बैठक में बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती द्वारा अर्जित आय से अधिक सम्पत्तियों सम्बंधी प्रकरण पर गंभीरता से विचार किया गया। इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया।
प्रस्ताव में कहा गया है कि इस सवाल को राष्ट्रपति चुनाव पर चल रही सौदेबाजी से अलग करके नहीं देखा जा सकता क्योंकि कांग्रेस नीत केन्द्र सरकार क्षेत्रीय एवं जातिवादी दलों से सौदेबाजी के लिए सीबीआई का लगातार इस्तेमाल करती रही है। यह अनायास नहीं है कि कांग्रेस को घनघोर मनुवादी पार्टी कह कर लगातार कोसने वाली बसपा ने राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को अपना समर्थन दे दिया और उसका पुरस्कार भी सुश्री मायावती को चुनाव के पहले ही प्राप्त हो गया।
मुमकिन है कि अभी कुछ और दलों से हुई सौदेबाजी के नतीजे भी सामने आ जायें।
जहां तक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस प्रकरण में दिये गये निर्णय का सवाल है, न्यायालय ने अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है कि आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में सीबीआई जांच का आदेश उसने नहीं दिया था। लेकिन सुश्री मायावती ने 2003 से लेकर 2012 के मध्य अकूत सम्पत्तियां अर्जित की हैं। जिनके श्रोत का खुलासा होना जनहित में बेहद जरूरी है। अतएव भाकपा मांग करती है कि राज्य सरकार सुश्री मायावती की आय से अधिक सम्पत्तियों की सीबीआई द्वारा जांच की संस्तुति केन्द्र सरकार से करे और केन्द्र सरकार सीबीआई को नई एफआईआर दर्ज कर जांच का आदेश दे। यदि राज्य सरकार ऐसा नहीं करती तो बसपा के भ्रष्टाचार से लड़ने के उसके दावे खोखले ही समझे जायेंगे; प्रस्ताव में कहा गया है।
भाकपा ने चेतावनी दी है कि वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उतर कर संघर्ष जारी रखेगी।
डा. गिरीश ने बताया कि पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक रविवार 8 जुलाई को पूर्वान्ह साढ़े दस बजे से पार्टी के राज्य कार्यालय पर होगी जिसमें भ्रष्टाचार, मंहगाई, खाद्य सुरक्षा आदि प्रमुख मामलों पर आन्दोलन की रूपरेखा तैयार की जायेगी।
मंत्रिपरिषद की बैठक में डा. गिरीश के अतिरिक्त अशोक मिश्र, इम्तियाज अहमद पूर्व विधायक, अरविन्द राज स्वरूप, आशा मिश्रा एवं सदरूद्दीन राना ने भाग लिया।
कार्यालय सचिव
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