रविवार, 18 नवंबर 2018
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जनता के आम हितों से किनाराकशी भाजपा को महंगी पड़ेगी : भाकपा
लखनऊ- 18 नवंबर: भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी की राज्य काउंसिल की बैठक यहां मथुरा के वरिष्ठ नेता कामरेड गफ्फार अब्बास एडवोकेट
की अध्यक्षता में संपन्न हुयी।
बैठक में देश और प्रदेश के मौजूदा हालात पर राज्य सचिव
डा॰ गिरीश ने एक व्यापक समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत की जिस पर 20 साथियों ने चर्चा में
भाग लिया। बैठक में कार्यक्रम एवं संगठन संबंधी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये।
डा॰ गिरीश ने कहाकि केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार
हर मोर्चे पर विफल होचुकी हैं। चुनावों के समय भाजपा ने जनता से जो भी वायदे किये उनमें
से एक भी पूरा नहीं किया गया। इन सरकारों की अकर्मण्यता और अहमन्यता ने सारे रिकार्ड
तोड़ दिये हैं। परिणामस्वरूप बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और कमजोर तबकों पर अत्याचार की मार से लोग कराह उठे हैं। रुपये
की कीमत में अभूतपूर्व गिरावट सरकार कथित कुशलता की कलई खोलने को काफी है। इसका नतीजा
है कि सरकार का जनाधार बुरी तरह खिसका है। यही वजह है कि देश भर में हाल में हुये कई
उपचुनावों में भाजपा को भारी पराजय का मुख देखना पड़ा है।
डा॰ गिरीश ने कहाकि पांच राज्यों की विधान सभाओं के
चुनावों और लोकसभा चुनावों में संभावित पराजय
के भय से समूचे संघ परिवार ने विभाजनकारी और सांप्रदायिक एजेंडों पर पूरी ताकत झोंक
दी है। सत्ता के चार सालों में मंदिर निर्माण पर पूरी खामोशी ओड़े रही भाजपा और संघ
गिरोह ने अब मंदिर निर्माण का बेसुरा राग छेड़ दिया है। शहरों के ऐतिहासिक लोकप्रिय
नामों को भी जबरिया बदला जारहा है। इस नाम परिवर्तन की सनक पर जनता का भारी मात्रा
में धन व्यय किया जारहा है। गंगा को स्वच्छ बनाने के नाम पर ये गंगाभक्त बड़ी धनराशि
डकार गये और गंगा की हालत आज भी जैसी की तैसी बनी हुयी है। इनकी गोवंश रक्षा नीति ने आवारा पशुओं के विशाल
झुंड पैदा कर दिये हैं जो किसानों की फसल उजाड़ रहे हैं और लोगों की जानें लेरहे हैं।
समूची जनता त्राहि त्राहि कर रही है।
अतएव जनता की आँखों में धूल झोंकने की गरज से और एक
क्षत्र तानाशाही लादने के उद्देश्य से सर्वोच्च न्यायालय को निशाना बनाया जारहा है।
यह देश लोकतन्त्र और संविधान के लिये बहुत ही घातक है। वोट और सत्ता की भूख ने उन्हें
अंधा बना दिया है। मोदी, योगी, भागवत और
उनके अन्य सभी नेता अनापशनाप झूठ वमन कर रहे हैं और गोदी मीडिया तटस्थता का चोला दूर
फेंक उनके कीर्तन में लगा है। लेकिन भाकपा की राय है कि ये न 1989 है न 1992, जबकि देश की जनता को उन्होने बरगला लिया था। जनहितों से किनारा कर भ्रामक
एजेंडे पर काम करना उनके लिये उलटा पड़ने वाला है, डा॰ गिरीश ने
कहा।
इन चुनौतियों से निपटने को भाकपा ने वामपंथी दलों के
साथ मिल कर व्यापक जन चेतना निर्मित करने को अभियान चलाने पर ज़ोर दिया। 3 से 6 दिसंबर
के बीच जिलों जिलों में “संविधान, धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतन्त्र
के समक्ष चुनौतियां” विषय पर विचार गोष्ठियाँ एवं सभा आदि आयोजित की जायेंगी। भारत
की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी ) से इस मुद्दे पर सहमति बन चुकी है। अन्य वामपंथी
दलों से भी चर्चा की जाएगी।
भाकपा ने अपने जिला स्तरीय नेताओं को राजनैतिक प्रशिक्षण
देने हेतु एक चार दिवसीय शिविर आयोजित करने का निर्णय भी लिया। यह शिविर 6 से 9 दिसंबर
के बीच बदायूं में होगा। इसमें जिला सचिव और सहसचिवों को भाग लेना है।
भाकपा राज्य कार्यकारिणी ने 29 और 30 दिसंबर को दिल्ली
में होने वाले देश के किसानों के संयुक्त आंदोलन को समर्थन प्रदान किया है और ज्यादा
से ज्यादा किसान साथियों से दिल्ली पहुँचने की अपील की है।
बैठक में पार्टी की लोकसभा चुनावों की तैयारी पर भी
चर्चा हुयी। भाकपा प्रदेश में 10 सीटें लड़ने की योजना पर कार्य कर रही है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
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