भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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शुक्रवार, 31 मई 2024

योगी सरकार ध्यान भटकाने में लिप्त: बद रहे हैं हादसे


अखनूर बस हादसे के लिये उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह जिम्मेदार: डा॰ गिरीश

भाकपा नेता ने म्रतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की, घायलों के स्वास्थ्य लाभ की कामना की

सरकार से की पर्याप्त आर्थिक सहायता देने की मांग

लखनऊ/ हाथरस/ अलीगढ़- 31 मई 2024, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता डा॰ गिरीश ने अखनूर बस हादसे पर गहरा दुख जताया है जिसमें कि अब तक दो बच्चों सहित दो दर्जन की दर्दनाक मौत हुयी है और लगभग छह दर्जन घायल अस्पताल में भर्ती हैं। भाकपा ने हाथरस अलीगढ़ मथुरा और भरतपुर के निवासी इन सभी म्रतक श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की है। भाकपा ने म्रतकों के परिवारों और घायलों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान सरकार से मांग की है कि वह म्रतकों के परिवारों और घायलों को समुचित आर्थिक सहायता प्रदान करें।

भाकपा ने इस गंभीर और दर्दनाक हादसे के लिये सीधे उत्तर प्रदेश सरकार और उसके विभिन्न विभागों को जिम्मेदार ठहराया है। यहां जारी एक प्रेस बयान में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान के प्रभारी डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन की लापरवाही और व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उत्तर प्रदेश में हर दिन कई कई जानलेवा सड़क हादसे हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में धर्म की आड़ में एक बड़ा माफिया काम कर रहा है जो लोगों को बरगला कर विभिन्न तीर्थस्थलों को ले जाता है, जिनमें पहाड़ के तीर्थस्थल भी शामिल हैं। इसके लिये माफिया खटारा बसें हायर करता है और बस की क्षमता से दो दो गुने मुसाफिर भर कर ले जाता है। पहाड़ी मार्गों पर मैदान के ड्रायवरों से बस चलवायी जाती हैं। ओवरलोडिंग, बस की जर्जरता और ड्रायवर की असक्षमता से जानलेवा हादसे हो जाते हैं और तमाम परिवार समूल नष्ट हो जाते हैं।

सवाल उठता है कि इतनी अधिक ओवरलोड बस उत्तर प्रदेश की सीमा से कैसे पार हो गयी? पुलिस क्या करती रही? क्या परिवहन विभाग ने मौके पर जाकर तसदीक किया कि जितनी सवारियों का परमिट जारी किया गया है, क्या उतनी ही सवारियाँ बस में भरी जा रही हैं? पता तो यहां तक चला है कि सवारियों की फर्जी सूची के आधार पर  बस को परमिट दे दिया जाता है और हर स्तर पर सरकारी कारकुनों की जेब गरम कर माफिया बस को साफ निकाल ले जाता है।

उत्तर प्रदेश में ऐसे हादसे आए दिन हो रहे हैं और सत्ता शिखर पर बैठे लोग औरंगज़ेब, मस्जिद और पाकिस्तान की रट लगा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। वे जनता के हितों की उपेक्षा कर गंभीर अपराध कर रहे हैं। ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिये और इसकी सजा उन्हें मिलनी ही चाहिए। अंतिम चरण मे मतदान में उनको जनता निश्चय ही सबक सिखाएगी, डा॰ गिरीश ने आशा व्यक्त की है।

डा॰ गिरीश

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गुरुवार, 30 मई 2024

टैक्स दर टैक्स लगाती जा रही है सरकार: एक देश एक टैक्स का नारा सिर्फ जुमला - भाकपा


मतदान समाप्ति के तत्काल बाद उत्तर प्रदेश में एक और टैक्स थोपने की तैयारी-

वाहनों पर लगेगा भारी- भरकम “सड़क सुरक्षा सेस”

भाकपा ने सभी से प्रबल विरोध करने की अपील की

लखनऊ- 30 मई 2024, मतदान के आखिरी दिन- 1 जून के बाद किसी भी दिन उत्तर प्रदेश वासियों की पाकिट पर बुलडोजर चलने जा रहा है। सावधान हो जाइये आपके वाहन पर एक और नया टैक्स-  “सड़क सुरक्षा सेस” लगाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इंतज़ार है तो बस आपके वोट के EVM में बन्द हो जाने का।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश सरकार की इस तुगलकी योजना को सिरे से खारिज करती है और इस जनविरोधी प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में डालने की मांग करती है। भाकपा प्रत्येक पार्टी और हर नागरिक से अपील करती है कि उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रस्तावित कदम का पुरजोर विरोध करें।

इस प्रस्तावित टैक्स गहरी आपत्ति जताते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं राज्य प्रभारी डा॰ गिरीश ने कहा कि वाहनों और यात्रा पर फले से ही दर्जन भर टैक्स लगा चुकी डबल इंजन सरकार अब वाहन स्वामियों और मुसाफिरों की जेब पर डाका डालने को एक और टैक्स थोपने की तैयारियों में जुटी है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में डा॰ गिरीश ने कहा कि परिवहन विभाग के सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के वाहनों पर सड़क सुरक्षा सेस लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 1 जून को होने वाले आखिरी मतदान के बाद इसे अंतिम रूप देकर किसी भी दिन शासन के पास भेज दिया जायेगा।

इस प्रस्ताव के पीछे भगवा सरकार की अफसरशाही का तर्क है कि वाहनों के बढ़ते दबाव से प्रदेश भर की सड़कें टूटती हैं। सड़क सुरक्षा सेस के जरिये बसूले जाने वाले राजस्व से टूटी सड़कों का मेंटीनेन्स तत्काल होता रहेगा।

सवाल यह उठता है कि सड़कों के निर्माण और मरम्मत के नाम पर केंद्र और राज्य सरकारें कोई एक दर्जन टैक्स लगा कर वाहनस्वामियों और यात्रा करने वालों की जेब से जब अरबों खरबों रुपये निकाल रही हैं, तो एक और नया टैक्स क्यों? जब केंद्रीय परिवहन मंत्री दावा करते हैं कि उनके पास धन की कोई कमी नहीं है, तो उपभोक्ताओं पर यह एक और कुठाराघात क्यों?

हम बार बार यह सवाल उठाते रहे हैं कि भाजपा सरकार एक देश एक टैक्स की बात करती है मगर वाहन और यात्रा पर कई कई भारी भरकम टैक्स लगाये हुये हैं। वाहन खरीद को ही लें तो इस पर अच्छी भली जीएसटी देनी होती है, फिर भारी रोड टैक्स और इंश्योरेंस। वाहनों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी, जीएसटी, सेस और स्थानीय टैक्स देने पड़ते हैं। इन सभी टैक्सों से बसूले धन से बनने वाली सड़कों पर फिर जबर्दस्त टोल टैक्स बसूला जाता है। और जब इतने से भी सरकार का पेट नहीं भरता तो स्पीड सीमा निर्धारित कर दो हजार की पैनल्टी बसूली जाती है।

इतना ही नहीं आए दिन नंबर प्लेट्स संबंधी नियम बदल दिये जाते हैं और बदलने के ठेके निजी कंपनियों को दे दिये जाते हैं जिसकी कीमत और प्रदूषण के नाम पर अलग टैक्स देना होता है। नए मोटर वाहन कानून के जरिये भारी अर्थदण्ड और कड़ी सजा के प्रावधान सरकार द्वारा किए जा चुके हैं जिन्हें जनदबाव के कारण फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल रखा है।  

डा॰ गिरीश ने खुलासा किया कि प्रस्तावित सड़क सुरक्षा सेस की दरें भी काफी हैरान करने वाली होंगी, जिससे करदाता हिल कर रह जायेंगे। सूत्रों के अनुसार छोटे वाहनों पर एक प्रतिशत, तो भारी वाहनों पर दो प्रतिशत सेस बसूलने की योजना है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी कार की कीमत यदि दस लाख रुपये है तो उस पर दस हजार रुपये और किसी कार या भारी वाहन की कीमत यदि 50 लाख है तो उसे 50 हजार रुपये सेस देना होगा। इससे सार्वजनिक परिवहन- यात्रा और माल ढुलाई महंगी हो जायेगी, जो सभी चीजों की कीमतें बढ़ाने का कारण बनेगी।

डा॰ गिरीश ने कहा कि वाहन और ईंधन के विक्रय पर कर रूप में मिली इस विपुल धनराशि के उपयोग और निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार है। इस महाभ्रष्टाचार से लाभान्वित सरकार और अफसरशाही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बजाय जनता पर भार बढ़ाती जा रही है। सत्ताधारियों द्वारा धर्म और जाति के आडंबर में फंसायी गयी जनता सबकुछ सहती जा रही है। लेकिन जनता को जाग्रत कर उसे विरोध के लिए लामबंद करना होगा और इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा, डा॰ गिरीश ने ज़ोर देकर कहा है।

डा॰ गिरीश, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं प्रभारी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( CPI )

 

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मंगलवार, 2 जनवरी 2024

Press Note of CPI


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी  के वरिष्ठ सदस्य डा॰ गिरीश का प्रेस बयान-

हड़ताली चालकों पर दमन बंद करे सरकार! काले कानून को रद्द करे!

लखनऊ- 2 जनबरी 2024, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय नेता डा॰ गिरीश ने ड्रायवरों की हड़ताल का पुरजोर समर्थन करते हुये, उन्हें 10 साल की कैद और सात लाख जुर्माना संबंधी कानून को तत्काल रद्दी की टोकरी मेन डालने की मांग की है। साथ ही हड़ताली ड्रावर बंधुओं पर सरकार द्वारा दहाए जा रहे जुल्मों और बल प्रयोग की कड़े शब्दों में निन्दा की है।  

भाकपा की ओर से जारी एक प्रेस बयान में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी क वरिष्ठ सदस्य डा॰ गिरीश ने कहा कि  नया मोटर वेहिकल एक्ट जब बनाया जा रहा था, तब सब बे फिक्र थे कि मोदी की गारंटी के बीच उनसे कोई अन्याय नहीं हो सकता। लेकिन जब काले कानून का खुलासा हुआ तो पता चला कि यह तो जानलेवा कानून है। इतनी बड़ी सजा और जुर्माने को चुकाते हुये तो इन्सानों ई उम्र ही बीत जाएगी। फिर कैसे वो अपने परिवार का भरण पोषण करेगा। अब लोगों को पता चला है तो त्राहि त्राहि मची है।

अब सरकार कह रही है कि हड़ताल का कोई नोटिस नहीं दिया गया। यह वही सरकार है जिसने श्रमिकों के हित में बनाए गए श्रम क़ानूनों को अपने पूंजीपति आकाओं के जुल्म और लूट की छूट देने को एक झटके में बदल दिया। अब सरकार किस मुंह से कानूनी नोटिस की बात कर रही है? शर्म आनी चाहिए इस सरकार को जो अपनी शोषित पीड़ित जनता से अंग्रेजों से भी बुरा वरताव कर रही है।

डा॰ गिरीश ने कहा कि लोकतन्त्र को कुचल कर फ़ासिज़्म के रास्ते पर बढ़ रही सरकार का सोच ये है कि धार्मिक सवालों और धार्मिक विभाजन को इतना अधिक उछाला जाये कि लोग अपना हित ही भूल जायेँ और उनकी आड़ में उन पर मनमानी तानाशाही लादी जा सके। और आज यही हो रहा है।

लेकिन अब जब सचाई सामने आ रही है तो लोगों को कुछ कुछ समझ आ रहा है। जो ड्रायवर बंधु वाहनों पर गाने बजा रहे थे कि “जो राम को लाये हैं, हम उनको लाएँगे आज वे समझ गए कि राम की आड़ में वे उनकी जान लेने वाला कानून ले आए। धीरे धीरे समझ आ रहा है कि बुलडोजर मुसलमानों पर ही नहीं हर शोषित- पीड़ित पर कहर ढा रहा है। केवल उन पर नहीं चल रहा जो संघ और भाजपा से जुड़े हैं, भले ही वे बलात्कारी ही क्यों न हों।

भाकपा नेता ने कहा कि अभी तो संसद में बिना बहस ही कराये पारित किए आपराधिक क़ानूनों की भयावहता की सचाई सामने आना बाकी है। जिस दिन वो सामने आएगी, मंदिर निर्माण की आड़ में फैलाई गयी सारी “माया” छट जाएगी।

(डा॰ गिरीश)  

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बुधवार, 27 दिसंबर 2023

वोटों के लिए राज्य संस्था को धर्म से संबद्ध कर दिया है संघ और भाजपा ने : भाकपा ने उठाए सवाल


#सरकारी स्तर पर धार्मिक क्रियायेँ आयोजित कराने संबंधी मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश के आदेश को तत्काल निरस्त किया जाये

#सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ट्रस्ट द्वारा मंदिर निर्माण के धार्मिक कार्य को संघ और भाजपा ने राज्य प्रायोजित घटना में बदला

#संविधान के अंतर्गत भारतीय राज्य कोई धार्मिक संबद्धता नहीं रख सकता: सर्वोच्च न्यायालय की प्रस्थापना

#डबल इंजन सरकार को चाहिये कि जनता के प्रति दायित्वों का निर्वाह करे और सुशासन के बल पर वोटों की उम्मीद करे: डा॰ गिरीश

लखनऊ- 27 दिसंबर 2023, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव द्वारा सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को भेजे उस आदेश, जिसमें प्राण प्रतिष्ठा से पहले सरकारी स्तर पर धार्मिक क्रियाएं आयोजित कराने का निर्देश दिया है, को संविधान विरोधी बताते हुये इसे तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भगवा माहौल बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे इन आयोजनो में भाजपा और उसकी डबल इंजन सरकारों ने सारी संवैधानिक मर्यादायें लांघ कर पूरी शासकीय मशीनरी झोंक दी है।

मुख्य सचिव के इस फरमान के मुताबिक मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को मकर संक्रान्ति से लेकर 22 जनबरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह तक, सरकारी तौर पर विभिन्न आयोजन कराने हैं।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डा॰ गिरीश ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ट्रस्ट द्वारा कराये जा रहे मंदिर निर्माण जो कि एक धार्मिक क्रिया है, को राजनैतिक रूप से भुनाने के उद्देश्य से आरएसएस और भाजपा ने एक राज्य प्रायोजित घटना में बदल दिया है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री- उत्तर प्रदेश एवं  दोनों सरकारों के अन्य पदाधिकारी इन आयोजनों में पूरी तरह से लिप्त हैं। इन आयोजनों में उनके द्वारा जनता के धन का अपव्यय भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि भारत में शासन का मूलभूत सिध्दांत यह है कि संविधान के अंतर्गत भारतीय राज्य कोई धार्मिक संबद्धता नहीं रख सकता।

लेकिन सत्तारूढ़ शासन समूह द्वारा उपर्युक्त आयोजन में इस मर्यादा का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है।

डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि उपर्युक्त आयोजन के माध्यम से अपने दल के लिये वोट उत्पादन में अति व्यस्त डबल इंजन सरकार जनता के प्रति अपने दायित्वों की पूरी तरह से भूल चुकी हैं। हालात यह हैं कि अभी तक लोग डेंगू से मर रहे थे तो अब सर्दीजनित अस्थमा और ह्रदय रोगों के शिकार बन रहे हैं। सरकारी अस्पताल  चिकित्सकों, विशेषज्ञों, उपकरणों और उसके तकनीशियनों की कमी से जूझ रहे हैं तो निजी अस्पतालों में इलाज बेहद महंगा बन चुका है। कानून-व्यवस्था ध्वस्त पड़ी है और महंगाई बेरोजगारी और भ्रष्टाचार ने लोगों का कचूमर निकाल रखा है। सरकार को चाहिये कि पहले वो राजधर्म निभाये और सुशासन से वोटों की उम्मीद लगाए।

डा॰ गिरीश, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य

 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

 

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शनिवार, 22 जुलाई 2023

 

प्रेस नोट

लखनऊ- 22 जुलाई 2023,  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य तथा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के प्रभारी डा॰ गिरीश ने इन राज्यों में भाकपा की चुनावी तैयारियों के संबन्ध में निम्न प्रेस नोट जारी किया है।

भाजपा को हराने तथा विधान सभाओं और लोक सभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व पहुंचाने के लक्ष्य के साथ चुनावी तैयारियों में जुटी भाकपा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( CPI ) की राष्ट्रीय परिषद ने शीघ्र होने वाले पाँच राज्यों के विधान सभा और अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटने का फैसला लिया है।

हाल ही में ( 14 से 16 जुलाई ) नई दिल्ली में संपन्न  पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में 2023 में होने वाले पाँच राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलांगाना एवं मिज़ोरम विधान सभाओं तथा 2024 में होने वाले लोक सभा चुनावों में भाजपा को हराने तथा विधान सभाओं और लोक सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रतिनिधित्व हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

इस संबन्ध में जानकारी देते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डा॰ गिरीश ने बताया कि राष्ट्रीय परिषद ने सभी राज्य इकाइयों को निर्देश दिया है कि वे अपनी चुनावी तैयारियों को तेज करें और चुनाव क्षेत्रों और प्रत्याशियों की सूची तैयार करें। उन्हें चुनावी मशीनरी तैयार करने और फंड एकत्रित करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।

डा॰ गिरीश जो कि केन्द्र की ओर से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के प्रभारी हैं, ने बताया कि तीनों ही राज्यों में भाकपा पहले ही इलैक्शन मोड में आ चुकी है। उत्तर प्रदेश में भाकपा मुद्दों पर आंदोलनों के अतिरिक्त क्षेत्रीय कार्यकर्ता बैठकें आयोजित कर रही है और 12 अगस्त को चित्रकूट में विशाल रैली का आयोजन किया जा रहा है। वहीं 12 एवं 13 अगस्त को होने जा रही राज्य काउंसिल की दो दिवसीय बैठक में सीटों को चिन्हित करने, फंड इकट्ठा करने तथा वामपंथी जनवादी दलों के साथ बने साझा कार्यक्रमों को सफल बनाने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

मध्य पदेश और राजस्थान जहां इसी वर्ष विधान सभा चुनाव होने वाले हैं में लड़ी जाने वाली सीटों को चिन्हित किया जा चुका है और कई जगह प्रत्याशी भी तय किए जा चुके हैं। दोनों ही राज्यों में चुनाव लड़े जाने वाले जिलों में तैयारियों के संबन्ध में जिला काउंसिलों की बैठकें हो रही हैं और फंड एकत्रित करने का आह्वान किया गया है। दोनों ही राज्यों मे कई स्थानों पर क्षेत्रीय रैलियाँ आयोजित  की गईं हैं और वामपंथी जनवादी दलों के साथ बैठकें कर संयुक्त रणनीतियां बनाई गईं हैं। चुनावी तैयारियों को धार देने को शीघ्र ही दोनों राज्यों में राज्य काउंसिल बैठकें आयोजित की जाएंगी।

डा॰ गिरीश, सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी  

 

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शुक्रवार, 29 जुलाई 2022

इन उत्तर प्रदेश के "पार्थों" के खिलाफ कब कार्यवाही होगी? भाकपा


उत्तर प्रदेश में निरंतर सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों पर केंद्र और राज्य सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली

भाकपा ने घोटालों की ज़िम्मेदारी सुनिश्चित कर कड़ी कार्यवाही की मांग की

 

लखनऊ- 29 जुलाई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों से पूछा है कि उत्तर प्रदेश के “पार्थों” के विरूध्द ईडी ( ED ) की कार्यवाही कब होगी? कब उत्तर प्रदेश में सरकार और प्रशासन में बैठे और नित नये घोटालों के लिये जिम्मेदारों संपत्तियों पर बुलडोजर चलेगा?

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा सचिव मंडल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न विभागों में तबादलों, नियुक्तियों, सरकारी खरीद और निर्माण कार्यों में गंभीर भ्रष्टाचार और धांधली की खबरें निरंतर सार्वजनिक हो रही हैं। प्रधानमंत्री जी द्वारा हाल ही में उद्घाटित बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस-वे में तो पहली बरसात में ही अनेकों खाइयां पैदा हो गयीं। लेकिन इन सारे मामलों पर केन्द्र और प्रदेश की सरकारें चुप्पी साधे बैठीं हैं। इनके जिम्मेदारों पर न तो ईडी की कार्यवाही हुयी न ही इनके विरूध्द कहीं बुलडोजर गरजते दिखा।

इतना ही नहीं अब फसल बीमा करने वाली कंपनियों द्वारा किसानों की लूट का भी पर्दाफाश हो चुका है। किसानों को मुफ्त बिजली देने के वायदे से मुकर चुकी सरकार अब उन्हें बरवाद करने को विद्युत मीटर लगा रही है। हैरान करने वाली बात है कि बहु-प्रचारित सीएम पोर्टल तक से शिकायतें गायब कर दी जाती हैं। भाजपा में अनेक लोग ऐसे शामिल हो गये जिन्होने सपा एवं बसपा सरकारों में रहते भ्रष्टाचार के जरिये अवैध और अकूत संपत्तियों का पहाड़ खड़ा कर लिया। इन सब मामलों पर भाजपा सरकारों की चुप्पी परेशान करने वाली है। चन्द माफियाओं को छोड़ उत्तर प्रदेश में ईडी और बुलडोजर या तो विपक्षियों पर हमलावर हैं या फिर आम लोगों पर।

भाकपा ने कहा कि भ्रष्टाचार और घोटालों के ये मामले उजागर हो चुके हैं, कोई दबे- छिपे  नहीं हैं। अतएव भाकपा मांग करती है कि जनहित में भ्रष्टाचार के इन मामलों की न्यायिक जांच कराई जाये और ज़िम्मेदारी सुनिश्चित कर कड़ी कार्यवाही की जाये।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश    

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रविवार, 24 जुलाई 2022

हाथरस: कांबड़ियों की मौत- भाकपा राज्य सचिव ने घटनास्थल का दौरा किया


कांबड़ियों की मौत प्रशासनिक अव्यवस्थाओं का परिणाम: भाकपा

आस्थावानों को उकसा कर उन्हें राम भरोसे छोड़ देती है सरकार

लखनऊ- 24 जुलाई,2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश आज हाथरस जनपद के थाना- सादाबाद अंतर्गत अलीगढ़- आगरा मार्ग पर ग्राम बढ़ार के निकट उस स्थल पर पहुंचे जहां 22/ 23 जुलाई की मध्यरात्रि को एक डंफर ने कांबड़ियों के एक जत्थे को कुचल दिया था। इस दर्दनाक हादसे में ग्वालियर जनपद के पाँच कांबड़ियों ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया था, एक अन्य की अस्पताल में मौत होगयी और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं।

डा॰ गिरीश ने घटनास्थल का गहनता से निरीक्षण किया, मौके पर मौजूद कई प्रत्यक्षदर्शियों से वार्ता की और घटना के बाद की जा रही कथित और खोखली सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लिया। प्रशासन ने यद्यपि घटनास्थल के अधिकांश सबूत हटा दिये हैं लेकिन पसरे पड़े खून के धब्बे और बिखरी पड़ी धार्मिक सामग्री घटना की वीभत्स कहानी आज भी बयां कर रहे हैं।

यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने 6 शिव भक्तों की दर्दनाक मौत पर गहरा दुख जताया और शोक संतप्त उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। भाकपा ने प्रत्येक म्रतक के परिवार को रुपये 50 लाख का मुआबजा दिये जाने तथा गंभीर रूप से घायलों को रुपये 10 लाख दिये जाने की मांग की है। समूचे प्रकरण और अव्यवस्थाओं की उच्चस्तरीय जांच कराने और ज़िम्मेदारी मुकर्रिर कर दंडित किए जाने की मांग की है।

डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि इस घटना से पहले जनपद में प्रशासन ने सुरक्षा संबंधी कोई कदम नहीं उठाये। 15 जुलाई को भी जनपद में हुयी एक दुर्घटना में दो काबड़िए दुर्घटना में घायल हुये थे लेकिन प्रशासन मगरूर बना रहा। कल की दुर्घटना के बाद प्रशासन ने बदहवाशी में जो कथित वैरीकेडिंग कराई और वो उखड़ भी गयी। गांव मीतई पर उखड़ी पड़ी वैरीकेडिंग के फोटो उनके पास हैं, डा॰ गिरीश ने दावा किया है।

डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार और भाजपा राजनैतिक उद्देश्यों से कांबड़ियों को भीड़ बना कर निकल पड़ने को उकसाती है। वह दलित पिछड़े और अन्य बेरोजगार युवाओं को अपनी वोट की राजनीति का ईंधन बनाती है। उन पर हेलिकॉप्टरों से फूल वर्षा कराती है और तमाम सुरक्षा व्यवस्थाएं करने के दाबे करती है। लेकिन सुरक्षा व्यवस्थाएं की नहीं जातीं। फलतः हर वर्ष दर्जनों कांबड़िए जान से हाथ धो बैठते हैं और दुर्घटनाओं की प्रतिक्रिया में वाहन और अन्य संपत्तियों को नष्ट कर दिया जाता है। एक एक शिव भक्त दसियों हजार खर्च कर बैठता है और व्यापारी उनसे खूब लाभ उठाते हैं।

आज ही अखबारों में प्रकाशित यह खबर झकझोरने वाली है कि मुख्यमंत्री जी के आदेश पर मेरठ और सहारनपुर मंडल में कांबड़ियों पर हेलीकोप्टर्स से फूल वर्षा की जायेगी। प्रदेश में लगभग दर्जन भर कांबड़ियों की मौत के बावजूद ये जश्न उस सरकार के लिए शर्म की बात है, जो हिंदूवादी होने का दावा करती है। भाकपा दुख की इस घड़ी में पुष्पवर्षा के इस जश्न को तत्काल रद्द करने की मांग करती है।

भाकपा ने कहा कि अधिकतर दुर्घटनाएँ रात्रि में घटित होती हैं, अतएव रात में या तो कांबड़ यात्रा बंद रखी जाये या फिर वाहन चालन रोका जाये। सबसे महत्वपूर्ण है कि शासक दल को अपने निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिये शिव भक्तों की आस्था के दोहन से बाज आना चाहिए। प्रबुध्द लोग अच्छी तरह जानते हैं कि शासक वर्ग इन आस्थापर्वों को उत्साहित कर महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार और अराजकता जैसे मुद्दों से आमजनों का ध्यान बँटाना चाहते हैं।

इस विजिट में डा॰ गिरीश के साथ का॰ नाहर सिंह, हिमांशु एवं मोहम्मद नासिर साथ थे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश    

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बुधवार, 6 जुलाई 2022

केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार की जनता को कुचलने वाली नीतियों को उजागर करेंगे वामपंथी और जनवादी दल


वामपंथी एवं जनवादी दलों का राज्य स्तरीय सम्मिलन संपन्न

बुलडोजरवाद, पुलिस उत्पीड़न, वामपंथी कार्यकर्ताओं पर हमले, संविधान और लोकतन्त्र को कुचलने, महंगाई, बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों के प्रति जहरीली आक्रामकता, जाति आधारित गणना, विधायक निधि में अनावश्यक बढ़ोत्तरी  तथा अग्निवीर योजना आदि सवालों पर संयुक्त अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।  

लखनऊ- 6 जुलाई 2022, उत्तर प्रदेश के चार वामपंथी दलों और लगबाग दो दर्जन जनवादी पार्टियों के प्रतिनिधियों का एक राजनीतिक सम्मिलन (Political Meet) आज यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के क़ैसर बाग स्थित राज्य कार्यालय पर संपन्न हुआ। सम्मिलन में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा  माले, फारबर्ड ब्लाक, लोकतान्त्रिक जनतादल एवं दो दर्जन छोटे दलों के प्रतिनिधि शामिल हुये। बैठक की अध्यक्षता भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने की।  

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि देश की भांति ही उत्तर प्रदेश भी आज आजादी के बाद के सबसे गहरे संकट से गुजर रहा है। डबल इंजिन की सरकार की नीतियों और कारगुजारियों ने आम जनता को गहरे संकट में डाल दिया है। अर्थव्यवस्था चरमराई हुयी है। उससे निपटने के नाम पर जनता के ऊपर भारी बोझ लादा जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र को बेच कर, कई कई छद्म टैक्स आरोपित कर, महंगाई बढ़ा कर और युवाओं को बेरोजगार बना कर चंद पूँजीपतियों को मालामाल किया जा रहा है। आम जनता अपार कष्ट भोगने को मजबूर है, और उसका यह आक्रोश छोटी मोटी अनेक असंगठित और स्वतःस्फूर्त कार्यवाहियों में जाहिर हो रहा है। लेकिन यह अभी कोई संगठित रूप नहीं ले पा रहा। जनविरोधी और कारपोरेटपरस्त केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें इस आक्रोश को भांप रही हैं। अतएव हर क्षण आक्रोश को भटकाने और दबाने के षडयंत्रों में जुटी हैं। अपने इन्हीं हथकंडों से वह जनता की आकांक्षाओं को पलीता लगा कर नये नये एजेंडे थोप रही हैं। विपक्षी और वामपंथी कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है।

वक्ताओं ने कहा कि सरकार द्वारा लगातार नियमित नौकरियाँ छीनी जा रही हैं और बेरोजगारी अप्रत्याशित स्तर तक पहुंच गयी है। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार जून महीने में ही बेरोजगारों की कतार में एक करोड़ तीस लाख लोग जुड़ गए। केन्द्र सरकार ने अब अग्निपथ/ अग्निवीर योजना लागू कर सरकार ने देशभक्त और बेरोजगार युवाओं पर बड़ा हमला बोला है। यह देश की सुरक्षा से खिलबाड़ भी है। विरोध करने पर युवाओं के आंदोलन को बुरी तरह कुचला गया है और उन्हें जेलों में डाला गया।

उत्तर प्रदेश सरकार जनता के व्यापक हिस्सों से उठ रही मांगों से भाग रही है। भाजपा ने दलितों और पिछड़ों को जाति- धर्म के नाम पर बरगला कर उनका वोट हासिल कर सरकारें तो बना लीं, पर अब वह उनकी समस्याओं के निदान और सामाजिक न्याय के सवाल से मुंह चुरा रही है। इसीलिए केन्द्र और राज्य सरकारें जाति आधारित जनगणना और गणना कराने में निरंतर टालमटोल कर रही हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में भी बिहार की तर्ज पर जातीय गणना कराने की मांग निरंतर उठ रही है। व्याप्त भारी भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने विधायक निधि को बढ़ा कर 5 करोड़ रुपए कर दिया है। जन कल्याण की योजनाओं के धन में कटौती कर विधायकों को मालामाल बनाया जा रहा है।

महंगाई पहले ही सातवें आसमान पर है और अब जिम्मेदार संस्थाओं ने विकास दर के नीचे जाने और महंगाई को छप्पड़ फाड़ कर आगे जाने की भविष्यवाणियाँ की हैं। डालर के मुक़ाबले रुपए की कीमत निरंतर गिर रही है। सरकार देश की जीडीपी का 83 प्रतिशत कर्ज ले चुकी है और आज आहार नागरिक पर लगभग रुपये 99 का कर्ज चढ़ा है। चंद कार्पोरेट्स घरानों की संपत्तियों में गहरा इजाफा हुआ है जबकि गरीबी के नीचे जीवनयापन करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुयी है। जनता का जीवन संकट में आ गया है और कई किसानों और अन्य लोगों ने धनाभाव से पीड़ित हो स्वयं अथवा परिवारों सहित आत्महत्याएं की हैं। रोजगार देने वाली परंपरागत योजनाओं से मुकरने, मनरेगा को सीमित करने, भर्ती जाम और सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण से बेरोजगारी ने युवाओं और मजदूरों को भुखमरी के गर्त में धकेल दिया है।

सरकारों का पीछा कर रही समस्याओं से ध्यान हटाने को सत्ता की ताकत से चूर संघ परिवार द्वारा नफरत और विभाजन पर आधारित अपनी अल्पसंख्यक विरोधी विचारधारा को सरकारों के जरिये अमल में लाने से आज अल्पसंख्यकों के खिलाफ भारी घ्रणा अभियान चलाया जा रहा है। इसकी कीमत देश प्रदेश की जनता को पर चुकानी पड़ रही है। ज्वलंत समस्याओं से आक्रोशित जनमानस को बुलडोजर चला कर और पुलिस को दमन की खुली छूट दे कर भयाक्रांत किया जा रहा है। महिलाओं दलितों और कमजोर तबकों पर अत्याचार सारी सीमाएं लांघ रहे हैं। वामपंथी और अन्य जनवादी शक्तियों और शख़्सियतों पर पुलिस के हमले तेज हुये हैं। राजनीति से प्रेरित इस तमाम दमनचक्र के बावजूद उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था जर्जरतम स्थिति में है।

इस सम्मिलन में आगे मिल कर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। सबसे पहले जनता के ज्वलंत सवालों पर संयुक्त क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाएँगे। पहला सम्मेलन अगस्त माह में वाराणसी में आयोजित किया जायेगा जिसमें अभियान की आगे की रूपरेखा भी प्रस्तुत की जाएगी।

अभियान के संचालन हेतु एक समन्वय समिति के गठन का निर्णय लिया गया जिसका नाम वामपंथी दलों और जनवादी शक्तियों की समन्वय समिति” रखा गया।

सम्मिलन में चर्चा का शुभारंभ डा॰ गिरीश ने किया। चर्चा में डा॰ हीरा लाल यादव, सुधाकर यादव, उदय राज सिंह, डी के यादव, जुबेर अहमद, पूर्व विधायक इम्तियाज़ अहमद, मधु गर्ग, अरुण सिंह, पूर्व विधायक राम लाल, अरविंद राज स्वरूप, प्रेम नाथ राय, रमेश सेंगर, अशोक मिश्रा आदि ने भाग लिया।

जारी द्वारा

डा॰ गिरीश

 

 

 

 

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शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

CPI on Police atrocities in UP

 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल

22, कैसर बाग, लखनऊ- 226001

दिनांक- 1 जुलाई, 2022

प्रकाशनार्थ-

पुलिस कानून हाथ में लेकर अल्पसंख्यको, दलितों और विपक्षी कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रही है

भाकपा ने निचलौल ( महाराजगंज ) एवं मऊ पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के सचिव मण्डल ने जनपद- महाराज गंज की थाना- निचलौल पुलिस पर कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं एवं अखिल भारतीय नौजवान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष का॰ अमजद शाह को थाने ले जाकर बुरी तरह पीटे जाने, उन्हें थूक कर चटवाने, सभी के परिवारों को संगीन केसों में फंसा देने, जेल भेजने और उनके प्रति सांप्रदायिक भाषा का स्तेमाल करने का आरोप लगाया है। भाकपा ने थानाध्यक्ष का फौरन तबादला कर उसके विरूध्द कानून सम्मत कार्यवाही करने तथा कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों को उक्त तानाशाह थानाध्यक्ष से बचाने की मांग की है।

भाकपा ने गत 20 जून को मऊ कोतवाली पुलिस द्वारा सीपीएम नेता का॰ प्रेमनाथ राय के साथ दुर्व्यवहार के आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग भी की है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं महानिदेशक, उत्तर प्रदेश पुलिस को लिखे पत्र में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा है कि जनपद- महाराज गंज के थाना- निचलौल की पुलिस 29 जून 2022 को भारी संख्या में पुलिस बल के साथ देर शाम ग्राम- जयश्री पहुंची और अखिल भारतीय नौजवान सभा उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महासचिव एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, महाराजगंज के सह सचिव कामरेड अमजद शाह सहित रोहित, समीर एवं अखिलेश भारती को गिरफ्तार कर थाना निचलौल ले आयी।

उन सभी का कथित कसूर यह था कि उन्होने कुछ अन्य नौजवान सभा कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर अखिल भारतीय नौजवान सभा ( AIYF ) के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के अंतर्गत अपने ही गांव जयश्री में शाम 5 बजे विवादास्पद अग्निपथ/ अग्निवीर योजना का पुतला जला कर लोकतान्त्रिक तरीके से विरोध जताया था।

थानाध्यक्ष निचलौल श्री रामाज्ञा सिंह ने थाने ले जाकर उन्हें भद्दी भद्दी गालियां दीं, बुरी तरह पीटा और सभी को लाक अप में बंद कर दिया। उनके मोबायल फोन भी छीन लिए गये।

हद तो तब हो गयी जब अगले दिन 30 जून 2022 को सुबह 8. 00 बजे थानाध्यक्ष रामाज्ञा सिंह ने अमजद शाह, रोहित समीर एवं अखिलेश भारती को लाकर से निकाल कर अपने कार्यालय में ले जाकर नंगा कराके पट्टा और जूतों से बुरी तरह मारा पीटा। इतना ही नहीं थानाध्यक्ष ने अमजद शाह को थूक कर चटवाया और कहा कि साले कटुये पाकिस्तान बनाना चाहते हो, बहुत जल्दी ही तुम गोली से उड़ा दिये जाओगे आदि। इसके बाद उन्हें फिर से लाकर में बन्द कर दिया गया।

इसके दो घंटे बाद सभी को डाक्टरी परीक्षण के नाम पर स्वास्थ्य केन्द्र निचलौल ले जाया गया। अमजद शाह ने डाक्टर को सारी चोटें दिखाईं। मगर पुलिस के दबाव में डाक्टर चोटें दर्ज करने को तैयार नहीं था। मनमाना लिख कर कागजों पर जबर्दस्ती हस्ताक्षर कराने और अंगूठा लगाने की कोशिश की गयी और जब नहीं किया तो पुलिस अमजद शाह के छोटे भाई सद्दाम को पकड़ लायी और उसे भी बुरी तरह मार पीट कर डाक्टरी परीक्षण के कागजातों पर दस्तखत करने और कराने को बाध्य किया गया। समस्त कागजातों पर हस्ताक्षर करा के थानाध्यक्ष ने धमकी दी कि सरकार के खिलाफ जा रहे हो, सारे परिवार का जीवन बरवाद कर देंगे। अगर हमारे खिलाफ कुछ भी बोला- बताया तो सभी के परिवारों को संगीन दफाओं में मुकदमे लगा कर जेल में डाल देंगे।

थानाध्यक्ष निचलौल का एक एक वाक्य और कदम इस बात का परिचायक है कि वह सांप्रदायिक मानसिकता से ओतप्रोत एक तानाशाह रवैये का अधिकारी है जो खुद कानून को तोड़ता है।

उपर्युक्त सभी पेशबंदियाँ कर और सभी को आतंकित कर चारों का शान्ति भंग के आरोप में चालान कर दिया गया, जिन्हें परिवारी जनों ने जमानत पर छुड़ा लिया है। सभी के परिवार पुलिस के भय और किसी अनहोनी की आशंका से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

आपके संज्ञान में यह भी लाना उचित समझता हूं कि गत 20 जून को मऊ जनपद के मऊ कोतवाली की पुलिस मऊ स्टेशन से सीपीएम राज्य सचिव मंडल के सदस्य कामरेड प्रेमनाथ राय को पकड़ ले गयी, उनके चांटा मारा और परिचय देने पर कहा कि कम्युनिस्ट तो देशद्रोही होते हैं। भाकपा और माकपा के स्थानीय नेताओं ने जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया तब प्रेम नाथ राय को छोड़ा गया।

अनेक उदाहरण हैं कि उत्तर प्रदेश में पुलिस राजनीतिक द्रष्टिकोण से काम कर रही है और वह अल्पसंख्यकों, दलितों, उनके पक्ष में आवाज उठाने वाले वामपंथी कार्यकर्ताओं और विपक्षियों को निशाना बना रही है। राजनैतिक कार्यकर्ताओं के साथ थर्ड डिग्री का इस्तेमाल कर खुद कानून हाथ में ले रही है। यह लोकतन्त्र और न्यायप्रणाली के लिये घातक है।

भाकपा राज्य सचिव ने मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक से अनुरोध किया है कि थानाध्यक्ष- निचलौल ( महाराजगंज ) का वहाँ से तत्काल स्थानांतरण कर उनके विरूध्द कानून सम्मत कार्यवाही की जाये। कामरेड अमजद शाह और अन्य पर दर्ज किया गया मुकदमा रद्द किए जाये, और उनके परिवारों की थानाध्यक्ष निचलौल से सुरक्षा की जाये। साथ ही साथी प्रेमनाथ राय से दुर्व्यवहार करने वाले मऊ कोतवाली के दोषी पुलिसकर्मियों को भी दंडित किया जाये।

मानवाधिकारों की सुरक्षा, राजनैतिक कार्यकर्ताओं के सम्मान और जान की रक्षा, लोकतन्त्र और न्यायप्रणाली के प्रति विश्वास के लिये यह अति आवश्यक है, भाकपा राज्य सचिव ने पत्र में लिखा है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

9412173664, 7055893132

 

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रविवार, 26 जून 2022

लोकसभा उपचुनाव परिणामों पर भाकपा की प्रतिक्रिया


वैचारिक संघर्ष और मुद्दों पर आंदोलन खड़ा करके ही भाजपा को परास्त किया जा सकता है; विचारधारा-विहीन लफ्फाजी और जातियों के गठजोड़ से नहीं

लखनऊ- 26 जून 2022, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के सचिव मंडल ने कहा कि भाजपा को निरन्तर वैचारिक संघर्ष और उठ रहे जन मुद्दों पर व्यापक आंदोलन खड़े करके ही परास्त किया जा सकता है। विचारधार-विहीन लफ़्फ़ाज़ी, जातियों- उपजातियों के गठजोड़ और संकीर्ण दलीय स्वार्थों को लेकर चलने वाले दल और व्यक्ति, महाशक्ति बन चुकी भाजपा को परास्त नहीं कर सकते।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा कि सत्ता, प्रशासन के भय, धनबल, विभाजनकारी नीतियों और बिके हुये मीडिया की एकतरफा भूमिका के बावजूद इन चुनावों में भाजपा की हार के लिए पर्याप्त कारण मौजूद थे। आकाश छूती महंगाई, बेरोजगारी, नित रोज सामने आरहे घोटाले, अर्थव्यवस्था की दयनीय दशा, सार्वजनिक क्षेत्र का बेचा जाना, अग्निपथ जैसी योजनाएँ लाकर नौजवानों से छलावा और उनका दमन, विकास और गरीबी के मानकों में उत्तर प्रदेश का पिछड़ते जाना, बलात्कार हत्या लूट जैसे अपराधों की बाढ़, अल्पसंख्यकों दलितों कमजोरों का उत्पीड़न, ऊपर से दमनकारी बुलडोजरवाद और पुलिसराज जैसे तमाम मुद्दे थे जिन पर भाजपा और उसकी सरकार को घेरा जा सकता था। लेकिन विपक्ष की क्षेत्रीय पार्टियां इन मुद्दों को उभारने में असफल रहीं और जातीय जोड़ तोड़ और विचारधारा-विहीन लफ्फाजी पर ही आश्रित रहीं।

भाकपा ने कहा कि विधान सभा एवं विधान परिषद के चुनावों में भाजपा के हाथों करारी हार के बावजूद विपक्षी नेत्रत्व ने उपचुनावों में समस्त भाजपा विरोधी ताकतों को एकजुट नहीं किया, वामपंथी दलों से संपर्क तो दूर उनके बारे में नकारात्मक टिप्पणियाँ की गयीं, आजमगढ़ जैसी जगह जहां भाकपा का परंपरागत आधार है, उसकी उपेक्षा की गयी और भाजपा की ताकत के मुक़ाबले एक सक्षम और समानान्तर ताकत खड़ी करने की कोशिश दूर दूर तक नहीं की गयी। अतएव नतीजा सामने है। इन नतीजों ने भाजपा के दुस्साहस को और बढ़ा दिया है और अब वह और अधिक निर्ममता एवं निर्भयता से दमन और आतंक चलायेगी।

अतएव भाकपा दोहराती है कि भाजपा और संघ की कट्टर हिंदुत्ववादी और कारपोरेटपरस्त नीतियों और उनके लागू किये जाने से पैदा हो रहे मुद्दों पर वैचारिक अभियान और आंदोलन खड़ा करने की आवश्यकता है। वामपंथी दल इसके लिये प्रतिबध्द हैं और शीघ्र ही एक ठोस कार्ययोजना आम जनता के समक्ष रखी जायेगी।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश    

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शुक्रवार, 17 जून 2022

देश के सुरक्षा सरोकारों से खिलवाड़ है 'अग्निपथ' योजना


अग्निपथ योजना को फौरन रद्द किया जाये, रिक्तियों को मौजूदा प्रक्रिया से तत्काल भरा जाये: भाकपा

लखनऊ- 17 जून 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने सेना को छोटी और युवा बनाने के नाम पर अग्निपथ नाम की नयी योजना को लागू करने के कदम को सिरे से खारिज कर दिया है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में कहा गया है कि भाकपा महसूस करती है कि सैनिकों की मौजूदा सेवा शर्तों और अनुशासन में किया जाने वाला कोई भी बदलाव देश की सुरक्षा और संप्रभुता को हानि पहुंचाएगा। सरकारी राजस्व के व्यय से संपूर्ण प्रशिक्षण पाने के बाद संविदा पर नियुक्ति एवं अल्पकालिक रोजगार न केवल सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा, अपितु प्रशिक्षित युवाओं के भविष्य को भी हानि पहुंचायेगा। 4 साल बाद वापस आने के बाद उन्हे उपयुक्त रोजगार पाना कठिन ही नहीं असंभव हो जाएगा।

भाकपा ने अग्निपथ को लेकर युवाओं के आक्रोश को स्वाभाविक बताते हुये उनकी मांगों को सामयिक और न्यायोचित बताया है। पार्टी ने लोकतान्त्रिक ढंग से आवाज उठाने की सलाह युवाओं को दी है।

भाकपा ने सरकार को सुरक्षा बलों में भर्ती अथवा पदोन्नति के मौजूदा ढांचे में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करने की चेतावनी दी है।

भाकपा मांग करती है कि अग्निपथ योजना को तत्काल रद्द किया जाये और मौजूदा रिक्तियों को मौजूद प्रक्रिया से ही फौरन भरा जाये।

डा॰गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 13 जून 2022

उत्तर प्रदेश सरकार की कारगुजारियों पर भाकपा ने उठाए सवाल


अवैध ध्वस्तीकरण रोको; उकसाबेबाजों को दंडित करो

लखनऊ- 13 जून 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मण्डल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भय, विभाजन और राजनैतिक पूंजी बढ़ाने के उद्देश्य से लोगों के आवासों पर चलाया बुलडोजर अवाम के रहने, जीने के अधिकार और गरिमा पर बर्बर हमला तो है ही, यह पूरी तरह गैर कानूनी, असंवैधानिक और न्याय के सिध्दांत का ध्वस्तीकरण है। मध्यकालीन बर्बरता को बहुत पीछे छोड़ चुकी इन कार्यवाहियों को उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल रोकना चाहिये। वरना पुनः जंगल का कानून लौटते देर नहीं लगेगी।

यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवा निव्रत्त न्यायाधीश श्री गोविन्द माथुर की इस गंभीर टिप्पणी के बाद कि “यह पूरी तरह गैर कानूनी है, भले ही एक पल के लिये ही यह मान लें कि निर्माण अवैध था, करोड़ो भारतीय भी ऐसे ही रहते हैं। यह अनुमति नहीं है कि आप रविवार को एक घर को ध्वस्त कर दें, जबकि उसका निवासी हिरासत में हो। यह कोई तकनीकी मुद्दा नहीं है। कानून के शासन का सवाल है।“ यह तय होगया कि सबकुछ मनमाने ढंग से चल रहा है। इसका न्यायिक प्रतिकार होना चाहिये भाकपा ने कहा है।

शुक्रवार को हुयी पत्थरबाजी की घटनायें कदापि उचित नहीं कही जा सकतीं और हर जिम्मेदार दल और व्यक्ति ने उसकी आलोचना की है। लेकिन भाजपा, आरएसएस, केन्द्र व राज्य सरकार तथा मीडिया के बड़े हिस्सों द्वारा निरंतर की जा रहीं उकसाबे की कार्यवाहियाँ क्या इन घटनाओं के लिये जिम्मेदार नहीं हैं? क्या इन उकसाबेबाजों को पहले ही दंडित नहीं किया जाना चाहिये था? यदि उनको कानून के तहत कठघरे में खड़ा किया गया होता तो बहुत संभव है, ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनायें होती ही नहीं। फिर पत्थरबाजी की घटनायें निरंतर मानसिक प्रताड़ना से उद्वेलित लोगों द्वारा किन्ही निहित राजनैतिक स्वार्थों के भड़काने पर की गयी प्रतीत होती हैं, लेकिन यह अवैध ध्वस्तीकरण तो उन हस्तियों द्वारा किया और कराया जा रहा है जो संवैधानिक पदों पर आसीन है।

भाकपा ने पुरजोर शब्दों में मांग की कि अवैध ध्वस्तीकरण की इन कारगुजारियों को तत्काल रोका जाये, पत्थरबाजी की घटनाओं की गहराई से जांच करा के उसके प्रेरकों को दंडित किया जाये, मुस्लिम समुदाय को मानसिक प्रतारणा देने वाली कार्यवाहियाँ तत्काल रोकी जायें उकसाबेबाजों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाये, ध्वस्त की गई संपत्तियों का मुआबजा दिया जाये। भाकपा अपेक्षा करती है कि उच्च और सर्वोच्च न्यायालय समूचे हालातों का स्वतः संज्ञान लेकर विधि के शासन और न्यायिक प्रणाली के प्रति विश्वास की रक्षा करेंगे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश   

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शुक्रवार, 10 जून 2022

वामपंथी दलों की विस्तारित बैठक 6 जुलाई को भाकपा कार्यालय लखनऊ में


जातीय जनगणना, अल्पसंख्यकों के प्रति घ्रणा अभियान, विधायक निधि में बढ़ोत्तरी, महंगाई और बेरोजगारी, बुलडोजरवाद और पुलिसराज के विरूध्द उत्तर प्रदेश में अभियान चलाने की रूपरेखा बनाने में जुटे वामपंथी दल

लखनऊ- 10 जून 2022, जातिगत जन गणना से उत्तर प्रदेश सरकार के मुकरने, पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी विधायक निधि को बढ़ा कर रु॰ 5 करोड़ कर दिये जाने, सारी सीमायें लांघ रही महंगाई और बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों के प्रति केन्द्र, उत्तर प्रदेश सरकारों और संघकुल  द्वारा चलाये जा रहे घ्रणा अभियान, बुलडोजरवाद और पुलिसराज के चक्र तले रौंदे जा रहे अवाम की पीड़ा जैसे सवालो पर उत्तर प्रदेश में वामपंथी दल बड़ी कार्यवाहियों की ओर बढ़ने की योजना पर काम कर रहे हैं।

इस संबंध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी एवं भाकपा- माले के राज्य सचिवों ने आज लखनऊ में बैठक कर प्राथमिक चर्चा की।

बैठक में निर्णय लिया गया कि उपर्युक्त के संबन्ध में विस्तारित चर्चा हेतु वामपंथी दलों का शीर्ष नेत्रत्व एक और विस्तारित बैठक आयोजित करेगा। यह बैठक आगामी 6 जुलाई को पूर्वान्ह 10: 30 बजे भाकपा के राज्य कार्यालय, 22 कैसरबाग, लखनऊ में आयोजित की जायेगी। बैठक में वामदलों के राज्य सचिव मंडलों के साथीगण शिरकत करेंगे। वामपंथ की सहयोगी कई अन्य पार्टियों की ओर से उनके दो प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जा रहा है।

बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव एवं भाकपा माले के राज्य सचिव का॰ सुधाकर यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने दलितों और पिछड़ों को जाति- धर्म के नाम पर बरगला कर उनका वोट हासिल कर सरकारें तो बना लीं, पर अब वह उनकी समस्याओं के निदान और सामाजिक न्याय के सवाल से भाग रही है। इसीलिए केन्द्र और राज्य सरकारें जाति आधारित जनगणना और गणना कराने में निरंतर टालमटोल कर रही हैं। जनता की आलोचनाओं के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने विधायक निधि को बढ़ा कर 5 करोड़ कर उनकी सात पीढ़ियों के विलासितापूर्ण जीवन का इंतज़ाम कर दिया है। लोकसभा के उपचुनावों और राष्ट्रपति चुनाव से पहले यह कार्यवाही चुनावी लाभ की भावना से प्रेरित है।

वामपंथी नेताओं ने कहा कि महंगाई पहले ही सातवें आसमान पर है और अब जिम्मेदार संस्थाओं ने विकास दर के नीचे जाने और महंगाई को छप्पड़ फाड़ कर आगे जाने की भविष्यवाणियाँ की हैं। इससे जनता का जीवन संकट में आ गया है और कई लोगों ने धनाभाव से पीढ़ित हो स्वयं अथवा परिवारों सहित आत्महत्याएं की हैं। वामपंथ निरंतर इस सवाल पर संघर्षरत है और उसने 25 से 31 मई तक व्यापक जन आंदोलन चलाया है। लेकिन अब इस सवाल को और शिद्दत से आगे बढ़ाया जायेगा। रोजगार देने वाली परंपरागत योजनाओं से मुकरने, मनरेगा को सीमित करने, भर्ती जाम और सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण से बेरोजगारी ने युवाओं और मजदूरों को भुखमरी के गर्त में धकेल दिया है, अतएव संघर्ष का यह एक अहम मुद्दा होगा।

सरकारों का पीछा कर रही समस्याओं से ध्यान हटाने को सत्ता की ताकत से चूर संघकुल द्वारा अपनी अल्पसंख्यक विरोधी विचारधारा को सरकारों के जरिये अमल में लाने से आज अल्पसंख्यकों के खिलाफ भारी घ्रणा अभियान चलाया जा रहा है जिसकी कीमत देश को विश्व स्तर पर चुकानी पड़ी है। ज्वलंत समस्याओं से आक्रोशित जनमानस को बुलडोजर चला कर और पुलिस को दमन की खुली छूट दे कर भयाक्रांत किया जा रहा है। राजनीति से प्रेरित इस दमनचक्र के बावजूद उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था जर्जरतम स्थिति में है।

6 जुलाई को होने जा रहे वाम- समागम में इन सवालों पर गंभीरता से विचार कर आगे की कार्ययोजना तैयार की जायेगी, वाम नेताओं ने कहा है।

जारी द्वारा-

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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रविवार, 5 जून 2022

बुलडोजरवाद पुलिसराज के तले कराह रहा है उत्तर प्रदेश


हापुड़ में फैक्ट्री मजदूरों की दर्दनाक मौत पर भाकपा ने गहरी वेदना प्रकट की

भाकपा की मेरठ मंडल की इकाइयों को आवश्यक कदम उठाने और 8 जून को

ज्ञापन दिये जाने का निर्देश दिया

लखनऊ- 5 जून 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने जनपद- हापुड़ के धौलाना में एक फैक्ट्री में हुये हादसे में अब तक हुयी 13 मजदूरों की दर्दनाक मौत पर गहरी वेदना व्यक्त की। घायलों के प्रति गहरी सहानुभूति जताते हुये उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की तथा आशा जतायी कि लापता मजदूर शीघ्र अपने परिवारों को वापस मिल जायेंगे। घायलों के संपूर्ण और समुचित इलाज की मांग करते हुये प्रत्येक म्रतक परिवार को रुपये 50 लाख की  आर्थिक सहायता तथा घायलों को इलाज और आजीविका खर्च अलग से दिये जाने की मांग की।

भाकपा ने घटना की उच्च स्तरीय जांच कराये जाने और उत्तर प्रदेश के उद्योगों में मजदूर वर्ग के शोषण उनके उत्पीड़न और उनकी असुरक्षा जैसे सवालों पर न्यायिक आयोग बैठाये जाने की मांग की।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि उत्तर प्रदेश का कथित विकास का माडल मजदूर वर्ग की यातनाओं, शोषण और उनकी जान की नींव पर खड़ा है। श्रम क़ानूनों को चार लेबर कोड्स में बदले जाने के बाद से तो मजदूरों की हालत कीड़े मकोड़ों जैसी हो गयी है। उन्हें बेहद कम वेतन, ठेके या दैनिक मजदूरी पर हर तरह से असुरक्षित और अमानवीय वातावरण में काम करना होता है। बिजली के खंभों में करेंट आ जाने, बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर लाइनों में काम करने, सड़कों और पुलों के जोखिमपूर्ण कामों में बिना सुरक्षा इंतज़ामों के लगाने और भाजपा की इंस्पेक्टर राज समाप्त करने की सनक के चलते हर रोज मजदूर जान से हाथ धो रहे हैं और सरकार की अनदेखी उनके परिवारों को असुरक्षित भविष्य की अन्धी गली में धकेल रही है।

वैसे भी बुलडोजरवाद और पुलिसराज के तहत कशमशा रहे उत्तर प्रदेश का हर दिन बेहद पीड़ादायक होता है। आज की ही खास खबरों पर नजर डालें तो मथुरा जनपद के गाँव नवादा में भाजपा नेता की फैक्ट्री में चौकीदार को चारपाई से बांध ट्रेक्टर चड़ा कर उसकी न्रशंस हत्या कर दी गयी। इसी जनपद के विद्यापति नगर थाने के मऊ बाज़ार में गरीबी और आर्थिक तंगी से आजिज़ आकर मनोज झा ने बूढ़ी माँ और परिवार के 5 सदस्यों सहित आत्महत्या कर ली। बदायूं में थर्ड डिग्री देकर पुलिसकर्मियों ने एक युवक को मरणासन्न हालत में पहुंचा दिया तो जनपद जौनपुर में होमगार्ड को पीट पीट कर मार डाला गया। कहीं ट्यूशन टीचर के पति ने छात्रा से मुंह काला किया तो कहीं बलात्कार पीड़िता ने न्याय न मिलने पर फांसी पर लटका लिया। हत्या लूट अपहरण और बलात्कार तो यहां रामराज्य के आभूषण बन चुके हैं।

पर यह खबरें कानपुर की पत्थरबाजी और ज्ञानवापी की नक्काशी की तरह भक्तों को उद्वेलित नहीं करतीं। नहीं साधुवेशधारी श्रीमानों का खून खौलता है। गरीबों के हितैषी होने का करोड़ों रुपये वाला विज्ञापन चलवाने वाले पीएम और सीएम के कार्यालयों के अफसर उनके नाम से घड़ियाली आँसू बहाने वाला ट्वीटर जारी कर कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। ऐसे में गरीबों को न्याय की उम्मीद कैसे की जाये। प्रदेश के ऐसे हालातों पर जितना अफसोस जताया जाये कम है।

भाकपा पुनः मांग करती है कि हापुड़ के मजदूरों को न्याय दिलाने को हर संभव और पारदर्शी कदम उठाये जायें। जांच के दायरे में श्रम/ उद्योग विभागों और प्रशासन की ज़िम्मेदारी को शामिल किया जाये। भाकपा ने अपनी मेरठ मंडल की इकाइयों को आवश्यक कदम उठाने और इस संबंध में 8 जून को मंडल भर में ज्ञापन दिये जाने के निर्देश दिये हैं।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश   

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शुक्रवार, 3 जून 2022

कानपुर में शान्ति स्थापित की जाये : भाकपा


कानपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटनायें सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा निर्मित घ्रणा और उन्माद के वातावरण की देन

प्रशासन ही नहीं शासन की भी है ज़िम्मेदारी, कड़ी कार्यवाही हो: भाकपा  

एकतरफा नहीं, तटस्थभाव से जांच कर हो सर्व- स्वीकार्य कार्यवाही

भाजपायी नुस्खों से सुशासन चलता तो कश्मीर आज भी क्यों दहक रहा होता 

लखनऊ- 3 जून 2022, भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा के आपत्तिजनक बयान के विरोध में पूर्व घोषणा के अनुसार बाजार बन्द करा रहे लोगों से बजरंग दल और विहिप के नेताओं के साथ आयी भीड़ से हुये टकराव के परिणामस्वरूप कानपुर में भड़की हिंसा उस घ्रणा और उन्मादी वातावरण की देन है जिसे सरकार, भाजपा और उसके पाले- पोसे तत्व हवा दे रहे हैं। यह प्रशासन की ही नहीं सरकार की भी असफलता है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दोनों को कटघरे में खड़ा करती है।

आज कानपुर में हुये उपद्रव पर अपनी प्रतिक्रिया जताते हुये भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि जिस जनपद में शासक वर्ग की क्रीम- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल मौजूद हों और पूरे मंडल को हाई एलर्ट पर रखा गया हो वहीं इस तरह की विस्फोटक घटनायें प्रदेश की कानून व्यवस्था और आम आदमी की सुरक्षा पर गहरे प्रश्न खड़े करती हैं। क्या महामहिम राष्ट्रपति जी अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करते हुये प्रधानमंत्री जी को राज्य सरकार को दंडित करने का निर्देश देंगे, भाकपा ने सवाल उठाया है। आज ही लखनऊ में हुये पूंजीपतिवर्ग के मेले में मुख्यमंत्री की तारीफ में कसीदे पढ़ने वाले प्रधानमंत्री जी से क्या हम यह न्यायोचित उम्मीद करें?

भाकपा ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल और उनके बहुरूपी समर्थक महंगाई, बेरोजगारी और अन्य ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटाने को सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने को हर हथकंडा अपना रहे हैं। समाज के एक हिस्से के प्रति घ्रणा और हिंसक अभियान चला कर सत्तारूढ़ समूह 1989- 1992 जैसा विषाक्त वातावरण बनाने में जुटे हैं। बाबरी विध्वंस इसी वातावरण की देन था। ऐसे वातावरण में प्रदेश में निवेश आयेगा क्या? जैसा कि सत्ता प्रतिष्ठान दाबे कर रहा है।

कानपुर के भाजपा विधायकगण आज भी शांति की बात करने के बजाए एक पक्ष पर ज़िम्मेदारी डाल कर एकतरफा कार्यवाही के संकेत दे रहे हैं। बुलडोजर चलाने और संपत्तियां जब्त करने की धमकियाँ दे रहे हैं। हमारा सवाल है कि तनाव की जड़ नूपुर शर्मा के खिलाफ कार्यवाही होगी क्या? भीड़ बना कर बाज़ार खुलवाने आए बजरंगियों पर कार्यवाही होगी क्या? अगर गरीबों पर बुलडोजर चलाने भर  से शान्ति स्थापित होती तो यह वारदात होती ही क्यों? भाजपायी नुस्खों से सुशासन चलता तो कश्मीर आज भी क्यों सुलग रहा होता? ये ज्वलंत सवाल हैं जिन पर सत्ता प्रतिष्ठान को गंभीरता से विचार करना होगा।

भाकपा ने कहा विस्फोटक वातावरण बनाया जायेगा तो विस्फोट होगा ही। अतएव भाजपा घ्रणा और उन्माद फैलाना बन्द करे। तटस्थ भाव से घटनाओं की छानबीन कर समदर्शी भाव से समस्त दोषियों के विरूध्द कार्यवाही करे। प्रशासन ही नहीं शासन की भी ज़िम्मेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिये। बड़बोलापन नहीं, सर्वस्वीकार्य एक्शन होना चाहिये। यही प्रदेश के हित में होगा और यही देश के भी।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश   

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गुरुवार, 2 जून 2022

जातीय गणना के प्रश्न पर वामदलों ने उत्तर प्रदेश सरकार को घेरा


बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी जाति आधारित गणना करायी जाये: वामदल 

प्रकरण पर सर्वदलीय बैठक शीघ्र बुलाये जाने की मुख्यमंत्री से मांग की

लखनऊ- 2 जून 2022, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने मांग की कि बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी जाति आधारित गणना करायी जाये, और इस पर विचार करने के लिये राज्य सरकार वामदलों सहित सभी राजनैतिक दलों की बैठक शीघ्रातिशीघ्र आहूत करे।

यहां जारी एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी, भाकपा- माले एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के राज्य नेत्रत्व ने कहा कि समाज के सभी हिस्सों की समान प्रगति सुनिश्चित करने के लिये उनके बारे में सभी तथ्य जुटाया जाना आवश्यक है, अतएव हम जातीय गणना कराना चाहते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर भी हम जाति आधारित जनगणना ( Census ) की मांग करते चले आ रहे हैं मगर भाजपा की केन्द्र सरकार टालमटोल का रवैया अपनाती रही है। अब भाजपा समर्थित बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना ( Enumeration ) कराने का निर्णय सर्वदलीय बैठक में लिया है तो उत्तर प्रदेश के वंचित समूहों में भी अपने बारे में सही और तथ्यपूर्ण आंकड़ों की इच्छा जागी है। सामाजिक न्याय के हित में यह अति आवश्यक भी है।

अतएव हम उत्तर प्रदेश में भी जाति आधारित गणना कराये जाने की मांग करते हैं, भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरा लाल यादव, भाकपा माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव और फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाहा ने संयुक्त बयान में कहा है। उन्होने उम्मीद जतायी कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस विषय पर विचारार्थ शीघ्र सर्वदलीय बैठक आहूत करेंगे।

जारी द्वारा-

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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