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गुरुवार, 10 जून 2010
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एटक की शिमला वर्किंग कमेटी का आह्वान - मजदूर वर्ग की संपूर्ण एकता की ओर आगे बढ़ो
“जीवन की जरूरियात चीजों के दाम बेलगाम बढ़ रहे हैं। वित्तमंत्री द्वारा बजट पेश किये जाने के बाद यह बढ़त तेजतर हुई है। मजदूर वर्ग को कोई रियायत देने से मना किया गया है, जबकि पूंजीपतियों को टैक्सों में भारी छूट दी गयी है। कार्पोरेट सेक्टर को महज 22 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। कृषि और शिक्षा क्षेत्र में निवेश कम है। असंगठित क्षेत्र कामगार सामाजिक सुरक्षा कोष में निवेश अत्यल्प है। रोजगार पैदा करने की संभावना क्षीण है। ऐसी स्थिति में मजदूर वर्ग को अपने हकों, की हिफाजत करने के लिए संघर्ष और भी ज्यादा व्यापक और तेज करना होगा।”इन शब्दों के साथ एटक महासचिव गुरूदास दास गुप्त ने 16 मई को एटक की कार्य समिति बैठक में विचार रखे। एटक की वर्किंग कमेटी मीटिंग हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 16 और 17 मई 2010 को सम्पन्न हुई। ब्रिटिश शासनकाल में शिमला भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी।महासचिव ने संयुक्त संघर्ष और टेªड यूनियन एकता की चर्चा करते हुए बताया कि यह मौजूदा दौर की आवश्यकता है। उन्होंने पिछले दिनों के संयुक्त आंदोलनों के महत्वपूर्ण पक्ष पर जोर दिया कि यह इंटक, भामस समेत वामपक्ष के सभी यूनियनों का व्यापक मंच है, जो एक दिन के राष्ट्रीय हड़ताल पर सहमत हैं। 15 जुलाई के संयुक्त टेªड यूनियन कनवेंशन में राष्ट्रीय औद्योगिक हड़ताल का प्रस्तावविचारधीन है। हमें इसकी तैयारी जोर-शोर से शुरू करनी चाहिए। इतिहास ने व्यापक एकता निर्माण का यह मौका हमें दिया है।शिमला की दो दिवसीय बैठक के प्रथम दिन हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कोनों से मजदूरों ने आकर शिमला के सब्जी मंडी मैदान में रैली की। रैली में लोग पहाड़ों के कठिन मार्गों में चलकर आये थे, जिनमें महिलाओं की संख्या काफी थी। रैली में महासचिव गुरूदास दासगुप्त के अलावा अमरजीत कौर, बी.वी. विजयालक्ष्मी, हिमाचल प्रदेश एटक के अध्यक्ष जगदीश भारद्वाज तथा महासचिव आर.एन. डोगरा आदि के भाषण हुए। दो दिवसीय बैठक में विचार विमर्श के बाद अखिल भारतीय औद्योगिक हड़ताल की तैयारी में पूरी ताकत से लगने का निश्चय किया गया। इसकी तैयारी में निम्नांकित सांगठनिक कदम उठाये जाने का निर्णय लिया गयाः-अ एटक राज्य कमेटियों की बैठकें एक महीने के अंदर अवश्य सम्पन्न की जाय।अ प्रमुख औद्योगिक फेडरेशनें कोयला, तेल, बिजली, ट्रांसपोर्ट आदि की बैठकें 45 दिनों के अंदर आयोजित की जायें।अ राज्यों के संयुक्त कन्वेंशन 45 दिनों के अंदर आयोजित किये जायें।अ इन तैयारियों को अंजाम देने के लिए यूनियनों की जी बी बैठकें आयोजित की जायें और संयुक्त संघर्ष के संदेशों को प्रचारित किये जायें।अ राज्य कमेटियों द्वारा मंागों से संबंधित पोस्टर और हैंडबिल निकाले जायंे।अ महंगाई, बेरोजगारी, असंगठित मजदूरों की समस्याओं, विनिवेश, अंधाधुंध ठेका/आउटसोर्सिंग आदि से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर मजदूरों, कर्मचारियों और आम लोगों के बीच व्यापक प्रचार अभियान चलाये जायें।अ ट्रेड यूनियनों की संपूर्ण एकता मजदूर आंदोलन में एक नया मोड़ है। यह एक ऐतिहासिक मौका है। इसे कामयाब करना है।15 जुलाई को राष्ट्रीय कन्वेंशन15 जुलाई को दिल्ली के मावलंकर हाल में होनेवाले कंेद्रीय टेªड यूनियन संगठनों के राष्ट्रीय कन्वेंशन में एटक की सभी राज्य कमेटियों और एटक के सभी केंद्रीय पदाधिकारी अवश्य भाग लेंगे। इसके अलावा औद्योगिक फैडरेशनों के अध्यक्ष, महासचिव एवं अन्य प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। स्वतंत्र टेªड यूनियन संगठनों को भी आमंत्रित किया जा सकता है। प्रमुख यूनियनों के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। इस कन्वेंशन की तैयारी पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता से करनी है। यह टेªड यूनियन आंदोलन में निःसंदेह एक नया मोड़ है। हम संपूर्ण मजदूर एकता की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।इसके अलावा कतिपय सांगठनिक फैसले लिये गये, जिनमें एटक की सदस्यता सवागुना बढ़ाना, एक करोड़ रुपये का कोष संग्रह, ‘टेªड यूनियन रिकार्ड’ पाक्षिक पत्रिका (हिंदी और अंग्रेजी) की ग्राहक संख्या दुगुना करना, राज्यों/फेडरेशनों में टेªड यूनियन शिक्षण सत्र, दिल्ली में नियमित टेªड यूनियन स्कूल, पुस्तकालय आदि शामिल है। एटक जनरल कौंसिल की आगामी बैठक जयपुर (राजस्थान) में होगी और एटक का अगला राष्ट्रीय महाधिवेशन महाराष्ट्र में करना तय हुआ है। इसके लिए उपसमिति का गठन किया गया।
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