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मंगलवार, 28 जुलाई 2020
at 6:44 pm | 0 comments |
CPI on Rising Crime in UP
अपराधों की बाढ़ पर भाकपा ने गहरी चिन्ता जतायी
4 अगस्त को वामपंथी दल प्रदेश भर में प्रदर्शन करेंगे
लखनऊ- 28 जुलाई 2020, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी ने उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ आपराधिक वारदातों पर गहरी चिन्ता जतायी है। पिछले
24 घंटे में ही प्रदेश में लगभग एक सैकड़ा संगीन वारदातों ने प्रदेश के नागरिकों को
पूरी तरह झकझोर के रख दिया है। भाकपा ने कहाकि राज्य सरकार शासन का अधिकार खो बैठी
है और अब उसे त्यागपत्र दे देना चाहिये।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाक के नीचे गोरखपुर
में अपराधियों द्वारा व्यवसायी के पुत्र का अपहरण कर हत्या कर दी गयी। कानपुर देहात
में भी एक अपह्रत व्यक्ति की हत्या कर दी गयी। गाजियाबाद में दिन दहाड़े एक परिवार को
बंधक बना लूट की गयी। नोएडा में कार सवारों ने फीरोजाबाद के व्यवसायी से नकदी लूट ली।
दर्जनों महिलाओं की हत्या कर दी गयी है। दर्जनों कत्ल, दर्जनों आत्महत्यायें और कई दर्जन फ़ौजदारियाँ प्रदेश में पिछले 24 घंटों में
हुयी हैं। कई जगह तो पुलिस पर भी हमले हुये हैं।
इन वारदातों से प्रदेश सहम गया है। सामान्य नागरिक अपने
को असुरक्षित समझने लगे हैं। अपराधों को रोक पाने में राज्य सरकार की विफलता से वे
हैरत में हैं। अपराधों से निपटने का योगी सरकार का पैटर्न फ्लाप होगया है। “ कड़ी कार्यवाही
के निर्देश दे दिये गये हैं, अफसरों का तबादला कर दिया गया
है, मुआबजे की घोषणा कर दी गयी है” आदि जुमलों से अब जनता ऊब
चुकी है।
अपराधों की बाढ़ से बदहवास सरकार अब केवल अंधाधुंध एंकाउंटर्स
और मनमानी गिरफ्तारियों से अपराधों पर रोक लगाना चाहती है। जबकि भाकपा की द्रढ़ राय
है कि भारी पैमाने पर बेरोजगारी के रहते इस समस्या पर काबू नहीं पाया जा सकता। प्रदेश
में पहले से ही व्याप्त बेरोजगारी कोविड संकट में और बढ़ गयी है। रोज ब रोज रोजगार देने
की मुख्यमंत्री की घोषणायेँ कागजी साबित हुयी हैं। रोजगार छिनने से हताश और पीढ़ित तमाम
लोग आत्महत्यायें कर रहे हैं, रोजगार के लिये जान जोखिम में
डाल कर अनेक प्रवासी वापस कार्यस्थल लौट रहे हैं और कई गुमराह तत्व अपराधों में लिप्त
होरहे है। यदि सभी को रोजगार दे दिया जाये तो अपराधों की इस बाढ़ को बहुत हद तक थामा
जा सकता है। लेकिन सरकार के पास रोजगार देने की कोई योजना नहीं है।
भाकपा द्वारा जारी प्रेस बयान में राज्य सचिव डा॰ गिरीश
ने कहाकि बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने की मांग और अन्य कई मांगों को लेकर वामपंथी दलों
द्वारा 4 अगस्त को समूचे उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन कर आवाज उठायेंगे।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
शुक्रवार, 24 जुलाई 2020
at 5:50 pm | 0 comments |
Left Criticise Law & Order in UP
फिरौती के बावजूद अपह्रत संजीत यादव की हत्या राज्य
सरकार की असफलता की द्योतक
वामदलों ने जताया दुख और आक्रोश, परिवार को फिरौती की वापसी और सहयोग राशि देने की मांग की
लखनऊ- 24 जुलाई 2020, उत्तर प्रदेश
के वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट
पार्टी- मार्क्सवादी, भाकपा- माले एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक
ने कानपुर में लैब असिस्टेंट के अपहरण और उसके
परिवार से 30 लाख रुपये बसूलने के बावजूद उसकी हत्या पर गहरा आक्रोश एवं दुख व्यक्त
किया है।
वामपंथी दलों ने कहा कि अभी गाजियाबाद में पत्रकार की
हत्या की स्याह खबर की स्याही सूखी भी न थी
कि एक और जघन्य कांड होगया। एक गरीब परिवार द्वारा किसी तरह फिरौती की बड़ी धनराशि अदा
करने के बाद भी अपह्रत संजीत यादव की हत्या कर दी गयी। एक दो नहीं पूरे 35 दिनों में
पुलिस अपह्रत को बचा नहीं सकी। अपहरण होने
पर यदि पुलिस नाकाम रहती थी तो लोग फिरौती देकर अपनों को बचा लेते थे, लेकिन भाजपा के इस कथित रामराज्य में तो फिरौती की लंबी रकम देने के बाद भी
जान- माल सुरक्षित नहीं है।
अपने प्रेस बयान में वामदलों ने कहा कि उत्तर प्रदेश
सरकार के तमाम खोखले दाबों और मनमानी बहशियाना कार्यवाहियों के बावजूद उत्तर प्रदेश
में कानून व्यवस्था अस्त- व्यस्त- ध्वस्त होगयी है। हर दिन, हर पल एक से एक घिनौने और जघन्य अपराध होरहे हैं और 6 हजार से अधिक एंकाउंटर्स
के बाद भी अपराधों में रत्ती भर कमी नहीं आयी। समस्या की जड़ कहीं और है और योगी सरकार
गोलियां कहीं और दाग रही है।
वामदलों ने कहा कि अनेक समस्याओं के बोझ तले दब कर उत्तर
प्रदेश की बहुमत जनता कराह उठी है। राज्य सरकार उनमें से किसी का भी निदान करने में
विफल हो चुकी है। संपूर्णतः असफल सरकार शासन करने का नैतिक अधिकार खो बैठी है।
वामदलों ने मांग की कि संजीत यादव के सभी हत्यारों को
एनएसए/ गैंगस्टर एक्ट में निरुध्द किया जाये, उसके परिवार को फिरौती
वाले रुपये 30 लाख वापस कराये जायें, सरकार की विफलता के एवज
में उसे 50 लाख दिये जायें तथा कानपुर के सारे पुलिस प्रशासन का ओवरहाल किया जाये।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा माले के
राज्य सचिव का॰ सुधाकर यादव एवं फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाह ने चेतावनी
दी कि बिगड़े हालातों के खिलाफ वामदल आंदोलन को बाध्य होंगे। उन्होने यह भी बताया कि
वामदल उत्तर प्रदेश के इन हालातों पर कल वर्चुअल बैठक कर आगे की रणनीति बनायेंगे।
डा॰ गिरीश
बुधवार, 22 जुलाई 2020
at 1:54 pm | 0 comments |
CPI Condemns slain murder of Journalist: Demanded Resignation of UP Govt.
पत्रकार विक्रम
जोशी की मौत पर भाकपा ने रोष जताया, सरकार से त्यागपत्र
की मांग की
लखनऊ- 22 जुलाई 2020, गाजियाबाद
के पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या पर गहरा दुख और रोष जताते हुये भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी ने राज्य सरकार से ज़िम्मेदारी लेने और मुख्यमंत्री के त्यागपत्र की मांग की
है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा “ मुख्यमंत्री
ने संज्ञान लिया है, कड़ी कार्यवाही के निर्देश दे दिये गये
हैं, मुआबजे की घोषणा कर दी गयी है, फलां-
फलां को सस्पेंड या तबादला कर दिया गया है, मार दो, ठोक दो “ मुख्यमंत्री द्वारा तीन साल से रोज ब रोज की जा रही घोषणाओं के प्रसारण
से उत्तर प्रदेश की जनता तंग आ चुकी है। जनता परिणाम चाहती है और उत्तर प्रदेश सरकार
परिणाम दे नहीं पा रही है।
म्रतक पत्रकार पुलिस को लगातार लिखित शिकायतें कर रहे
थे, पर पुलिस अकर्मण्यता और अहमन्यता से ग्रसित थी। परिणाम स्वरूप पत्रकार पर
जान लेवा हमला हो गया और उनकी दुखद मौत होगयी। हमले से लेकर मौत तक मुख्यमंत्री ने
कोई संज्ञान नहीं लिया। पत्रकार का परिवार अनाथ होगया तो अब बड़ी बड़ी घोषणाएँ की जारही
हैं। “ इन घोषणाओं को अपने पास रख लीजिये और विक्रम जोशी के परिवार को विक्रम जोशी
लौटा दीजिये सम्मानित मुख्यमंत्री जी! “ भाकपा ने आक्रोश के साथ सवाल खड़ा किया है।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा- उत्तर प्रदेश में
जंगल राज है। सरकार संरक्षित अपराधी हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं, महिलाओं से बलात्कार और उनकी हत्याएं हो रही हैं, ठगी, लूट, छिनेती, अपहरण/ फिरौती और
चोरियाँ आदि सरे आम जारी हैं। आपके खोखले दाबों के बीच कोरोना के मरीज फुटपाथों पर दम तोड़ रहे हैं, अवसाद में लोग आत्महत्याएं कर रहे हैं आदि आदि।
पुलिस आम लोगों के प्रति क्रूर बनी हुयी है। लोगों को
पीट रही है, जुर्माने बसूल रही है तथा झूठे मुकदमे दर्ज कर जेल
पहुंचा रही है। आम आदमी की शिकायतों पर अमल नहीं किया जाता, जिसका
दुष्परिणाम सभी के सामने है। रिश्वतख़ोरी और भ्रष्टाचार सातवें आसमान पर है। फर्जी एंकाउंटरों
के जरिये सरकार और पुलिस अपनी ध्वस्त छवि को बचाने में जुटी है। पर जनता की रक्षा एंकाउंटर्स
से नहीं होती, उसे सुरक्षा चाहिये, न्याय
चाहिये।
भाकपा ने मांग की है कि पत्रकार के परिवार को बिकरू
कांड में शहीद पुलिसकर्मियों के समकक्ष पावनायें दी जायें। हत्यारों को एनएसए में निरुध्द
किया जाये तथा प्रदेश के सभी नागरिकों के जानमाल की सुरक्षा की जाये। जिम्मेदार अफसरों
को दंडित किया जाये तथा व्याप्त अराजकता की सरकार ज़िम्मेदारी ले और त्यागपत्र दे।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
शनिवार, 18 जुलाई 2020
at 7:01 pm | 0 comments |
हिन्दुत्व की राजनीति गरीब विरोधी : भाकपा
वाराणसी में नेपाली मजदूर को प्रताड़ित करने वालों पर
रासुका लगे
घटना से देश की प्रतिष्ठा को धक्का लगा, गरीबों में उपजा आक्रोश
पूर्व की शिकायतों पर कार्यवाही हुयी होती तो दुस्साहसिक
घटना न होती
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने गत दिन वाराणसी में एक कथित हिंदूवादी संगठन द्वारा नेपाल
के एक युवक के जबरिया मुंडन कराने, उसके सिर पर श्रीराम लिखने
और उससे नारे लगवा कर वीडियो वायरल कराने की घटना की कठोर शब्दों में निन्दा की है।
भाकपा ने इसे हिन्दुत्व के तालिबानियों की गरीब विरोधी और फासीवादी कार्यवाही करार
दिया है। भाकपा ने इस कुक्रत्य को अंजाम देने वालों पर रासुका लगाने की मांग की है।
भाकपा ने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री के अयोध्या संबंधी
बयान से आस्थावानों को धक्का लगना स्वाभाविक है, और कई लोगों
ने उसकी लोकतान्त्रिक आलोचना की है। बयान या घटनाओं पर विरोध प्रकट करना किसी का भी
लोकतान्त्रिक अधिकार है। लेकिन बयान पर विरोध के नाम पर संबन्धित देश के किसी असहाय
नागरिक का उत्पीड़न घोर निंदनीय है। यह घटना इसलिये भी पीड़ादायक है कि गरीब नेपाली लोग
सहस्रो वर्षों से आजीविका के लिये भारत आते हैं और अत्यल्प पारिश्रमिक वाले कामों को
वफादारी से अंजाम देते हैं। यह घटना इसलिये और पीड़ादायक है कि एक पड़ौसी देश के हिन्दू
नागरिक के साथ प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र और भारतीय संस्क्रति के प्रतीक नगर
वाराणसी में हुयी है।
भाकपा ने आरोप लगाया कि एक नामनिहाद हिन्दू संगठन वाराणसी
मे लगातार गैर कानूनी कार्यों में संलिप्त है। पिछले सप्ताहों में ही इसने वाराणसी
में भाकपा कार्यालय के बोर्ड पर कीचड़ फेंकने की भड़कावे की कार्यवाही की, भाकपा कार्यालय एवं बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी ( BHU
) के मुख्य द्वारों पर उन्माद फैलाने वाले पोस्टर लगाये और लखनऊ में विधान सभा के सामने
स्थित माकपा राज्य कार्यालय के बोर्ड पर कीचड़ उंडेलने का काम भी इसी संगठन का लगता
है। भाकपा, माकपा और वामपंथी दलों ने बार बार इसकी लिखित शिकायतें
कीं। यदि तभी इस गिरोह को दबोच लिया गया होता तो आज सारे संसार में भारत की प्रतिष्ठा
गिराने का दुस्साहस करने की उसकी हिम्मत न होती।
भाकपा ने कहा कि 95 वर्षों से एक संगठन धर्म का चोगा
पहन कर गरीब, दलित और आम जन विरोधी और एकल प्रभुत्व के सिध्दांत
को परवान चड़ा रहा है। इससे कुकुरमुत्तों की तरह असहिष्णुतावादी संगठन पैदा होरहे हैं
और निहितस्वार्थी लोग अराजक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। वाराणसी के इस कुक्रत्य
के अलाबा कोयंबटूर में महान समाज सुधारक ई वी रामस्वामी पेरियार की प्रतिमा को भगवा
रंग से पोत दिया गया तो रुड़की में अफ्रीकी देश के छात्रों को बुरी तरह पीटा गया। ऐसी
ही मानसिकता रखने वाले एएमयू के एक मुस्लिम छात्र ने हिन्दू छात्रा को हिजाब पहनने
की धमकी दी। ऐसे तत्व अपनी फर्जी आस्था की आड़ में समय समय पर अलग अलग बहानों से देश
के कमजोर वर्गों को प्रताड़ित करते रहते हैं। अफसोस की बात है कि मौजूदा सत्ताधारियों
का इन्हें खुला समर्थन मिलता रहता है।
भाकपा ने कहाकि एनएसए और देशद्रोह के कानून ऐसे ही तत्वों
के लिये हैं, लेकिन मौजूदा शासक इनका दुरुपयोग अपने राजनेतिक
विरोधियों के खिलाफ कर रहे हैं। वे समुदाय विशेष का चोगा पहन कर गरीबों का उत्पीड़न
करने और कानून को ठेंगा दिखाने वालों को प्रश्रय प्रदान कर रहे हैं।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
at 1:04 pm | 0 comments |
CPI Writes to CM 0f UP
भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, क़ैसर बाग, लखनऊ- 226001
दिनांक- 18
जुलाई 2020
विषय- पीलीभीत जनपद के बीसलपुर में बंदरों के आतंक से
जनता की रक्षा करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे भाकपा नेता भीमसेन शर्मा
का अनशन समाप्त कराने के संबंध में।
URGENT
सेवामें,
श्री योगी आदित्यनाथ जी,
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश- 206001
महोदय,
जनपद- पीलीभीत के कस्बे बीसलपुर में बंदरों का आतंक
चरम पर है। बंदरों ने जानलेवा हमला कर अनेक लोगों को घायल कर दिया है। बंदरों के आतंक
के चलते कई लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं।
अतएव आम जनों को बंदरों के आतंक से बचाने और बंदरों
के हमलों से घायल लोगों की चिकित्सा कराने
की मांग को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के स्थानीय नेता कामरेड भीमसेन शर्मा भाकपा
कार्यालय, बीसलपुर में दिनांक- 13 जुलाई से अनिश्चितकालीन अनशन
पर बैठे हुये हैं। खेद की बात है की स्थानीय प्रशासन को सूचना के बावजूद अभी तक कोई
कदम नहीं उठाया गया है। जबकि कामरेड भीमसेन शर्मा के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आरही
है।
यह इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि प्रशासनिक अधिकारी
जन सरोकारों के प्रति कैसा और कितना उपेक्षा भाव रखते हैं। लोकतन्त्र में यह शोभनीय
नहीं है।
अतएव आपसे अनुरोध है कि जिलाधिकारी पीलीभीत को तत्काल
ठोस कार्यवाही के निर्देश दें कि वे जनता की समस्याओं का निराकरण करें। सक्षम अधिकारी
को अनशन स्थल पहुँच कर समस्या के निदान का आश्वासन देकर भीमसेन शर्मा का अनशन समाप्त
कराना चाहिये। इस विषय में कोई भी हीला हवाली जन सरोकारों के लिये आवाज उठाने वालों
के जीवन से खिलवाड़ होगी।
आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप त्वरित कार्यवाही
के निर्देश अवश्य देंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
प्रतिलिपि-
जिलाधिकारी- पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
बुधवार, 15 जुलाई 2020
at 1:30 pm | 0 comments |
उत्तर प्रदेश में विद्युत व्यवस्था का बुरा हाल
बिजली कटौती से उद्योग, खेती और आम जनजीवन तवाह
सप्ताह के भीतर सुधार करो नहीं तो होगा आंदोलन: भाकपा
लखनऊ- 15 जुलाई 2020, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि लखनऊ, वाराणसी आदि कुछ स्थानों
को छोड़ कर समूचे उत्तर प्रदेश में अभूतपूर्व बिजली कटौती जारी है। इससे भीषण गर्मी
में आम नागरिकों को अकल्पनीय परेशानियां तो हो ही रहीं हैं, खेती
और उद्योग को भी भारी हानि होरही है।
बिजली का बार बार आना जाना, कम देर को आना और ज्यादा देर को जाना, अंधाधुंध ट्रिपिंग, लो बोल्टेज, ट्रांसफारमर्स एवं लाइनों में फाल्ट आदि
सब हद के बाहर होरहे हैं। जर्जर विद्युत लाइनों और पुराने गिरासू पोल्स का न बदला जाना
जान लेवा मसला बन गया है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने कहा
कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा, अलीगढ़ एवं अन्य कई मंडलों में
आज तक तो सूखे जैसी स्थिति है। इससे धान की रोपाई और अन्य क्रषिकार्य प्रभावित होरहे
हैं। राज्य सरकार तो शायद सूखे की इस स्थिति से अनभिज्ञ बनी हुयी है। नहीं तो अब तक
यह क्षेत्र सूखा प्रभावित घोषित होजाना चाहिये था।
उन्होने कहाकि बिजली कटौती का उद्योगों पर भारी प्रभाव
पड़ रहा है। कोरोना/ लाक डाउन से उद्योगजगत पहले बहुत प्रभावित हुआ है, अब अंधाधुंध विद्युत कटौती के चलते संभल नहीं पा रहा है। उन्होने सवाल किया
कि क्या हम ऐसे ही भारत को आत्मनिर्भर बनायेंगे? क्या इसी तरह
चीन को मात देंगे और विश्व गुरु बन जायेंगे?
जहां तक नागरिकों की बात है भीषण गर्मी और उमस से उनका
बुरा हाल है। वैसे तो सभी परेशान हैं पर बुजुर्ग, बीमार और बच्चे
तो गर्मी से हाल- बेहाल हैं। कोरोना से जूझने को लोगों को मजबूत इम्युनिटी की जरूरत
बतायी जा रही है। पर जो बिजली कटौती के चलते रात भर जागेगा वो क्या खाक इम्यूनिटी बना
पायेगा?
डा॰ गिरीश ने कहा कि या तो सरकार और विद्युत विभाग ने
हथियार डाल दिये हैं या फिर विभाग के निजीकरण के उद्देश्य से व्यवस्थायें भंग की जारही
हैं। उन्होने चेतावनी दी कि यदि इस समस्या पर एक सप्ताह के भीतर काबू न पाया गया तो
भाकपा और उसके सहयोगी संगठन सड़कों पर उतारने को बाध्य होंगे।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
रविवार, 12 जुलाई 2020
at 3:38 pm | 0 comments |
कानपुर बालिका गृह के बाद अब मुजफ्फरनगर बाल दुराचार कांड
मुजफ्फर नगर का बाल गृह दुराचार कांड नैतिकता की दुहाई
देने वाले शासकों के मुंह पर करारा तमाचा
भाकपा ने भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिये सभी
बालक, बालिका आश्रय ग्रहों की जांच की मांग की
लखनऊ- मुजफ्फर नगर
के शुक्रताल स्थित एक आश्रम में अबोध और गरीब बच्चों के साथ दुराचार और अत्याचार के
खुलासे ने भाजपा के रामराज के ढकोसले की धज्जियां बिखेर कर रख दी हैं। बहुचर्चित कानपुर
बालिका गृह कांड के बाद एक माह के भीतर यह दूसरा मामला है जिससे नैतिकता की दुहाई देने
वाले सत्ताधारियों के मुंह पर कालिख पुत गयी है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव
मंडल ने इस बात पर गहरा रोष और आक्रोश जताते हुये इसे समाज के लिये बहुत ही घातक बताया
है। त्रिपुरा और मिजोरम के गरीब घरों के बच्चे पढ़ाने लिखाने के नाम पर इस कथित आश्रम
में लाये जाते थे। आश्रम के साधुवेशधारी दो मठाधीश उन्हें कोरोना की दवा बता कर शराब
पिलाते थे, गंदी फिल्में दिखाते थे और फिर अनैतिक दुष्कर्म
करते थे। प्रतिरोध करने पर उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था। यह शर्मनाक खेल वर्षों से
चल रहा था।
इतना ही नहीं उन बच्चों से भारी काम कराये जाते थे।
उनके घरों से आया पैसा हड़प लिया जाता था। पर यह सब बच्चों के यौन शोषण के सामने छोटा
अपराध है। अफसोस की बात है कि यह सब ऐसी जगह चल रहा था जिसे लोग पवित्र स्थान मानते
हैं और श्रध्दा और आदर के साथ देखते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि बालकों को रखने के
लिये इस आश्रम का कहीं कोई रजिस्ट्रेशन तक नहीं था। यह सब नेहरूकाल में नहीं योगीकाल
में घटित होरहा था।
सामाजिक शख्सियतों और संस्थाओं के प्रयास से दुराचार
कांड का भंडाफोड़ हुआ है और दोनों बाबा जेल भी भेजे गये हैं। पर यह सब इसलिए चल रहा
है कि तमाम दुराचारी बेखौफ हैं। किसी को नहीं मालूम कि कानपुर बालिका गृह कांड की जांच
होरही है या नहीं। फिर जांच के परिणाम की तो बात ही छोड़ दीजिये।
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि यह जरूरी होगया है
कि इस तरह के तमाम आश्रमों, बालिका ग्रहों और बाल ग्रहों की सघन
जांच कराई जाये और देश के भविष्य गरीबों के बालक और बालिकाओं का जीवन बरवाद होने से
बचाया जाये। पार्टी ने आशा व्यक्त की कि गैर कानूनी और आपराधिक ठोक- ठाक में संलिप्त
यूपी सरकार इस दिशा में शीघ्र ठोस कदम उठायेगी।
भाकपा ने छात्र, युवा और मानवाधिकार
संगठनों से अपील की कि वे पीढ़ित बालक बालिकाओं को न्याय दिलाने को अपने नैतिक दायित्व
का निर्वाह करें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
शुक्रवार, 10 जुलाई 2020
at 7:19 pm | 0 comments |
CPI on Kanpur encountar
विकास दुबे
की हत्या और मकान का ढहाया जाना आकाओं को बचाने की साजिश
विकास दुबे
प्रकरण सिस्टम में व्याप्त सड़ांध का प्रतीक
भाकपा ने
पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की
सिस्टम में
सुधार जनवादी आंदोलनों से ही संभव
लखनऊ- 10 जुलाई 2020, विकास दुबे
और उसके साथियों का फर्जी एंकाउंटर करके पुलिस ने अपने तमाम पापों को तो ढाँप ही लिया
उसकी हत्या कर और उसका मकान ढहा कर उन सारे सबूतों को मिटा दिया जिससे उसके पूर्व और
वर्तमान के आश्रयदाता सांसत में फंस सकते थे। अतएव यह निंदनीय तो है ही, चिंतनीय भी है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्पष्ट राय है कि विकास
दुबे प्रकरण से सिस्टम में व्याप्त होचुकी सड़ांध सामने आचुकी है। आपरेशन क्लीन उसी
सड़ांध का एक गैर कानूनी रुप है। न्यायिक प्रक्रिया की पूर्ण असफलता के इस दौर में शासक
वर्ग अपनी छवि बचाने की कोशिश में तथा अपने निहित राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के
लिये ऐसे मनमाने कदम उठा रहे हैं जिनसे विधि का शासन पूरी तरह नष्ट होने की ओर है।
यह हमारे लोकतन्त्र और लोकतान्त्रिक ढांचे के लिये बेहद खतरनाक है।
उम्मीद कम है पर अब भी सिस्टम में सुधार की कोशिश की
जानी चाहिये। पहली जिम्मेदारी सर्वोच्च अदालत और अदालतों की है कि वे जन मानस का विश्वास
अर्जित करें। सर्वोच्च अदालत को उसके समक्ष दायर याचिका को गंभीरता से लेते हुये विकास
दुबे प्रकरण की न्यायिक जांच करानी चाहिये। योगी सरकार द्वारा आपरेशन क्लीन के नाम
पर मनमाने ढंग से की जा रहीं हत्याओं पर रोक लगा कर फास्ट ट्रेक कोर्ट से वादों के
निस्तारण के आदेश दिये जाने चाहिए। विधि के शासन की रक्षा के लिये यह बेहद जरूरी है।
भाकपा का स्पष्ट द्रष्टिकोण है कि कार्यपालिका के हर
हिस्से- सरकार, पुलिस और प्रशासन पर से जनता का पूरा विश्वास उठ
चुका है। व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन से ही विश्वास बहाली संभव है। और व्यवस्था
में परिवर्तन जनता के जनवादी आंदोलनों से संभव है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी समाज की
स्वस्थ और जनवादी शक्तियों को एकजुट कर ऐसे आंदोलन को खड़ा करने का प्रयास करेगी और
समाज हितैषी ताकतों से सहयोग की उम्मीद करेगी।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
at 1:42 pm | 0 comments | उत्तर प्रदेश, डाक्टर्स, प्रशिक्षु, भाकपा, मानदेय, राज्य सरकार
प्रशिक्षु डाक्टरों को मिला भाकपा का साथ
प्रशिशु डाक्टरों
को दिया जा रहा है दिहाड़ी मजदूरों से कम मानदेय
भाकपा उत्तर
प्रदेश ने की अन्य राज्यों के समकक्ष करने की मांग
लखनऊ- 10 जुलाई 2020, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी ने उत्तर प्रदेश के मेडिकल कालेजों में प्रशिक्षु ( Interns ) डाक्टरों का मानदेय बढ़ाने की मांग का मजबूती के साथ समर्थन करते हुये मानदेय
तत्काल बढ़ाने की मांग राज्य सरकार से की है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा उत्तर प्रदेश के
सचिव डा॰ गिरीश ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया की एमबीबीएस पास किये इन प्रशिक्षु
डाक्टरों को दिहाड़ी मजदूरों से भी कम मानदेय दिया जा रहा है। उन्हें 12- 12 घंटे ड्यूटी
करने के एवज में मात्र रुपये 7500/- प्रति माह यानी कि 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब
से मानदेय दिया जारहा है।
जबकि अन्य कई राज्यों में यह मानदेय रूपये 20 हजार प्रति
माह या इससे ऊपर हैं। केंद्र सरकार ने भी अपने मेडिकल कालेजेज़ में यह मानदेय बढ़ा कर
रु॰ 23,500 प्रति माह कर दिया है। अपने इस शोषण से व्यथित उत्तर प्रदेश के कई मेडिकल
कालेजों के प्रशिक्षु डाक्टरों ने मजबूरन हड़ताल की राह पकड़ी है, हालांकि कई जगह वे कोविड- 19 की ड्यूटी को द्रढ़तापूर्वक अंजाम दे रहे हैं।
यह दौर जितना नाजुक है प्रशिक्षु डाक्टरों की मांग भी
उतनी ही बाजिव है। अतएव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य सरकार से मांग करती है कि वह
प्रशिक्षु डाक्टरों का मानदेय कम से कम अन्य राज्यों के समकक्ष बढ़ाने की फौरन और फौरन
घोषणा करे।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
गुरुवार, 9 जुलाई 2020
at 6:51 pm | 0 comments |
CPI on Surrender of VIKAS DUBEY
विकास का
आत्म समर्पण अपराधी, सत्ता और पुलिस के अपवित्र गठजोड़ का
परिणाम
भाकपा ने
पूछताछ और ट्रायल गैर भाजपा शासित राज्य में कराने की मांग की
लखनऊ- 9 जुलाई 2020, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने इस बात पर हैरत जतायी कि कानपुर पुलिस के दुर्दांत हत्यारे
विकास दुबे की लोकेशन के बारे में यूपी पुलिस लगातार झूठ बोलती रही और उसने बड़े ही
नाटकीय अंदाज में भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश के उज्जैन में आत्मसमर्पण कर दिया।
इससे अपराधी, भाजपा, राजनीति और पुलिस प्रशासन
के गठजोड़ का एक बार फिर खुलासा हो गया।
प्रहसन के अब तक के शो से यह साफ होगया कि योगीराज में
पुलिस गरीबों, कमजोरों, दलितों, अल्पसंख्यकों और आमजनों को ठोकती- पीटती रही है और उसके पहलू में एक से एक
खौफनाक दस्यु फलते फूलते रहे हैं। सप्ताह भर पूर्व हुये लोमहर्षक कांड के बाद यूपी
पुलिस जिस तरह कानून को रौंदती रही है, उससे स्पष्ट होगया कि
वह न केवल अयोग्य है, वह कानून की परवाह तक नहीं करती।
आधा दर्जन कथित अपराधी मार गिराए गये, पूरे प्रदेश में सर्च एंड ठोको अभियान चलाया गया पर वह सुरक्षित है जिसके
अपराध की एवज में यह सब किया जा रहा है। इससे शहीद पुलिसकर्मियों की न्याय की आस धूमिल
हुयी है। सैटिंग की परतें उघड़ती जारही हैं और अपवित्र गठजोड़ का खुलासा होता जा रहा
है। उसकी मां ने भी बयान बदल दिये हैं और विकास भी वही बोलेगा जो सत्ता बुलवाना चाहेगी।
जनता को सिर्फ प्रहसन के अगले खंडों का मूक दर्शक बने रहना है।
भाकपा ने मांग की कि विकास दुबे से पूछताछ गैर भाजपा
शासित राज्य के पुलिसबलों द्वारा उच्च न्यायालय के तीन सिटिंग जजों के पैनल के समक्ष
की जाये और ट्रायल भी गैर भाजपा शासित राज्य में चलाया जाये।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
शुक्रवार, 3 जुलाई 2020
at 1:45 pm | 0 comments |
CPI on Kanpur Episode
कानपुर कांड-
पुलिस प्रशासन के राजनीतिकरण की देन: भाकपा
लखनऊ- 3 जुलाई 2020, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कानपुर जनपद में गत रात एक शातिर अपराधी से मुठभेड़ में
एक क्षेत्राधिकारी सहित 8 पुलिसकर्मियों की शहादत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। भाकपा
ने शहीद पुलिसकर्मियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये शोक संतप्त उनके परिवारों
के प्रति गहरी सहानुभूति जताई है। भाकपा ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की
है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश
ने कहाकि यूपी में जंगलराज व्याप्त है इसका इससे बड़ा उदाहरण हो नहीं सकता। एक ऐसा शातिर
अपराधी जिसके खिलाफ 60 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं वह कैसे और किसके संरक्षण के तहत बाहर
घूम रहा था, इस सवाल का जबाव सरकार को देना होगा। क्यों उस पर
गैंगस्टर एक्ट, रासुका अथवा अन्य धाराएँ लगा कर जेल के भीतर नहीं
रखा गया? बार बार ‘मार दो, ठोक दो’ की भाषा बोलने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
जी क्या इस छुट्टा घूम रहे अपराधी के इस जघन्य कुक्रत्य की नैतिक ज़िम्मेदारी लेंगे?
भाकपा उत्तर प्रदेश में निरंतर होरही गंभीर आपराधिक
वारदातों पर लगातार आवाज उठाती रही है जिसे योगी सरकार हवा में उड़ाती रही है। योगी
सरकार ने पुलिस को राजनीतिक शख़्सियतों को फंसाने और जन आंदोलनों को कुचलने के काम में
लगा रखा है। पुलिस प्रशासन का राजनीतिकरण कर दिया गया है। उसके पास अपराधियों से निपटने को उतना समय नहीं जितना
होना चाहिये। दूसरे शातिर अपराधियों के शासक दल के नेताओं से गहरे रसूख हैं और सामान्यतः
पुलिस उन पर हाथ डालने से घबराती है। जहां हाथ डाला गया उसका नतीजा सामने है। पुलिस
के मूवमेंट की इस अपराधी गिरोह को कैसे जानकारी मिली इसकी भी जांच होनी चाहिये।
भाकपा ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में एक से एक बड़ी
आपराधिक घटनायें हो रही हैं, बड़े बड़े घपले घोटालों की परतें
उघड़ रही हैं, दबंग कमजोरों पर अत्याचार कर रहे हैं पर हर मामले
में मुख्यमंत्री का एक ही रटा रटाया बयान होता है कि कड़ी कार्यवाही के निर्देश दे दिये
गए हैं, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अब इससे काम चलाने वाला
नहीं है। जनता नतीजे चाहती है। योगी सरकार नतीजे दे नहीं पा रही है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
गुरुवार, 2 जुलाई 2020
at 1:24 pm | 0 comments |
विचारधीन मामले में संपत्तियाँ जब्त करने का आदेश रद्द हो: भाकपा
लखनऊ- आपराधिक मामलों
में आपराधिक अभियोग चले, बिना अभियोग साबित हुये संपत्तियां जब्त
करने की कारगुजारियाँ बन्द हों, लोगों के रोजगार पर डाका डालने
के तालिबानी फरमान रद्द हों, इस चेतावनी के साथ भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने सीएए विरोधी आंदोलन में विभिन्न धाराओं में निरुद्ध
लखनऊ के धर्मवीर सिंह एवं माहेनूर चौधरी की संपत्ति जब्त कर बेदखल करने की कार्यवाही
की कड़े शब्दों में निन्दा की।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ने आरोप लगाया की
प्रदेश की भाजपा सरकार विपक्ष और आम लोगों को इस हद तक भयभीत कर देना चाहती है कि आगे
वे सरकार के गलत से गलत कामों पर चुप बैठे रहें। इसी उद्देश्य से प्रदेश में कई नेताओं
की गिरफ्तारियाँ की जारही हैं, कई से जुर्माना बसूलने की अवैध
कार्यवाहियाँ की जारही हैं तो बिना जुर्म साबित हुये ही लोगों की संपत्तियां जब्त की
जारही हैं। धर्मवीर सिंह एवं माहेनूर की संपत्तियों की जब्ती के आदेश भी इसी उदेश्य
से की गयी कारगुजारी हैं।
हम सभी को अच्छी से याद है कि 1857 की क्रान्ति को दबा
देने के बाद 140 वर्षों तक अँग्रेजी हुकूमत ने यह सब निरंतर जारी रखा था। आखिर उनका
जो हश्र हुआ वो सबके सामने है।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय
तक ने यह साफ तौर पर कहा है कि सामुदायिक हिंसा के मामले में बसूली की कार्यवाही माननीय
उच्च न्यायालय अथवा जिला न्यायालय के द्वारा ही की जा सकती है। अतएव इस विषय में अपर
जिलाधिकारी, लखनऊ का निर्णय सीधे सीधे सर्वोच्च न्यायालय की
अवहेलना है। आशा की जानी चाहिए कि माननीय उच्च न्यायालय इसका स्वतः संज्ञान अवश्य लेगा।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वसूली की यह कार्यवाही 19 दिसंबर के बाद इसी उद्देश्य से
लागू किए गए एक अध्यादेश के तहत की जा रही है जो पूर्णतया अवैध है।
भाकपा ने कहा कि एक ओर सरकार बार बार कोरोना महामारी
और सीमाओं के संकट का हवाला दे कर सबकी एकता की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जनता की आवाज को कुचलने के एजेंडे पर निरन्तर आगे बड़ रही है।
यह लोकतन्त्र और उसकी सम्रद्ध परंपराओं का हनन है, जिसे जन समुदाय
बहुत देर तक सहन नहीं कर पायेगा। भाकपा ने इन तुगलकी आदेशों को तत्काल वापस लेने की
मांग की।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
बुधवार, 1 जुलाई 2020
at 6:06 pm | 0 comments |
Press Note of Left Parties of UP
वामपंथी दलों
ने ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित हड़तालों का समर्थन किया
लखनऊ- 1 जुलाई 2020, उत्तर प्रदेश
के वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट
पार्टी- मार्क्सवादी, भाकपा- माले (लिबरेशन) एवं आल इंडिया फारबर्ड
ब्लाक ने 2 से 4 जुलाई तक कोयला क्षेत्र के श्रमिकों और 3 जुलाई को केन्द्रीय ट्रेड
यूनियन संगठनों कीप्रस्तावित संयुक्त हड़तालों को अपना समर्थन प्रदान किया है।
यह दोनों हड़तालें श्रम क़ानूनों को समाप्त करने, काम के घंटे बढ़ाने, सार्वजनिक क्षेत्र और कोयला क्षेत्र
के निजीकरण एवं पेट्रोल-डीजल की कीमतों में निरंतर व्रद्धि व महंगाई के खिलाफ एवं लाक
डाउन से प्रभावित मजदूरों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की मांग को लेकर आयोजित की
जा रही हैं। किसानों और खेतिहर मजदूरों के संगठनों ने वर्गीय मांगों को लेकर इस हड़ताल
को अपना समर्थन प्रदान किया है।
भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा- माले
के राज्य सचिव का॰ सुधाकर यादव एवं फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाहा ने
वामपंथी कार्यकर्ताओं से ज्वलंत मुद्दों को लेकर की जारही इस हड़ताल को समर्थन प्रदान
करने का आह्वान किया है।
डा॰ गिरीश
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