उत्तर प्रदेश
की जनता के ज्वलंत सवालों को लेकर वामपंथी दलों ने राज्य भर में प्रदर्शन किये
जनता के सवालों की अनदेखी करने वाले मुख्यमंत्री से
त्यागपत्र की मांग की
लखनऊ- उत्तर प्रदेश
को जंगलराज से निजात दिलाने, कोरोना से इलाज और वचाव के पुख्ता
इंतजाम करने, महंगाई पर कारगर रोक लगाने, रोजगार और पलायन रोके जाने, बिजली की समस्या से निजात
दिलाने, सूखा/ बाढ़ से राहत के कदम उठाने निजीकरण से बाज आने, मंडी क़ानूनों में किये गये किसान विरोधी संशोधनों को रद्द करने और हर तरह
से विफल मुख्यमंत्री से त्यागपत्र की मांग को लेकर आज उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों
ने समूचे उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनों का आयोजन किया। राष्ट्रपति और राज्यपाल को संबोधित
11 सूत्रीय मांग पत्र जिलाधिकारियों को सौंपा गया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी, भाकपा- माले
एवं फारबर्ड ब्लाक का आरोप है कि देश और उत्तर प्रदेश के हालात बहुत चिंताजनक बने
हुये हैं। उत्तर प्रदेश के हालात तो और भी खराब हैं। जहां एक तरफ कोविड-19 संक्रमण
के तेजी से प्रसार और उससे हो रही मौतों से जनता को अमानवीय यातनायें झेलनी पड़ रही
हैं, वहीं उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बदतर है और यहां
जंगलराज कायम हो गया है।
आये दिन अपहरण हो रहे हैं, फिरौती में बड़ी रक़में बसूल की जारही हैं और रकम ऐंठने के बावजूद हत्या कर
दी जा रही हैं। दिन दहाड़े लूट, बलात्कार और दहेज हत्याएं, मजदूरों, किसानों दलितों एवं अल्पसंख्यकों का
सामंतों, सांप्रदायिकों और सत्तासीनों द्वारा उत्पीड़न, रोजगार छिनने और अर्थाभाव से पीड़ित प्रवासी मजदूरों एवं दूसरे गरीब लोगों
द्वारा आत्महत्यायेँ, साधारण और सामाजिक नागरिकों पर
पुलिसिया अत्याचार आदि सातवें आसमान पर हैं। अनेक और फर्जी मुठभेड़ें दिखा कर तमाम
अपराधियों को जेल भेजा जा रहा है, फिर भी अपराध थमने का नाम
नहीं ले रहे हैं। रोजगार मिल नहीं रहे, रोजगार देने के सरकार
के दाबे खोखले निकले और कई बेरोजगार मजबूरी में और भटक कर अपराध की ओर प्रव्रत्त
हो रहे हैं। इन हालातों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का नैतिक
अधिकार खो बैठे हैं।
बिजली की समस्या ने तो सभी को छका रखा है। कोरोना
और लाक डाउन से लुटे- पिटे लोगों को बढ़ कर भेजे जा रहे बिलों से भारी परेशानी हो
रही है। लोड फैक्टर बढ़ा दिया है और किसानों के नलकूपों का बिल दो गुना आरहा है।
आधे उत्तर प्रदेश में सूखा है, बिजली की भारी कटौती से फसलें
तवाह होरही हैं। फाल्ट, कटौती से गर्मी में बीमारों, बुजुर्गों, बच्चों और नागरिकों को भीषण कष्ट झेलने
पड़ रहे हैं। मंडी कानून समाप्ति ने किसानों के कार्पोरेट्स के हाथों लुटने की राह
आसान कर दी है। बिजली समेत हर सरकारी संपदा को बेचा जा रहा है। उद्योग बंद होरहे हैं और मजदूर सड़क पर आ रहे
हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण रोकने और इलाज संबंधी
व्यवस्थाएं चरमराई हुयी हैं अतएव लोगों को अपार कष्ट झेलने पड़ रहे हैं। सरकार ने
कोरोना पीड़ितों को निजी अस्पतालों के हाथों लुटने को छोड़ दिया है। अन्य बीमारियों
के मरीज भी इलाज न मिलने से दम तोड़ रहे हैं। पेट्रोल, डीजल, गैस बिजली की अभूतपूर्व महंगाई से हर चीज
महंगी होगयी है और आर्थिक रूप से खोखली हो चुकी जनता को भूख,
कुपोषण और मौत के मुंह में धकेल रही हैं। गरीबों को राशन नहीं मिल पा रहा है।
भ्रष्टाचार कोरोना की रफ्तार से बढ़ रहा है।
आन लाइन कक्षाओं का लाभ गरीब परिवारों के बच्चों को
नहीं मिल पाने से बच्चे और उनके मां बाप मानसिक तौर पर उत्पीड़ित और परेशान हो रहे
हैं। आधी से अधिक आबादी के पढ़ाई से वंचित रह जाने से सामाजिक संतुलन और अधिक
बिगड़ने जा रहा है। संघ के सांप्रदायिक और पूंजीवाद को बढ़ाने वाले एजेंडे को पनपाने
वाली नयी शिक्षा नीति और अधिक संकट खड़ा करने जा रही है। आम लोग अन्य तमाम समस्याओं
का सामना कर रहे हैं मगर केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकारें अपने पुश्तैनी
सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने में व्यस्त हैं। वे संविधान की मर्यादाओं का
लगातार उल्लंघन कर रहे हैं।
राष्ट्रपति और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापनों में वामदलों
ने कहा कि उत्तर प्रदेश और देश की जनता की इस पहाड़ जैसी पीड़ा पर आपका और आपकी
सरकार का ध्यान आकर्षित करने को आज उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने समूचे उत्तर
प्रदेश के जिलों में सामूहिक रूप और लोकतान्त्रिक ढंग से आवाज उठायी है।
हम मांग कराते हैं कि अप्रत्याशित रूप से बिगड़ चुकी
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने को ठोस और मानवीय प्रयास किये जायें।
पुलिस दमन और सामंती अत्याचारों पर रोक लगायी जाये। अपराधियों, बलात्कारियों और भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये।
कोरोना काल में बिजली के बिल माफ हों, भुगतान कर चुके लोगों की धनराशि आगे के बिलों में समायोजित कर दी जाये।
अधिभार में बढ़ोत्तरी रोकी जाये। विद्युत सप्लाई सुचारु की जाये। विद्युत निगम का
निजीकरण रोका जाये। कोरोना के इलाज की व्यवस्थाओं को आमजनों के लिए राहतकारी बनाया
जाये। अन्य बीमारियों से पीड़ितों को भी इलाज मुहैया कराया जाये। सार्वजनिक
स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुधार किया जाये। पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतें पर्याप्त मात्रा में घटायी जायें। यात्री भाड़ा और जरूरी सामानों की कीमतों को नीचे लाया
जाये। अगले छह माह तक आयकर से बाहर सभी को प्रतिमाह रुपए 7500/- दिये जायें, हर व्यक्ति को दस किलोग्राम राशन मुफ्त दिया जाये। किसान विरोधी और कारपोरेटपरस्त
मंडी क़ानून संशोधनों को रद्द किया जाये। सूखा/ बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहतकारी
कदम उठाए जायें। आवारा पशुओं से किसानों को निजात दिलाई जाये।
उत्तर प्रदेश के नौजवानों और मजदूरों को प्रदेश में
ही रोजगार दिया जाये। उद्योगबंदी से बेरोजगार होरहे श्रमिकों, पलायन कर लौटे लोगों तथा अन्य बेरोजगारों को रोजगार मिलने तक रु॰ 10 हजार
प्रति माह बेरोजगारी भत्ता दिया जाये। कोरोनाकाल में शिक्षा से वंचित गरीब और आम
परिवारों के बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाये। भारतीय शिक्षा
व्यवस्था को नष्ट करने वाली नयी शिक्षा नीति धोखा है और अलोकतांत्रिक ढंग से थोपी
जारही है। उसे रद्द कर प्रस्ताव पर व्यापक बहस चलायी जाये। इसे संसद के सामने लाया
जाये।
सरकारी उद्यमों/ संपत्तियों का
निजीकरण बंद किया जाये। सार्वजनिक क्षेत्र को विस्तार दिया जाये। सभी सरकारी
विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोका जाये। सरकार की घोषित योजनाओं यथा - पीएम
आवास, किसान सम्मान निधि, पेंशन आदि का
लाभ सभी तक पहुंचाया जाये।
केन्द्र और राज्य दोनों की सरकारें भूमि पूजन/
शिलान्यास जैसे संविधान को क्षति पहुँचाने वाले कार्यों में लिप्त हैं। उन्हें
संविधान की मर्यादाओं का पालन करने और जनता के प्रति दायित्वों को निभाने के
निर्देश दिये जायें।
वामदलों ने कहा कि योगी आदित्यनाथ जनता के प्रति अपने
दायित्वों को निभाने में पूरी तरह असफल रहे हैं, अतएव उन्हें
मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।
डा॰ गिरीश
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