फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 25 जून 2010
at 9:06 pm | 0 comments | विश्वजीत सेन
माओवादियों के वकील, कुछ तो बोलें
हमें उनकी “वाणी” का इंतजार है। माओवादियों के छोटे-बड़े वकील, विभिन्न दलों में या दलों के बाहर जो घोसला बना रखे हैं, मौका मिलते ही जिनकी श्रृंगालध्वनि से दिगंत गूंजने लगता है, जो माओवादियों को दलित-पीड़ित जनता के प्रतिनिधि मानते हैं, उन्हें जनता के गुस्से का मूर्तरूप मानते हैं, वही। उनसे हम सुनना चाहते है, खुद कुछ बोलना नहीं चाहते।हमारे बोलने के लिए बचा भी क्या है? कुछ नहीं। यह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है। इसकी लोकतांत्रिकता सिर्फ इसी हद तक सीमित है कि सरकार का विवेक आसानी से जाग्रत नहीं होता। सरकार संसदीय जोड़तोड़ में मशगूल रहती है। कभी ‘उधो’ तो कभी ‘माधो’ को लेकर सरकार चलाती रहती है। देश जाए भांड़ में। आप उत्तम नागरिक माने जाएंगे, अगर उनकी नींद में खलल नहीं डालें। अगर डाल दिए, तब आपको दरबान बुलाकर बाहर करवा दिया जाएगा।दान्तेवाड़ा में यात्री बस को माओवादियों ने उड़ दिया। कहा गया उस बस में यात्रियों के अलावे एस.पी.ओ. भी सफर कर रहे थे। एस.पी.ओ. यानि स्पेशल पुलिस अफसर। छत्तीसगढ़ सरकार ने विक्षुब्ध माओवादियों के बीच से इस बल का निर्माण किया था। लेकिन उस बस में निरीह ग्रामीण, उनके परिवार, उनके बच्चे भी तो थे। उन्हें क्यों निशाना बनाया गया? यह एक सवाल किसी ने नहीं पूछा। यहां तक कि तथाकथित मानवाधिकारवादियों ने भी नहीं। एस.पी.ओ. का नाम आते ही सबको जैसे सांप सूंघ गया।अब हावड़ा-कुर्ला ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस। 150 लोगों की मौत। लाशों के ढेर। इस टेªन में भी क्या एस.पी.ओ. सफर कर रहे थे?सच्चाई यही है कि गरीबों की दुर्दशा आदि से माओवादियों का कुछ भी लेना देना नहीं है। उन्होंने जन-समर्थन लेने के लिए क्रांतिकारी लबादा ओढ़ रखा है। और हां, इनके पास अवश्य ही वकीलों की एक अच्छी खासी फौज है। कौन नहीं है इस फौज में? हारे हुएविधायक, दरकिनार कर दिए गए राजनेता, पस्तहिम्मत लेखिका, दिल्ली में फंड के लिए इसके-उसके दरवाजे खटखटाजे गांधीवादी, सभी। जनता इन्हें झेलती है, केवल झेलती है। अपने आप में यह जमात भी एक जैविक उद्यान ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि जैविक उद्यान में पशु पिंजरों में रहते हैं और इन्हें खुला छोड़ दिया गया है।अखबार में तस्वीर आई है (प्रभात खबर, 29.5 2010)। एक बच्ची की लाश को सुरक्षा बल के जवान उठाए हुए हैं। बच्ची का सर गायब है। जाहिर सी बात है कि माओवादी कहर में उसका सर लुप्त हो चुका है। मुझे लगा उस बच्ची की लाश हमारे शिशु लोकतंत्र का प्रतीक है। इस लोकतंत्र के शरीर का वह हिस्सा गायब हो चुका है, जहां मस्तिष्क हुआ करता है। इसीलिए इसे आनेवाले खतरों की आहट सुनाई नहीं देती।हावड़ा-कुर्ला ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस जहां काल-कवलित हो गया, वहां दो पेास्टर मिले हैं। “जनसाध रणेर कमिटी“ ने इस घटना की जवाबदेही स्वीकारी है। यह संगठन माओवादियों के मुखौटे के रूप में काम करता है, और इसे महाश्वेता देवी का वरदहस्त प्राप्त है। वही महाश्वेता देवी, जो कभी दलित जातियों के बंधुआ मजदूरों के प्रवक्ता रही हैं। आज जब पश्चिम मिदनापुर की आम जनता को माओवादी बंधुआ बनाये हुए है, तब शायद उन्हें मोतियाबिंद हो गया है।पर, हमारे सौभाग्य से, इतिहास की आंखों को कुछ नहीं हुआ। उसकी आंखें सब कुछ देख रही हैं। समय आने पर वह न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठेगा और न्याय भी करेगा। अगर ऐसा नहीं होता, तो दुनिया कब के नर्क बन गयी होती। हिटलर सफल हो गया होता, मुसोलिनी अपनी रखैल के साथ सुख-चैन से होते। लेकिन हिटलर को, मुसोलिनी को जाना पड़ा। गणपति भी जाएंगे।
- विश्वजीत सेन
- विश्वजीत सेन
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...5 वर्ष पहले
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र - विधान सभा चुनाव 2017 - *भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र* *- विधान सभा चुनाव 2017* देश के सबसे बड़े राज्य - उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के गठन के लिए 17वीं विधान सभा क...7 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...7 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल के सचिव डा0 गिरीश ने 17 से 21 सितंबर तक काठमांडू में संपन...
-
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 16वीं विधान सभा का चुनाव हो रहा है। यह चुनाव स्वतंत्र भ...
-
चले चलो दिलों में घाव ले के भी चले चलो चलो लहूलुहान पांव ले के भी चले चलो चलो कि आज साथ-साथ चलने की जरूरतें चलो कि ख़त्म हो न जाएं जिन्द...
-
भाकपा की राज्य कौंसिल बैठक शुरू भाकपा राष्ट्रीय सचिव शमीम फैजी ने जारी किया आन्दोलन का पोस्टर लखनऊ 18 अप्रैल। भारतीय कम्युनिस्ट पार्...
-
MANIFESTO OF PROGRESSIVE WRITERS ASSOCIATION ADOPTED IN THE FOUNDATION CONFERENCE 1936 Radical changes are taking place in India...
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य डा॰ गिरीश का प्रेस बयान- हड़ताली चालकों पर दमन बंद करे सरकार! काले का...
-
हरिशंकर परसाई की कहानियों में पात्र-वैविध्य की बात हम कर चुके हैं, इस वैविध्य का बहुत बड़ा कारण परिस्थितियां, उनसे जूझते चरित्र का निर्मित हो...
-
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के अब तक के कार्यकाल को 'असफलता के सौ दिन' शीर्षक से नवाजा है. ...
-
उठ जाग ओ भूखे बंदी, अब खींचो लाल तलवार कब तक सहोगे भाई, जालिम अत्याचार तुम्हारे रक्त से रंजित क्रंदन, अब दश दिश लाया रंग ये सौ बरस के बंधन, ...
-
जमींदारी उन्मूलन विधेयक विधान सभा में पास होने के कुछ दिन पूर्व संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश) सभी राजाओं, तालुकेदारों तथा जमींदारों की एक ...
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें