फ़ॉलोअर
गुरुवार, 10 जून 2010
at 6:12 pm | 0 comments | प्रदीप तिवारी
भोपाल की दूसरी त्रासदी के सबक
भोपाल में यूनियन कारबाईड नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनी की रसायनिक फैक्ट्री से मिथाईल आइसोसाईनाईड (एमआईसी या मिक) नामक विषैली गैस के रिसाव के कारण हजारों भोपालवासियों के मरने एवं अपाहिज हो जाने के 25 साल से अधिक बीत जाने पर उस जघन्य काण्ड के अभियुक्तों को 7 जून को सजा सुना दी गयी। इस भयावह त्रासदी के अभियुक्तों को केवल दो साल की सजा तथा रू। 1,01,750.00 का जुर्माना किया गया। फैक्ट्री के मालिक को सजा इसलिए नहीं दी जा सकी क्योंकि उसे अमरीका से भारत सरकार ने प्रत्यर्पित नहीं कराया। भोपालवासियों के लिए इस त्रासदी का यह सिला एक दूसरी त्रासदी के समान है। पूरे देश के नागरिक इससे हतप्रभ हैं।यह फैसला इस बात की पोल एक बार फिर खोलता है कि पूंजी राज्यसत्ता एवं उसके घटकों यानी सरकार एवं न्यायपालिका को किस प्रकार निर्देशित एवं नियंत्रित करती है।फैसला सुनाने वाले भोपाल के मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के पास स्वयं को जायज ठहराने का यह आधार हो सकता है कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304-ए में इससे अधिक सजा नहीं दी जा सकती लेकिन क्या सर्वोच्च न्यायालय के उन माननीय न्यायाधीशों को यह नहीं मालूम था कि इस जघन्य घटना में कितने हताहत हुए कि उन्होंने धारा 304 के आरोप को धारा 304-ए में बदल दिया, यह जानते हुए भी कि इस धारा में केवल 2 साल की सजा दी जा सकती है जो ऐसी किसी भी घटना के लिए नाकाफी है। ऐसे असंख्य उदाहरण हैं जिनमें सर्वोच्च न्यायालय ने तमाम छोटे-मोटे मामलों में यह कहते हुए दखल देने से मना कर दिया कि अगर आरोप साबित नही हुए तो अभियुक्त अधीनस्थ न्यायालय से अंतिम फैसला आने पर बरी हो जायेंगे। क्या सर्वोच्च न्यायालय में सरकारी वकील ने इस दूरगामी फैसले के खिलाफ अपील के लिए अनुशंसा नहीं की थी? सरकार का अपना क्या उत्तरदायित्व था? ये सवाल हैं, जनता जिनका उत्तर चाहती है लेकिन इसके जवाब शायद ही उन्हें कभी मिल सकें।फैसले में हुए अत्यधिक विलम्ब के लिए क्या मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय दोषी नहीं है। भोपाल अधीनस्थ न्यायालयों का कई बार मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने निरीक्षण किया होगा और पुराने लंबित मामलों की समीक्षा के समय इन न्यायाधीशों का विवेक इस मामले की त्वरित सुनवाई और निस्तारण के लिए नहीं मा चला। आखिर क्यों? क्या यह उत्तरदायित्वों से विचलन नहीं था? मध्य प्रदेश राज्य सरकार तथा केन्द्रीय सरकार ने भी कभी भी इस केस के त्वरित निष्तारण की बात नहीं सोची।फैक्ट्रीज एक्ट में सुरक्षा एवं संरक्षा को उचित तरह से लागू न करना अपराध माना गया है जिसके लिए बिना किसी घटना के घटित हुए निर्धारित मानदण्डों का पालन न करने पर पहली बार ही दो साल की सजा का प्राविधान है। इस फैक्ट्री के मालिकों पर शायद ही कभी कोई मुकदमा चलाया गया हो। आखिर अंतर्राष्ट्रीय पूंजी के खिलाफ सरकारी मशीनरी कैसे कोई कदम उठाती।परमाणु उत्तरदायित्व बिल अब जनता के लिए और अहम हो गया है जो भारत सरकार के अमरीकी सरमायेदारों से रिश्ते उजागर करता है।ये तमाम सवाल हमें आगाह करते हैं कि इस तरह की किसी संभाव्य घटना के लिए देश की दण्ड संहिता में उचित बदलाव किए जायें। इसके लिए जनता के मध्य चर्चा और आन्दोलन की जरूरत है जिससे सरकार को उचित बदलावों के लिए विवश किया जा सके।
- प्रदीप तिवारी
- प्रदीप तिवारी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CPI Condemns Attack on Kanhaiya Kumar - *The National Secretariat of the Communist Party of India issued the following statement to the Press:* The National Secretariat of Communist Party of I...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...8 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
वामपंथी एवं जनवादी दलों का राज्य स्तरीय ‘ सम्मिलन ’ संपन्न बुलडोजरवाद , पुलिस उत्पीड़न , वामपंथी कार्यकर्ताओं पर हमले , संविधान और लो...
-
# सरकारी स्तर पर धार्मिक क्रियायेँ आयोजित कराने संबंधी मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश के आदेश को तत्काल निरस्त किया जाये # सर्वोच्च न्यायालय के...
-
उत्तर प्रदेश में निरंतर सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों पर केंद्र और राज्य सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली भाकपा ने घोटालों की ज़िम्मेदा...
-
हापुड़ में फैक्ट्री मजदूरों की दर्दनाक मौत पर भाकपा ने गहरी वेदना प्रकट की भाकपा की मेरठ मंडल की इकाइयों को आवश्यक कदम उठाने और 8 जून को ...
-
‘ अग्निपथ ’ योजना को फौरन रद्द किया जाये , रिक्तियों को मौजूदा प्रक्रिया से तत्काल भरा जाये: भाकपा लखनऊ- 17 जून 2022 , भारतीय कम्युनि...
-
साम्राज्यवाद का दुःस्वप्नः क्यूबा और फिदेल आइजनहावर, कैनेडी, निक्सन, जिमी कार्टर, जानसन, फोर्ड, रीगन, बड़े बुश औरछोटे बुश, बिल क्लिंटन और अब ...
-
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2019- आर्थिक और अन्य सहयोग हेतु भाकपा राज्य काउंसिल की अपील। प्रिय मित्रो , उत्तर प्रदेश विधान सभा क...
-
The Central Secretariat of the Communist Party of India (CPI) has issued the following statement to the press: The Communist Party of India ...
-
इंडो एशियन न्यूज़ ने आज छापा है कि : "Waving cricket bats, hundreds of Congress activists gave a roaring welcome to former minister of ...
-
रेल मंत्री और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की बर्खास्तगी तथा घटनाओं की न्यायिक जांच आदि मांगों को लेकर प्रदेश भर में सड़कों पर उतरे वा...
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें