मुख्यमंत्री को लिखे गये एक पत्र में डॉ. गिरीश ने कहा है कि वाराणसी नगर के पाण्डेयपुर चैराहे पर मुंशी प्रेमचन्द्र की प्रतिमा इसलिए लगवायी गयी थी कि वाराणसी नगर से मुंशी प्रेमचन्द्र का गहरा रिश्ता है और उसी चैराहे से होकर वे अपने गांव लमही आया जाया करते थे। अब वहां बनाये जा रहे फ्लाई ओवर के नीचे उनकी प्रतिमा आ रही है। ऐसे महापुरूष की प्रतिमा को सम्मान के साथ बनारस के ही किसी पार्क में स्थापित करने के बजाय वाराणसी जिला प्रशासन, सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं नगर निगम ने इसे हटाकर लमही भेज देने का फैसला लिया है।
बनारस प्रशासन के इस फैसले से तमाम लेखकों, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों एंव संवेदनशील नागरिकों को भारी पीड़ा पहुंची है और वे उद्वेलित हैं। विद्धत समाज चाहता है कि महापुरुषों की प्रतिमाओं को स्थानान्तरित करने सम्बन्धी शासनादेश को ध्यान में रखकर वाराणसी महानगर के ही किसी पार्क में उनकी प्रतिमा को सम्मान पूर्वक स्थापित किया जाये। ज्ञात हो कि वाराणसी में ऐसे कई पार्क हैं जहां उनकी प्रतिमा स्थापित की जा सकती है। राम कटोरा पार्क में भी यह प्रतिमा स्थापित की जा सकती है जहां कि श्री प्रेमचन्द्र की मृत्यु हुई थी।
भाकपा प्रदेश सचिव ने मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह किया है कि वह राज्य सरकार की घोषणा के अनुसार लमही में प्रस्तावित प्रेमचन्द्र शोध संस्थान के लिय 3 एकड़ जमीन शीघ्र उपलब्ध करायें ताकि उसका निर्मार्ण शीघ्र पूरा हो सके। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने इसके निर्माण के निये नोडल एजेन्सी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को 2 एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं करा पायी। जो 1.97 एकड़ जमीन अब तक अधिग्रहीत की गयी है उसको भी आज तक हस्तान्तरित नहीं किया गया है।
डाॅ. गिरीश ने मुख्यमंत्री जी को स्मरण दिलाया है कि उन्हें उन महापुरूषों की मूर्तियों की स्थापना से बेहद लगाव है जो शोषित पीड़ित जनता के उत्थान के प्रतीक रहे हैं। मुंशी प्रेमचन्द्र ने भी अपने उपन्यासों एवं कहानियों में दलितों, वंचितों, शोषित-पीड़ितों के सरोकारों को न केवल चित्रित किया बल्कि अपनी लेखनी के माध्यम से उनकी जीवन दशा सुधारने को लगातर आवाज उठायी। ऐसे महापुरुष प्रेमचन्द्र शोध-संस्थान के निर्माण हेतु जमीन उपलब्ध कराने तथा तमाम संवदेनशील लोगों की भावनाओं को आहत करने वाले बनारस प्रशासन के कदम को खारिज करने की मुख्यमंत्री जी शीघ्र ठोस कदम उठाएंगी, भाकपा प्रदेश सचिव ने ऐसी आशा व्यक्त की है।
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