गुरुवार, 10 जनवरी 2019
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प्रधानमंत्री की सभाओं में होरहा है सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार: भाकपा उत्तर प्रदेश
भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने उपर्युक्त आरोप यहां
जारी एक प्रेस बयान में लगाया है।
उन्होने कहाकि प्रधानमंत्री जी आगरा में आम सभा के मंच
से जब सारी मर्यादायें भुला कर विपक्ष पर बौखलाहट निकाल रहे थे और अपने को चौकीदार
साबित करने को- “ चौकीदार जागता है, चौकीदार सामने खड़ा
है, पूरी ईमानदारी के साथ खड़ा है” जैसे जुमले उछाल रहे थे तो
वे भूल गये कि जिस सभा को वे संबोधित कर रहे हैं उसका लहीम- सहीम खर्चा और साधन शासकीय
मशीनरी के बल पर भारी भ्रष्टाचार के जरिये जुटाये गये हैं।
डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि सभा में भीड़ लाने को जो
वाहन लाये गये वे सब प्रशासन ने जुटाये। आगरा सहित आसपास के तमाम जिलों जहां से भीड़
लायी जानी थी सर्दी का बहाना बना कर स्कूलों की कहीं दो दिन तो कहीं तीन दिनों की छुट्टी
करा दी गयी और बच्चों को स्कूल लाने लेजाने वाली बसों को जबरिया भीड़ लेजाने को जुटाया
गया। परिवहन संबंधी विभाग और पुलिस प्रशासन ने अन्य अनेक वाहनों की भी व्यवस्था की।
इतना ही नहीं रैली स्थल की व्यापक व्यवस्थाओं – मंच, शामियाना, कुर्सियों आदि की व्यवस्था के लिये सरकारी
विभागों से कमीशन और हेरा फेरी वाला धन जुटाया गया और छोटे बड़े जन प्रतिनिधियों के
माध्यम से भीड़ के लिये भोजन और दिहाड़ी देने को रकम इकट्ठा की गयी। अंततः मोदीजी की
इस हुंकार का सारा भार जनता के कंधों पर ही आन पड़ा। उन्होने कहाकि उत्तर प्रदेश में
भाजपा की सरकार बनने के बाद से चौकीदार की जहां भी सभाएं आयोजित की गईं हैं, उसका खर्चा इसी पवित्र क्रिया से जुटाया गया है।
यह चरित्र और नैतिकता की दुहाई देने वालों के गाल पर
कडा तमाचा है। लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों का यह तकाजा है कि इसकी जांच होनी चाहिये।
डा॰ गिरीश ने कहाकि शासक दल ने अभी से घोषणाओं, लोकार्पण और शिलान्यासों
के नाम पर ख़र्चीले आयोजनों के जरिये चुनाव अभियान छेड़ दिया है और इसमें बड़े पैमाने
पर शासकीय मशीनरी का दुरुपयोग कर कदाचार किया जारहा है। आज यह स्पष्ट होगया कि अपने
को कामकाजी बताने वाले प्रधानमंत्री ने आखिर लोकपाल की नियुक्ति क्यों नहीं की।
डा॰ गिरीश ने कहाकि इतने बड़े लोकतन्त्र में आखिर कोई
तो होगा जो भाजपा के इस भ्रष्टाचार का संग्यान ले और कड़ी कार्यवाही करे। राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग, सीबीआई, ईडी अथवा
सतर्कता आयोग किसी को तो आगे आना चाहिये ताकि लोकतन्त्र पर जनता का भरोसा बना रहे।
और नहीं तो संसदीय समिति के जरिये ही इस सब की जांच कराके सच्चाई को उजागर किया जाना
चाहिए। अन्यथा भाकपा इस सवाल को जनता की अदालत में लेजाएगी।
डा॰ गिरीश
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