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बुधवार, 25 मई 2011

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में चल रहे आन्दोलन पर भाकपा महासचिव का. ए. बी. बर्धन के प्रधानमंत्री को प्रेषित पत्र का हिन्दी अनुवाद

23 मई 2011

प्रिय श्री मनमोहन सिंह जी,

मुझे मालुम है कि आप आवश्यक मसलों में व्यस्त हैं। लेकिन मेरा कर्तव्य है कि आपका ध्यान उस संकट की ओर आकर्षित करूं जिसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जो हमारे देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में एक है, को अपनी चपेट में ले रखा है।

विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. पी. के. अब्दुल अजीज के खिलाफ आन्दोलन चल रहा है। वे आर्थिक हेराफेरी एवं अनियमितताओं के अभियुक्त हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त किये जाने के पहले केरल के कोचीन विश्वविद्यालय के उपकुलपति के रूप में नियुक्ति के दौरान भी उन पर इसी तरह के आरोप लगे थे। विभिन्न अनियमितताओं की जांच के लिए जांच समितियों ने उन्हें इसका दोषी पाया। मैं नही जानता कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी।

उपकुलपति के रूप में वे अक्षम रहे हैं। विगत 3-4 वर्षों में विश्वविद्यालय 3-4 बार अनिश्चितकालीन बन्द घोषित किया गया। ताजा उदाहरण 29 अप्रैल 2011 को विश्वविद्यालय का बंद किया जाना है। कारण छात्रों के दो दलों का आपसी विवाद था जिसे आसानी से सूझबूझ का परिचय देकर नियंत्रित किया जा सकता था। यह अनिश्चितकालीन बन्द तब घोषित किया गया जब परीक्षाएं चल रहीं थीं तथा नए छात्रों का प्रवेश होना था। इससे हजारों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। उपकुलपति ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि छात्रावासों में हथियार मौजूद हैं, यहां तक कि महिला छात्रावास में भी। लड़के-लड़कियों से 24 घंटे के अन्दर छात्रावास खाली कराया गया। अन्ततः यह आरोप झूठा निकला और छात्रावासों के किसी भी कमरे से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ। लेकिन उपकुलपति जनता की नजरों में विश्वविद्यालय की छवि धूमिल करने में सफल रहे।

शिक्षक, छात्र, पूर्व छात्र और जागरूक जनता ने उपकुलपति को हटाने तथा जांच की मांग की है। दो शिक्षक विगत कुछ दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं तथा अन्य भी अनशन में भागीदारी कर रहे हैं।

एक गौरवशाली विश्वविद्यालय संकट में है। इस पर सरकार की चुप्पी मेरी समझ में नहीं आ रही है।

अतएव मैं निवेदन करता हूं कि आप क्रुध जन आन्दोलन फैलने के पहले इसमें हस्तक्षेप करें। उपकुलपति को तुरन्ट हटाया जाये। एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया जाये। ऐसे कदम उठाये जाएं जिससे दो शिक्षकों का आमरण अनशन तथा शिक्षकों, छात्रों तथा अन्य द्वारा किये जा रहे अनशन को समाप्त किया जा सके। यह सब देश के गौरवशाली विश्वविद्यालय की साख बचाने के लिए आवश्यक है।

मुझे आशा है कि अन्य व्यस्तताओं के रहते हुए आप इस मसले पर तुरन्त ध्यान देंगे।

सादर,

भ व दी य

हस्ताक्षर -

(ए.बी.बर्धन)

श्री मनमोहन सिंह

प्रधानमंत्री

भारत सरकार

नई दिल्ली

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