वामपंथी एवं जनवादी दलों का राज्य स्तरीय ‘सम्मिलन’ संपन्न
बुलडोजरवाद, पुलिस उत्पीड़न, वामपंथी कार्यकर्ताओं पर हमले, संविधान और लोकतन्त्र को कुचलने, महंगाई, बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों के प्रति जहरीली आक्रामकता, जाति आधारित गणना, विधायक निधि में अनावश्यक बढ़ोत्तरी
तथा अग्निवीर योजना आदि सवालों पर संयुक्त
अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।
लखनऊ- 6 जुलाई 2022, उत्तर प्रदेश के चार वामपंथी दलों और
लगबाग दो दर्जन जनवादी पार्टियों के प्रतिनिधियों का एक राजनीतिक सम्मिलन (Political Meet) आज यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के क़ैसर बाग स्थित राज्य कार्यालय
पर संपन्न हुआ। सम्मिलन में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा माले, फारबर्ड ब्लाक, लोकतान्त्रिक जनतादल एवं दो दर्जन छोटे दलों के प्रतिनिधि शामिल हुये। बैठक
की अध्यक्षता भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने की।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि देश की भांति ही उत्तर प्रदेश
भी आज आजादी के बाद के सबसे गहरे संकट से गुजर रहा है। डबल इंजिन की सरकार की
नीतियों और कारगुजारियों ने आम जनता को गहरे संकट में डाल दिया है। अर्थव्यवस्था
चरमराई हुयी है। उससे निपटने के नाम पर जनता के ऊपर भारी बोझ लादा जा रहा है।
सार्वजनिक क्षेत्र को बेच कर, कई कई छद्म टैक्स आरोपित कर, महंगाई बढ़ा कर और युवाओं को बेरोजगार बना कर चंद पूँजीपतियों को मालामाल
किया जा रहा है। आम जनता अपार कष्ट भोगने को मजबूर है, और
उसका यह आक्रोश छोटी मोटी अनेक असंगठित और स्वतःस्फूर्त कार्यवाहियों में जाहिर हो
रहा है। लेकिन यह अभी कोई संगठित रूप नहीं ले पा रहा। जनविरोधी और कारपोरेटपरस्त
केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें इस आक्रोश को भांप रही हैं। अतएव हर क्षण
आक्रोश को भटकाने और दबाने के षडयंत्रों में जुटी हैं। अपने इन्हीं हथकंडों से वह
जनता की आकांक्षाओं को पलीता लगा कर नये नये एजेंडे थोप रही हैं। विपक्षी और वामपंथी
कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार द्वारा लगातार नियमित नौकरियाँ
छीनी जा रही हैं और बेरोजगारी अप्रत्याशित स्तर तक पहुंच गयी है। सीएमआईई की रिपोर्ट
के अनुसार जून महीने में ही बेरोजगारों की कतार में एक करोड़ तीस लाख लोग जुड़ गए। केन्द्र
सरकार ने अब अग्निपथ/ अग्निवीर योजना लागू कर सरकार ने देशभक्त और बेरोजगार युवाओं
पर बड़ा हमला बोला है। यह देश की सुरक्षा से खिलबाड़ भी है। विरोध करने पर युवाओं के
आंदोलन को बुरी तरह कुचला गया है और उन्हें जेलों में डाला गया।
उत्तर प्रदेश सरकार जनता के व्यापक हिस्सों से उठ रही
मांगों से भाग रही है। भाजपा ने दलितों और पिछड़ों को जाति- धर्म के नाम पर बरगला
कर उनका वोट हासिल कर सरकारें तो बना लीं, पर अब वह उनकी समस्याओं के निदान और
सामाजिक न्याय के सवाल से मुंह चुरा रही है। इसीलिए केन्द्र और राज्य सरकारें जाति
आधारित जनगणना और गणना कराने में निरंतर टालमटोल कर रही हैं। जबकि उत्तर प्रदेश
में भी बिहार की तर्ज पर जातीय गणना कराने की मांग निरंतर उठ रही है। व्याप्त भारी
भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने विधायक निधि को बढ़ा कर 5
करोड़ रुपए कर दिया है। जन कल्याण की योजनाओं के धन में कटौती कर विधायकों को मालामाल
बनाया जा रहा है।
महंगाई पहले ही सातवें आसमान पर है और अब जिम्मेदार संस्थाओं
ने विकास दर के नीचे जाने और महंगाई को छप्पड़ फाड़ कर आगे जाने की भविष्यवाणियाँ की
हैं। डालर के मुक़ाबले रुपए की कीमत निरंतर गिर रही है। सरकार देश की जीडीपी का 83
प्रतिशत कर्ज ले चुकी है और आज आहार नागरिक पर लगभग रुपये 99 का कर्ज चढ़ा है। चंद
कार्पोरेट्स घरानों की संपत्तियों में गहरा इजाफा हुआ है जबकि गरीबी के नीचे
जीवनयापन करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुयी है। जनता का जीवन संकट में आ गया
है और कई किसानों और अन्य लोगों ने धनाभाव से पीड़ित हो स्वयं अथवा परिवारों सहित
आत्महत्याएं की हैं। रोजगार देने वाली परंपरागत योजनाओं से मुकरने,
मनरेगा को सीमित करने, भर्ती जाम और सार्वजनिक क्षेत्रों के
निजीकरण से बेरोजगारी ने युवाओं और मजदूरों को भुखमरी के गर्त में धकेल दिया है।
सरकारों का पीछा कर रही समस्याओं से ध्यान हटाने को सत्ता
की ताकत से चूर संघ परिवार द्वारा नफरत और विभाजन पर आधारित अपनी अल्पसंख्यक
विरोधी विचारधारा को सरकारों के जरिये अमल में लाने से आज अल्पसंख्यकों के खिलाफ
भारी घ्रणा अभियान चलाया जा रहा है। इसकी कीमत देश प्रदेश की जनता को पर चुकानी पड़
रही है। ज्वलंत समस्याओं से आक्रोशित जनमानस को बुलडोजर चला कर और पुलिस को दमन की
खुली छूट दे कर भयाक्रांत किया जा रहा है। महिलाओं दलितों और कमजोर तबकों पर
अत्याचार सारी सीमाएं लांघ रहे हैं। वामपंथी और अन्य जनवादी शक्तियों और शख़्सियतों
पर पुलिस के हमले तेज हुये हैं। राजनीति से प्रेरित इस तमाम दमनचक्र के बावजूद उत्तर
प्रदेश में कानून व्यवस्था जर्जरतम स्थिति में है।
इस सम्मिलन में आगे मिल कर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।
सबसे पहले जनता के ज्वलंत सवालों पर संयुक्त क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाएँगे।
पहला सम्मेलन अगस्त माह में वाराणसी में आयोजित किया जायेगा जिसमें अभियान की आगे की
रूपरेखा भी प्रस्तुत की जाएगी।
अभियान के संचालन हेतु एक समन्वय समिति के गठन का निर्णय लिया
गया जिसका नाम “वामपंथी दलों और जनवादी शक्तियों की समन्वय समिति” रखा गया।
सम्मिलन में चर्चा का शुभारंभ डा॰ गिरीश ने किया। चर्चा में
डा॰ हीरा लाल यादव, सुधाकर यादव, उदय राज सिंह, डी के यादव, जुबेर अहमद, पूर्व
विधायक इम्तियाज़ अहमद, मधु गर्ग, अरुण सिंह, पूर्व विधायक राम लाल, अरविंद राज स्वरूप, प्रेम नाथ राय, रमेश सेंगर, अशोक
मिश्रा आदि ने भाग लिया।
जारी द्वारा
डा॰ गिरीश
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