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गुरुवार, 31 मई 2018
at 2:08 pm | 0 comments |
CPI, U.P. on Results of Kairana and Nuurpur elections.
कैराना और नूरपुर
में भाजपा की हार पर भाकपा ने मतदाताओं को दी बधाई
कारपोरेटों को
मालामाल और आमजनों को कंगाल बनाने का नतीजा हैं यह परिणाम
लखनऊ- 31 मई 2018, भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा और नूरपुर
विधान सभा सीटों पर भाजपा की करारी हार को भाजपा द्वारा चलाई जारही आर्थिक
नवउदारवाद की नीतियों- जिनके चलते बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, किसानों की
तंगहाली तथा गरीबों और मजदूरों की बदहाली बड़ी है, की पराजय बताया है. यह उत्तर
प्रदेश सरकार द्वारा दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और अन्य कमजोर वर्गों पर ढाये
जारहे जुल्मों- अत्याचारों और बदतर क़ानून व्यवस्था और किसानों- कामगारों की
उपेक्षा को लेकर भाजपा को आम मतदाताओं का कड़ा जबाव है. यह कारपोरेटों को मालामाल
और आम आदमी को कंगाल बनाने का नतीजा है.
गोरखपुर और फूलपुर की
वीआईपी लोकसभा सीटों पर हार के बाद हुयी इस हार ने यह साबित कर दिया है कि गाय,
गोबर, गंगा, दंगा, जिन्ना और टीपू जैसे सवालों के जरिये विभाजन पैदा करने और वोट
हासिल करने की नीति को अब आम जनता भलीभांति समझ चुकी है. ये चुनाव नतीजे इस बात का
सबूत हैं कि जनविरोधी नीतियों और झूठे वायदों के बल पर कोई दल लंबे समय तक जनता का
विश्वास बनाए नहीं रख सकता.
यह हार इसलिए भी महत्वपूर्ण
है कि यहां सारी राजनैतिक मर्यादाएं और नैतिकतायें लांघ कर चुनाव प्रचार बंद होने
और मतदान से पहले दोनों चुनाव क्षेत्रों के अति सन्निकट प्रधानमंत्री ने 27 मई को लोकार्पण
की आड़ में रोडशो और रैली कर विपक्ष पर तीखे हमले बोले थे और कई लुभावनी घोषणायें
की थीं. भाकपा और राष्ट्रीय लोकदल ने तो इस अवैध रैली को निरस्त करने की मांग
निर्वाचन आयोग से की थी. मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, दर्जनों केन्द्रीय और प्रदेश
के मंत्रियों तथा भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं ने वहां जमकर चुनाव अभियान चलाया था. भाजपा
ने दोनों ही क्षेत्रों में सहानुभूति भुनाने को मृत प्रतिनिधियों की बेटी और पत्नी
को चुनाव मैदान में उतारा था और ईवीएम में गडबड़ियाँ हुयीं थीं सो अलग.
ये परिणाम मोदी और योगी की
लोकप्रियता की कलई खोलने वाले हैं जिनकी दुहाई भाजपाई दिन रात दिया करती है.
भाकपा और वामपंथ ने केन्द्र
और उत्तर प्रदेश सरकार की जनविरोधी, सांप्रदायिक और फासीवादी नीतियों को शिकस्त
देने और राजनैतिक अपरिहार्यता को ध्यान में रखते हुये कैराना, नूरपुर और इससे पहले
गोरखपुर तथा फूलपुर में गैर- भाजपा दलों के प्रत्याशियों को समर्थन दिया था. संयुक्त
वामपंथ के इस निर्णय से भी भाजपा की हार सुनिश्चित हुयी है. हमें अपने इस निर्णय
पर प्रशन्नता है. भाकपा और वामपंथ इन क्षेत्रों के मतदाताओं को इस सूझबूझपूर्ण
निर्णय के लिये बधाई देते हैं.
देश के अन्य भागों में हुये
उपचुनावों के नतीजे भी अधिकतर भाजपा के विपक्ष में जारहे हैं. ये नतीजे 2019 की
तस्वीर साफ़ करने को पर्याप्त हैं.
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
गुरुवार, 24 मई 2018
at 4:58 pm | 0 comments |
CPI furtherdemands cancelation of Modi's programm on 27th in Baghpat
पीएम मोदी के
कार्यक्रम पर रोक न लगाने का निर्णय अविवेकी एवं पक्षपातपूर्ण
भाकपा ने निर्वाचन
आयोग से पुनर्विचार करने की मांग की
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने पीएम मोदी की 27 मई की रैली और
लोकार्पण कार्यक्रम को बेहद लचर तर्कों को आधार बना कर प्रतिबंधित न करने के फैसले
को अविवेकपूर्ण और पक्षपातपूर्ण बताया है. भाकपा ने लोकहित और लोकतंत्र के हित में
अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान
में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि निर्वाचन आयोग ने उन परिस्थितियों पर
गौर नहीं किया जिसके आधार पर 27 मई को प्रस्तावित रैली एवं लोकार्पण कार्यक्रम को
प्रतिबंधित करने की मांग की गयी है.
सभी जानते हैं कि गत लोकसभा
चुनावों के दरम्यान प्रत्येक मतदान के दिन मोदी ने कहीं न कहीं रोडशो अथवा रैलियाँ
आयोजित की थीं. एक तरफ क्षेत्र विशेष में मतदान चल रहा होता था तो दूसरी तरफ भाजपा
के क्रीत टीवी चैनल उसका लाइव प्रसारण कर रहे होते थे. इससे मतदाताओं का प्रभावित
होना स्वाभाविक था. बाद में भाजपा के पक्ष में आये आश्चर्यजनक चुनाव नतीजों से भी
यह साबित होगया था.
डा. गिरीश ने आरोप लगाया कि
बाद में कई विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में भी भाजपा ने इस हथकंडे का प्रयोग
किया. गुजरात विधान सभा के चुनावों का प्रचार थमने के बाद भी श्री मोदी ने वहां “यो
यो फेरी” का उद्घाटन किया था यह भी सभी के संज्ञान में है.
उन्होंने निर्वाचन आयोग से
सवाल कियाकि क्या निर्वाचन आयोग ने प्रधानमंत्री सचिवालय से यह पूछा कि जब
सर्वोच्च न्यायालय ने ईस्टर्न पेरिफेरल हाइवे के लोकार्पण के लिये 31 मई तक की समय
सीमा निर्धारित की है तो क्यों नहीं यह कार्यक्रम 28 मई के बाद रखा गया? क्यों
जानबूझ कर यह कार्यक्रम कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा के निर्वाचन के समय
चुनाव प्रचार बन्द होजाने और मतदान से पहले रखा गया?
भाकपा ने यह भी प्रश्न किया
है कि क्या निर्वाचन आयोग इस बात की गारंटी करेगा कि श्री मोदी के इन कार्यक्रमों
में इन दोनों चुनाव क्षेत्रों के मतदाताओं को नहीं लाया जायेगा? क्या उनके लाने
लेजाने और खाने- पीने पर धन खर्च नहीं किया जाएगा? क्या इन कार्यक्रमों का टीवी
चैनलों को प्रभावित कर लाइव प्रसारण अथवा बार बार समाचार प्रसारण नहीं कराया
जायेगा और वह इन दोनों मतदेय क्षेत्रों में प्रसारित नहीं होगा? क्या मतदान वाले दिन
दोनों चुनाव क्षेत्रों में बंटने वाले समाचार पत्र मोदीजी के भाषणों और कथित
घोषणाओं से भरे नहीं होंगे? और क्या इस सबसे दोनों क्षेत्रों के मतदाता प्रभावित
नहीं होंगे?
इन सारी स्थितियों-
परिस्थितियों पर गंभीरता से विचार कर निर्णय लेने के बजाय शामली के जिलाधिकारी की
इस रिपोर्ट कि आचार संहिता तो शामली में लगी है, निर्वाचन आयोग ने यह सुविधाजनक
निर्णय लेलिया. कौन नहीं जानता कि उपचुनावों में आचार संहिता संबंधित जिले में ही
लगती है. निर्वाचन आयोग को शासक दल की मंशा और दोनों कार्यक्रमों से पैदा होने
वाली परिस्थितियों का परीक्षण भी करना चाहिये. भाकपा ने निर्वाचन आयोग से अपने
उपर्युक्त फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है.
ज्ञातव्य होकि गत दिन भाकपा
ने एक बयान जारी कर मोदी द्वारा किये जाने वाले लोकार्पण कार्यक्रम और चुनाव
क्षेत्रों के समीपस्थ जिले में प्रस्तावित रैली को रद्द करने की मांग की थी और फिर
राष्ट्रीय लोकदल ने निर्वाचन आयोग से लिखित अपील की थी.
डा. गिरीश
मंगलवार, 22 मई 2018
at 1:41 pm | 0 comments |
CPI demands postponment of BJP Railly in Bahapat, U.P.
कैराना लोकसभा और
नूरपुर विधान सभा क्षेत्रों का प्रचार थमने और मतदान से पहले होने जारही मोदी की
बागपत रैली और लोकार्पण कार्यक्रम पर रोक लगाये निर्वाचन आयोग
भाकपा ने की मांग
लखनऊ- 22 मई, 2018—भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने केन्द्रीय निर्वाचन आयोग से
मांग की है कि वह उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीटों पर
प्रचार थमने के बाद से मतदान संपन्न होने के दरम्यान उत्तर प्रदेश में
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रस्तावित लोकार्पण कार्यक्रमों और आम सभाओं
को प्रतिबंधित करें.
ज्ञातव्य हो कि उपर्युक्त
दोनों सीटों पर 26 मई को सायंकाल प्रचार कार्य थम जायेगा और 28 मई की शाम पांच बजे
तक मतदान होगा.
भाजपा और प्रधानमंत्री ने इस
प्रचारबन्दी और मतदान की अवधि में बड़ी चतुराई से 27 मई को समीपस्थ जिले बागपत के
मवीकलां में ईस्टर्न पेरिफेरल हाईवे का उद्घाटन करने और खेकडा में आमसभा करने का
कार्यक्रम निर्धारित कर लिया है. इस कार्यक्रम में अपने खर्च पर और बड़े पैमाने पर भाजपा दोनों चुनाव क्षेत्रों से जनता और
मतदाताओं को लेजाने में जुटी है. साथ ही समूची कार्यवाही और लोकलुभावन घोषणाओं को
टीवी चैनलों एवं अन्य समाचार माध्यमों के जरिये फैला कर मतदाताओं को प्रभावित किया
जायेगा.
गत लोक सभा चुनावों और कई
विधानसभा चुनावों के दरम्यान भी भाजपा और श्री मोदी ने किसी एरिया विशेष में मतदान
के दिन किसी अन्य क्षेत्र में रैली, आमसभा अथवा रोडशो आयोजित कर संचार माध्यमों के
जरिये मतदाताओं को प्रभावित करने का षडयंत्र किया था. यही कहानी वे 27 मई को दोहराने
जारहे हैं. जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 31 मई तक इस हाईवे के लोकार्पण की छूट
देरखी है तो यह कार्यक्रम 28 मई के बाद की किसी तिथि पर आयोजित किया जासकता है. माननीय
सर्वोच्च न्यायालय को भी संज्ञान लेना चाहिये कि उनके आदेश की आड़ में राजनैतिक खेल
तो नहीं खेला जारहा है.
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश
ने भाजपा की इस कार्यवाही को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन और नियम विरुध्द बताते
हुये इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
बुधवार, 16 मई 2018
at 6:03 pm | 0 comments |
वाराणसी पुल हादसे पर भाकपा ने शोक जताया
लखनऊ- 16 मई 2018, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल
ने गत दिन वाराणसी में हुये निर्माणाधीन पुल हादसे में हुयी निर्दोष नागरिकों की मौतों
पर गहरा दुःख जताया है और शोकातुर उनके परिवारों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त
की है. भाकपा ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है.
यहाँ जारी एक बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह एक
मानवजनित त्रासदी है जिसकी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार को लेनी चाहिये.
संपूर्ण मामला भ्रष्टाचार और अहमन्यता की देन है जिसकी जद में आकर कई दर्जनों की
जानें चली गयीं और अन्य अनेक गंभीर रूप से घायल हैं.
भाकपा ने प्रत्येक मृतक परिवार को रूपये पचास लाख बतौर जनहानि मुआबजा दिया
जाने, हर मृतक के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने, घायलों का सुचारू संपूर्ण इलाज
और उन्हें कम से कम पांच लाख रुपये की सहायता राशि दिये जाने की मांग की है. यदि
कोई घायल व्यक्ति विकलांग होजाता है तो उसे भी नौकरी दी जानी चाहिए.
भाकपा की राय है कि क्योंकि यह निर्माण कार्य स्वयं प्रधानमंत्री जी के संसदीय
क्षेत्र में होरहा था और इसकी उच्च स्तर पर निगरानी चल रही थी तो जिम्मेदारी भी
उच्च स्तर पर बनती है. पर सरकार छोटी मछलियों को निशाना बना रही हैं. ये बहुत
अनुचित है. घुमक्कड़ प्रधानमंत्री को भी तत्काल अपने संसदीय क्षेत्र के पीड़ितों का
दुःख बांटने आना चाहिए था.
भाकपा ने अपनी जिला कमेटी को निर्देश दिया कि वह पीड़ितों के दुःख दर्द में
शामिल रहे और हादसे के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने की आवाज को बुलंद रखे.
डा. गिरीश
शुक्रवार, 4 मई 2018
at 12:47 pm | 0 comments |
प्राकृतिक आपदा की मार को गंभीरता से नहीं लेरहीं हैं केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार: भाकपा
लखनऊ- 4 मई भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने विगत दिन आये बवंडर से हुये
जान और माल के भारी नुकसान पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है. पार्टी ने आपदा में
मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना का इजहार करते हुये सरकार से आपदा राहत
के लिये फौरी कदम उठाने की मांग की है.
यहां जारी एक प्रेस बयान
में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि तूफ़ान से देश में 100 से अधिक लोगों
की जानें चली गयीं. सर्वाधिक तवाही उत्तर प्रदेश में हुयी है. अकेले आगरा में ही
50 से अधिक लोगों की जानें जाचुकी हैं. सैअक्दों लोग घायल हैं. बड़े पैमाने पर
फसलों, पशुधन और इमारतों को नुकसान पहुंचा है. आगरा के अलावा बिजनौर, बरेली,
सहारनपुर, पीलीभीत, फीरोजाबाद, चित्रकूट, मुज़फ्फरनगर, रायबरेली और उन्नाव जिलों
में भी भारी तवाही हुयी है. लेकिन राहत और बचाव कार्यों के नाम पर अभी तक कागजी
कार्यवाही ही देखने में आरही है.
डा. गिरीश ने कहाकि मौसम
विभाग द्वारा पहले से दी गयी चेतावनियों को नोटिस में लेकर जरुरी तैयारियां की
गयीं होतीं तो इस भारी हानि से किसी हद तक बचा जा सकता था. अब भी आगे और बवंडर आने
की चेतावनी को भी बहुत गंभीरता से नहीं लिया जारहा. प्राकृतिक आपदा से लगे आघातों को भरने की कोशिशों के बजाय पूरी सरकार, भाजपा
और संघ गिरोह जिन्ना प्रकरण खड़ा कर वोटों की फसल उगाने में जुटा है. मोदी जी और
जोगी जी कर्णाटक में चुनाव अभियान में जुटे हैं. पीड़ित जनता को संवेदनहीन प्रशासन
के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है.
भाकपा ने मृतकों के
परिवारों को रु. 4 लाख और घायलों को घोषित 50 हजार की सहायता को अपर्याप्त बताया
है. भाकपा ने प्रत्येक मृतक के परिवार को रु. 10 लाख और घायलों को कम से कम 2 लाख
दिए जाने की मांग की है. साथ ही फसल और अन्य हानियों का तत्काल सर्वे कराकर हानि की शत- प्रतिशत भरपाई की मांग की है.
डा. गिरीश
गुरुवार, 3 मई 2018
at 1:34 pm | 0 comments | जिन्ना, भाकपा, भाजपा, संघ परिवार
जिन्ना की तस्वीर की आड़ में देश को नफ़रत की आग में झोंकने में जुटे हैं भाजपा और संघ परिवार: भाकपा उत्तर प्रदेश
लखनऊ- 3 मई, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के
राज्य सचिव मंडल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ भवन में लगी मोहम्मद अली
जिन्ना की तस्वीर को हठाने की आरएसएस/ भाजपा की मांग और इसकी आड़ में सांप्रदायिकता
फ़ैलाने, गुंडागर्दी करने तथा हिंसा भड़काने की कोशिशों की कड़े शब्दों में निन्दा की
है.
यहां जारी एक प्रेस बयान
में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि भाजपा देश चलाने और जनता से किये वायदों
को पूरा करने में पूरी तरह विफल रही है. अतएव जनता को विभाजित करने को वह ऐसे
संवेदनशील मुद्दे खड़े कर रही है जिनसे देश और समाज को भारी क्षति पहुंचेगी.
ताज़ा मामला एएमयू में लगी
जिन्ना की तस्वीर को हठाने का है. डा. गिरीश ने कहाकि आरएसएस और जनसंघ 1977 में
जनता पार्टी की सरकार में शामिल थे. 1999 से 2004 तक भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की
सरकार थी. और अब 4 साल से अपार बहुमत वाली भाजपा सरकार केन्द्र में है. उत्तर
प्रदेश में भी 1966 से आज तक अनेकों बार भाजपा शासन में रही है. लेकिन कभी संघ
परिवार को जिन्ना की तस्वीर हठाने की याद नहीं आयी.
लेकिन अब जबकि भाजपा हर
मोर्चे पर पूरी तरह विफल होचुकी है, और काला धन वापस लाने, हर नागरिक को रु. -15 लाख
देने, दो करोड़ युवाओं को हर साल रोजगार देने, किसानों की आमदनी दोगुना किये जाने
तथा स्वच्छ प्रशासन देने जैसे उसके खास वायदों को पूरा करने से मुकर गयी है तो
उसने तमाम विभाजनकारी मुद्दे उठाना शुरू कर दिया है. वोट की राजनीति के लिये वह देश
की युवा पीढ़ी के दिलों में नफरत का जहर घोल रही है और उन्हें अपनी घ्रणित राजनीति
का मोहरा बना रही है. अपने कुत्सित उद्देश्यों को पूरा करने को पहले उसने कासगंज
में विद्यार्थियों को दंगों की आग में झोंका तो अब अलीगढ में छात्र- नौजवानों को
नफरत की आग का ईंधन बनाया जारहा है.
जो भाजपा सरकार पूर्ण बहुमत
में होते हुये न मंदिर निर्माण करा पायी, न धारा 370 को हठा पायी 2019 के लोक सभा चुनावों के निकट आने और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में फायदा
उठाने को वह अब जिन्ना की तस्वीर हठाने के नाम पर हिंसा और उपद्रव
पैदा कर रही है. रिकार्ड गवाह हैं कि हर चुनाव से पहले भाजपा गड़े मुर्दे उखाड़ना
शुरू कर देती है. आजादी के आन्दोलन से बाहर रहा संघ परिवार कभी भी देश में अनेक
जगह लगी अंग्रेज शासकों की मूर्तियों को हठाने की मांग नहीं करता. नहीं भाजपा
सरकार ने कभी पाकिस्तान से कूटनीतिक संबंध तोड़े हैं. अपितु श्री मोदी तो वहां बिना
आमंत्रण के ही जाचुके हैं. भाजपा को यह भी जबाव देना होगा कि उसके अनुयायी डा.
आंबेडकर और पेरियार की प्रतिमाएं क्यों तोड़ा करते हैं? क्या पेरियार और आंबेडकर ने
भी पाकिस्तान बनाया था?
डा. गिरीश ने कहाकि जहाँ तक
अलीगढ का सवाल है वहां संघी संगठनों को हिंसा और उत्पात भड़काने की खुली छूट
स्थानीय प्रशासन ने दी. उन्हें यदि एएमयू परिसर से दूर ही रोकने के बजाय पुलिस-
प्रशासन कथित जागरण मंच वालों की सुरक्षा में लगा था. भाकपा का आरोप है कि योगी
राज में पुलिस प्रशासन बेहद दबाव में काम कर रहा है. इसीलिये समूचा प्रदेश
अराजकता, गुंडागर्दी और सांप्रदायिकता की गिरफ्त में है. मुख्यमंत्री को क़ानून
व्यवस्था सुधारने से ज्यादा भाजपा के डूबते जहाज को बचाने की फ़िक्र है. कल आये
तूफ़ान में आधा सैकड़ा से अधिक लोगों के मारे जाने और भारी तबाही के बावजूद वे
कर्नाटक विधान सभा चुनाव में वोट बटोरने की कबायद में लगे हैं.
भाकपा ने अलीगढ़ में उत्पात
मचाने वाले संघियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही किये
जाने की मांग की है.
डा. गिरीश
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