रोजगार देने
और अर्थवयवस्था को सुधारे जाने को लेकर भाकपा ने धरने- प्रदर्शन आयोजित किये
लखनऊ- 14 सितंबर 2020, अर्थव्यवस्था की तवाही और उसके जनता पर पड़ रहे दुष्प्रभावों एवं
लोकतन्त्र को खतरे में डालने की सरकारों की कारगुजारियों के विरूध्द एवं कोरोना
काल में रोजगार, भोजन, चिकित्सा, शिक्षा व जीवन की सुरक्षा की गारंटी के लिये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा
देशव्यापी आंदोलन के आह्वान पर आज समूचे ऊतर प्रदेश में जिलों में धरने- प्रदर्शन किये
गये एवं ज्ञापन सौंपे गये।
भाकपा राज्य मुख्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा
गया है कि केन्द्र सरकार द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को खंडहर में तब्दील कर देने
और केन्द्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लोकतन्त्र को गहरे संकट में फंसा देने
के विरोध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आज सारे देश और उत्तर प्रदेश में
प्रतिरोध दर्ज कराया है। आप सबको ज्ञात ही है कि आज ही संसद का सत्र शुरू हो रहा
है। इस प्रतिरोध के माध्यम से देश की जनता के ऊपर थोपे गए मुसीबतों के पहाड़ के
बारे में हम सरकार और संसद का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। साथ ही माननीय
राज्यपाल, उत्तर प्रदेश और उनकी सरकार को भी संबोधित करना चाहते हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि देश की अर्थव्यवस्था
का पतन नोटबंदी से शुरू होगया था और जीएसटी के लगाने से पतन को और भी गति मिली।
रही सही कमी मूर्खतापूर्ण तरीके से किये गये लाकडाउन ने पूरी कर दी। परिणामस्वरूप
अच्छी- भली संभावनाओं वाली जीडीपी – 23. 9
प्रतिशत तक गिर गयी। सरकार की यही रीति- नीति जारी रही तो अभी इसमें और गिरावट आ
सकती है और आर्थिक संकट और भी गहराने की तमाम संभावनायें मौजूद हैं।
अर्थव्यवस्था के इस पैदा किये हुये संकट ने बड़े पैमाने
पर बेरोजगारी पैदा कर दी है। छंटनी उद्योग बन्दी, निष्कासन, जबरिया रिटायरमेंट आदि के जरिये इसे और बढ़ाया जा रहा है। बेरोजगारी और
गरीबी के अवसाद से पीडित तमाम लोग आत्महत्यायें कर रहे हैं। जनता की आर्थिक मजबूती
से ही देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, पर सारे आंकड़े
बताते हैं कि सरकार जनता को आर्थिक रूप से कमजोर कर पूँजीपतियों/ कार्पोरेट्स को
मालामाल कर रही है, अतएव हमारी अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री देश की अर्थव्यवस्था के
बारे में लगातार झूठे दाबे कर रही हैं और झूठ पर झूठ बोल रही हैं। आर्थिक पैकेज के
बारे में निरा झूठ बोला गया। अब उस सबकी कलई खुल गयी है। लगातार झूठ बोलने वाली
वित्त मंत्री को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, अतएव उन्हें तत्काल पद से हठाया जाना चाहिये। ‘हिन्दुत्व
के नाम पर कुछ भी चलेगा’, इसे देश अब बर्दाश्त करने वाला
नहीं है।
केन्द्र और राज्य सरकार कोरोना से लोगों को बचाने
और इलाज तीमारदारी और दवा उपलब्ध कराने में असमर्थ रही हैं। गरीब लोग बीमारियों से
बेमौत मर रहे हैं। तमाम लोग निजी अस्पतालों की लूट के शिकार बन रहे हैं। बेरोजगारी
और महंगाई ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है।
आर्थिक मोर्चे, सीमाओं की रक्षा
और सुशासन देने में पूरी तरह विफल सरकार अब आक्रोशित लोगों के लोकतान्त्रिक
अधिकारों को कुचल रही है। वह संविधान की हत्या से बाज नहीं आ रही। कार्पोरेट्स
नियंत्रित टीवी चैनल्स के जरिये क्रत्रिम मुद्दे उछाल कर जनता को गुमराह करने में
लगी है।
उत्तर प्रदेश में अपराधों की भरमार है- सरकार लाचार
है, ऊपर से नीचे तक फैला भ्रष्टाचार बेकाबू हो रहा है और शासकीय गुंडागर्दी चरम
पर है। सरकार लोकतन्त्र की हत्या कर रही है। असफल मुख्यमंत्री सत्ता में बने रहने
का नैतिक अधिकार खो बैठे हैं।
राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि भाकपा “जीवनयापन के
साधनों की उपलब्धता, समानता और न्याय के लिये- भारत और
भारत के संविधान की रक्षा के लिये सदा प्रतिबध्द रही है और रहेगी।“ इसी संकल्प के
साथ आज राष्ट्रपति और राज्यपाल को संबोधित 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपे गये हैं, जो निम्न प्रकार हैं-
1- जर्जर
अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये हर संभव कदम उठाये जायें। बड़े पैमाने पर रोजगार
दिये जायें, रोजगार छीनना बन्द किया जाये। रोजगार देने में
सक्षम सार्वजनिक क्षेत्र को बेचना तत्काल बन्द किया जाये। मध्यम, लघु और कुटीर उद्योगों को डूबने से बचाने को हर संभव सहायता दी जाये।
2- लोगों
की क्रय शक्ति बढ़ने से ही उत्पादन का चक्र बढ़ता है। अतएव सबके खाते में छह माह तक
रु॰ 10 हजार प्रति माह डाले जायें। मनरेगा का दायरा बढ़ाया जाये और शहरी मनरेगा भी
शुरू की जाये।
3- कोरोना
काल में क्रषी ने अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा दिया है मगर किसानों की आर्थिक स्थिति
बेहद खराब है। उसे सुधारने के हर संभव प्रयास किये जायें। किसान विरोधी 3 अध्यादेशों
को वापस लिया जाये।
4- लाक
डाउन में श्रमिकों के पलायन से अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट गयी और श्रम तथा श्रमिकों
की अपरिहार्यता सिध्द हो गयी। अतएव श्रमिक विरोधी कानून और कदम वापस लिये जायें।
5- केन्द्र
सरकार निरंतर लोकतन्त्र और संविधान विरोधी कार्यों में लिप्त है, उन पर लगाम लगाई जाये।
6- उत्तर
प्रदेश की कानून व्यवस्था बेहद खराब है। सरकार पुलिस- प्रशासन को अपने राजनैतिक
औज़ार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। जनता की लोकतान्त्रिक और राजनीतिक गतिविधियों
को बाधित किया जा रहा है। अघोषित तानाशाही दमन का पर्याय बनी हुयी है। इस सब पर
रोक लगा कर लोकतान्त्रिक बदलाव लाये जायें।
7- कोरोना
से निपटने में केन्द्र और राज्य सरकारें आवश्यक भूमिका निभाने में फेल रही हैं।
लोगों का जीवन और स्वास्थ्य नष्ट हो रहा है। अन्य बीमारियों ने भी पैर पसारना शुरू
कर दिया है। बाढ़ ने भी तवाही मचा रखी है। लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को बचाने को
गंभीर और ठोस प्रयास किये जायें।
8- समय
की मांग है कि सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किया जाये।
9- कोरोना
काल की फीस माफ की जाये। गरीब बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम किया जाये।
10-
पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में पर्याप्त कमी की जाये। महंगाई को भी नीचे
लाया जाये।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश