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मंगलवार, 23 जून 2020

Press Note of Left Parties, UP


उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों का प्रेस बयान-
वामपंथी दलों ने उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों की राजनैतिक गतिविधियों पर से रोक हटाने की मांग की
लोकतन्त्र में ऐसा पहली बार हुआ है जब सत्तापक्ष सड़कों पर है और विपक्ष को ताले में बन्द किया हुआ है
सारे कायदे- कानून ताक पर रख शासक दल धड़ल्ले से चला रहा है अपनी कारगुजारियाँ
वामदलों ने गलवान घाटी में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, उन्हें लाल सलाम पेश किया
लखनऊ- 23 जून 2020, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, एमएल- लिबरेशन एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के प्रादेशिक पदाधिकारियों ने आज आन लाइन बैठक की। वाम नेताओं ने सर्वप्रथम गलवान घाटी में चीन के साथ मुठभेड़ में शहीद हुये भारतीय सेना के अफसरों और सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, उन्हें रेड सेल्यूट पेश किया और शोक संतप्त उनके परिवारों के प्रति गहरी सहानुभूति प्रकट की।
तदुपरान्त वामपंथी दलों ने निम्न बयान जारी किया-
उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की सरकार और शासक दल- भाजपा नफरत, दहशत और दमन की राजनीति कर रहे हैं। कोरोना काल, लाक डाउन और अब अनलाक- 1 में सरकार और शासक दल अपने एजेंडों और गतिविधियों को खुले आम अंजाम दे रहे हैं, वहीं उन्होने लाक डाउन और कोविड- 19 के बहाने विपक्ष को क्वारंटाइन में डाल दिया है और आम जनता पर निर्दयता पूर्वक हमले जारी रखा है। अब सीमाओं पर संकट के नाम पर वह अपने एजेंडे को धड़ल्ले से लागू कर रहे हैं। वामदलों ने विपक्ष पर लादी गयी अलोकतांत्रिक पाबंदियों को तत्काल हटाने की मांग की है।
एक प्रेस बयान में वामदलों ने कहा कि सत्ता और उसके बल पर अर्जित धन के बल पर भाजपाई वर्चुअल रैलियां कर रहे हैं और प्रसारण सुनने के लिये भाजपा कार्यालयों, भाजपा नेताओं के आवासों और अनेक स्थलों पर लगाये गए एलईडी टीवी के सामने बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होरहे हैं। सामाजिक दूरी की सरेआम धज्जियां बिखेरी जारही हैं। सरकार की कथित उपलब्धियों के प्रचार- प्रसार के लिये कार्यकर्ताओं के झुंड गावों, शहरों में न केवल पर्चे बांट रहे हैं अपितु सभाएं तक कर दे रहे हैं। सरकारी सामग्री को हथिया कर सामूहिक रूप से वितरण कर रहे हैं।
इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब बिक्री शुरू करा दी जिससे दुकानों पर लंबी लाइनें लग रही हैं और मयखानों में भीड़ जुट रही है। देवालयों और पवित्र नदियों के स्नान में भीड़ें जमा होरही हैं। अब तो जगन्नाथ रथ यात्रा तक आयोजित की जारही है। भाजपा के मंत्रियों, सांसदो और विधायकों द्वारा दी जा रही पार्टियों और क्षेत्र भ्रमणों में भीड़ जमा होने के वीडियो लगातार वायरल होरहे हैं। आम जनता के आक्रोश को तो समझा जा सकता है पर चीनी सामान का आयात करने के लिये जिम्मेदार भाजपा सरकार के समर्थक लोग भी कथित चीनी सामान की होली जलाने का नाटक कर रहे हैं। कानून, सोशल डिस्टेन्सिंग और लाक डाउन नियमों की धज्जियां हर तरह बिखेरी जारही हैं।
कोविड-19 से निपटने में सरकार की नीतियों और कार्यवाहियों में छेद ही छेद हैं। क्वारंटाइन सेंटर्स, आइसोलेशन सेंटर्स एवं कोविड अस्पतालों की दुर्व्यवस्थायें जान लेवा साबित होरही हैं। लोग वहां जाने से भयभीत हैं और बीमारियों को छिपा रहे हैं। तमाम लोगों की जानें जारही हैं जिनका कोविड मौतों में रिकार्ड नहीं है। प्रायवेट टेस्ट एजेंसीज और प्रायवेट हॉस्पिटल मिल कर लोगों की चीटिंग कर रहे हैं। सरकार अपनी व्यवस्थाओं के गुणगान में लगी है। अब तो कोविड महामारी की परवाह छोड़ भाजपा और सरकार चुनावों की तैयारियों में जुट गयी है। जनता को राम भरोसे छोड़ दिया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटे तो सरकारों ने बड़ी मात्रा में उत्पाद कर और वैट लगा दिया। अब पेट्रोल डीजल के दाम 16 दिन से लगातार बढ़ रहे हैं और रुपये 80 प्रति लीटर के पार होगये हैं। 73 सालों में यह पहली बार हुआ है कि कीमतों में डीजल अब पेट्रोल के बराबर पहुँच गया है। कोविड पीड़ित जनता अब महंगाई की मार झेल रही है। बिजली के बड़े हुये बिल उनकी कठिनाइयों को और भी बढ़ा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में कानून- व्यवस्था जर्जर हो चुकी है। हत्या, लूट, चोरी, डकैती, छिनैती सभी बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। महिलाओं दलितों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों की तो झड़ी ही लग गयी है। दलितों अल्पसंख्यकों के बीच के विवादों को सांप्रदायिक रूप देकर अल्पसंख्यकों पर रासुका लगाई जा रही है। कानपुर का बालिका गृह कांड राज्य सरकार के नाम पर कलंक का टीका है।
6900 शिक्षक भर्ती, एक नाम पर कई कई शिक्षकों की नियुक्ति और पशुधन विभाग के घोटाले सरकार में उच्च स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के चन्द उदाहरण हैं। राशन वितरण, मनरेगा में धांधली और सरकारी विभागों में रिश्वतख़ोरी चरम पर हैं। अब गरीबों को मिलने मुफ्त मिलने वाला राशन अगले माह से बंद किया जारहा है, जबकि उसके कई माह तक जारी रहने की जरूरत है। लाक डाउन में पुलिस प्रशासन निरंकुश होगया है और नियमों के पालन कराने के नाम पर आम नागरिकों, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर्स का भारी उत्पीड़न कर रहा है।
मजदूरों को काम तो दूर तमाम उद्योग बंद होरहे हैं और वे बेरोजगार बनाये जारहे हैं। घरों को लौटे मजदूर काम न मिलने से जान की परवाह छोड़ पुनः पलायन कर रहे हैं। किसानों की फसलों के बाजिव दाम मिल नहीं पारहे हैं। सरकारी योजनाओं में रिश्वतख़ोरी के चलते उसका लाभ किसी तबके को मिल नहीं पारहा है।  इस सबके विरूध्द उठने वाली आवाज को दबाने का काम आज लाक डाउन के नाम पर किया जारहा है।  
महामारी की आड़ में सरकार तुगलकी कानून थोपती जा रही है। वह विपक्ष पर जुल्म ढारही है। विपक्षी नेताओं को जेल में डाला गया। ज्ञापन सौंपने जा रहे वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। सीएए के विरोध में आंदोलन करने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन पर गैर कानूनी जुर्माना ठोका जारहा है। विपक्ष को दफा 144 और महामारी अधिनियम के जरिये दीवारों के पीछे धकेल दिया गया है। योगी सरकार आतंक का पर्याय बन गयी है।
लोकतन्त्र में सरकार दफ्तर में रहती है और विपक्ष सड़कों पर होता है। पर मोदी- योगी राज में यह उलटा कर दिया गया है। यहाँ सरकार सड़क पर है और विपक्ष को नजरबंदी में डाल दिया गया है। यह जनता द्वारा अपने खून पसीने से सींचे गये लोकतन्त्र के लिये अशुभ ही नहीं घातक भी है।
अतएव वामपंथी दल सरकार से मांग करते हैं कि विपक्ष के ऊपर थोपी हुयी पाबंदियों को तत्काल हटाया जाये। राजनैतिक गतिविधियों पर से लाक डाउन को हटाया जाये। यह लोकतन्त्र की मजबूती के लिये जरूरी तो है ही, कोविड महामारी से निपटने और सीमाओं पर मौजूद संकट का मिल कर मुक़ाबला करने के लिये भी अति आवश्यक है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,
डा॰ हीरालाल यादव, राज्य सचिव
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी
सुधाकर यादव, राज्य सचिव
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, एमएल- लिबरेशन
अभिनव कुशवाहा, राज्य संयोजक
आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक


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