(एकध्रुवीय) विकास की चर्चा हो रही है। राष्ट्र संघ ने भी इसके लिए एक कमेटी बनायी है। भारत में भी ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजनाय मेें गरीबों की मदद के लिए कुछ कार्यक्रम बने हैं लेकिन अगर इसका कार्यान्वयन सिर्फ अधिकारियों पर छोड़ दिया गया तो यह भी असफल हो जायगा। इसलिए मेरा ख्याल है कि खेत मजदूर यूनियन (किसान सभा को भी) की कार्यप्रणाली में ऐसा प्रबन्ध करना चाहिए कि वे सार्वजनिक विकास के कार्यान्वन में हिस्सा लें। इसके लिए ख्ेात मजदूर यूनियन को गांव-गांव में औद्योगिक मजदूर यूनियनों की तरह दफ्तर खोलकर नित्य काम करना होगा। मैं ऐसे कुछ सरकारी कार्यक्रमों की चर्चा नीचे कर रहा हूं।
इसके पहले पूर्वी योरप में कम्युनिस्ट शासन को उखाड़ फेंकने वाले आन्दोलन के नेता और अब चेक राष्ट्रपति श्री वेकलन पामेल के विचार की चर्चा करता हूं जो उन्होंने अमरीकी अखबार न्यूज वीक (गत 7 सितम्बर) के संवाददाता के इस प्रश्न का उत्तर दिया कि क्यों पूवीं यूरोप फिर कम्युनिस्टों के प्रति उभार में आ रहा है? उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है। कम्युनिस्ट शासन में हरेक नागरिक को गर्भ से लेकर कब्र तक मदद की जाती थी जो अब संभव नहीं है।
इस संदेश को आम जनता में पहुंचाने के लिए यह जरूररी है कि सार्वजनिक विकास (इनक्लूसिव) के भारतीय कार्यक्रमों में हम हिस्सा लें। जरूरत तो यह है कि वामपंथ सार्वजनिक विकास का अपना कार्यक्रम तैयार राष्ट्र के सामने पेश करे जो प्रथम चरण का हो और द्वितीय-तृतीय चरणों के संकेत हों। इसमें खर्च की, सघन की भी व्याख्या रहे। पूरे देश में शहरों-गांवों में इस पर विशेष अभियान चलाकर संघर्ष का रूप देना चाहिए।
गरीबों के लिए कार्यक्रम
1. जननी सुरक्षा योजना- इसके लिए यूनियन की महिला नेताओं को गांव के सभी गर्भवती महिलाओं की समय -समय पर सूची तैयार कर संबंधित पदाधिकारों से परामर्श कर सारा इन्तजाम करवाने, समय-समय पर डाक्टरी जांच, गर्भावस्था में पौष्टिक भोजन, बच्चों के दवा आदि का इन्तजाम करवाना।
2. अनुसूचित जाति, जनजाति बालिकाओं का कस्तूरबा गांधी योजना में इन्तजाम करवाना।
3. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के जरिये मलेरिया, कालाबाजार, अंधता फाइलेरिया आदि के रोगियों की सहायता।
4. लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए निर्धन-निर्धनतम की सही सूची और नियमित आपूर्ति।
5. इन्दिरा आवास योजना के कामों भी जांच करते रहना।
6. अपंग लोगों की सूची तैयार करना।
7. वृद्धाश्रम खुलवाना- उसमें असहाय वृद्धों की भर्ती। ग्रामस्तर पर पहले जैसे हर खेत की फसल तैयार होने पर उसका अंशं ब्राह्मणों केा दिया जाता था वैसा अब गरीब वृद्धों के परिवारों के लिए करवाना।
8. अल्पसंख्यक (मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, सिक्ख) विकास योजना में सहयोग।
9. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी योजना में बेरोजगारों को दर्ज कराना, उन्हें काम और पूरा भुगतान दिलाना।
10. कौशल विकास योजना के लिए शिक्षित नौजवानों की सूची बनाना और संभव हो तो उन्हें कम्प्यूटर टेªनिंग दिलाकर भविष्य में इलेक्ट्रानिक, डिजिटल कामों में भर्ती के लिए तैयार करना।
11. इसी तरह स्वर्ण जयंती रोजगार योजना के लिए करना।
12. सर्वशिक्षा अभियान में बालिकायों की भर्ती करवाना और मध्यान्ह भोजन की जांच।
13. आम आदमी बीमा योजना- भूमिहीन परिवारों के मुखिया की मौत, आंशिक विकलांगता में मदद दिलवाना।
14. असंगठित मजदूरों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा करवाना।
15. ख्ेाती के बाद सबसे ज्यादा लोग पशु पालन, बकरी, भेड़, सुअर के पालन पर गुजर करते हैं मगर इसके लिए 2009-10 के बजट में 1000 करोड़ का प्रावधान था जो भी खर्च नहीं हो सका। इसी तरह सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण में मात्र 41 करोड़ का प्रावधान था जो खर्च नहीं हो सका।
सीमान्त और लघु किसानों के खेत की उपज बढ़ाने, लाभदायक फसल लगाने, मिट्टी जांच आदि के लिए नजदीक काॅलेज या विश्वविद्यालयों से मदद लेना, समय-समय पर जनसभा में उन्हें बुलाना। कृषि पदाधिकारियों से मदद लेना। फसल तैयारी से गोदामों में बेचने के लिए जाने तक भारी बरबादी होती है जिसे बचाने के लिए सहायता देना।
मजदूर यूनियनों, किसान सभाओं का जब तक ग्रामस्तर पर बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप नहीं होगा इन मदों के धन भ्रष्ट्राचार में लग जायेंगे या जाते हैं। और पार्टी का विकास भी बाधित रहेगा।
एक अत्यंत जरूरी काम यह है कि गांव-गांव में सूची तैयार करें कि किसकों कितना महाजनी कर्ज-सूद का क्या देय है, इसके अलावा बैंक, कोआपरेटिव आदि कर्ज। जिनकी हालत अत्यधिक खराब हो इनकी सूची जिला मेजिस्ट्रेट को देना कि बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर या बैंक कर्ज दिलवाकर महाजनी कर्ज से छुटकारा दिलायें। इस प्रश्न पर सूची तैयार होने पर कर्ज न मिलने पर जनान्दोलन खड़ा करना चाहिए।
चतुरानन मिश्रा
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