भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

मंगलवार, 11 जुलाई 2017

CPI on General budget of U.P.

बजट नहीं यह सरकार की दिशाहीनता का गजट है: भाकपा

लखनऊ- 11 जुलाई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार के पहले आम बजट को प्रदेश सरकार की दिशाहीनता का गजट करार दिया है. यह गत चुनावों में भाजपा के घोषणपत्र की तर्ज पर जुमलों का दस्तावेज है. विकास के स्थान पर इसमें धार्मिक आस्थाओं के दोहन पर जोर है. सरकार इसे सभी को समर्पित बजट बता रही है, पर यह न किसी को समर्पित है न किसी का उत्थान करने वाला है.
कुल मिला कर यह एक परंपरागत बजट है. पिछली सरकारों की तर्ज पर इसमें आय के परंपरागत  स्रोतों से उपलब्ध धनराशि को कुछ घटाबढी करके विभिन्न मदों के लिये आबंटित कर दिया गया है. कुछ नयी मदें जोड‌‌ दी गयी हैं. उपलब्ध धनराशि के आंकड़े मुद्रास्फीति और केंद्र की परियोजनाओं की धनराशि के जोड़ देने के कारण अधिक दिखाई दे रहे हैं, कोई नई आय कहीं से नहीं होरही है. गरीब, किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान, महिला, दलित अल्पसंख्यकों की मौजूदा स्थितियों पर इससे कोई फर्क पढने वाला नहीं है. रोटी, कपड़ा, मकान, इलाज और पढाई के हालात यथावत बने रहेंगे.
बजट भाषण का बड़ा भाग राज्य सरकार की विफलताओं पर पर्दा डालने और मुख्यमंत्री की प्रशंसा करने को समर्पित था. फर्जी आंकड़ों के बोझ तले दबे वित्तमंत्री जी पहले लड़खड़ा कर बैठ गये और दो तीन बार पानी पीने के बाद भी उनके बजट पढने में असमर्थ रहने पर दूसरे मंत्री ने शेष बजट पेश किया. सत्तर सालों में यह पहला अवसर है जब उत्तर प्रदेश की विधानसभा में एक बजट दो मंत्रियों द्वारा प्रस्तुत किया गया.
एक ध्यान देने वाली बात यह भी है कि उत्तर प्रदेश जिसमें श्री मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हज़रत महल, चंद्रशेखर आज़ाद, अशफाक उल्लाह खान और आचार्य नरेंद्र देव जैसे आज़ादी की लडाई के हजारों योध्दा उत्पन्न हुये उन सबकी यह सरकार उपेक्षा कर रही है और अपनी योजनाओं का नामकरण श्यामाप्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कर रही है जो आज़ादी की लडाई से कोसों दूर थे. देश के ऊपर अपने महत्वहीन नेताओं को लादने की भाजपा की यह कोशिश उसे महंगी पड़ेगी.

डा. गिरीश, राज्य सचिव


भाकपा, उत्तर प्रदेश

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य