है कि यदि रविदास छात्रावास में हो रही बैठक को होने दिया गया होता तो मामला सड़कों पर न आता. यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि तीन सप्ताह से सुलग रहे सहारनपुर और उसके आसपास के क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षाबल तैनात नहीं किये गये. आस पास के जिलों की फोर्स मुख्यमंत्री जी की सुरक्षा हेतु मेरठ भेज दी गयी थी. डा. गिरीश ने कहाकि भाजपा ने कई हथकंडे अपना कर गत विधानसभा चुनावों में दलितों के वोट तो हथिया लिये मगर अब सत्ता पर काबिज होने के बाद वह असली रुप में आगयी है. सरकार, शासन- प्रशासन सभी में सामंती तत्वों का जमाबड़ा है अतएव समूचे प्रदेश में कमजोर तबकों पर चहुंतरफा हमले बोले जारहे हैं. किसी को रोमियो बता कर मारा जा रहा है तो किसी को शराब का विरोध करने पर पीटा जारहा है. बजरंगदल और हिंदू युवा वाहिनी के मुस्तंड एक ओर आमजनों पर हमले बोल रहे हैं और जहाँ तहां पुलिस को भी निशाना बना रहे हैं. नोटबंदी, मीटबंदी, खननबंदी जैसी कार्यवाहियों से लोगों के रोजगार छिन गये हैं और उनके जीवनयापन की समस्या खड़ी होगयी है. प्रताडित और प्रभावित लोगों से सरकार ने पूरी तरह से संवाद बंद कर रखा है और हर तबके से लाठी डंडे से निपट रही है. यहाँ तक कि पीड़ित लोगों से विपक्षी दलों के मिलने पर पाबंदी लगा दी है. राजनैतिक- सामाजिक प्रयासों के अभाव में स्थिति दिन ब दिन बद से बदतर होती जारही है. समूचा उत्तर प्रदेश सुलग रहा है. सतापक्ष ही कानून व्यवस्था के लिये चुनौती खड़ा कर रहा है. आज भी सहारनपुर में दलितों को निजी हथियारों के बल पर सबक सिखाने की चुनौती कुछ लोग खुले आम देरहे हैं. भाकपा ने सरकार से आग्रह किया कि वह स्थिति से निपटने के लिये संतुलित और न्यायोचित कदम फौरन उठाये. विपक्षी दलों के जनता से संवाद पर लगी रोक को हठाये. जन और धन की हानि का मुआबजा दे. बजरंग दल और हिंदू युवा वाहिनी जैसे संगठनों की गुंडागर्दी को रोके. भाकपा ने चेतावनी दी है कि पूर्वाग्रहों के आधार पर और बदले की भावना से की गयी किसी भी कार्यवाही का भाकपा पुरजोर विरोध करेगी. डा. गिरीश

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