भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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सोमवार, 30 मई 2022

देश के भविष्य के लिये घातक है भाजपा द्वारा अल्पसंख्यकों के प्रति चलाया जा रहा घ्रणा अभियान


भाकपा राज्य कार्यकारिणी की बैठक में गहरी चिन्ता जताई गयी

लखनऊ- 30 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी ने चिन्ता जताई है कि भाजपा की उत्तर प्रदेश और केन्द्र की सरकारों ने भारत के मुस्लिम नागरिकों के खिलाफ जो घ्रणा और हिंसक अभियान को प्रश्रय दे रखा है वह देश के भविष्य के लिये हितकर नहीं है। शासकों का काम समाज और देश के नागरिकों, क्षेत्रों और समुदायों के बीच यदि कोई दूरी विवाद या वैमनस्य है तो उसे भरना होता है, राजनीतीक स्वार्थों के लिये खाई पैदा करना नहीं। लेकिन वर्तमान सरकार और शासकवर्ग ऐसा ही कर रहे हैं और वह भी जानबूझ कर।

दो दिन तक चली भाकपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में हुयी गहन चर्चा का यह प्रमुख बिन्दु था।

बैठक के निष्कर्षों की जानकारी देते हुये भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि भाजपा इतिहास की बहुत बात करती है, पर इतिहास से कोई सबक नहीं लेती। उलटे वह इतिहास को विक्रत कर रही है, और वोट की तुच्छ राजनीति के लिये एक समुदाय के प्रति हिंसा नफरत और द्वेष का माहौल निरंतर और युद्धस्तर पर बना रही है। कारपोरेट्स संचालित मीडिया का बड़ा भाग भी इस अपराधिक क्रिया में लिप्त है।

भाकपा ने चेतावनी दी है कि भाजपा और उसकी सरकारों द्वारा चलायी जा रही राजनीति देश के भविष्य के लिये खतरनाक है। जनता जितनी जल्दी इस तथ्य को समझ जाये, उतना ही देश हित में होगा। विभाजन और नफरत की राजनीति के चलते मनमाने कदम उठाने के बावजूद कश्मीर में आप शांति स्थापित कर नहीं पाये, पंजाब की घटनाएँ भी चिन्ता पैदा करने वाली हैं और आप सारे देश को नफरत की आग में क्यों झौंक रहे हैं; भाकपा ने सवाल किया है। क्रपया इस खेले को देश हित में तत्काल बन्द कर दीजिये।

हम जानते हैं और अब जनता भी समझती जा रही है कि आप यह खेल जनता को परेशानियों में डालने वाली अपनी नीतियों और कारगुजारियों से ध्यान हटाने को कर रहे हैं। लेकिन वामपंथी दल और देशभक्त ताक़तें आपका यह खेला दीर्घ काल तक चलने नहीं देंगी। वे जनता के बीच जा रही हैं, उन्हें समझा रही हैं और उनकी आवाज उठा रही हैं।

भाकपा राज्य कार्यकारिणी ने वामपंथी दलों के राष्ट्रीय आह्वान पर उत्तर प्रदेश में 25 मई से चलाये जारहे जन अभियान की समीक्षा की जो कि आसमान छूती महंगाई, निरंतर बढ़ायी जा रही बेरोजगारी और गरीबी, भ्रष्टाचार, निजीकरण, बुलडोजरवाद और पुलिसराज, सामाजिक विभाजन पैदा करने वाली कारगुजारियों एवं जनता को तवाह कर रही कानून व्यवस्था के बारे में चलाया जा रहा है।

भाकपा राज्य कार्यकारिणी ने इन मुद्दों पर वामदलों द्वारा 31 मई को जिला मुख्यालयों पर किए जा रहे प्रदर्शनों की तैयारियों पर संतोष व्यक्त किया और आम लोगों से उसका भागीदार बनने की अपील की। इस बात को रेखांकित किया गया कि गत सप्ताह बड़ती कीमतों के खिलाफ उक्त अभियान चलाने की वामपंथी दलों की घोषणा के बाद केन्द्र सरकार को पेट्रोल डीजल के दाम कम करने पर मजबूर होना पड़ा।

राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने बताया कि भाकपा देश प्रदेश की राजनीति की समीक्षा करने और भविष्य की रणनीति के निर्धारण करने और सांगठनिक ढांचे को चुस्त दुरुस्त और व्यापक बनाने को अपना राष्ट्रीय महाधिवेशन अक्तूबर माह में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा महानगर में आयोजित करने जा रही है। निर्धारित क्रम में उत्तर प्रदेश में शाखाओं- जिलों के सम्मेलन जारी हैं। राज्य सम्मेलन आयोजन हेतु फ़तेहपुर की जिला काउंसिल के प्रस्ताव को स्वीकारते हुये राज्य कार्यकारिणी ने प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया।

यह 24 वां राज्य सम्मेलन 23, 24 एवं 25 सितंबर को जनपद फतेहपुर के तहसील मुख्यालय पर आयोजित किया जायेगा।

भाकपा के राज्य कार्यालय पर संपन्न हुयी इस बैठक की अध्यक्षता इलाहाबाद के वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता का॰ नसीम अंसारी ने की। राजनैतिक रिपोर्ट राज्य सचिव डा॰ गिरीश तथा सांगठनिक रिपोर्ट सहायक सचिव का॰ अर्विंदराज स्वरूप ने की। चर्चा में हस्तक्षेप सहायक सचिव व पूर्व विधायक का॰ इम्तेयाज़ अहमद, पूर्व राज्य सचिव का॰ अशोक मिश्रा, केन्द्रीय कंट्रोल कमीशन के सदस्य का॰ मोती लाल, राष्ट्रीय परिषद सदस्य का॰ राम चंद्र सरस, महिला फेडरेशन की प्रदेश अध्यक्ष का॰ आशा मिश्रा, बीकेएमयू के केन्द्रीय सचिव फूलचंद यादव, गफ्फार अब्बास एडवोकेट, राजेश तिवारी एडवोकेट, हामिद अली एडवोकेट, दीनानाथ सिंह एवं कल्पनाथ गुप्ता आदि ने किया।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा,  उत्तर प्रदेश    

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गुरुवार, 26 मई 2022

ऐसा कोई सगा नहीं जिसे बजट ने ठगा नहीं


गांव- गरीब की कमर तोड़ने वाला है भाजपा सरकार का छठा आम बजट: भाकपा

लखनऊ- 26 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने योगी- 2 सरकार के आज विधानसभा में प्रस्तुत बजट को आंकड़ों की बाजीगरी बताया है, जिससे गांव, गरीब, किसान- मजदूर, युवा- छात्र और आम आदमी को भारी निराशा हाथ लगी है। विशालकाय घाटे का बजट आमजन को घाटे में धकेलने वाला है।

लग रहा था कि वित्त मंत्री चुनाव सभा में अपनी पार्टी के क्रिया-कलापों को गिनवा रहे हैं। केन्द्र और राज्य की योजनाओं में आबंटित धनराशि के आंकड़े प्रस्तुत कर दिये गये हैं, जिसकी दिशा है चंद पूंजीपति, ठेकेदारों और कमीशनखोरों को लाभ पहुंचाना। 6॰ 15 लाख करोड़ के आंकड़े को जिस तरह प्रचारित किया जा रहा है, रुपये की निरंतर घटती कीमत के युग में वह भी छलाबे के अलाबा कुछ नहीं।

किसानों को मुफ्त बिजली का वायदा पूरा नहीं किया गया। उनकी आय दोगुनी करना तो दूर उनकी क्रषिलागत वापस आने तक की गारंटी नहीं है। जिन गरीबों को मुफ्त राशन और अन्य राहतें देने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, उनकी गरीबी दूर करने का कोई प्लान नहीं है। बेरोजगार आज भी हाथ मल रहे हैं और उन्हें आगे भी हाथ मलते रहना है। आम और गरीब घरों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की कोई मंशा इस बजट में दिखाई नहीं देती। उन्हें आगे भी शिक्षा माफिया के हाथों लूटना है। मेडिकल कालेज बनाने की बातें की जा रही है लेकिन जिन सरकारी अस्पतालों में गरीब लोग इलाज कराते हैं, उनमें पर्याप्त चिकित्सक, दवा, जांच, भर्ती और इलाज की हालत सुधारने और निजी इलाजियों की लूट से लोगों की रक्षा करने की व्यवस्था बजट में नहीं की गयी। गन्ने की बकाया विपुल राशि का भुगतान कब होगा, इसका खुलासा किया नहीं गया। कमरतोड़ महंगाई को नीचे लाने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है।

महिला सुरक्षा की बातें बढ़ चढ़ कर की जा रही हैं। आज स्थिति ये है कि महिलाएं तो सर्वाधिक पुलिस आतंक की शिकार हैं। इसी एक माह में पुलिस कार्यवाहियों में प्रदेश में एक दर्जन महिलाओं की हत्या हो चुकी है। कल की ही खबर है कि बागपत जनपद में पुलिस रेड से पीड़ित महिलाओं ने जहर पी लिया और उनमें से एक की मौत हो गयी। कानून व्यवस्था हथियार खरीदने, अधिक बल भर्ती कर लेने से सुधरने वाली नहीं, इसके लिये स्वयं नेताओं को अपना आचरण बदलना होगा और पुलिस- बलों का आचरण सुधारना होगा।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने दाबा किया कि सड़कें, पुल, हाईवे, एयरपोर्ट ये सब उच्च मध्यम वर्ग और धनाढ्य वर्ग की विलासिता के लिये बनाये जा रहे हैं। सौ गोते लगा कर भी गरीब और साधारण नागरिक इस बजट में अपने लिये कुछ नहीं ढूंढ पा रहा है। विकास के कामों में भारी कमीशनखोरी के चलते और मुद्रास्फीति और महंगाई के छलांगें भरने के कारण बजट का व्यावहारिक आकार कहाँ जा कर गिरेगा, कहा नहीं जा सकता। कारपोरेट संचालित सरकार का बजट जैसा हो सकता है, वैसा ही है यह बजट। भले ही ढिंढोरची इसे अद्वितीय और ऐतिहासिक बता रहे हैं।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 24 मई 2022

गरीबों पर अत्याचार के खिलाफ जंग का ऐलान


बदायूं में आत्मदाह करने वाले गरीब किसान के परिवार के घर पहुंचा भाकपा, उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल

संपूर्ण जिला प्रशासन और सरकार कठघरे में है: पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का किया ऐलान

लखनऊ-24 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश के नेत्रत्व में आज सुबह एक व्यापक प्रतिनिधिमंडल बदायूं जनपद के ग्राम रसूलपुर पहुंचा जहां के एक गरीब खेतिहर मजदूरर/ सीमांत किसान क्रष्णपाल ने गांव के कुछ मनबड़ों की प्रताड़ना और पुलिस प्रशासन की मुजरिमाना उपेक्षा से पश्त- हिम्मत होकर गत 18 मई को जिला मुख्यालय पर पुलिस के शीर्षस्थ अधिकारियों की आँखों के सामने आत्मदाह कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली थी।

प्रतिनिधिमंडल में राज्य सचिव के साथ राज्य सहसचिव का॰ अरविंद राज स्वरूप, जिला सचिव का॰ रघुराज, जिला सहसचिव का॰ प्रेम पाल सिंह, वरिष्ठ नेता राकेश सिंह, राजेन्द्र सिंह और राजेश कुमार सक्सेना (भाकियू) आदि दर्जनो साथी शामिल थे।

यद्यपि समाचार पत्रों ने इस लोमहर्षक कांड की खबर प्रकाशित की और हम उनके शुक्रगुजार हैं कि उनकी खबर के आधार पर ही हम पीड़ित परिवार तक पहुंचे, लेकिन प्रकरण की भयावहता वहां पहुँचने, म्रतक के परिवार की दारुण दास्तान सुनने और मौके पर मौजूद हुये ग्रामीणों से बात करने पर ही पता लगी। सारा प्रकरण आजादी के इस अम्रत महोत्सव वर्ष में भी गरीब व साधनविहीन आदमी की लाचारी और दुर्दशा तथा सिस्टम और सरकार की आम आदमी के सरोकारों के प्रति संवेदनहीनता की करुण कहानी कहता है।

घटनाक्रम के अनुसार गरीब क्रष्णपाल मजदूरी करके और बटायी पर जमीन लेकर खेती पाती कर अपना और परिवार का जीवनयापन करते थे। गत 23 अप्रैल को गांव के ही कुछ मनबड़ों ने बटायी की खेती से पैदा हुयी उनकी गेहूं की फसल में खलिहान में आग लगा दी। आग लगाने की खबर मिलने पर वह अपने बेटों के साथ जब खलिहान पहुंचे तो आग लगाने वालों को जाते हुये देख लिया। उन्होने आग लगाने वालों के खिलाफ मण्डी पुलिस चौकी में तहरीर दी पर उनकी एफ़आईआर दर्ज नहीं की गयी। उलटे, आरोपी उनकी मज़ाक बनाते और उन्हें धमकियाँ देते रहे।

18 मई तक पीड़ित क्रष्णपाल ने न्याय के लिये जिलाधिकारी से लेकर एसएसपी तक कहाँ कहाँ गुहार नहीं लगाई, लेकिन उसकी कहीं नहीं सुनी गयी। इस बीच आरोपियों ने उनकी और उनके बेटों की बुरी तरह पिटाई भी कर डाली और दोनों बेटों के सिर में अंदरूनी छीटें आयी हैं। गरीबी लाचारी और इलाज के अभाव में वे आज भी स्वस्थ होने की आशावादिता में जी रहे हैं।

म्रतक क्रष्णपाल ने प्रताड़ना और असुरक्षा से घबरा कर जिलाधिकारी और एसएसपी के सामने सशरीर उपस्थित होकर न केवल अपनी व्यथा बतायी अपितु उन्हें न्याय न मिलने पर आत्मदाह को मजबूर होने की चेतावनी दी, लेकिन सिस्टम फिर भी सोया रहा। घटना वाले दिन भी आत्मदाहकर्ता का पूरा परिवार उक्त दोनों अधिकारियों के पास न्याय की गुहार लेकर पहुंचा था। उनके बैरंग वापस लौटने पर और आरोपियों से क्षेत्रीय पुलिसकर्मियों से वार्तालाप होता देख क्रष्णपाल अंदर तक टूट गया और उसने एसएसपी कार्यालय के सामने चीख चीख कर अपनी वेदना व्यक्त करते हुये आत्मदाह कर लिया। पूरा पुलिस तंत्र खड़ा देखता रहा।

भाकपा प्रतिनिधिमंडल जब आज सुबह गांव पहुंचा तो गांव में सन्नाटा पसरा पड़ा था। कुछ लोगों ने उन्हें एक छोटे से दड़वे नुमा घर के पास ले जाकर खड़ा कर दिया। घर में बैठ कर बात करने लायक जगह भी नहीं थी। सबको सुखद आवास देने के दाबे करने वालों के थोथे दाबों की कलई खोल रहा था यह मकान। डरे सहमे और सिर की चोटों से व्यथित क्रष्णपाल के बेटों से उनके दरवाजे पर खड़े खड़े ही बात हो सकी। वे बमुश्किल बोल पा रहे थे, और सिर की चोट की वजह से उन्हें चक्कर और उलटियाँ आ रहीं थीं।

पता चला कि आरोपियों ने पुलिस की साठगांठ से पीड़ितों के खिलाफ क्रास एफ़आईआर भी दर्ज करा दी है। बमुश्किल एक बेटे का सीटी स्कैन कराया गया है, दूसरे को अभी तक इलाज नहीं मिला। कोई आर्थिक सहायता भी उपलब्ध नहीं करायी गयी। सारा परिवार न्याय दिलाने की गुहार कर रहा था। हम सभी ने उन्हें आश्वस्त किया कि भाकपा किसान मजदूर गरीबों के हितों के लिये आवाज उठाने वाली पार्टी है और वह उन्हें न्याय दिला कर रहेगी।

वहां मौके पर मौजूद अनेक ग्रामीण भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का नाम तक नहीं जानते थे। उन्होने कहा कि 6 दिन बीत जाने के बाद भी उन पार्टियों का कोई नेता उनकी पीड़ा सुनने नहीं आया जो चुनावों के वक्त हमसे बड़े बड़े वायदे कर जाते हैं और जिन्हें हम अक्सर वोट दिया करते हैं।

दिल दिमाग को झकझोरने वाली यह करुण कहानी उस दौर की है जिसमें शासकगण रामराज्य लाने का दाबा करते हैं, बुलडोजर से न्याय दिलाने का प्रपोगंडा करते हैं और औरंगज़ेब को क्रूर बता कर अपनी क्रूरता और संवेदनहीनता को ढाँपने का असफल प्रयास करते हैं।

भाकपा राज्य नेत्रत्व ने राज्य सरकार से मांग की है कि सभी आरोपियों पर कठोर धाराएँ लगाई जायें, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा की सीढ़ी तक पहुंचाया जाये, पीड़ित परिवार के विरूध्द दर्ज कराई गयी एफ़आईआर रद्द की जाये, बदायूं के अकर्मण्य और संवेदनाशून्य अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये, म्रतक परिवार को रुपए 50 लाख बतौर कंपेन्शेसन और घायल बेटों के इलाज के लिये रुपये 10 लाख की राशि आबंटित की जाये।

आज ही भाकपा के जिला प्रतिनिधिमंडल ने उपर्युक्त मांगों से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री को संबोधित जिलाधिकारी कार्यालय को सौंपा।

भाकपा ने चेतावनी दी कि गरीबों और मेहनतकशों की तबाही को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और उत्तर प्रदेश में गरीबों- कमजोरों पर होरहे अत्याचारों, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पुलिसराज और बुलडोजरवाद के खिलाफ सभी वामपंथी दलों के साथ मिल कर 25 मई से अभियान चलाया जायेगा और 31 मई को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किये जायेंगे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 18 मई 2022

ज्वलंत जन-प्रश्नों पर सड़कों पर उतरी भाकपा

बुलडोजरवाद- पुलिसराज, जर्जरतम कानून व्यवस्था, महिलाओं अल्पसंख्यकों दलितों पिछड़ों और अन्य गरीबों को कुचलने की कोशिशों, आसमान छूती महंगाई, बेरोजगारी तथा सांप्रदायिक विभाजन की निरंतर की जा रही कोशिशों के खिलाफ भाकपा ने समूचे उत्तर प्रदेश में जोरदार धरने- प्रदर्शन किये।  

लखनऊ-18 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल के आह्वान पर आज पार्टी की जिला इकाइयों ने बुलडोजरवाद- पुलिसराज के तहत हो रही ज्यादतियों, जर्जर हो चुकी कानून व्यवस्था, महिलाओं अल्पसंख्यकों दलितों पिछड़ों और अन्य गरीबों के साथ होरहे अत्याचारों, असहनीय महंगाई, निरन्तर पैर पसार रही बेरोजगारी, सांप्रदायिक विभाजन की निरन्तर की जारही साज़िशों तथा इन साज़िशों पर केन्द्र तथा उत्तर प्रदेश सरकार की चुप्पी के खिलाफ प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर धरने- प्रदर्शनों का आयोजन किया।

चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों का मुक़ाबला करते हुये अनेकों जगह भाकपा कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुये जिला मुख्यालयों/ तहसील मुख्यालयों पर पहुंचे और महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन जिले के अधिकारियों को सौंपे। उपर्युक्त सवालों के अतिरिक्त इन ज्ञापनों में स्थानीय मांगों को भी शामिल किया गया। राज्य सचिव मंडल ने उन सभी कार्यकर्ताओं को बधाई दी है जो आमजन के हित में धूप- ताप की परवाह किये बिना सड़कों पर उतरे।

आंदोलन की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुये भाकपा राज्य सचिव मण्डल ने आरोप लगाया कि लगातार आवाज उठाए जाने के बावजूद संघ नियंत्रित और कार्पोरेट्स संचालित केन्द्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों ने अपने ही देश/ प्रदेश की जनता के खिलाफ युध्द जैसा छेड़ रखा है। पूरे देश और उत्तर प्रदेश में बुलडोजरवाद के तहत पुलिसराज कायम है। दबंगों, भाजपाइयों और पुलिस की तिकड़ी ने किसानो- कामगारों- मेहनतकशों खासकर महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ों पर तीखे हमले बोल दिये हैं।

पूरे पूरे परिवारों की न्रशंस हत्याएं की जा रही हैं, अनगिनत कत्ल और आत्महत्याएं लगातार हो रहे हैं, भयभीत और प्रताड़ित करने के उद्देश्य से पुलिस घरों में घुस कर हत्यायेँ कर रही है, पुलिसजनों द्वारा बलात्कार आम बात होगयी है, सुरक्षा और न्याय की गुहार करने वालों की सुनी नहीं जा रही, भाजपा और पुलिस प्रशासन आकंठ भ्रष्टाचार और दलाली में डूबे हैं। शुरू में विभाजन और वोटों को हथियाने की गरज से बुलडोजर का इस्तेमाल चंद मुस्लिम माफियाओं के खिलाफ किया गया पर अब उसका रुख जनता की ओर मोड दिया गया है।

साथ ही डीजल पेट्रोल रसोई गैस ही नहीं, खाने पीने की चीजें, फल- सब्जी, दवाएं/ इलाज, पढ़ाई और जीवनयापन की चीजें बेहद महंगे होगये हैं। खुदरा महंगाई की दर सारी सीमाएं लांघ 15 प्रतिशत से ऊपर जा चुकी है। आम लोगों की जिंदगी दूभर होकर रह गई है। ऊपर से सार्वजनिक क्षेत्र को बेच कर नौकरियाँ समाप्त की जा रही हैं, भर्तियाँ रद्द की जा रही हैं। आक्रोश को शिथिल करने को चंद खैरातें बांटी जारही हैं और नए और पुश्तैनी हथकंडे अपना कर सांप्रदायिकता तथा विभाजन को हवा दी जा रही है। ये सब जनता का ध्यान उसकी मूलभूत समस्याओं से हटाये रखने की साजिशें हैं।  

यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा है कि हमें गर्व है कि इस नाजुक दौर में उत्तर प्रदेश में इन सभी मामलों में हमारी पार्टी पीड़ितों के साथ मजबूती से खड़ी हुयी है और उसने कारगर और सार्थक हस्तक्षेप किया है। आगे इस हस्तक्षेप को और धार देने की कोशिश की जायेगी। शीघ्र ही वामपंथी दलों की संयुक्त कार्यवाहियाँ सामने आयेंगी।   

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश।

 

 

 

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मंगलवार, 17 मई 2022

वाराणसी श्रंगार गौरी पूजा प्रकरण- भाकपा और माकपा ने जारी किया संयुक्त बयान

 

लखनऊ- 17 मई, 2022- भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी ) के राज्य सचिव डा॰ हीरा लाल यादव एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने वाराणसी के श्रंगार गौरी दर्शन पूजन संबंधी विवाद के संबंध में निम्न बयान जारी किया है।

@श्रंगार गौरी के दर्शन-पूजन सम्बन्धी मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद- मंदिर के विवाद में तब्दील किया गया


@आरएसएस- भाजपा तथा अन्य हिन्दू साम्प्रदायिक ताकतों और तत्वों एवं मीडिया ने इसे सनसनीखेज बनाया

 
@एक स्थानीय अदालत ने उपासना स्थल अधिनियम 1991 को नजरंदाज किया,  उसकी समीक्षा की जानी चाहिये।

 
@भाजपा के लिए चुनावी मुद्दा तैयार करने की कोशिश है पूरा मामला।


वाराणसी में श्रंगारगौरी के दर्शन पूजन के अधिकार की मांग सम्बन्धी मामले को सुनियोजित तरीके से ज्ञानवापी मस्जिद है या मंदिर, के विवाद के रूप में बदल दिया गया है। इसके पीछे आरएसएस- भाजपा विहिप व अन्य हिन्दुत्ववादी संगठनों और मीडिया का हाथ है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद दोनों पास- पास मौजूद हैं। श्रंगार गौरी का एक अत्यंत छोटा सा मंदिर मस्जिद के पास ही स्थित है। सन 1991 के पूर्व मस्जिद में नमाज और श्रंगार गौरी एवं विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन का कार्य सुचारू रूप से हुआ करता था। किसी भी तरह का विवाद नहीं था और न ही कोई वहां अतिरिक्त सुरक्षा की व्यवस्था थी। यहां तक कि मस्जिद परिसर में दिन में बच्चे जिनमें अधिकांशतः हिन्दू बच्चे होते थे, खेला करते थे और कई हिन्दुओं की दुकाने भी मस्जिद परिसर में थीं।


आरएसएस- भाजपा- विहिप आदि द्वारा अयोध्या की बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद पर आंदोलन शुरू करने के साथ ही काशी और मथुरा के विवाद को भी हवा देने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के आसपास पुलिस सुरक्षा की स्थायी व्यवस्था की गयी। ज्ञानवापी में नमाज और विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन बेरोकटोक चलता रहा किन्तु श्रंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन पर सुरक्षा की दृष्टि से रोक लगायी गयी और वर्ष में केवल एक दिन चैत्र मास के चतुर्थी को श्रंगार गौरी के दर्शन पूजन की इजाजत दी जाती रही है।


राखी सिंह आदि पांच महिलाओं जिनका किसी न किसी रूप में आरएसएस, विहिप एवं विश्व सनातन संघ से सम्बन्ध है, ने वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन श्री रवि कुमार दिवाकर की अदालत में 18 अगस्त 2021 को याचिका दाखिल कर 1991 से पूर्व की भांति श्रंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन के अधिकार की मांग की। 26 अप्रैल 2022 को इस अदालत ने सर्वे करने का आदेश दिया। 6 मई को सर्वे के दौरान वादी पक्ष की ओर से कई वकील सर्वे स्थल पर उपस्थित हुए और हर हर महादेव के नारे लगाये। इसके जवाब में शुक्रवार को दिन की नमाज अदा करने आये मुस्लिमों ने भी अल्लाहो अकबर के नारे लगाये। माहौल तनाव पूर्ण हो गया किन्तु मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ लोगों ने अपने लोगों को समझाकर शांत किया।


वकील कमिश्नर अजय कुमार मिश्र और वादी पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे करना चाहा तो प्रतिवादी मस्जिद पक्ष के वकीलों ने विरोध किया और कहा कि सर्वे श्रंगार गौरी का होना है न कि मस्जिद के अंदर। सर्वे रोका गया तथा मस्जिद पक्ष के वकील ने वकील कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें बदले जाने की अर्जी अदालत में दाखिल की। 4 दिनों की बहस के बाद सिविल जज श्री रवि कुमार ने वकील कमिश्नर को बदलने से इंकार कर दिया और वादी पक्ष की मर्जी के अनुसार मस्जिद के अंदर कहीं भी सर्वे करने का आदेश दिया। सिविल जज ने बंद तालों को खोलकर या तोड़कर तथा बाधा पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए स्थानीय जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी दी।


इस बीच नारे बाजी करने के आरोप में एक मुस्लिम युवक अब्दुल सलाम को तो गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया किन्तु हर हर महादेव की नारेबाजी करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी। यह प्रशासन द्वारा मुसलमानों के खिलाफ सख्ती तथा हिन्दुओं के प्रति नरम रूख का संदेश देने का प्रयास था। मस्जिद के अंदर तीन दिनों तक लगातार सर्वे हुआ। उल्लेखनीय है कि इसी बीच 13 14 मई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी वाराणसी में मौजूद रहे। यह भी उल्लेखनीय है और संभवतः पहली बार हुआ है कि 16 मई को लखनऊ पहुंच कर प्रधान मंत्री जी ने मंत्रियों की क्लास? ली।


15
मई को मस्जिद के अंदर वजू करने के स्थान पर एक बेलनाकार आकृति जिसको नमाज पढ़ने वाले फव्वारा के नाम से जानते थे, को वादी पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने शिवलिंग बताते हुए इसकी सुरक्षा और इसके आसपास के क्षेत्र को सील करने की अर्जी सिविल जज की अदालत में दी और जज ने बिना प्रतिवादी पक्ष को सुने आनन-फानन में हरिशंकर जैन की अर्जी को स्वीकार करते हुए तथाकथित शिवलिंग की सुरक्षा करने और वहां के स्थान को सील कर प्रतिबंधित करने का आदेश दे दिया। साथ ही नमाज को प्रतिबंधित कर नमाजियों की संख्या सीमित कर दी। सिविल जज का यह आदेश उनकी अति सक्रियता और न्याय प्रक्रिया का मखौल उड़ाने जैसा है जिसकी समीक्षा अपेक्षित है।


उल्लेखनीय है कि वादी पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने विहिप की ओर से बाबरी मस्जिद के मामले में भी सुप्रीमकोर्ट में बहस में हिस्सा लिया था। यह भी उल्लेखनीय है कि अदालत में सर्वे रिपोर्ट पेश करने की तिथि 17 मई तय की गयी थी किन्तु बिना सर्वे रिपोर्ट देखे माननीय न्यायाधीश द्वारा पहले ही वजू स्थल को सील करने का आदेश दिया गया। इस आदेश के बाद नमाजियों के लिए वजू के लिए पानी की काफी दिक्कतें हो रही हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे तथा वजूखाना को सील करने का आदेश स्पष्ट तौर पर उपासना स्थल विशेष अधिनियम 1991 का उल्लंघन है। जिसके अन्तर्गत किसी भी उपासना स्थल की 15 अगस्त 1947 के पूर्व की स्थिति को परिवर्तित नहीं किया जा सकता और ऐसी कोशिश करने वालों के खिलाफ दंड का प्राविधान भी किया गया है।

लेकिन इस सबको ठेंगा दिखा कर मानो एक तैयार स्क्रिप्ट पर काम किया जा रहा है।


इस पूरे दौर में आरएसएस भाजपा के लोग जनता के बीच अफवाहे फैलाने और मुस्लिमों के खिलाफ प्रचार करने में लगे रहे। ज्ञानवापी मस्जिद नहीं मंदिर है, मुस्लिम लोग ज्ञानवापी में जाने से रोक रहे हैं और अब यहां भी मंदिर बनेगा आदि बातों का प्रचार किया गया। मीडिया की भूमिका भी घोर पक्षपाती और हिन्दू मुस्लिम के बीच विभाजन की रही। राखी सिंह बनाम उ0प्र0 सरकार के मामले को लगातार हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के रूप में पेश किया गया। आरएसएस- भाजपा इस मुद्दे पर सनसनी फैलाकर हिन्दू- मुस्लिम के बीच  ध्रुवीकरण कराने की कोशिश में हैं। इसी समय मथुरा की ईदगाह और कृष्ण जन्मभूमि के मामले को भी हिन्दू साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा गर्माया जा रहा है। भाजपा इसे 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक एजेण्डे के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है।


बाबरी मस्जिद के बाद अब ज्ञानवापी मस्जिद के मामले को अदालत में ले जाने और स्थानीय अदालत के रवैये से मुस्लिम जनता में घोर निराशा है। उन्हें लगता है कि संविधान, न्यायालय, सरकार से न्याय मिलने की उम्मीद कम होती जा रही है। वाराणसी के मुस्लिम फिलहाल शांत हैं किन्तु उनके अंदर काफी निराशा और आक्रोश भी है। इस बीच कुछ मुस्लिम उग्रवादी व साम्प्रदायिक ताकतें भी उनके बीच सक्रिय हैं जो उन्हें हिन्दुओं से सीधे मुकाबले के लिए सड़क पर उतरने के लिए उकसा रही हैं। हिन्दू पक्ष का एक तबका इसे जनता की ज्वलंत समस्याओं से ध्यान बंटाने की कोशिश के रूप में देख रहा है, पर वह खामोश है। सत्ता समर्थक उकसावे की हर कोशिश में लगे हैं। मीडिया उनकी खुल कर मदद कर रहा है।

उत्तर प्रदेश में ऐसी परिस्थिति में सभी सेकुलर ताकतों को खुलकर आरएसएस भाजपा विहिप आदि के इस एजेण्डे के खिलाफ तथा साथ ही योगी मोदी सरकार की विफलताओं एवं जन समस्याओं जैसे महंगाई,  बेरोजगारी, उत्पीड़न आदि को लेकर सड़क पर उतरना जरूरी हो गया है।  वामपंथी दलों के अलावा अन्य दलों में इस मुद्दे पर नरम रूख और हिचकिचाहट के भाव देखे जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों को ही अपने स्तर से इस आंदोलन की शुरूआत करनी चाहिए। अन्य लोकतान्त्रिक शक्तियों को इसमें साथ लाने के प्रयास जारी रखने चाहिए।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव                     डा॰ हीरा लाल यादव, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश                         भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मा॰) उत्तर प्रदेश  

 

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बुधवार, 11 मई 2022

लखनऊ विश्वविद्यालय बना संघ की फासिस्ट गतिविधियों का अड्डा -


प्रोफेसर रविकांत पर हमलावरों को जेल भेजा जाये: भाकपा

5:43 PM (4 minutes ago)

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लखनऊ- 11 मई, 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने संघ के छात्र संगठन- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ABVP से जुड़े तत्वों द्वारा लखनऊ विश्व- विद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर रविकांत पर शारीरिक हमला करने की कोशिश करने, उन्हें धमकी देने और उन्हें जातिसूचक शब्दों से नवाजने की घ्रणित कार्यवाहियों की कड़े शब्दों में  निंदा की है। भाकपा ने इसे विश्वविद्यालय परिसर में भगवा गुंडागर्दी और सामंती मानसिकता का द्योतक बताते हुए कहा कि इस तरह की तमाम कारगुजारियों को सत्तारूढ़ दल की शह प्राप्त है।

भाकपा ने मांग की इस कांड की एफ़आईआर दर्ज कर नामचीनों को माकूल दफाओं में जेल भेजा जाये, उन पर एनएसए लगाया जाये तथा प्रोफेसर रविकांत को सुरक्षा प्रदान की जाये।

परिसर का शैक्षिक माहौल पुनर्स्थापित किया जाये, जो कि भाजपा शासनकाल में समाप्त हो गया है।

 

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा कि संघ, भाजपा और उससे जुड़े संगठन हर स्तर पर असहमति की आवाज को कुचलने पर आमादा हैं। इसके लिये वे असहमति रखने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं और समुदायों पर मध्यकालीन बर्बर आक्रमण कर रहे हैं। उनकी विचारधारा फासीवादी है, और वे लोकतन्त्र और लोकतान्त्रिक व्यवस्था को क्षत- विक्षत करने पर उतारू हैं।   

 

भाकपा ने कहा कि जिस तरह से दलित प्रोफेसर को अमर्यादित भाषा और हमलावर नारों का निशाना बनाया गया,  पूरी  तरह निंदनीय, गैर-लोकतांत्रिक और आपराधिक कृत्य है। विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया प्रोफेसर के जान- सम्मान की रक्षा करने के बजाय हमलावरों के हौसले बढ़ाने वाला था। इस बात की जांच होनी चाहिये कि किन तत्वों ने प्रोफेसर के ऊपर खेद व्यक्त करने का दवाब डाला।

 

भाकपा ने कहा है कि वह परिसरों में ही नहीं समूचे देश में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के लिये संघर्ष करती रही है, और उसकी रक्षा के लिये कोई कसर बाकी नहीं रखेगी।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश।

 

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मंगलवार, 10 मई 2022

आंदोलनों में भी सबसे आगे - भाकपा


बुलडोजरवाद- पुलिसराज, जर्जरतम कानून व्यवस्था, महिलाओं अल्पसंख्यकों दलितों पिछड़ों और अन्य गरीबों को कुचलने की कोशिशों, आसमान छूती महंगाई, बेरोजगारी तथा सांप्रदायिक विभाजन की कोशिशों के खिलाफ 18 मई को जिला केन्द्रों पर धरने- प्रदर्शनों का आयोजन करेगी भाकपा

लखनऊ-10 मई 2022, कानपुर में बिना एफ़आईआर माँ और बेटी को पुलिस ने उठाया तो प्रताड़ित महिला ने फांसी लगा कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, कानपुर में ही छत से गिरी/ कूदी छात्रा इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मर गयी और आरोप है कि कालेज के लोग अस्पताल तक नहीं पहुंचाये, पीलीभीत में किशोरी से छेड़छाड़ के मामले में समझौता न करने पर आरोपियों ने माँ-बाप पर तेजाब छिड़क कर घायल कर दिया, आगरा में छत पर सो रहे परिवार पर तेजाब फेंका गया तो माँ बेटी सहित परिवार के चार लोग झुलस गये, हाथरस में खेत से घर लौट रहे किसान की गोली मार कर हत्या कर दी गयी, लखीमपुर में मंदिर गये युवक को दिनदहाड़े मारपीट के बाद गोली मार दी गयी वहीं शाम को सिनेमा रोड पर युवक को चाकुओं से गोद कर गोली मार दी गयी, बुलंदशहर में क्लीनिक पर बैठे डाक्टर पर 30 राउंड गोलियां झौंक कर हत्या कर दी गयी।  

इसके अलाबा हत्या कर लाश नाले में फेंकी, फिरौती के लिए अपहरण, महिला के गले से चेन खींची, पेट्रोल पंप पर दो लाख की लूट, सर्राफ के घर से दो करोड़ के आभूषण चोरी आदि अनेक खबरें रामराज्य बन चुके उत्तर प्रदेश में आज के अखबारों की सुर्खियां बनी हुयी हैं।   

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने आरोप लगाया है कि संघ नियंत्रित- कार्पोरेट्स संचालित केन्द्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों ने अपने ही देश/ प्रदेश की जनता के खिलाफ युध्द जैसा छेड़ रखा है। पूरे देश और उत्तर प्रदेश में बुलडोजरवाद के तहत पुलिसराज कायम है। दबंगों, भाजपाइयों और पुलिस की तिकड़ी ने किसानो- कामगारों- मेहनतकशों खासकर महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ों पर तीखे हमले बोल दिये हैं। पूरे पूरे परिवारों की न्रशंस हत्याएं की जा रही हैं, अनगिनत कत्ल और आत्महत्याएं लगातार हो रहे हैं, भयभीत और प्रताड़ित करने के उद्देश्य से पुलिस घरों में घुस कर हत्यायेँ कर रही है, पुलिसजनों द्वारा बलात्कार आम बात होगयी है, सुरक्षा और न्याय की गुहार करने वालों की सुनी नहीं जा रही, भाजपा और पुलिस प्रशासन आकंठ भ्रष्टाचार और दलाली में डूबे हैं। शुरू में विभाजन और वोटों को हथियाने की गरज से बुलडोजर का इस्तेमाल चंद मुस्लिम माफियाओं के खिलाफ किया गया पर अब उसकी धार जनता की ओर मोड दी गयी है।

साथ ही डीजल पेट्रोल रसोई गैस ही नहीं, खाने पीने की चीजें, फल- सब्जी, दवाएं/ इलाज, पढ़ाई और जीवनयापन की चीजें बेहद महंगे होगये हैं और आम लोगों की जिंदगी दूभर होकर रह गई है। ऊपर से सार्वजनिक क्षेत्र को बेच कर नौकरियाँ समाप्त की जा रही हैं, भर्तियाँ रद्द की जा रही हैं। आक्रोश को शिथिल करने को चंद खैरातें बांटी जारही हैं और नए और पुश्तैनी हथकंडे अपना कर सांप्रदायिकता को हवा दी जा रही है। जनता का ध्यान उसकी मूलभूत समस्याओं से हटाये रखने की साजिशें हैं ये सब।

यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने कहा है कि हमें गर्व है कि इस नाजुक दौर में उत्तर प्रदेश में इन सभी मामलों में हमारी पार्टी पीड़ितों के साथ मजबूती से खड़ी हुयी है और उसने कारगर और सार्थक हस्तक्षेप किया है। आगे इस हस्तक्षेप को और धार देने की कोशिश की जायेगी।

अतएव समस्त परिस्थितियों और हालातों का आकलन कर भाकपा राज्य सचिव मंडल ने निश्चय किया है कि- बुलडोजरवाद- पुलिसराज के खिलाफ, किसानो कामगारों खासकर- महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों, पिछड़ों और आम लोगों पर दबंगों/ पुलिस और भाजपाइयों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न/हमलों के खिलाफ, आसमान छूती और जीवन को कठिन बनाती महंगाई के खिलाफ, बेरोजगारी और नौकरियों को छीने जाने के खिलाफ, फौज, सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र में भर्तियाँ खोले जाने के लिये, मनरेगा को चलाने के लिये तथा सांप्रदायिकता और तानाशाही के खिलाफ 18 मई, 2022 बुधबार को समस्त उत्तर प्रदेश में जिला केन्द्रों पर व्यापक भागीदारी के साथ धरने- प्रदर्शन किये जायेंगे। राष्ट्रपति और राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन में चुनींदा स्थानीय समस्याओं को भी जोड़ा जायेगा। जहां जहां उत्पीड़न की घटनायें हुयी हैं उन पर पार्टी द्वारा लिए गये स्टैंड के मुताबिक मांगें माँगपत्र में जोड़ी जायेंगी। आंदोलन के प्रमुख नारे इस प्रकार हो सकते हैं-

@ बुलडोजरवाद- पुलिसराज----- नहीं चलेगा नहीं चलेगा।

@ महिलाओं से दरिंदगी और अत्याचार---- बंद करो, बंद करो।

@ अल्पसंख्यकों पर हमले और उत्पीड़न---- बंद करो, बंद करो।

@ दलितों- कमजोरों- गरीबों का उत्पीड़न----- बंद करो, बंद करो।

@ महंगाई घटाओ, घटाओ दाम----- वरना होगी नींद हराम।

@ महंगाई को कर दो हाफ----- वरना जनता कर देगी साफ।

@ बेरोजगारों को काम दो----- वरना गद्दी छोड़ दो।

@ चलाओ मनरेगा भर्तियाँ दो अंजाम---- वरना होगी नींद हराम।

@ सांप्रदायिकता नहीं, नहीं----- भाईचारा हाँ हाँ हाँ।

आदि।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपनी समस्त जिला इकाइयों से अपील की है कि वे जनता के कष्ट की घड़ी में उनकी मुखर आवाज बनें और 18 मई के आंदोलन को व्यापक बनायें।  

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश।

 

 

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सोमवार, 9 मई 2022

फीरोजाबाद: दलित महिला हत्या प्रकरण-


पुलिस, दबंग और भाजपा  गठजोड़ की देन हैं उत्तर प्रदेश की अपराधिक वारदातें।

फीरोजाबाद दलित महिला की पुलिस द्वारा हत्या पर भाकपा ने रोष जताया।

लखनऊ- 9 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि यूपी अब बुलडोजर राज ही नहीं पुलिस राज बन चुका है, और रक्षक से भक्षक बनी पुलिस हर दिन एक न एक जघन्य वारदात को अंजाम दे रही है। यह पुलिस- प्रशासन के भाजपायीकरण का नतीजा है कि पुलिसजन स्वयं को बाबा का बुलडोजर समझने लगे हैं। और बुलडोजर वाले बाबा भाजपाइयों के सामने लाचार बन कर रह गए हैं। आजादी के बाद से आज तक ऐसा जंगलराज न तो देखा था न ही सुना था।

चंदौली, ललितपुर की घटनायें तो “लाइम लाइट” में आगयीं, पर सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश में हर दिन इसी किस्म की कई कई वारदातें हो रही हैं। अखबारों के क्षेत्रीय हो जाने के चलते प्रदेश के एक कोने में हुयी घटना दूसरे क्षेत्र के लोगों के संज्ञान में आ नहीं पाती हैं। कुछेक हैं जो मीडिया और सोशल मीडिया से प्रसारित हो पाती हैं। फिर भी जो घटनायें संज्ञान में आ रही हैं वे दिल दहलाने वाली हैं।

कल ही प्रकाश में आया था कि अलीगढ़ के अतरौली क्षेत्र में एक गाँव की नाबालिग बालिका को एक पुलिस कांस्टेबिल ने खेत में ले जाकर दरिंदगी की तो आज प्रकाश में आया है कि जनपद फीरोजाबाद के पचोखरा थानान्तर्गत ग्राम- इमलिया में पुलिस और दबंगों के घर में घुस कर झंगाझोटी के दौरान एक दलित महिला की मौत होगयी। पुलिस और दबंगों की अवैध और अमानुषिक कारगुजारी से पचोखरा के आस पास के गांवों में भय और तनाव व्याप्त है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने दाबा किया कि सारी वारदात दबंगों, भाजपा और पुलिस के बीच खतरनाक और जनविरोधी गठजोड़ का परिणाम है। उन्होने अपने सूत्रों के हवाले से कहा कि कुछ दिन पहले दलित मजदूरों की मजदूरी के पूरे पैसे न देने पर दबंगों से उनका विवाद हुआ था। दबंगों ने पुलिस के साथ साजिश रच कर मजदूरों को जेल भिजवा दिया था। परसों ही कुछ मजदूर जमानत पर छूटे थे। उन्हें भय था कि पुलिस और दबंग मिल कर उन्हें दोबारा केसों में फंसा सकते हैं/ एंकाउंटर कर सकते हैं, अतएव भयवश वे अपने घर वापस नहीं गए और किसी अन्य जगह ठहर गये।

उनका भय सही निकला। रात को ही पुलिस और नामचीन दबंग मजदूरों के घर जा धमके और घर में मौजूद व्रध्दा और उसकी पुत्री से जबरिया दरवाजा खुलवा लिया। पूछताछ के लिये महिलाओं पर दबाव डाला और पुलिसिया हथकंडे अपनाये। बल प्रयोग के दौरान व्रध्द महिला जमीन पर गिर गयी  और बताया जाता है कि वहीं उसकी मौत होगयी। महिला को इस हालत में अस्पताल पहुंचाने के बजाय पुलिस उसे वैसी ही अवस्था में छोड़ कर भाग खड़ी हुयी। शोर शराबा होने पर एकत्रित ग्रामीणों और परिवार के मुखिया ने 112 पर सूचना दी तो कुछ पुलिसकर्मी उसे जीवित बता कर उठा ले गये और बाद में उसकी मौत हो जाने की सूचना परिवारियों को दी।

अब समूचा पुलिस- प्रशासन घटना पर लीपापोती में जुट गया है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी बयान दे रहे हैं कि पुलिस यह तसदीक करने गयी थी कि जमानत पर लौटे लोग कहां हैं? सवाल उठता है कि क्या पुलिस जमानत पर छूटते ही लोगों के घर तसदीक करने जाती है? सभी जानते हैं कि ऐसा नहीं होता। फिर पुलिस के साथ वे दबंग क्यों थे जिन्होंने उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसवाया? क्या दलित मजदूर इतने बड़े अपराधी थे कि पुलिस जेल से बाहर आते ही उनकी खोजबीन में जुट गयी? सवालों से घिरी पुलिस पर इसका कोई जबाव नहीं है। सवाल तो फीरोजाबाद के मुख्य चिकित्साधिकारी पर भी उठ रहे हैं जिन्होने पोस्टमार्टम होने से पहले ही मौत को सामान्य मौत बता दिया।  

भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि कल मुख्यमंत्री के ललितपुर दौरे के दौरान ही भाजपाइयों, अपराधी और पुलिस गठजोड़ की कलई खुल गयी थी। भाजपाइयों ने माना कि ललितपुर के बलात्कारी भाजपायी थे; पुलिस- प्रशासन में भ्रष्टाचार है आदि। मुख्यमंत्री ने भी स्वीकारा कि भाजपायी दलाली कर रहे हैं। मुख्यमंत्री और भाजपाइयों के इस अमर संवाद के बाद कहने को कुछ नहीं बचा।

फीरोजाबाद प्रकरण में पुलिस और पूरा पुलिस तंत्र दोषी है। फिर जांच क्राइम ब्रांच को देने का कोई अर्थ नहीं। घटना की न्यायिक जांच कराई जाये, दोषी पुलिसजनों को जेल भेजा जाये और पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये बतौर नुकसान की भरपाई दिये जायें, भाकपा ने मांग की है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

 

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शनिवार, 7 मई 2022

जंगलराज बना उत्तर प्रदेश


थम नहीं रहीं उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर हिसा की वारदातें

सरकार और पुलिस की कार्यवाही प्रचार और आत्मसंतुष्टि तक सीमित: भाकपा

लखनऊ- 7 मई 2022, अपने एक प्रेस वक्तव्य में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि वह इस बात पर भारी चिन्तित है कि जंगलराज बन चुके उत्तर प्रदेश में महिलाएं ही नहीं अबोध बालिकाएं तक सुरक्षित नहीं हैं। उनकी जान और अस्मत के प्यासे कानून व्यवस्था और बाबा के बुलडोजर को ठेंगा दिखा रहे हैं। सरकार द्वारा की जाने वाली कथित कार्यवाही से अखबारों की खबर भले ही बन जाती हो और हुक्मरानों को आत्मसंतुष्टि मिल जाती हो, पर सच यह है कि न तो महिलाओं पर हिंसा रुक पा रही है, और न ही अन्य आपराधिक वारदातें कम हो पा रही हैं।

गत 48 घंटों में ही लखीमपुर में 8 साल की बच्ची को वीभत्स बलात्कार कर लहूलुहान कर दिया गया, गाजियाबाद के होटल में अलीगढ़ की महिला की हत्या कर हत्यारा फरार होगया वहीं मथुरा में पुलिस चौकी से मामूली फासले पर महिला की कुल्हाड़ी से हत्या कर अपराधी गायब होगया। ये चंद उदाहरण हैं जिनसे प्रदेश की जर्जर कानून व्यवस्था और महिलाओं और बच्चियों की असुरक्षा का खुलासा हो जाता है।

भाकपा ने कहा महिला सुरक्षा के उत्तर प्रदेश सरकार के सारे दावे खोखले हैं और प्रदेश में महिलायें बेहद भय और असुरक्षा के माहौल में जी रही हैं। उत्तर प्रदेश महिला फेडरेशन और जनवादी महिला समिति आदि ने शीर्ष पुलिस अधिकारी से मिल कर महिलाओं की सुरक्षा की मांग उठायी है, और सुरक्षा संबंधी कई सुझाव भी दिये हैं, पर सरकार हिलने को तैयार नहीं है। वह उन्हीं कारनामों को अंजाम दे रही है जिनसे प्रचार मिले और विभाजन पैदा हो।

जनमानस इस स्थिति को लंबे समय तक सहन  नहीं कर सकता, और न ही विपक्षी पार्टियां ही। भाकपा ने इन घटनाओं पर स्थानीय तौर पर आवाज उठायी है और हालात नहीं सुधरे तो राज्य स्तर पर आवाज उठायी जायेगी, भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपने बयान में कहा है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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